नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम दीपक है और मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र अभी 20 साल है और मेरा शरीर भी औसत ही दिखाई देता है. मेरा कद 6 फुट है. मेरे डंडे का साइज भी ठीक है. यह हमारे भारतीय मर्दों के औसत जितना ही है.
नाप में बताऊं तो यह साढ़े पांच इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा है. मुझे पूरा विश्वास है कि इससे मैं किसी भी औरत या लड़की को आराम से ठंडा या संतुष्ट कर सकता हूँ.
मेरी कहानी की नायिका मेरी ताई जी 38 साल की हैं. उनका नाम अंजुमन है. वे मेरे ताऊ जी की दूसरी बीवी हैं इसलिए उनकी उम्र इतनी कम है. ताई जी काफ़ी बोल्ड हैं. वे एक सुडौल और भरे शरीर की मालकिन हैं. उन्हें कोई एक बार देख ले, तो मैं दावे से कह सकता हूँ कि वह इंसान बिना मुठ मारे नहीं रह पाएगा.
उनके शरीर की बात करूँ, तो उनके पपीते जैसे थन 34 नाप के एकदम गोरे हैं. उन पर काले जामुन जैसे टंके हुए उनके निप्पल उनके मम्मों की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. ताई जी की गांड का साइज़ 38 इंच का है. जब वे अपनी गांड मटका कर चलती हैं, तो बड़े से बड़े सूरमा का लंड खड़ा हो जाता है. उनकी क़मर भी भारी लचकती है.
उनकी आंखें एकदम झील की तरह गहरी और रंगत में काली हैं. मेरा तो उनमें डूब जाने को मन करता है. कुल मिला कर ताई जी इस उम्र में एकदम 25-26 की लगती हैं. मेरे ताऊ जी राजस्थान से बाहर काम करते हैं. हालांकि उनके पहली ताई से 3 बच्चे हैं. वे सब अपनी दूसरी माँ के साथ ही रहते हैं.
ताऊ के बेटे पप्पू की उम्र भी मेरे जितनी ही है. हम दोनों में काफ़ी बनती है और हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझते हैं. वह मेरा भाई कम दोस्त ज्यादा है. हम दोनों साथ में कई बार मुठ भी मार चुके हैं. वह मेरा लंड सहला देता है और मैं उसका.
हम दोनों काफ़ी अच्छे दोस्त हैं और ताई भी मुझे अपने बेटे जितना ही प्यार करती हैं. मैं ताई जी के घर जाता रहता हूँ. अभी तक मेरे मन में ताई को लेकर कोई गलत विचार नहीं आया था. एक दिन की बात है, जब मैं उनके घर गया था और उनके बेटे को आवाज लगा रहा था, तो वह कोई जवाब नहीं दे रहा था.
मैंने उसे घर में हर जगह ढूंढा, वह मुझे कहीं नहीं मिला. फिर जब मैं वापस घर जाने के लिए निकलने को हुआ, तो उसके घर के बाथरूम से गाने की आवाज सुनाई दी. यह ताई की आवाज थी.
मैं बड़े ध्यान से उनकी आवाज को सुनने लगा और जब मन नहीं माना, तो मैंने दरवाजे की झिरी से झांक कर देखा. अन्दर मेरी अंजुमन ताई पूरी नंगी थीं और नहाती हुई अपने मम्मों को साबुन से मल रही थीं. वे अपने ही मजे में गाना गाती हुई आराम से नहा रही थीं. उन्होंने अपने बाथरूम का भी दरवाजा बंद नहीं किया था.
शायद उस दिन वे घर पर अकेली होंगी तभी आराम से नंगी होकर नहा रही थीं. मेरा तो दिमाग ही सुन्न पड़ गया था.
मैंने पहली बार किसी के पपीते देखे थे वह भी अपनी ताई जैसी मस्त औरत के. मेरा तो लौड़ा पूरा एकदम नब्बे डिग्री पर खड़ा हो गया.
मैं आराम से दरवाजे की एक साईड होकर उन्हें देखने लगा. हॉट इंडियन आंटी को देख मेरे मुँह से लार टपकने लगी थी. मेरे अन्दर मस्ती की मिलीजुली भावना जागृत हो रही थी. पता नहीं बाद में उनको या तो आभास हुआ या उन्होंने देख लिया कि शायद उन्हें कोई देख रहा है. उन्होंने दरवाजा खींच कर बंद कर लिया.
मेरी तो गांड फटने लगी, मुझे लगा कि आज तो मर गए. मैं दबे पांव वहां से भाग आया और सीधा अपने घर में आकर अपने कमरे में बैठ गया. तब मुझे लगा कि आज तो पापा या मम्मी से गांड पर फटके ज़रूर पड़ने वाले हैं.
मुझे यह भी लगने लगा था कि शायद ताई ने मुझे देख लिया है और वे मेरे घर पर यह सब बता देंगी. बस इसी बात को सोच कर मेरी गांड फटने लगी कि यह क्या हो गया.
उसके बाद पता नहीं, कब मेरी आंख लगी और मैं सो गया. शाम को जब मेरी आंख खुली तो मैंने उठ कर चाय पी और पुनः ताई के घर चला गया. उधर उनके बेटे के पास गया तो कोई दिक्कत नहीं थी, सब पहले जैसा ही था.
यह सब देख कर मेरी जान में जान आई. उसके बाद मैं और उनका बेटा क्रिकेट खेलने के लिए चले गए. फिर रात को वापस आकर खाना खाया और मैं अपने कमरे में आ गया. उधर बैठ कर मैं फ़ोन चलाने लगा.
फोन तो क्या ही चला रहा था, मेरे दिमाग में वही दोपहर वाली बात चल रही थी और मुझे ताई के बड़े बड़े दूध मेरी आंखों के सामने आ रहे थे. मैं आंखें बंद करके ताई के बारे में सोचने लगा. उनके दूध याद करते हुए अपने लंड को मुठ मार कर झाड़ दिया और सो गया. उस दिन मेरे लंड ने पानी भी बहुत ज्यादा उगला था.
उसके बाद पता नहीं कब मेरी आंख लगी और मैं सो गया. रात को करीब 3 बजे फिर से मेरी आंख खुली. मैं मूतने चला गया, पानी पीकर वापस आया और लेट गया. नंगी ताई जी फिर से मेरी आंखों के सामने आने लगीं मतलब मेरी दिमाग़ में बस अब वे ही घूम रही थीं. फिर से मुझको लंड झाड़ कर शांत करना पड़ा.
मैं कब सो गया, कुछ पता ही न चला. सीधे सुबह ही आंख खुली तो मेरी ताई ही मुझे उठाने आई थीं. आंख खुलते ही मैंने उन्हें देखा तो मैं सोच में पड़ गया. तभी ताई बोलीं- सुबह सुबह ऐसा क्या सोच रहा है? मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही!
ताई मुझे उठा रही थीं तो उनकी नजर सीधे मेरे बॉक्सर पर पड़ी. मेरे बॉक्सर में मेरे लंड के पानी के छींटे थे रात वाले … और उस वक्त भी लंड एकदम खड़ा था. मैंने जल्दी से उसे ठीक किया और बाथरूम में चला गया. उधर लंड को मूत कर ढीला किया और बाहर आ गया.
बाद में ताई ने बताया- तुम्हारी मम्मी आज मंदिर गयी हैं. तुम जल्दी से नहा लो, मैं तुम्हारे लिए खाना बना देती हूँ.
मैं जल्दी से नहा लिया और नाश्ता करके अपने दोस्तों के साथ चला गया. उस दिन मेरा मन नहीं लग रहा था और मेरे दिमाग़ में ताई के ही ख्याल आ रहे थे. जब मुझसे न रहा गया तो मैं अपने दोस्तों से बोला- मुझे कुछ काम याद आ गया है. मैं घर जा रहा हूँ.
मैं वहां से सीधे ताई के घर चला गया. उस समय भी ताई नहा रही थीं. अब मैंने तरकीब लगाई और मन में ठान लिया था कि अब तो ताई को अपने लंड के नीचे लाना ही है. अब मैं भी रोज उसी समय ताई के घर चला जाता, तब वे नहाने जातीं. बाद में धीरे धीरे मैंने उनके शरीर को घूरना चालू कर दिया था.
ताई को भी सब समझ में आने लगा था कि मैं उनके शरीर को घूरने लगा हूँ. वे भी मुझसे हंस कर बातें करने लगी थीं. कभी वे अपने ब्लाउज को आगे कर देतीं, कभी अपनी गांड को मटकाती हुई चलने लगतीं.
उनकी इन हरकतों की वजह से अब मुझे भी लगने लगा था कि ताई को नीचे लाने में अब ज़्यादा समय नहीं लगेगा. एक दिन मैं उनके घर उनके बेटे के पास गया हुआ था. उनका बेटा उस वक्त घर में नहीं था. ताई उस समय धूप में बैठ कर कपड़े धो रही थीं.
मैंने ताई से पूछा- पप्पू कहां है? तो उन्होंने बताया कि वह तो अपनी नानी के यहां गया हुआ है. यह सुनकर मैं वापस जाने लगा. ताई ने मुझे रोक लिया और बोलीं- रुक यहां बैठ जा, थोड़ी देर मेरे से भी बात कर ले. मेरे तो मन में लड्डू फूटने लगे थे. मैं भी यही चाहता था तो मज़े से खटली पर बैठ गया.
ताई और मैं बातें करने लगे. अंजुमन ने मुझसे कहा कि अब तो तू बड़ा होन लगा है रे … लगता है अब तेरे मम्मी पापा से कहकर तेरी शादी करानी पड़ेगी. तो मैंने पूछा- ताई जी एक बात बताओ कि ऐसा क्या हुआ जो आज आप मुझसे ऐसे कह रही हो!
ताई हंसने लगीं और बोलीं- मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी. मैं भी हंसने लगा. फिर थोड़ी देर यही सब बातें हुईं. बाद मैं मैंने दिमाग़ के घोड़े दौड़ाने चालू किए कि आज सही टाइम है. आज ताई को नीचे लाया जा सकता है.
मैंने पूछ लिया- ताई, आपने मेरी शादी की बात क्यों कही? वे मुस्कुरा कर बोलीं- बस ऐसे ही … उस दिन जब मैं तुझे उठाने तुम्हारे कमरे में गयी थी, तब तुम्हारे बॉक्सर पर सफ़ेद दाग लगे थे, तब मैंने सोचा कि अब तुम्हारी शादी जल्दी ही करानी पड़ेगी. यह कह कर ताई हंसने लगीं.
मेरा मुँह शर्म से लाल हो गया और मैंने अपने सर को नीचे कर लिया. ताई फिर से हंसने लगीं और बोलीं- कोई बात नहीं, इस उम्र में सबके साथ ऐसा होता है. तू कोई अनोखा नहीं है.
मैंने ऊपर देखा और हिम्मत करते हुए सीधा ही ताई से बोल दिया- ताई क्या आप भी ऐसा करती थीं? तो ताई बोलीं- हां, मैं भी जवानी में करती थी. मैंने भी जवानी में कई बॉयफ़्रेंड बनाए हैं और उनके लंड को शांत किया है. अपनी चूत की गर्मी से कइयों के लंड का पानी निकाला है.
मैं तो ताई को देखता ही रह गया कि वह तो बिंदास सब कुछ साफ साफ बोली जा रही थीं और लंड चूत जैसे शब्दों को इस्तेमाल करने में उन्हें कोई हिचक या संकोच नहीं था. मैंने पूछ लिया- ताई, अब भी आपको ताऊ जी के साथ मज़े आते हैं!
ताई ने बताया- तेरे ताऊ जी पहले तो मुझे एकदम से संतुष्ट कर देते थे लेकिन अब उनकी सुगर की बीमारी की वजह से उनका खड़ा होना बंद हो गया है. मैंने जैसे तैसे खड़ा करती भी हूँ, तो वह पेलते ही झड़ जाते हैं. अब तो मुझे अपने हाथ से काम निकालना पड़ता है. यह कहती हुई ताई उदास सी हो गईं.
मैंने कह दिया- ताई मुझे बुला लिया करो, मैं आपका सारा दुख दूर कर दूंगा. यह कह कर मैं हंसने लगा. ताई भी बोलीं- हां मुझे पता है कि जब मैं नहाने जाती हूँ, तब तू मेरे बाथरूम में तांक-झांक करता है. मैं हंसने लगा और ताई भी!
मैंने पूछा- ताई हाथ से मज़ा पूरा मिल जाता है? उन्होंने कहा- कहां पूरा मज़ा, जो बात लंड में है … वह हाथ में कहां. पहले तो मैं चूत में मूली, खीरा भी ले लेती थी, पर हाथ दुःख ने लगता है … इसी लिए आज कल हाथ से ही काम चलाती हूँ.
मैंने भी ये सब सुना तो ज़्यादा समय ना गंवाते हुए उनके बूब्स पर हाथ रख दिया और उनके होंठों से अपने होंठों को मिला दिया. एक बार तो ताई को यह समझ में नहीं आया. वे मुझे हटाने लगीं. पर बाद में उनको पता चल गया था कि मैं आज हटने वाला नहीं था तो वे ढीली हो गईं.
मैंने बिना रुके अपना काम चालू रखा और उनके होंठों को चूसता चला गया. बाद में अंजुमन भी धीरे धीरे नर्म पड़ने लगीं और उनके होंठों ने भी मेरे होंठों पर अपनी कसाव बढ़ा लिया. हम दोनों अपने आप में खोने लगे. अब ताई ने अपने हाथ में लगाम ले ली थी. वे मेरे होंठों को खाने लगी थीं.
उनके मुँह से गर्म सिसकारियां निकलने की बजाए मेरे मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं. अंजुमन ने अपने होंठों को हटाते हुए मुझसे कहा- चलो कमरे में चलते हैं. मैंने फिर होंठों से होंठों को लगा दिया और उन्हें चूम कर हम दोनों कमरे में पहुंच गए. उधर चुंबन चालू हुआ, तो उनके हाथ मेरी पीठ को सहला रहे थे और मेरे हाथ उनकी पीठ को.
ऐसे ही काम-क्रीड़ा में लगभग दस मिनट से ज़्यादा हो गया था. उनकी लार मेरे मुँह में और मेरी लार उनके मुँह में जा रही थी. हम दोनों एक दूसरे को खा जाना चाहते थे क्योंकि उनको चुदाई किए हुए काफ़ी टाइम हो गया था.
मेरा तो ये पहली बार वाला मामला ही था. आग दोनों तरफ से लगी थी. अंजुमन ने पूछा- कैसा लग रहा है? मैंने कहा- अभी तो बड़ी सनसनी हो रही है. जब अन्दर पेलूँगा, तो न जाने क्या होगा? वे बोलीं- कुछ नहीं होगा. बस तुम मेरे मुताबिक चलते चलो. सब अच्छा ही होगा.
कमरे में आ जाने के बाद मैंने अंजुमन के ब्लाउज को खोलना चालू कर दिया था और उन्होंने मेरी शर्ट को. उनके 34 के दूध जो अब तक ब्रा में कैद दिख रहे थे. उनके दोनों चूचों के बीच की वह कामुक लकीर यानि क्लीवेज मानो मेरी जान ले रही थी.
मेरे से अब और इंतजार नहीं हो रहा था. मैंने उनकी ब्रा खोल कर मम्मों को भी आज़ाद कर दिया था. ब्रा को उतार कर फेंक दिया. अब मेरे सामने अंजुमन के दोनों पपीते लटक रहे थे. उन पर लगे काले जामुन जैसे दाने मुझे खाने को आमंत्रित कर रहे थे.
मैंने भी देर ना करते हुए एक को मुँह में भर लिया और दूसरे को हाथ से सहलाने लगा. उनके मुँह से ‘आह उह आह.’ जैसी आवाज ने वासना भरा वातावरण बनाना चालू कर दिया था.
मैं अंजुमन के एक दूध को चूसते हुए उनके दूसरे दूध के जामुन के दाने को भी मसल रहा था. मुझे तो आज पता चला कि जिस स्वर्ग के सुख की बात कही जाती है, वह यही है. अब मैं उनके पपीतों को छोड़ कर उनके गले को किस करने लगा. फिर गले से होते हुए उनकी पीठ पर आ गया.
अगर आपको किसी औरत या लड़की को गर्म करना है, तो आप उसके संवेदनशील बिंदुओं पर चुंबन करो; वह चुदने के लिए अपने आप तैयार हो जाएगी. अब मैं उनकी पीठ से होता हुआ उनकी कान की लौ को किस करने लगा. इससे तो अंजुमन पागल सी हो गयी थीं और उनके मुँह से अजीब अजीब सी आवाजें आने लगी थीं ‘आह आह मुँह ममम ससस.’
मैंने उनके पेटीकोट के नाड़े को झटके से खोल दिया और अंजुमन का पेटीकोट नीचे सरक गया. मेरे सामने अंजुमन एक लाल कलर की पैंटी में हो गई थीं. उनकी पैंटी पर चुत वाली जगह पर पानी का धब्बा बना हुआ था. मैं समझ गया कि अंजुमन एक बार निकल गयी हैं.
मैंने देर न करते हुए अंजुमन को बेड पर गिरा दिया और उनके पैरों से पैंटी को खींच कर अलग कर दिया. आज मेरे सामने जन्नत थी. एकदम लाल तो नहीं थी, थोड़ी सांवाली चुत थी. पर उसे सामने देख कर मेरे लंड में और ज्यादा उत्तेजना महसूस हो रही थी.
उनकी चूत में से पानी की बूंदें निकल कर चुत पर मोतियों की तरह चमक रही थीं. चुत से पानी की कुछ बूंदें टपक भी रही थीं, जिस वजह से चुत और भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी. मैंने देर न करते हुए उनकी चूत में मुँह लगा दिया और उसको किसी पागल कुत्ते की तरह चाटने लगा.
जैसे बिल्ली को कहीं दूध मिल जाए, तो वह जीभ निकाल निकाल कर दूध को चाटती है, बिल्कुल वैसे ही मैं लपर लपर करता हुआ चुत चाट रहा था. अंजुमन जोर जोर से सिसकारियां ले रही थीं- आ आह ऊ उई आह बुझा दे मेरी आग मेरे लाल … आह. वे अपनी चूत को उठा कर आगे पीछे भी करने लगी थीं और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने भी लगी थीं.
साथ ही वे जोर जोर से सिसकारियां ले रही थीं. कुछ देर बाद अंजुमन के मुँह से कुछ ज्यादा तेज स्वर में आवाजें निकलने लगीं और उनकी अकड़न उनकी उत्तेजना को बयान करने लगी थी- इस्सस उम्म आह आह ओऊ ओ मर गई आह मैं मर गई!
वह एकदम से आसमान की सैर करने लगी थीं. मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था. मैं अपने पूरे वेग से चुत चाटने के काम में लगा रहा. अब तो मैं एक हाथ से उनके एक आम को भी दबा रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत में उंगली डाल कर उनके दाने को रगड़ रहा था.
वे इस सबसे बेड पर पागलों की तरह सर पटक रही थीं और कह रही थीं- अब चोद दे मुझे … मादरचोद अब मुझसे नहीं रहा जाता है … ये सब तो बाद में कर लेना … मैं कहीं भागी थोड़ी ना जा रही हूँ. यह सुनते ही मैंने उनकी चूत को छोड़ दिया और खुद अपने सारे कपड़े उतार दिए.
मेरा लंड तो पहले से ही एकदम लोहे के रॉड की तरह सख्त हो गया था. उस पर पानी की बूंदें चमक रही थीं. लंड का सुपारा एकदम लाल हो गया था. मैंने खुद आज से पहले तक अपने लौड़े को ऐसा कभी नहीं देखा था.
मैंने अंजुमन से कहा- यार अंजुमन, एक बार इसे चूस दो ना! अंजुमन ने बिना किसी संकोच के मेरे लंड को पकड़ा और मुँह में लेकर चूसने लगीं. वे लंड चूसने में एकदम खिलाड़ी थीं. उनके हाथों से मेरे टट्टे भी धन्य हो गए थे. मैं अपनी आंखें बंद करके लंड चुसवाने का मजा ले रहा था.
तकरीबन पांच मिनट बाद मेरा लंड झड़ गया और अंजुमन मेरा पूरा पानी पी गईं उन्होंने एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने दी. उन्होंने किसी गन्ने के जैसे मेरे पूरे लंड को चूस साफ कर दिया और अपने थूक से लौड़े को चिकना भी कर दिया. अंजुमन चटखारा लेती हुई बोलीं- वाह रे … तेरे लंड का पानी तो बड़ा मस्त है. इस बात पर मैं भी हंस दिया और वे भी खिलखिलाने लगीं.
मुझे तो अभी भी ये एक सपने की तरह ही लग रहा था. मेरा लंड अब मुरझा गया था. अब मैं अंजुमन को फिर किस करने लगा था. कुछ ही देर तक अंजुमन के साथ चूमाचाटी और दूध सहलाने का खेल करते करते लंड में फिर से जान आ गयी. अब अंजुमन ने कहा- चल अब जल्दी से मेरी चूत की गर्मी को मटा दे. मुझे भी लंड लिए हुए काफ़ी टाइम हो गया है. ये सब बाद में कर लेना, मैं यहीं हूँ.
मैंने भी देर न करते हुए अंजुमन के पैर खोल दिए और मस्त आंटी का मजा लेने उनकी टांगों के बीच में आ गया. मैंने अपने लंड की नोक से उनकी चूत के दाने को घिसना शुरू कर दिया. उनके मुँह से मधुर ध्वनि आने लगी. जैसे ही मैंने लंड अन्दर डालने की कोशिश की तो मेरा लंड चूत के मुँह पर ही रुक गया. लंड ने अन्दर जाने से मना कर दिया था.
मैंने एक दो बार और क़ोशिश की, पर फिर भी चूत के अन्दर नहीं जा रहा था. अंजुमन की चुदाई बहुत दिनों से नहीं हुई थी तो उनकी चूत की फांकें कसी हो गयी थीं. उसी वजह से लंड को चूत के अन्दर जाने में दिक्कत हो रही थी.
मैं भी कहां हार माने वाला था. मैंने किसी तरह लंड के सुपारे को फांकों में फंसाया और एक जोरदार झटका लगा दिया. मेरा आधा लंड उनकी चूत को फाड़ते हुए अन्दर घुसता चला गया अंजुमन की चुत चिर सी गई और उन्होंने दर्द से तड़फ कर जोर से कहा- आह आह ई … मेरी जान लेगा क्या … आराम से कर न … बहुत दिन बाद लंड ले रही हूँ चूत में … आराम आराम से अन्दर डाल!
मैं धीरे धीरे करने लगा. वे बुदबुदा रही थीं- आह अभी ऐसे ही धीरे धीरे पेल … थोड़ी देर बाद जैसे मन करे, वैसे चोद लेना अपनी अंजुमन को! मैंने कहा- मेरा पहली बार है मेरी जान. मुझसे आराम आराम से नहीं होगा … ऐसा करो आप ही ऊपर आ जाओ और आप ही अपने हिसाब से लंड को अन्दर बाहर कर लो.
अंजुमन बोलीं- अभी नीचे से ही कर लेती हूँ. वे यह कहती हुई गांड मटकाने लगीं और खुद ही नीचे से अपनी चूत उठा उठा कर लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगीं. ताई सिसकारियां भी ले रही थीं- आह उई आह आह!
थोड़ी देर ऐसे ही मजा लेने के बाद मैंने कमान वापस अपने हाथ में ले ली और अंजुमन ताई की चूत में लंड को जोर जोर से आगे पीछे करने लगा. तब उनके मुँह से मस्ती भरी आह निकलने लगी. आज पहली बार मुझे अंजुमन की चुत का मजा मिल रहा था. इतने दिन तो बस हाथ से माल निकाल रहा था.
आज पता चला कि चूत में कितनी गर्मी होती है और कैसे लंड को सिर्फ चुत में ही चैन मिलता है. मैंने धीरे धीरे अपने धक्के तेज करने शुरू कर दिए थे. साथ में मैं उनके चूचों को भी मसल रहा था और उनके होंठों को भी चूस रहा था.
मैंने चुदाई की गति बढ़ा दी थी तो उन्होंने कहा- आह धीरे धीरे धक्के मार न … मैंने पूरे 6 महीने बाद चूत में लंड लिया है. मैंने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया और धक्के मारता रहा. अब अंजुमन ने भी नीचे से अपनी कमर को तेज तेज हिलाना शुरू कर दिया था.
दस मिनट की चुदाई के बाद अंजुम हार मान गईं और उन्होंने जबाब दे दिया. वे थोड़ी शांत पड़ गईं. मेरा तो एक बार पानी निकल चुका था तो मेरा अभी इतनी जल्दी नहीं होने वाला था. अंजुमन की आह आह की आवाज ने गति पकड़ी तो मैंने भी अपनी चुदाई की गति को थोड़ा और तेज कर दिया.
अब जैसे ही अंजुमन की चूत में मेरा लंड जाता, उनकी चूत में पानी की चिकनाहट से आराम से लंड अन्दर बाहर होने लगा था. पूरे कमरे में फच फच की आवाज आने लगी थी. साथ ही शरीर से शरीर टकराने से पट पट फच फच का शोर भी गूंजने लगा था.
मुझे तो मानो स्वर्ग ही मिल गया था. अंजुमन एक बार झड़ कर वापस चार्ज हो गयी थीं. उन्होंने कहा- अब तू लेट जा, मैं तेरे ऊपर आकर सवारी करती हूँ. मैंने झट से लंड निकाला और एक ओर लेट गया. अंजुमन मेरे ऊपर आकर लंड पर सवार होकर सवारी करने लगीं. मैं उनके बड़े बड़े चूचों से खेलने लगा. एक को मुँह में लेकर चूस रहा था, तो दूसरे को हाथ से मसल रहा था.
बीच बीच में मैं अपने हाथ से उनकी चुत की मदनमणि यानि दाने को भी रगड़ रहा था. सच में आज मुझे बड़ा मजा आ रहा था. जिन भाइयों ने ऐसा किया है, उन्हें ही ऐसे आनन्द का पता होगा … या उन औरतों को पता होगा, जिनके मर्द उनकी चुत की मदनमणि को और चूची को चूसते हुए चुदाई का मजा लेते हैं.
कोई दस मिनट के बाद अंजुमन थक गई तो मैंने उनको लंड से नीचे उतारा और घोड़ी बनने को कहा. वे तुरंत घोड़ी बन गईं. मैं पीछे से उनकी चुत में लंड चलाने लगा. साथ ही पीछे से उनकी गांड पर थप्पड़ मार मार कर इलाका लाल कर दिया. मैंने उनके मम्मों को भी मार मार कर लाल कर दिया था.
तकरीबन 20 मिनट की चुदाई में मुझे लगने लगा मानो मेरे पैरों में कुछ हो रहा है. मेरे पैरों में चीटियां सी रेंगने लगी थीं, तो मैंने कहा- अंजुमन, मैं आने वाला हूँ. अंजुमन ने कहा- बस दो मिनट ओर रुक जा … मैं भी झड़ने वाली हूँ, हम दोनों साथ में ही झड़ेंगे. मैंने ओके कह दिया.
फिर 5-7 झटके देने के बाद मैंने कहा- अंजुमन पानी कहां निकालूं? अंजुमन ने कहा- मेरी चूत को ही भर दे आज … बड़े दिन बाद इस खाई में पानी जाएगा. इस कुएं में तो बरसों पहले तेरे ताऊ जी का पानी गया था. आज इसे फिर से भर दे और मुझे हरी कर दे.
इतना सुनते ही मेरे लंड ने अंजुमन की चूत में पिचकारी छोड़ दी. आज कई दिन बाद मेरे लंड से इतना पानी निकला था. जब मैं मुठ मारता था तो मेरे लंड से 3-4 बूंद निकल कर रुक जाती थीं. आज तो पता नहीं कितनी बूंदें आई होंगी … मुझे खुद नहीं पता. उसके बाद मैं उनके ऊपर ही गिरा पड़ा रहा.
थोड़ी देर बाद मेरा लंड मुरझा कर उनकी चूत से निकल गया. उनकी चूत का पानी और मेरा पानी दोनों एक साथ उनकी जांघों से होकर निकल रहा था. मेरी तो आंखें बंद ही हो गयी थीं.
बाद में अंजुमन ने मुझे किस किया और कहा- इतना मजा मुझे कभी नहीं आया. आज तेरी वजह से मैं 3 बार झड़ी हूँ. तूने मुझे फिर से हरी कर दिया है. अब से तू मेरा दूसरा पति बन गया है. उसके बाद हम दोनों ने किस किया और अंजुमन ने मेरे लंड चूस कर एकदम साफ कर दिया. तब अंजुमन बाथरूम में चली गईं और खुद को साफ करके आ गईं.
बाद में उन्होंने मुझे कुछ ड्राई फ़्रूट्स दिए. मैंने कपड़े पहने और ड्राई फ़्रूट्स खाकर अपने घर आ गया. आज मैं दो बार झड़ा था और अंजुमन ताई तीन बार झड़ी थीं. आज का दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था क्योंकि मैंने पहली बार चूत ली थी वह भी अपनी अंजुमन की!
उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता तो हम दोनों मस्ती के खेल में लग जाते थे. अब अंजुमन काफ़ी खुश रहने लगी हैं. फिर एक दिन अंजुमन ने बताया कि वह पेट से हैं. मेरी तो गांड ही फट कर हाथ में आ गयी थी.
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