घरेलू नौकर को दे दी अपनी दोनों सिस्टम

Dilshad Ahmad


मेरे प्यारे दोस्तो, मैं आपको सबसे पहले एक बात बता दूँ कि यह कोई कहानी नहीं है, बल्कि मेरी ज़िंदगी की हकीकत है।

मैं यह हकीकत कहानी आपके सामने अक्षरशः प्रस्तुत कर रही हूँ। मेरा नाम मिसेज तनूजा है, लेकिन लोग मुझे पिंकी के नाम से जानते हैं। मैं इस समय 25 साल की हूँ और दिल्ली में अपने पति के साथ रहती हूँ।

मैं आपको उन दिनों की बात बता रही हूँ, जब मैं 21 साल की थी और दिल्ली यूनिवर्सिटी से पी.जी. कर रही थी। मैं अपनी स्टूडेंट लाइफ जी रही थी। हमारा घर बहुत बड़ा था। ऊपर केवल एक बड़ा-सा कमरा बना हुआ था।

घर में मैं थी, मेरे पापा थे और मेरी मम्मी सुनीता थीं। मेरा बड़ा भाई अपनी फैमिली के साथ लंदन चला गया था। वैसे तो हमारे घर में दो मेड सर्वेंट थीं, जो बहुत अच्छा काम करती थीं, पर पूरे दिन के लिए कोई नहीं था।

इसलिए पापा ने बिट्टू नाम के एक लड़के को नौकरी पर रख लिया था जो घर के अंदर और बाहर का भी काम करता था। बिट्टू हैंडसम, स्मार्ट और गोरा-चिट्टा था। वह नेपाल से आया हुआ था.

वह सबका कहना मानता था। हम में से किसी को भी उसके काम से कोई शिकायत नहीं थी बल्कि हम सब एक स्वर में उसकी तारीफ करते थे।

कुछ ही दिनों में उसने अपने काम से हम सबका दिल जीत लिया था। बिट्टू को पूरी छूट थी कि वह घर में कहीं भी, किसी के पास भी आ-जा सकता था।

उसके लिए कोई रोक-टोक नहीं थी। समय की भी कोई पाबंदी नहीं थी। इसके अलावा, हम सब लोग उसके सामने खुलकर बातें करते थे। आपस में हंसी-मजाक भी होता था, तो वह भी मज़ा लेता था।

धीरे-धीरे समय बीतता गया और बिट्टू हमारे साथ जवान होने लगा। उसकी दाढ़ी-मूंछ निकल आई थी। एक दिन मेरे मन में आया कि इस साले बिट्टू की झांटें भी निकल आई होंगी! यह सोचकर मन में गुदगुदी होने लगी।

कुछ समय और बीता, तो वह मुझे कभी-कभी घूरकर देखने लगा। मैं भी उसके बारे में कुछ गंदा-गंदा सोचने लगी। मन चंचल तो होता ही है। मैं यह भी सोचने लगी कि बिट्टू की नूनी अब लंड बन गई होगी!

फिर मन में आया कि पता नहीं उसका लंड कितना बड़ा हो गया होगा? किसी दिन देखने को मिल जाए, तो मज़ा आ जाए!

ऐसा ख्याल मन में आते ही बदन में आग लग जाती थी और चूत साली गीली हो जाती थी। ऐसा एक बार नहीं, कई बार हुआ था।

मुझे यह भी महसूस हुआ कि शायद मम्मी के साथ भी ऐसा कुछ हो रहा होगा क्योंकि वे भी बिट्टू को बड़ी रोमांटिक निगाहों से देखने लगी थीं। एक दिन सुबह जब मैं उठी, तो कुछ अकड़न महसूस हुई। मैंने बिट्टू को बुलाया और कहा, “मेरे हाथ, पैर और पीठ पर थोड़ी मालिश कर दो, ताकि दर्द गायब हो जाए!”

वो मालिश करने लगा, तो धीरे-धीरे मेरे कपड़े सिमटने लगे। उसका हाथ मेरी जांघों तक पहुँच गया। मैं कुछ नहीं बोली, बस एन्जॉय करने लगी। उसका हाथ आगे बढ़ा और मेरी चूत तक पहुँच गया।

उसकी उंगलियाँ मेरी झांटों पर लगी, तो बोला, “दीदी, इन्हें साफ कर दूँ मैं?” मैंने उसके गाल पर एक थप्पड़ मारा और कहा, “बद्तमीज! तुझे शर्म नहीं आती ऐसा कहते हुए?”

वह मुँह लटकाकर मालिश करने लगा।

बोला, “पीछे भी कर दूँ, दीदी?”
मैंने कहा, “हाँ, कर दो!”

वो साला मेरी पीठ से मेरे चूतड़ों तक पहुँच गया। मैं कुछ नहीं बोली। फिर उसने पिछवाड़े में उंगली घुसाने की कोशिश की। मैं चुप रही। उसकी हिम्मत बढ़ी तो उसने उंगली पूरी घुसा दी।

मेरे मुँह से निकला, “भोसड़ी के, मादरचोद, क्या कर रहा है तू? मैं तेरी शिकायत मम्मी से कर दूँगी!”
वह बोला, “मम्मी तो कभी-कभी मुझसे यही करवाती हैं!”

मैं एकदम चकरा गई और पूछा, “क्या? मम्मी तुमसे अपनी गांड में उंगली करवाती हैं?” वह बोला, “जी हाँ, दीदी!”

मैंने फिर पूछा, “कहाँ-कहाँ करवाती हैं?” उसने साफ कहा, “अरे दीदी, वो मुझसे तीन-तीन, चार-चार उंगलियाँ घुसा लेती हैं अपनी चूत और पिछवाड़े में भी!”

यह सुनकर मेरे बदन में आग लग गई। फिर तो मैंने भी अपनी चूत उसके सामने खोल दी और कहा, “लो, तुम मेरी चूत में भी उंगली करो, बिट्टू!”

यह मेरा पहला मौका था, जब मैंने बिट्टू से अपनी चूत में उंगली करवाई। मैं उसे आगे-नीचे से बिल्कुल नंगी थी। पर हाँ, चूचियाँ मेरी ढकी हुई थीं। मुझे मज़ा आया.

तो मैंने दूसरे दिन भी उससे उंगली चूत और गांड दोनों में करवाई। मैं कई दिन तक करवाती रही। एक दिन मैं ज्यादा उत्तेजित हो गई थी तो मैंने कहा, “बिट्टू यार, आज तुम उंगली मत करो! मेरी बुर चाटो, मेरी गांड भी चाटो! मुझसे रहा नहीं जा रहा!”

उस दिन मैं उसके सामने पूरी नंगी हो गई। कमरा अंदर से बंद था। वो वाकई बड़ा मस्त होकर चाटने लगा मेरी बुर और गांड, बारी-बारी से दोनों।

वह नंगे बदन था, केवल एक नेकर पहने हुए था। मैं हैरान थी कि इसे इतनी अच्छी तरह बुर-गांड चाटना कैसे आता है?

मैंने पूछा, तो बताया, “मुझे मम्मी ने ही चूत-गांड चाटना सिखाया है!”
मैंने पूछा, “तो क्या तुम मम्मी की गांड-चूत चाटते हो?”

वह बोला, “हाँ, चाटता हूँ और पिछले तीन-चार महीने से चाट रहा हूँ!”

फिर मैंने साफ-साफ पूछा, “बिट्टू, क्या तुमने मम्मी की चूत में लंड भी पेला है?”
वह बोला, “नहीं, मैं सिर्फ चाटता हूँ, दीदी! वह मुझे अभी लड़का ही समझती हैं, मर्द नहीं!”
मैंने पूछा, “अच्छा, तेरी उम्र क्या है, बिट्टू?”

उसने बताया, “दीदी, मैं 18 साल का हो गया हूँ!
लेकिन पापा-मम्मी मुझे 14-15 साल का ही समझते हैं!”

तब मैंने मन में कहा कि मम्मी ने इसलिए इससे चुदवाया नहीं। अगर उसे मालूम हो गया होता कि बिट्टू मस्त जवान हो गया है, तो वो इसका लंड जरूर पेलवा लेतीं!

फिर ख्याल आया कि मम्मी को मालूम न हो, तो अच्छा है। मैं चुपचाप मज़ा लेती रहूँगी। उसी समय मैंने उसकी नेकर का नाड़ा खोला और कहा, “बिट्टू, तुम मुझे अपना लौड़ा दिखाओ!” जब वो नंगा हुआ, तो मैं उसका टनटनाता हुआ लंड देखकर दंग रह गई।

मैंने लंड फौरन पकड़ा और बोली, “भोसड़ी के बिट्टू, तेरा लंड तो बुर क्या, भोसड़ा चोदने वाला हो गया है यार! तेरा लंड मुझे क्या, मेरी माँ को भी चोद डालेगा!”

मुझे लंड प्यारा लग गया, तो मैंने लंड चूमा और मुँह में भरकर चूसने लगी। वह मेरी चूत चाटने लगा। मेरी चूत की आग बढ़ती ही जा रही थी। तब मैंने कहा, “बिट्टू यार, अब तुम पेल दो लौड़ा मेरी चूत में! 

वह बोला, “मम्मी जान गईं, तो?” मैंने कहा, “मम्मी की बिटिया की बुर! वो बुर चोदे, मेरा क्या करेगी? तुम डरो नहीं, बस मुझे चोदो! ले लो मेरी चूत!”

मैंने कहा, “पहले तुम मेरी चूत ले लो, फिर मैं तुम्हें अपनी गांड भी दूँगी!” फिर क्या? उसने लौड़ा गच्च से पेल दिया पूरा मेरी गरम-गरम चूत में।

मेरे मुँह से उफ्फ्फ निकला और वो लौड़ा बार-बार अंदर-बाहर करने लगा। मुझे जन्नत का मज़ा आने लगा। मैं बेड पर नंगी लेटी हुई अपनी दोनों जांघें अपने हाथों से उठाए हुए थी। मेरी चूत ठीक उसके लंड के सामने थी।

वो घपाघप चोदने में जुटा था। मुझे अपार आनंद आ रहा था। एक बात आपको बता दूँ, दोस्तो … यह मेरी पहली चुदाई नहीं थी। मेरी पहली चुदाई मेरी सहेली के भाई ने की थी।

पर आज बिट्टू उससे ज्यादा अच्छी तरह से चोद रहा था। मैं कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड थी तो मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। लेकिन बिट्टू साला मुझे चोदता ही रहा। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि इसका स्टैमिना इतना ज्यादा कैसे है?

कुछ देर में जब उसके लंड ने पिचकारी छोड़ी, तो आधा तो मैंने मुँह में ले लिया और आधा बाहर चला गया बाथरूम से आकर मैंने पूछा, “बिट्टू, तुमने मुझसे पहले किस-किस को चोदा है?”

उसने कहा, “दीदी, अब तुमसे झूठ नहीं बोलूँगा।”
वह बोला, “जब मैं गाँव जाता हूँ, तो अपनी भाभी को चोदकर आता हूँ। मुझे मेरी भाभी ने बुर चोदना सिखाया है!”

तब मुझे असली बात मालूम हुई। उसी दिन रात में 2 बजे मैंने बिट्टू को अपने कमरे में फिर बुलाया और खूब जमकर चुदवाया। मुझे उससे चुदवाने में मज़ा आने लगा। मैं उसके लंड का पूरा मज़ा लेने लगी। इस तरह मैं लगभग रोज उससे चुदवाने लगी।

एक दिन जब वह मेरी चूत चाट रहा था तो उसने उंगली मेरी गांड में घुसा दी। मेरी गांड चुदने के लिए मचल उठी। मैंने कहा, “बिट्टू, आज पहले तुम मेरी गांड ले ले! गांड-बुर चोदी, लंड खाने के लिए बेताब हो रही है!”

फिर क्या? उसने मुझे घोड़ी बना दिया और गांड में दो-तीन उंगलियाँ घुसाकर रास्ता साफ किया। फिर उसने लंड गांड पर सेट किया और अंदर घुसाने लगा। लंड साला ऐसे घुस रहा था, जैसे कोई साँप अपने बिल में घुसता है।

मुझे अच्छा लगा, लेकिन लंड मोटा होने के कारण थोड़ा दर्द जरूर हुआ। फिर बिट्टू मजे से मारने लगा मेरी गांड।

उसके मुँह से निकला, “दीदी, तेरी गांड लेने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है!”
मैंने कहा, “साले कुत्ते, अच्छी तरह चोद ले मेरी गांड!”

मैंने कहा, “मैंने अभी तक किसी को अपनी गांड नहीं दी है। एक तू ही है, भोसड़ी का, जिसे मैं अपनी गांड अपने मन से दे रही हूँ!”

वह जोश में बोला, “दीदी, मम्मी की भी गांड दिला दो न किसी दिन? मैं जब उनके बड़े-बड़े चूतड़ देखता हूँ, तो मेरा लंड खड़ा हो जाता है!”

मैं बोली, “साला, तू वाकई बड़ा हरामी है! मुझे चोदने के बाद मेरी माँ चोदना चाहता है! तेरी माँ की चूत, साले!”

वो कुछ बोला नहीं, पर चुदाई की स्पीड बढ़ा दी। थोड़ी देर में हम दोनों एक साथ ही झड़ गए। जाते समय मैंने उसके गाल पर प्यार से एक थप्पड़ मारा, उसकी कसके चुम्मी ली और कहा, “ऐसे ही मौका पाकर आते रहना मेरे पास, मुझे चोदने!”

एक दिन जब मैं घर आई तो जाने क्यों मेरी इच्छा नंगी होने की हुई और मैं हो भी गई। फिर मैं अपनी चूत सहलाने लगी और चूची दबाने लगी।

तभी मुझे बिट्टू दिख गया। मैंने फौरन उसे बुलाया और उससे चिपक गई। फिर धीरे से उसके भी कपड़े उतार दिए और उसका लंड पकड़कर हिलाने लगी। फिर हम दोनों बिस्तर पर लेट गए।

मैं उसके लंड को चूम-चाटकर हिला रही थी और वह मेरी चूत चाट रहा था। इतने में अचानक आवाज़ आई, “अरे पिंकी, तुम दोनों क्या कर रहे हो?” मेरी तो गांड फट गई।

तब मुझे मालूम हुआ कि दरवाजा खुला ही रह गया था।

मैं डरते हुए बोली, “कुछ नहीं, मम्मी, बस यूँ ही…”
वह बोली, “अरे, मैं ये पूछ रही हूँ कि बिट्टू का लंड इतना बड़ा कैसे हो गया?”

वह बोली, “मैं तो इसे बच्चा ही समझ रही थी, ये तो पूरा मर्द निकला! इस मादरचोद का लंड इतना बड़ा हो गया है?”

यह सुनकर मेरी जान में जान आई। मम्मी ने फिर पूछा, “तुम कब से इसका लंड चूस रही हो?” मैंने कहा, “आज पहली बार ही पकड़ा है, मम्मी!”

इतने में वह आगे बढ़ी और खुद लंड पकड़कर पूछा, “सच-सच बताओ, पिंकी, क्या इसने तेरी चूत में लंड पेला? सच बताओ, नहीं तो मैं तेरी माँ चोद दूँगी!”

मम्मी की गाली सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुई और बोली, “अभी तो नहीं पेला!” फिर मम्मी बड़े प्यार से बोली, “देख, बुर चोदी पिंकी, मैं खुद इसके बड़े होने का इंतज़ार कर रही थी!”

वह बोली, “मैंने सोच रखा था कि जब ये बड़ा होगा, तो मैं इसका लंड पहले अपनी चूत में पेलूँगी और फिर तेरी चूत में भी घुसा दूँगी!”

मम्मी की ये बातें सुनकर मैं बड़ी उत्तेजित हो गई। फिर मम्मी ने खुद अपने कपड़े उतार फेंके और एकदम नंगी हो गईं। उनका भोसड़ा और गांड देखकर बिट्टू मस्त हो गया। मैं भी पहली बार उन्हें नंगी देख रही थी।

बिट्टू का लंड और ज्यादा तनकर खड़ा हो गया। मम्मी ने लंड अपने हाथ में लिया, उसे चूमा और हिला-हिलाकर उसे मस्त कर दिया।

फिर लंड मेरी चूत पर खुद ही रगड़ने लगीं। तब तक मैं मम्मी से बिल्कुल बेशर्म हो चुकी थी। चूत भी गीली थी और लंड भी गीला था।

मम्मी बोली, “भोसड़ी के बिट्टू, देखता क्या है? पेल दे न लंड पिंकी की चूत में और ले ले मज़ा!” बिट्टू तो यही चाहता ही था। उसने एक ही झटके में पूरा लंड घुसा दिया और निडर होकर चोदने लगा।

मैं चित लेटी हुई चुदवाने में जुट गई। मम्मी को क्या मालूम कि मैं इससे कई बार चुदवा चुकी हूँ! तब तक मम्मी ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी। मैं मम्मी की चूत चाटती हुई बिट्टू से चुदवाने लगी।

इस बार मुझे डबल मज़ा आने लगा। थोड़ी देर में मम्मी उठी और बिट्टू के आगे खड़ी हो गई। बिट्टू के मुँह में अपनी चूचियाँ घुसा दीं। बिट्टू चूची चूसता हुआ मुझे चोदने लगा।

तब मैंने कहा, “जानती हो, मम्मी, बिट्टू क्या कह रहा था? बिट्टू मुझसे कह रहा था कि दीदी, मुझे मम्मी की गांड दिलवा दो!”

मम्मी बोली, “अच्छा, तो इस मादरचोद की नज़र मेरी गांड पर थी! गांड तो मैं इसको दूँगी ही, पर पहले इसे अपना भोसड़ा दूँगी!”

तब तक मैं नीचे से निकली और लंड मम्मी के भोसड़ा में पेल दिया। मैंने बिट्टू के गाल पर थप्पड़ मारते हुए कहा, “ले साले कुत्ते, आज तू चोद ले मेरी माँ का भोसड़ा!”

बिट्टू जुट गया मेरी माँ चोदने में! जब मम्मी के मुँह से सिसकारियाँ निकलीं, तो मुझे बड़ा मज़ा आने लगा। मम्मी जोश में बोल गई, “बुर चोदी पिंकी, सुन! मैं अब तक 24 लंड पेलवा चुकी हूँ अपने भोसड़ा में। बिट्टू का लंड 25वाँ है!”

वह बोली, “मुझे पराए मर्दों से चुदवाने की आदत है। मैं अब उन सबके लंड तेरी चूत में भी पेलूँगी, पिंकी!”

मैंने कहा, “वाह मम्मी, वाह! मुझे तो तुम पर गर्व हो रहा है! इतने लंड खाना कोई आसान काम नहीं है!” बिट्टू ने भी यह सुनकर चोदने की रफ्तार दूनी कर दी। मम्मी की सिसकारियाँ तेज हो गईं।

वह बोली, “हरामजादी पिंकी, तेरी माँ की चूत! साली, तू मुझसे ज्यादा रंडी बनकर निकलेगी!” वह बोली, “तूने घर के नौकर से ही अपनी बुर चुदवा ली और चुदवा लिया अपनी माँ का भोसड़ा!”

मैंने कहा, “मम्मी, ये चूत साली कुछ भी करवा सकती है! चाहे तेरा भोसड़ा हो, चाहे तेरी बिटिया की बुर, लंड के बिना कोई एक दिन भी नहीं रह सकती!”

तब तक बिट्टू ने मम्मी 11 को घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड उनकी गांड में ठोक दिया। मैंने मजाक करते हुए कहा, “बिट्टू, मिल गई न तुझे मेरी मम्मी की गांड?” वह हँसता हुआ पूरा लंड पेल-पेल के चोदने लगा।

इस तरह हम दोनों माँ-बेटी बिट्टू को अपनी-अपनी चूत और गांड देने लगीं। दो साल बाद मेरी शादी हो गई और मैं अपने पति के साथ जयपुर में रहने लगी।

यहाँ भी मेरा एक घरेलू नौकर है, उसका नाम बिल्लू है। वह 19 साल का है और हमारे घर के पीछे बने सर्वेंट क्वार्टर में रहता है।

एक साल बाद मेरी नियत उस पर खराब हो गई और मैंने उसे अपने काबू में ले लिया। मेरे पति का जॉब विदेश आने-जाने का रहता है। तब मैं घर में अकेली रहती हूँ।

एक दिन मैंने उससे मालिश करवाई और उसी समय मैंने अपनी चूत और चूचियों की झलक दिखला दी। झलक देखते ही उसके लंड में गजब का उछाल आ गया। मैं समझ गई कि अब काम बन जाएगा।

मैंने मजाक करते हुए उसकी लुंगी खींच ली, तो वो मेरे आगे नंगा हो गया। मैंने उसका लंड पकड़ लिया और बोली, “बिल्लू, तेरा लौड़ा तो बहुत मोटा है!”

मैं बोली, “ये तो मेरी चूत क्या, मेरी माँ का भोसड़ा भी फाड़ देगा!” मेरी बात का जबरदस्त असर उस पर हुआ।
वो मेरे ऊपर चढ़ बैठा और लंड मेरे नंगे बदन पर रगड़ने लगा। मैंने कहा, “रगड़ो नहीं, लंड मेरी चूत में पेल दो!”

उसने लंड तुरंत पेल दिया और फिर मुझे जी भर के चोदा। उस दिन मैंने उससे तीन बार चुदवाया। उसके बाद मैं बड़ी बेफिक्री से उसे अपनी चूत और गांड देने लगी। मेरी मम्मी जब-जब आती हैं, तब-तब मैं उनका भोसड़ा बिल्लू से चुदवाती हूँ!

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