Maa Ki Masti - मैंने अपने बेटों से की मस्ती

Dilshad Ahmad


दोस्तो, मैं नजमा एक बार फिर से आपके सामने हाजिर हूँ. जो लोग मुझे नहीं जानते हैं, उनको मैं अपने बारे में कुछ बता देती हूँ.

मैं एक शादीशुदा औरत हूँ और मेरे शौहर कहते हैं कि मैं बला की खूबसूरत हूँ. मेरा रंग एकदम दूध गोरा और रेशमी बाल एकदम स्याह काले हैं. मेरी उम्र 35 साल है और मेरी फिगर की साइज 36-32-34 है. मेरे तीन बच्चे हैं.

बड़ा बेटे का नाम साजिद है, वह 21 साल का खास गबरू जवान हो गया है. दूसरा बेटा आमिर है जो 19.5 साल का है और उसके बाद 18 साल का इमरान है.

कोविड के दौर से ठीक पहले मेरे शौहर एक रिश्तेदार के घर शादी पर गए थे और वहीं फंस गए थे. अब मैं और मेरे तीनों बेटे ही घर पर रह गए थे. कोरोना के समय में कोई ज़्यादा काम भी नहीं रह गया था. सिर्फ मोबाइल पर वीडियो देख देख कर काम चल रहा था. या वीडियो कॉल पर बात करके समय पास कर रही थी.

जब पूरा एक सप्ताह बिना रोमांस के गुज़रा तो मैं बहुत बेचैन हो गई. चूंकि मैं एक मजहबी लड़की हूँ और हम लड़कियां बिना मस्ती के नहीं रह सकती हैं. अब मैं क्या करूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा था. मैं बहुत परेशान हो रही थी.

एक दिन रात को मैं अपने रूम में अकेली लेटी थी. उस समय रात का एक बज रहा होगा. मैं एक रोमांस मूवी का सीन देख कर कुछ ज़्यादा गर्मा गई थी. तो मैंने कुछ सोचा और किचन से एक खीरा लेकर कमरे में आ गई.

अब मैंने अपने कपड़े उतार दिए और एक नाइटी पहन ली. फिर ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी उठाई और खीरे पर तेल लगा लिया. उसके बाद अपने हाथ पर थूक से खीरा और चिकना कर लिया. अब खीरा एक मोटा लंड जैसा बन गया था.

मैं उसे लंड समझ कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी. मुझे थोड़ा आराम सा मिलने लगा. कुछ ही देर में मैंने उस खीरे को अपनी चूत में अन्दर तक घुसा दिया और अन्दर बाहर करने लगी. मुझे बेहद मज़ा आने लगा था.

मैं आंखों को बंद करके उस खीरे को अपने शौहर का लंड समझती हुई अन्दर बाहर कर रही थी. मेरा एक हाथ मेरी चूची पर था और एक हाथ खीरे को लंड बना कर चुत में अन्दर बाहर करती हुई मस्ती का मादक अहसास कर रही थी.

उस समय मैं अपने ही आनन्द में डूबी हुई थी कि तभी मेरी नज़र उठी और मैंने दरवाजे की ओर देखा. दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था और कोई झांक रहा था.

ओ तेरी का … मर गई, यह तो साजिद था. उसने जैसे ही यह देखा कि मैंने उसको देख लिया है, वह अन्दर आ गया. मैंने अपनी चूत से खीरे को बाहर निकाला और जल्दी से सीधी खड़ी हो गई. मैं अपनी नाइटी को ठीक करने लगी.

‘ओह … नो नो बेटा, तुमको यहां नहीं आना चाहिए था. तुम यहां क्या कर रहे हो … यह अच्छी बात नहीं है!’

‘अम्मी यह आप क्या कर रहीं थी?’ कुछ नहीं बेटा, मैं बस ऐसे ही. वह कुछ अन्दर चला गया था, उसे निकाल रही थी. अम्मी मैं जवान हो गया हूँ. मैं जानता हूँ कि आप क्या कर रही थीं! यह सुन कर मैं सन्न रह गई- चलो, तुम यहां से जाओ और सो जाओ! मुझे नींद नहीं आ रही है. क्यों क्या हुआ?’

उसने एक हाथ मेरी कमर में डाल कर मुझे झटका दिया और मैं उसके शरीर से सट गई. वह अब एक गबरू जवान लड़का हो गया था और अपने पापा की तरह गठीला हो गया था. उसकी हाइट पाँच फुट ग्यारह इंच की है.

झटके के कारण मेरी छाती और उसकी छाती एक साथ सट गई थी. उसने एक चुंबन मेरे होंठों पर किया और बोला- मुझे चुदास चढ़ गई है और अभी ही किसी को चोदना है! मैं बिल्कुल असहाय सा महसूस कर रही थी.

मैंने उससे हारी हुई आवाज़ से कहा- मैं तो तुम्हारी अम्मी हूँ! हम्म … आप मेरी अम्मी हो, यह मैं जानता हूँ. लेकिन अम्मी आप उससे पहले एक औरत हैं. अम्मी बेटे का रिश्ता हम दोनों जानते हैं लेकिन मेरा लंड और आपकी चूत यह सब नहीं जानते हैं. उनको तो बस प्यास बुझाने से मतलब है.’

उसकी यह गंभीर बात सुन कर न जाने क्यों मुझे बड़ा सुकून मिला. उसकी बात बिल्कुल सही थी कि मेरी चूत को क्या पता कि उसको किसका लंड चोद रहा है! ये बात तो तुमने बिल्कुल सही कही है!’

अब मैंने खुद उसको अपनी बांहों में भरा और अपनी बांहों को उसके गले में डाल कर उसको भरपूर किस किया.
वह भी मेरे होंठों को अपने होंठों पर रख कर चूसना शुरू कर चुका था.

मैं उसको उसकी पत्नी की तरह प्यार करने लगी. मैंने अपनी नाइटी उतार कर एक तरफ फेंक दी और पूरी नंगी होकर उसके साथ प्यार करने लगी. उसने अपने मज़बूत हाथों से मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बेड पर ले आया.

बेड पर लाकर उसने मुझे बड़े प्यार से लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया. हम दोनों शौहर और बीवी की तरह प्यार करने लगे. कुछ पल बाद वह मेरे करीब बैठ गया. मैं लेटी हुई थी.

उसने मेरी एक चूची को पकड़ कर मेरी तरफ देखा और चूची को दबा दिया. मैं शर्मा गई. वह मेरी चूची के पास झुक गया. वह अपनी जीभ से मेरी चूची के निप्पल को टच करने लगा और चूसने लगा.

मेरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गई. एक अजीब सा अहसास था … मैं तनने लगी और अंगड़ाई लेने लगी. वह मेरी एक चूची को चूस रह था और दूसरी चूची को दबा रहा था. मैं आराम से लेटी हुई अपनी चूचियों को दबवाने और चुसवाने का आनन्द ले रही थी.

मेरा एक हाथ उसके पैंट में खड़े लंड पर चलने लगा था. साथ ही मैं अपने दूसरे हाथ से उसके सर के बालों को सहलाती हुई उसे अपने मम्मों पर दबा रही थी.

कुछ देर बाद वह मेरे ऊपर चढ़ गया और अपने होंठों को मेरे होंठों से मिला कर मेरी जीभ को चूसने लगा. मेरे हाथ उसकी गर्दन और उसके बालों से खेल रहे थे.

मैं अपने बेटे को प्यार करने लगी और धीरे धीरे उसके कपड़े उतारने लगी. मैं आज उसको दूसरी नज़र से देख रही थी और बस यही सोच रही थी कि इसके साथ चुदवाने का आइडिया मुझे पहले क्यों नहीं आया!

मेरे घर में ही लंड का इंतजाम था तो मैं क्यों परेशान हो रही थी. मैं उठी और मैंने उसकी पैंट को कच्छे समेत उसकी टांगों से निकालते हुए उतार दी.

उसका भीमकाय लंड मेरे सामने था. याखुदा … यह तो बिल्कुल इसके अब्बू की तरह ही था.

मैंने कहा- साजिद, यह तो बिल्कुल तुम्हारे अब्बू की तरह है!
‘हां अम्मी.’

पर तुमको कैसे पता कि यह अब्बू की तरह है. यह तो सिर्फ मैं जानती हूँ. नहीं अम्मी, मैं आपको और अब्बू को कई बार चुदाई करते देख चुका हूँ.

अच्छा … तुमने यह आज से पहले क्यों नहीं बताया? वह उठा और मेरे करीब आ गया, बिल्कुल मेरे चेहरे के पास और बोला- अम्मी सच बताऊं … मैं कई बार आपको चोदने के बारे मैं सोच चुका हूँ, लेकिन कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी.

मैं मुस्कुराई और उसको किस करने लगी. मैंने उसके होंठ पर किस किया और मैं उसके घुटनों के पास बैठ गई. फिर उसकी दोनों जांघों को फैला कर मैं उसके लंड को देखने लगी. मैंने उसके लंड को अपने हाथों में लेकर उसके सुपारे पर किस किया और नायक से सांस खींचते हुए उसकी महक को जज़्ब किया.

अगले ही पल मैंने उसके लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी. लंड चूसते हुए ही मैंने साजिद की ओर देखा तो वह बिल्कुल पागल हो रहा था. उससे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने उसके लंड को अपने मुँह में पूरा भर लिया. इसी तरह से मैं उसके अब्बू के लंड को अपने मुँह में भर कर चूसती हूँ.

साजिद का लंड लगभग आठ इंच का था और मेरे हलक तक पहुँच रहा था. मैंने पूरे लंड को मुँह में लेकर रुकने का प्रयास किया तो मेरी सांस रुकने सी लगी. मैंने लंड बाहर निकाला तो उसका लंड मेरी लार से पूरा चिकना हो गया था.

उसने मेरे सर पर हाथ रख कर मेरे मुँह को अपने लंड पर दबाना शुरू कर दिया. मेरा मुँह उसके लंड को चुभलाने लगा था. उसका लंड मेरे हलक तक उतर रहा था. यह चुसाई कुछ ही देर तक चली होगी कि तभी मुझे अहसास हुआ कि उसका वीर्य मेरे मुँह में ही निकलने लगा.

अब मैं लंड को अपने मुँह से निकालना चाह रही थी लेकिन उसने मेरे सर के बालों को नहीं छोड़ा. पूरा वीर्य मेरे पेट में उतरा जा रहा था. मुझे मजबूरन पूरा वीर्य पीना पड़ा.

जब उसने सारा रस मुझे पिला दिया, तब मेरा सर छोड़ा. उसकी पकड़ से छूटते ही मेरी जान में जान आई- यह क्या किया साजिद … पूरा माल मेरे पेट में ही पहुंचा दिया! कसम से अम्मी तुमने क्या लंड चूसा है … गज़ब की लंडबाज़ हो!’

मैं मुस्कुरा दी … और उसकी तरफ देखने लगी.

वह बोला- यह तो अब मुरझा गया है?
‘कोई बात नहीं … मैं हूँ न!’

यह कह कर मैंने उसके लंड को वापस अपने मुँह में भर लिया. उसका लंड पहले से ही मेरे मुँह की लार और उसके वीर्य से सना हुआ था. मैंने अपनी जीभ से सुपारा चाटा और लंड के बाहर लगा हुआ सारा रस चाट चाट कर साफ कर दिया. मैं अब फिर से अपनी जीभ से सहला सहला कर लंड चूसने लगी.

थोड़ी ही देर में उसका लंड फिर से एक बार तन कर खड़ा हो गया था. मैंने साजिद की ओर देखा. वह मुझे मुस्कुरा कर देख रहा था. मैं शर्मा गई और बोली- ऐसे क्या देख रहे हो? यही कि मैं जिसको इतने दिनों से चोदने के ख्वाब देख रहा था, आज वह मेरे पास बैठी मेरे लंड को चूस रही है!’

मैं वाकयी में शर्मा गई और मैंने कहा- अब बातें ही करोगे या कुछ करोगे भी! यह कह कर मैं उठ कर उसके पास आ गई. हम दोनों बिल्कुल नंगे थे. मैं उसके पास जाकर लेट गई. उस वक्त मैं अपनी पीठ के बल बिल्कुल सीधी लेटी थी.

मेरे शरीर का पूरा निखार और सौन्दर्य उभर कर आ रहा था. मेरी चूत चिकनी थी और मेरी चूचियां हौले हौले से हिल रही थीं. दरअसल मेरी सांस ऊपर नीचे होने से मेरी चूचियां गजब की थिरकन दिखा रही थीं. मेरा रंग और सौन्दर्य साजिद को मेरा आशिक बना रहा था.

वह हौले से मेरे ऊपर झुका और मेरी एक चूची को अपने हाथ में लेकर दबाते हुए अपने मुँह की तरफ खींचा.
मैं मस्त नजरों से उसकी हरकत को देख रही थी. उसने जीभ की नोक से मेरे निप्पल को टच किया और जीभ से लिकलिक करते हुए निप्पल को कुरेदा.

उस कामुक अहसास से मेरी आंखें बंद होने लगीं. इसी तरह से वह मेरी दोनों चूचियों के साथ खेलने लगा. वह कभी चूची को मुँह में भर कर चूसता और कभी हाथ से दबा देता.

उसके इस तरह से मस्ती करने से मेरे बदन में अजीब सी उमंग भर रही थी. मैं अपने बेड पर ऐसी मचल रही थी, लग रहा था कि आज मैं पहली बार चुदने जा रही थी.

वह मेरी गर्दन पर … मेरी छाती पर और मेरी चूचियों पर चुम्बनों की बरसात सी कर रहा था. मैं उसके गले लग कर मचल उठी थी. उसने मुझे सीधा रहने का इशारा किया.

मैं सीधी हो गई. वह मेरे हर एक अंग को चूमता हुआ नीचे जाने लगा. मेरी छाती, फिर सीना, पेट और फिर कमर तक आ गया. इसके बाद वह उस हिस्से पर आया, जो सबसे ज्यादा उत्तेजना वाला होता है. वह मेरी चूत के ऊपर के हिस्से में यानि पेड़ू पर आ गया था. मेरे पेड़ू पर उसके होंठों का स्पर्श मेरी तड़प बढ़ाने वाला था.

उसने मेरी दोनों जांघों को खोल दिया और मेरी चूत के पास बैठ गया. आगे बढ़ने से पहले उसने मेरी ओर देखा. मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी. अगले ही पल उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और घुमाने लगा.

मैं खुद को संभाल ही नहीं पा रही थी. वह मेरी चूत के होंठों से अपनी जीभ से खेल रहा था. मैंने अपनी दोनों टांगों को पूरा फैला दिया ताकि वह अच्छे से मेरी चूत को चूस सके. वह वही कर भी रहा था … साथ ही अपनी एक उंगली को मेरी चूत में डाल कर नीचे की ओर से अन्दर बाहर करने लगा था.

मैं तड़प सी रही थी. वह मेरे ऊपर झुके झुके ऊपर को हुआ और अपने लंड को मेरी चूत के होंठों से सटा कर मेरे ऊपर छाता चला गया. उसका लंड मेरी चूत पर गर्म गर्म लग रहा था. उसने मेरी कमर को पकड़ा और एक धक्का दे मारा.

उसका पूरा लंड मेरी चुत के अन्दर घुसता चला गया. एक पल बाद मैंने नीचे देखा, तो उसका लंड मेरी चूत में खो गया था. मुझे महसूस भी हो रहा था कि लंड जड़ तक घुस गया था.

मैंने साजिद को देखा, वह मुस्कुरा रहा था. नजरें मिलीं तो उसने अपने होंठों को गोल करके एक चुम्मा हवा में उछाला. मैं उसके चुंबन को देख कर शर्मा गई. उसने मेरे सीने से खुद को लिपटा दिया और मुझे किस करने लगा. साथ ही वह अपनी कमर मटकाने लगा.

उसका लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर आने जाने लगा. मैं भी उससे लिपटने लगी और चुम्बन का आदान-प्रदान करने लगी. वह भी मुझे अपनी किसी माशूका की तरह चोदने लगा. उसका लंड मेरी चूत की दीवारों पर दबाव डाल रहा था.

मैं भी अपनी कमर को उठा उठा कर उसके लंड को अपने अन्दर ले रही थी. पूरा कमरा उसके लंड के मेरी चूत से टकराने की आवाज़ों से गूंजने लगा था. फच फच की आवाज़ें गूंज रही थी!

मेरे मुँह से अजीब अजीब आवाज़ें अपने आप बाहर आने लगी थीं. मैंने अपनी दोनों टांगों को उठा कर हवा में दोनों ओर फैला दिया था ताकि वह मुझे अच्छे से चोद ले. वह भी अपनी चुदास से भरी अम्मी को अपनी बीवी की तरह रगड़ कर चोद रहा था.

अब मैंने अपनी दोनों टांगों को उसकी कमर के दोनों ओर से लपेड़ लिया. साथ ही उसको अपने सीने से लिपटा कर चुम्बन देने लगी. उसका लंड मेरी बिना रुके चुदाई कर रहा था. जब उसका लंड पूरा बाहर निकल कर मेरी चूत की गहराई में तेज गति से घुस रहा था, तब मेरी चूत के होंठ चिर से रहे थे.

उस चिरांध में मुझे इतना ज्यादा आनन्द मिल रहा था कि क्या ही कहूँ … मैंने कभी भी यह सब अपने सपने तक में नहीं सोचा था. लगभग बीस मिनट तक मेरी ऐसी ही तगड़ी चुदाई करने के बाद उसके धक्कों में तेज़ी आ गई. मैं तो समझो कुचली जा रही थी.

धीरे धीरे उसके धक्के तेज़ होते ही चले गए और अंत में उसने मेरी चूत में अपने लंड से वीर्य की पिचकारियां छोड़ना शुरू कर दिया. आज मैं तर गई थी. मेरे बेटे ने आज पहली बार मुझे चोदा था.

मैं बहुत प्यार से उसे निहार रही थी और सोच रही थी कि अभी कुछ साल पहले ही तो मैंने इसे जन्म दिया था और आज यह इतना बड़ा हो गया कि मुझे ही चोद रहा है. उसका लंड अभी भी मेरी चुत के अन्दर ही था. लंड अब मुरझाने लगा था.

वह मेरी चूचियों पर सर रख कर लेटा हुआ था और मैं उसको प्यार कर रही थी, उसके बालों को सहला रही थी. फिर वह एक ओर सरक कर लेट गया. हम दोनों बिल्कुल नंगे थे.

मैंने देखा कि उसका लंड पूरी तरह से मुरझा कर सिकुड़ गया था और मेरी चूत और उसके वीर्य से सना हुआ चमक रहा था. मैं उसके चेहरे के पास अपना चेहरा ले गई और उसको किस किया. वह मुझे देख कर मुस्कुराने लगा.

‘अम्मी … मैं आपको कैसा लगा?’
मैंने कहा- मस्त बेटा … तुम तो बड़े छुपे रुस्तम हो. इतनी अच्छी चुदाई करते हो, मुझे तो पता ही नहीं था.

‘अम्मी मेरे लिए यह बहुत खुशनसीबी की बात है कि मैं आप को चोद पाया.’ मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था. मैंने देखा कि वह बहुत उत्सुक है. मैंने उसके लंड को फिर से छुआ और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

कुछ ही देर की मशक्कत के बाद वह फिर खड़ा हो गया. वह फिर से मेरे ऊपर चढ़ गया और चुत में लंड पेल कर मुझे चोदने लगा. मैं तड़प रही थी और वह मुझ पर लद कर धकाधक चोदे जा रहा था.

उसी वक्त मेरी नज़र दरवाजे पर गई. याखुदा … यह क्या … वह हल्का सा खुला हुआ था और कोई झांक रहा था.”
यह आमिर था. वह दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया. मैं बुदबुदाई- ओह्ह … नहीं नहीं .. यह कुछ गलत हो रहा है! तुम यहां क्या कर रहे हो?

‘वह तो मैं आप दोनों की आवाज़ों से जग गया, लेकिन भाई आपके ऊपर चढ़ कर यह क्या कर रहे हैं?’ वह .. कुछ नहीं बस मेरी चूत में कुछ घुस गया है, उसी को निकलवा रही थी.’

‘अम्मी मैं बड़ा हो गया हूँ और मैं जानता हूँ कि भाई आपको चोद रहे हैं.’ हां तो … अगर मैं चुदवा रही थी तो तुमसे क्या? तुम जाओ और जाकर सो जाओ. तुम अभी छोटे हो!’

‘क्यों भाई को ही क्यों अम्मी … मैं क्यों नहीं? जब कि मैं कई बार आपको अब्बू से चुदवाते हुए देख चुका हूँ.’ तो … तो मैं क्या करूँ .. अब तुम यह कहोगे कि तुम भी मुझे चोदना चाहते हो?’

‘हां हां मुझे भी आपको चोदना है. बल्कि मुझे आपको चोदना ही है! तो चिल्ला क्यों रहे हो … कपड़े उतारो न … क्या ऐसे कपड़े पहन कर ही चोदोगे?’ मैं हंसने लगी … और साजिद भी हंसने लगा.

आमिर शर्मा सा गया. फिर उसने कपड़े उतार दिए और वह भी मेरे पास आ गया. लेकिन उसका लंड अभी खड़ा नहीं था. मैंने उसको बैठाया और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

तभी साजिद बोला- अम्मी वह देखो उसने दरवाजे की तरफ इशारा किया. मैंने देखा तो वहां इमरान खड़ा था. ओह … यह भी आ गया?’

अगले ही पल मैं मुस्कुरा कर बोली- आ जाओ बेटा … तुम भी आ जाओ! तो दोस्तो, इस तरह से मैं अपने उन तीनों जवान बेटों से पूरी रात चुदी.

आज भी वह रात मुझे याद है और मैं उस रात को भूल नहीं पाती हूँ. अब मेरे शौहर के साथ साथ ये तीनों भी मुझे चोदते हैं. जब मेरे शौहर रात को चोद लेते हैं और सो जाते हैं तो मैं उठ कर अपने बेटों के कमरे में चली जाती हूँ.
फिर वहां वे तीनों मुझे गर्मजोशी से चोदते हैं.

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