खुली छत पर रोमांस का नजारा

Dilshad Ahmad


नमस्कार दोस्तो, मैं रजत मुंबई से हूँ. मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ और मुंबई में एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करता हूँ.

मैं देहसुख कहानी पढ़ने का बहुत शौकीन हूँ और हर रोज यहां पर कहानी पढ़ कर मजा लेता हूँ. इन कहानियों में इतना रस होता है कि मस्त हो जाता है.

एक दिन मैंने भी सोचा कि क्यों न मैं भी अपनी जिंदगी के कुछ पन्ने लिख कर आप सभी के साथ साझा कर लूं. आज पहली बार मैं अपनी कहानी लिख रहा हूँ और आशा करता हूँ कि आपको पसंद आएगी.

ये स्टोरी मेरे कॉलेज टाइम की उस समय की है … जब मैं इंजीनियरिंग कर रहा था. मेरा कॉलेज पुणे में था और वहां मैं अपने एक रिश्तेदार के घर में रहता था.

इंजीनियरिंग के तीसरे साल के पहले सेमेस्टर की बात है, जब मैं और मेरे दोस्त मस्ती में पढ़ रहे थे. हमारा छह लोगों का फ़्रेंड सर्कल था. उसमें तीन लड़के और तीन लड़कियां थे. उसमें से एक कपल था.

उस साल हमें एक मिनी प्रोजेक्ट बनाना था. मिनी प्रोजेक्ट बनाने के लिए दो लोगों का एक ग्रुप बनाना था, चूंकि हमारे फ़्रेंड सर्कल में पहले से ही छह लोग थे, तो हमने आपस में ही तीन ग्रुप बना लिए.

पहले ग्रुप में प्रवीण और प्रणाली थे, जो कि कपल थे. दूसरा ग्रुप अंकित और आकांक्षा का था और तीसरे ग्रुप में मैं और सायली थे.

ये तय हो गया था कि प्रोजेक्ट हम सब मिल कर प्रवीण के रूम में बनाएंगे. उसी के अनुसार हम सब लोग सुबह सुबह दस बजे प्रवीण के रूम में पहुंच गए. सभी के आते ही हमने प्रोजेक्ट पर काम करना स्टार्ट कर दिया. मैं और अंकित छोड़ कर बाकी सब लोग रेंट पर रूम लेकर रहते थे.

पूरा दिन हम लोग प्रोजेक्ट पर काम करते रहे थे, पर तब भी वो पूरा नहीं हो पाया था. इसलिए हम सभी ने उस दिन उधर ही रह कर प्रोजेक्ट खत्म करने का सोचा.

मैंने और अंकित ने घर फ़ोन करके बोल दिया कि आज प्रोजेक्ट का काम है … इसलिए हम लोग इधर ही सोएंगे, पर हमने अपने घरों पर ये कहा था कि यहां सिर्फ लड़के हैं, लड़कियों के बारे में कुछ नहीं बताया था.

कुछ देर बाद खाना खाकर हम लोग फिर से काम में लग गए. रात के करीब साढ़े बारह बजे तक हम लोग काम करते रहे. सारा दिन काम करने के कारण अब हमें बहुत नींद सता रही थी, तो हम लोग सोने की तैयारी करने लगे.

दस मिनट में ही सब सो गए. रात को करीब तीन बजे मैं बाथरूम जाने के लिए उठा. जब बाथरूम जाकर वापस आया … तब मुझे ऐसा लगा कि रूम में से दो लोग गायब हैं. क्योंकि रूम में सिर्फ चार लोग ही दिख रहे थे. मैं सोचने लगा कि कुल छह लोग होने चाहिए थे … बाकी के दो किधर गए.

उधर से मैं अटैच टेरेस (प्रवीण का रूम टॉप फ्लोर पर था और उसे मस्त बढिया सा ओपन टेरेस था) की ओर जाने लगा.

मुझे वो दो लोग टेरेस पर दिख गए. एक सायली थी जो कि मेरी ग्रुप पार्टनर थी. और दूसरा अंकित था जो आकांक्षा का प्रोजेक्ट पार्टनर था.

पर ये लोग इतनी रात को उधर क्या कर रहे थे, ये देखने के लिए मैं उधर थोड़ा दूर से छिपकर देखने लगा. दूर से देखने से ऐसे लग रहा था कि ये दोनों सीढ़ी पर बैठे बातें कर रहे थे. ये सीढ़ी पानी की टंकी के लिए बनी थी. 

मगर जब मैंने गौर से देखा, तो मेरे होश उड़ गए. जिस स्टेप पर अंकित बैठा था, उसके नीचे वाली स्टेप पर सायली बैठी थी और अंकित पीछे से सायली को बांहों में लेकर अपने दोनों हाथों से उसके टॉप के ऊपर से ही मम्मों को दबा रहा था.

वो कभी अपने हाथ से सायली के चूचों पर च्यूंटी काट लेता, तो कभी पूरा का पूरा दूध जोर से दबा देता, तो कभी दो उंगलियों से उसके निप्पल मींज देता था. इसके साथ साथ वो सायली के गले पर पीछे से किस भी कर रहा था.

उन दोनों का मस्त खेल चल रहा था. सायली भी अपने दोनों हाथ ऊपर करके उसके सर को अपनी ओर खींच रही थी और उसके बालों को नौच रही थी.

अब अंकित का एक हाथ सायली का पूरा बदन धीरे धीरे सहलाते हुए उसकी लैगीज के अन्दर जा पहुंचा और चूत की फांकों को रगड़ने लगा.

इससे सायली ने अपने पैर फैला दिए थे और वो मादक सिसकारियां लेने लगी थी.

सायली- आआह ओह्ह ऊऊऊ मत करो न … कुछ कुछ होता है.
“क्या होता है मेरी जान ..!”
“सुरसुरी सी होती है.”

“किस तरह की सुरसुरी?”
सायली- आह मजा भी आ रहा है … आह.

वो दोनों अपने प्रेमालाप में लगे रहे. कुछ देर ऐसे ही चला. फिर अंकित झटके से स्टेप्स से उठा और सायली के नीचे वाली स्टेप पर आ गया. वो सायली के सामने खड़ा हो गया. अब पोजीशन ये थी कि अंकित का लंड सायली के मुँह के सामने आ गया था.

सायली समझ गयी थी कि उसको क्या करना है. उसने फटाफट अंकित की पैंट खोली और घुटनों तक खींच दी. जैसे ही सायली ने अंकित की पैंट नीचे की, उसका तना हुआ लंड पैंट से आजाद होकर हवा में लहराने लगा.

उसका सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड देख कर सायली खुश हो गयी. प्री-कम की वजह से अंकित के लंड का सुपारा अंधेरे में भी दमक रहा था.

सायली ने लंड हाथ में ले लिया और उसे आगे पीछे करते हुए सहलाने लगी. पहले से ही अंकित के लंड से प्री-कम बाहर आया हुआ था, अब सहलाने से उसके पूरे लंड पर प्री-कम लग गया और पूरा लंड चमकने लगा.

जैसे जैसे सायली लंड को सहला रही थी, उसका प्री-कम और भी बाहर आने लगा था. एक मिनट से भी कम समय तक सायली ने लंड को सहलाया. इसके बाद उससे रहा नहीं गया और उसने जीभ से सुपारे को चाट लिया.

अंकित के लौड़े पर सायली की जीभ लगी तो उसने लंड मुँह में अन्दर ठेलने के लिए अपनी गांड को जुम्बिश दी और सायली ने भी अंकित के पूरे लंड को अपने मुँह में ले लिया.

अब वो लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. कभी वो पूरा लंड मुँह में ले लेती, तो कभी सिर्फ सुपारा चाट देती … तो कभी लंड के बॉल्स मुँह में ले लेती.

अंकित आंखें बंद किए हुए लंड चुसवा रहा था और ज़न्नत की सैर कर रहा था. उसके कंठ से जोर जोर से आवाजें भी निकल रही थीं- आआह हाआआ क्या मस्त चूसती है साली रंडी … आह और जोर से चूस साली छिनाल कुतिया … ले मेरा लंड पूरा खा जा कुछ मत छोड़ … पूरा लंड तेरा है अहह … हम्म!

सायली भी मस्त होकर लंड को चूस रही थी. पर लग रहा था कि अंकित से रहा नहीं जा रहा था इसलिए उसने सायली का सिर पकड़ा और उसे जोर जोर से लंड पर दबाने लगा. इस तरह से अंकित सायली का मुँह चोद रहा था.

पूरा लौड़ा गले तक जाने से सायली का दम घुटने लगा था. उसके मुँह से गों गों की आवाज आ रही थी. लेकिन तब भी अंकित उसे छोड़ नहीं रहा था. वो और जोर जोर से सर को लंड पर दबा रहा था.

ऐसे ही थोड़ी देर लंड चुसाई का कार्यक्रम चला … फिर अंकित ने लंड बाहर निकाल लिया. सायली की सांस उखड़ रही थी. उसने लम्बी लम्बी सांसें लीं और अंकित के हाथ से सहारा ले लिया. अंकित ने सायली को पकड़ कर खड़ा कर दिया.

अब दोनों जोर जोर से किस करने लगे. अंकित कपड़ों के ऊपर से ही एक हाथ से सायली का एक दूध दबा रहा था और दूसरा हाथ उसकी पैंटी में घुसाकर चूत में उंगली कर रहा था.

इससे सायली की मादक सिसकारियां निकल रही थीं- हमम्म … अहाआह धीरे कर ना … मेरी आवाजें निकाल दीं तूने … अभी कोई आ जाएगा … तो सब रायता फ़ैल जाएगा.
“अरे कोई नहीं आएगा यार, तुम टेंशन मत लो.”

“अंकित तुम कितने अच्छे से उंगली करते हो यार, साले पानी निकाल दिया आआह आउच धीरे से कर न कमीने.”
“साली तू माल ही कड़क है, तेरे ये चूचे कितने मस्त हैं. ऐसा लग रहा कि इनको कच्चा ही खा जाऊं.”
“तो मना किसने किया है राजा … जो खाना है खा ले ना … सब कुछ तो तुम्हारा है.”

ऐसा बोलते ही अंकित ने सायली का टॉप और ब्रा उतार फेंका और उसके एक दूध को मुँह में लेकर चूसने लगा.
सायली हाथों से अंकित के बाल नौच रही थी और पीठ पर नाखून रगड़ रही थी.

अंकित कभी उसका एक दूध मुँह में लेता, तो कभी उसके निप्पल को अपने दांतों से काट देता, तो कभी जोर से मसल देता. सायली के दोनों चूचे मसलने से लाल हो गए थे.

“आह आआह आआऊऊ आआह धीरे दबा मादरचोद इनमें से दूध बाहर नहीं निकलेगा कमीने.”
“रुक जा रंडी, भैन की लौड़ी मैं अभी तेरा दूध निकालता हूँ … देख तू.”

ऐसा बोलकर उसने सायली की लैगीज और पैंटी दोनों एक साथ निकाल दीं. अब सायली पूरी नंगी हो चुकी थी, उसके ऊपर एक भी कपड़ा नहीं बचा था.

फिर अंकित ने सायली को उल्टा घुमाया और उसे कुतिया बना दिया और उसके पीछे से उसकी गांड में एक उंगली घुसा दी.

“आआआ आआह मादरचोद गांड में मत उंगली कर … साले गांडू … मर गई मैं आआह … बहुत दुखता है.”
“यही तो असली मजा है रानी.” ऐसा बोलकर अंकित ने एक और बार गांड में उंगली कर दी.

“आआआह साले भड़वे मादरचोद, चूत क्या पूजा करने के लिए रखी है क्या? उसका भोसड़ा बना पहले … बाद में गांड में मस्ती कर लेना.”

उसकी इस बात पर शायद अंकित को समझ आ गयी थी. उसने गांड में से उंगली निकाली और चूत में डाल दी. अब वो अपनी उंगली को चूत में धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.

उसी वक्त उसने अपनी जीभ भी चूत पर लगा दी और उसके दाने को चाटने लगा. अब वो कभी जीभ को चुत के ऊपर से फिराता, तो कभी बगल से चाटने लगता.

‘हाआआ साले … अभी मस्त मजा आ रहा है … आह बस ऐसे ही करता रह कमीने.’ सायली यही सब बोलते हुए अपनी कमर हिला रही थी.

“अब मुझसे रहा नहीं जा रहा.” ऐसा बोलकर अंकित ने एकदम से लंड चूत में सैट कर दिया. उसका सात इंच लंबा लंड चुत को एकदम फाड़ने की पोजीशन में कड़क हो उठा था.

अंकित ने एक जोर का झटका दे दिया और एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर चला गया. लंड घुसते ही सायली की चीख निकल गयी- आआह आआ ऊऊऊ मर गयी … धीरे कर न मादरचोद … तेरा लंड है कि गर्म गर्म रॉड … आह फट गई मेरी … आह अन्दर तक गर्मी महसूस हो रही है … लगता है ऐसे ही तेरा लंड मेरी चूत में जिंदगी भर धूम मचाता रहे.

“तू कहे तो काट के दे दूँ कुतिया?”
“अभी मत काट भोसड़ी के … अभी तो पूरा मजा ले लेने दे … और तू भी ले ले न. कौन सा ढीला छेद चोद रहा है … अभी तो तुझे एकदम टाईट माल चोदने मिल रहा है हरामी.”

“हाआआ मजा आ रहा है … तेरी जैसी रंडी की चूत फाड़ने में मजा आ गया … आह ये ले आआह … आज तो तेरी चूत का भोसड़ा बना ही देना है, ये ले मां की लौड़ी.. आआआह.”
“मुझे भी इतना मजा किसी ने नहीं दिया अभी तक, तेरा लंड मस्त लंबा खम्भा है साला … अन्दर बच्चेदानी तक जाकर टकरा रहा है … आआह.”

ऐसे ही अंकित जोर जोर से सायली की चुत चोद रहा था. उन दोनों को चुदाई करते देखकर मेरा भी लंड उछलने लगा था. मैंने भी अपना लंड निकाल कर हाथ में ले लिया और हिलाने लगा.

उन दोनों की चुदाई जोर जोर से चल रही थी. सायली भी कमर उठा उठा कर अंकित का साथ दे रही थी. दोनों हल्की आवाज में शोर मचा रहे थे, मुझे डर लग रहा था कि कोई आ न जाए.

सायली- आह ओर जोर से मादरचोद … आज इस चूत का भोसड़ा बना डाल … आह … बहुत दिनों से इसने लंड नहीं खाया, आज सारी तम्मना पूरी कर दे. यस फक मी फक हार्डर आह आह.’

अंकित- साली रंडी, इतनी तेजी से पेला … फिर भी कुतिया की गर्मी कम नहीं हो रही है. तू तो बहुत बड़ी रंडी है. ये ले एक और बड़ा शॉट खा.

“आआह … और जोर से … साले गांडू बस इतना ही दम है … आआऊऊ जोर से चोद ना … आह तेरी गांड में जितनी ताकत है, सब निकाल कर चोद.” 

“ये ले रंडी.” बोलकर अंकित ने एक और जोर का धक्का दे मारा.

इसके बाद से अंकित पूरी ताकत से जुट गया और एक के बाद एक जोर जोर के झटके मारते जा रहा था. उन दोनों की चुदाई जोरों से चल रही थी. सायली की चूत में से पानी टपक रहा था. उसकी चूत इतनी गीली हो गयी थी कि हर एक शॉट के साथ फच फच की आवाज आ रही थी.

उन दोनों को देखकर मेरा लंड भी फनफना रहा था, तो मैंने भी लंड हाथ में लेकर तेजी से हिलाना शुरू कर दिया.

अंकित- मेरा निकलने वाला है, किधर डालूं?
सायली- डाल दे अन्दर, मैं गोली खा लूंगी, पर एक भी बूंद बाहर नहीं गिरनी चाहिए.

अंकित- वाह … मुझे भी अन्दर ही डालना था … तूने तो दिल खुश कर दिया रानी.
सायली- ज्यादा मुँह मत चला भोसड़ी वाले … लंड चला, बहुत दिनों बाद चूत में पानी गिर रहा है. आआह आज तो मजा आ गया.

ऐसे ही और पांच छह झटके मारने के बाद अंकित सायली की चूत में झड़ गया. उसकी पूरी चूत अंकित के वीर्य से भर गयी.

चुदाई के बाद दोनों काफी थक गए थे इसलिए सीढ़ी पर ही बैठ गए. पर अंकित ने उसका लंड बाहर नहीं निकाला था. बल्कि उसने सायली को अपने लंड पर बिठा लिया था और उसे किस कर रहा था.

उसकी सांसें फूली हुई थीं और तेज तेज चल रही थीं, उसकी सांसों के चलने की आवाजें मुझे इधर तक सुनाई दे रही थीं.

इधर देखने के बाद मेरा लंड भी झड़ने को आ गया था, तो मैं भी अपना हाथ जोर जोर से हिलाने लगा. मैंने उधर ही दीवार पर मेरा पानी छोड़ा और रूम की तरफ भाग गया. मैं कमरे में जाकर अपनी जगह पर सो गया, ताकि किसी को कुछ पता ना चले.

अरे हां, एक बात तो आप लोगों को बताना ही भूल गया. जब अंकित और सायली चुदाई में मस्त थे, तब मैंने उनकी चुदाई की रिकॉर्डिंग मेरे मोबाइल में कर ली थी. आखिर मुझे भी तो सायली को चोदना था.

उस रात का कांड देखकर मेरा दोस्ती पर से भरोसा उठ गया था. लोगों को समझना बहुत मुश्किल है. खैर … जाने दो, मुझे तो कुछ किए बिना एक चूत मिल गयी थी. मैं बस यही सोचकर खुश होकर सो गया था.

इस घटना के बाद कुछ दिन निकल गए. मैंने रात वाली बात का जिक्र किसी से नहीं किया. अभी सेमेस्टर खत्म होने को आया … बस हमारा प्रोजेक्ट दिखाना ही बाकी रह गया था.

प्रोजेक्ट सबमिशन के दिन तीनों ग्रुप में से मेरा ग्रुप पहले था, तो प्रोजेक्ट सबमिट करके कैंटीन में मैं और सायली अपने बाकी दोस्तों का इन्तजार करने लगे.

उस दिन कैंटीन में ज्यादा लोग नहीं थे, क्योंकि ज्यादातर लोगों की सेमेस्टर खत्म हो चुका था और वे लोग अपने अपने गांव चले गए थे. हम लोग कुछ स्नेक्स खा रहे थे.

तभी मैंने उस रात वाले सब्जेक्ट को छेड़ा. उस रात वाली चुदाई दिमाग में आते ही मेरे लंड में जान आने लगी. धीरे धीरे वो जागने लगा.

“सायली, तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है क्या?”
“है तो … तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो?”

“जो काम मैं कर सकता हूँ … वो काम तुमने अंकित से करवाया, इसीलिए पूछ रहा हूँ.”
“ओह्होहोहो … तो तुम उस रात की बात कर रहे हो.”

मुझे लगा कि ये पूछेगी कि कौन सी बात … पर इसने तो सीधा पॉइंट पकड़ लिया. लगता है इस बात के लिए मुझको इसकी चुदाई की रिकॉर्डिंग की जरूरत ही नहीं थी.

“तो तुझे समझ आ गया कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूँ?”
“हां बिल्कुल, बस मैं तेरा ही इंतज़ार कर रही थी कि तू कब पूछेगा, पर तूने पूछने में बहुत टाइम लगा दिया.”

फिर हमने एक दूसरे की तरफ शरारत भरी नजरों से देखा और स्माइल करने लगे.

“तुझे कैसे पता चला कि मैं किस बारे में बात कर रहा हूँ?”
“जब तू मेरी चूत का भोसड़ा बनते देख रहा था और अपना लंड हिला रहा था, तभी मुझे पता चल गया था कि अंधेरे में से कोई हमें देख रहा है. पर समझ में नहीं आ रहा था कि कौन है. 

पर जब तू इतनी जोर से हिला रहा था, तब मुझे तेरी एक झलक से गले की चैन का लॉकेट दिख गया था. मैं तभी समझ गयी थी कि ये तू अपना हिला रहा है.”

“हां, तुम लोग को देखकर मेरा लंड भी खड़ा हो गया था, तो मैं क्या करता? मैंने भी हिलाना स्टार्ट कर दिया … और उधर ही दीवार पर अपना माल गिरा दिया.”

“पता है, हम लोग जब रूम की तरफ लौट रहे थे, उस वक्त मैंने अंकित को बोला था कि तुम आगे जाओ, मैं आती हूँ. फिर मैं उस दीवार के पास गयी तो तेरी रबड़ी लगी थी. मुझे पसंद आ गई और मैंने तेरा माल चाट लिया, मस्त था यार … गरम गरम और गाढ़ा भी.”

“सच्ची … तू पक्की रंडी है.”
“वो तो ठीक है, पर अंधेरे में तेरा लंड ठीक से दिखा नहीं.”

ऐसा बोलकर उसने कैंटीन में ही चुपके से मेरे लंड को दबा दिया. हम बाजू बाजू बैठे थे तो इतना किसी का ध्यान नहीं गया. पहले से ही बातें हो रही थीं, तो मेरा लंड टॉवर की तरह खड़ा था. उसी समय सायली ने मेरा लंड दबा दिया था.

उसके लंड दबाते ही मेरे मुँह से अनजाने में मीठी सी सिसकारी निकल गयी- आआह!

“लगता है बहुत गर्मी है इसमें? यह कैंटीन में भी टॉवर फुल नेटवर्क दे रहा है.”
“हां, देगा ही ना … टॉवर का चार्जर हमेशा फुल पावर में रहता है, तो टॉवर नेटवर्क देगा ही.”

इस बात पर हम दोनों हंसने लगे.

मैं- तो क्या प्लान है … कब चार्ज करोगी टॉवर को?
वो- देख … वैसे भी मेरा रूम अभी खाली है, मेरी सब रूममेट गांव चली गयी हैं तू चाहे तो मैं रात भर तेरे टॉवर को चार्ज कर सकती हूँ. ऐसा बोल कर उसने फिर से मेरे लंड को दबा दिया.

“आआह साली, इधर कुछ मत कर … अभी सब लोग आएंगे, किसी ने देख लिया तो इज्जत की मां चुद जाएगी.”
“अरे मां नहीं चुदेगी, मैं चुदूंगी.”

“हां मेरी रंडी, तुझे तो मैं आज छोडूंगा नहीं.. पर हमको बाकी लोगों से छुटकारा कैसे मिलेगा?”

“अरे टेंशन मत लो, ये देख प्रवीण और प्रणाली वैसे भी कपल हैं, उनको उनका टाइम चाहिए रहेगा, तो वो हमें डिस्टर्ब नहीं करेंगे. रही बात आकांक्षा और अंकित की, 

तो आकांक्षा तो शाम को गांव निकल जाएगी और अंकित को तुम मुझ पर छोड़ दो. उसे मैं संभाल लूंगी. तुम बस तुम्हारा देखो, तुम घर में क्या बोलोगे?”

“मैं तो सच बोल दूंगा कि दोस्त के घर जा रहा हूँ, बस किस दोस्त के घर जा रहा हूँ … वो नहीं बताऊंगा.”
“ठीक है.”

फिर हम दोनों हंसने लगे और बाकी के दोस्तों के आने तक ऐसी ही बातें चलती रहीं. कुछ देर बाद सब लोग आ गए. अब हम सब हॉलिडे का प्लान बना रहे थे कि हॉलीडेज में कौन क्या क्या करने वाला है.

मेरा मन उधर नहीं था, मेरे को तो बस शाम का इंतज़ार था. मैं सोच रहा था कि कब शाम हो जाए और कब मैं सायली को चोद दूं. मैं बैठे बैठे उसे चोदने के सपने देखने लगा.

जैसी तैसे शाम हो गयी. मैंने घर में पहले ही बता दिया था कि आज में घर नहीं आने वाला हूँ. रात को दोस्त के यहां रुकूंगा.

हम अभी भी कैंटीन में थे, प्रवीण और प्रणाली जा चुके थे, पर अंकित और आकांक्षा अभी इधर ही थे. तभी आकांक्षा अंकित से बोली- प्लीज मुझे रूम तक छोड़ दो, मुझे घर जाने की तैयारी भी करनी है.

इस पर अंकित ने मुझसे पूछा- तुम लोग कब निकलोगे?
मैंने बताया- अभी बस निकल रहे हैं, वैसे भी बहुत शाम हो चुकी है. मैं भी सायली को ड्राप करके निकल जाऊंगा.

फिर अंकित और आकांक्षा चले गए. जैसे ही वो दोनों चले गए, मैं और सायली एक दूसरे को देखने लगे. मेरा लंड अब और टाइट हो गया था. शायद सायली को मेरे मन की बात पता चल गयी थी.

सायली ने एक पलक झपकाये बिना ही एक हाथ से मेरा लंड टटोला और जोर से दबा दिया.

“आआह … अब सहा नहीं जाता, चलो जल्दी चलते हैं!”
उसने एक कातिल सी स्माइल दी और बोली- चलो.

फिर हम लोग मेरी बाइक पर बैठे कर सायली के रूम की ओर जाने लगे. कॉलेज से सायली के रूम का रास्ता बीस मिनट का था. हम दोनों मस्ती करते हुए जा रहे थे. सायली भी मुझे एकदम चिपक कर बैठी थी.

मैं जानबूझकर बाइक का ब्रेक मार देता था ताकि उसके चुचे मेरी पीठ पर रगड़ जाएं और वो भी उसी वक्त संभलने के बहाने मेरा लंड दबा लेती.

अभी हम लोग पहुंचने वाले थे कि सायली ने बाइक रूकवाई और उतर कर एक मेडिकल शॉप से कुछ लेकर आयी.

मैंने पूछा कि क्या लाई.
उसने कहा- रूम पर चलो, वहीं बताऊँगी.

मैंने रूम के बाहर रोड पर बाइक खड़ी की और हम दोनों रूम में चले गए. जैसे ही हम रूम के अन्दर गए, उसने झट से दरवाजे की कुंडी लगा दी.

मैं तो बस इसका ही इंतजार कर रहा था. जैसे ही वो कुंडी लगाकर मुड़ी, मैंने उसको उधर ही दबोच लिया.

हम दोनों एक दूसरे के ऊपर टूट पड़े. जोर जोर से किस करने लगे और मैं दोनों हाथों से उसके दोनों चुचों को जोर जोर से मसलने लगा.

“अम्म्म्म्म ऊऊउम्म ..”

उसके चुचे इतने नर्म थे कि जैसे लग रहा था कि कॉटन हाथ में ले लिया हो. जैसे जैसे मैं उसके मम्मों को दबाते गया, वो और कड़क होते गए.

हम लोग ऐसे ही एक दूसरे को नौच रहे थे. फिर मैंने उसे उल्टा किया और पीछे से उसकी गर्दन पर किस करने लगा. साथ ही दोनों हाथों से उसके चुचे दबाने लगा.

इस बार उसकी मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं. हम दोनों भी अभी होश में नहीं थे, हमारी काम वासना इतनी भड़क चुकी थी कि हमें दूसरा कुछ दिख ही नहीं रहा था. हम एक दूसरे को ऐसे मसल रहे थे कि ये हमारा लास्ट हो.

मैं पूरी ताकत से उसके चुचे दबा रहा था और वो अपना हाथ पीछे लेकर मेरा लंड जोर जोर से मसल रही थी. ऐसे ही हम जाने कब तक करते रहे.

अब मैं एक एक करके कपड़े उतारने लगा. पहले मैंने उसका टॉप उतारा, फिर ब्रा … बाद में जीन्स के साथ पैंटी भी निकाल दी.

वो भी मेरे कपड़े उतार रही थी. अब हम दोनों पूरे नंगे थे और बस एक दूसरे को देखे जा रहे थे. फिर मैंने सायली को अपनी बांहों में उठाया और उधर ही बेड पर पटक दिया.

वो मेरे सामने नंगी लेटी हुई इतनी हॉट माल लग रही थी कि उसको देख कर किसी बूढ़े का भी लंड खड़ा हो जाए … तो मैं तो अभी जवान था. मेरे लंड महाराज तो छत को सलामी दे रहे थे.

फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके सारे बदन पर किस करने लगा. मैंने उसके जिस्म एक भी पार्ट नहीं छोड़ा जिसे मैंने चूमा न हो.

वो तो मेरे लंड के लिये तड़प रही थी, पर मुझे उसको तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था. ऐसे ही चूमते चूमते मैंने उसके एक चुचे को मुँह में ले लिया. इतने बड़े चुचे जैसे बड़े बड़े आम की तरह थे.

मैं उसको दबा कर चूस रहा था. कभी दायां चूसता, तो कभी बायां. उसके चुचे काफी बड़े थे मेरे मुँह में पूरे नहीं समा रहे थे, फिर भी मैं उन्हें चूसे जा रहा था.

कभी कभी उसके निप्पलों को दांत काट भी देता तो वो कराह उठती- आआह ऊममम आआह … आह … ऊउंह ऊम्मंह आहाआ ऊउन्न्ह ऊम्म्ह.

कुछ देर दूध चूसने के बाद मैं धीरे से नीचे की तरफ बढ़ा और उसकी चुत पर अपनी जीभ टिका दी.

जैसे ही मैंने चूत पर जीभ लगाई, उसने एक बड़ी सिसकारी ले ली- आ..आह … रजत सच में तेरे को लड़क़ी खुश करना आता है.

मैं अपनी जीभ चूत से निकाले बिना ही सायली के ऊपर 69 की पोजीशन में आ गया … ताकि वो भी मेरा लंड चूस सके.

उसने मेरा लंड झट से अपने मुँह में भर लिया और उसे मस्ती से चूसने लगी. इधर मैं उसकी चूत पर कभी जीभ फिराता, तो कभी चूत के अन्दर डाल देता- आहा ऊउंह ऊम्मंह आहाआ ऊउन्न्ह ऊम्म्ह!

उसकी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी. बहुत गीली हो चुकी थी. हम एक दूसरे का साथ दे रहे थे, तभी मैं सायली के मुँह में झड़ गया और थोड़ी देर बाद उसने भी पानी छोड़ दिया. हमने एक दूसरे का पानी पूरा पी लिया.

लंड चुत का पानी निकल जाने के बाद अब हम लोग हांफ रहे थे. मैं सीधा होकर वैसे ही उसके बाजू में लेट गया. हम एक दूसरे की तरफ मुँह करके बेड पर लेटे हुए थे. चेहरे पर एक तरह की संतुष्टि और अधिक पाने की चाहत दिख रही थी.

कुछ पल बाद सायली ने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरा लंड सहलाना शुरू कर दिया. तो मैंने भी एक हाथ उसकी चूत पर लगा दिया और एक उंगली को चुत के अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ देर चुत में उंगली का मजा लेने के बाद सायली उठी और अपने बैग में कुछ खोजने लगी. उसने बैग में से एक हनी की शीशी निकाली जोकि वो रास्ते में खरीदने रुकी थी.

वो मेरे लंड पर हनी डालने लगी. थोड़ा हनी डालने के बाद उसने शीशी बाजू में रख दी और मेरे लंड को चूसने लगी. सायली लॉलीपॉप की तरह लंड चूस रही थी और मैं बेड पर चित पड़ा था. फिर वो मेरा लंड को छोड़े बिना मेरे ऊपर आ गयी और चूत को मेरे मुँह पर टिका कर बैठ गई.

अब हम फिर से 69 की पोजीशन में थे. बस इस बार वो ऊपर थी. मेरा लंड फिर से एकदम कड़क हो गया था. लंड लोहे की तरह कड़क था और गर्म भी. लंड की सख्ती देख कर सायली ने लंड चूसना छोड़ दिया और खड़ी हो गयी.

मैं अभी भी बेड पर लेटा था और मेरा लंड 90 डिग्री पर खड़ा छत को सलामी दे रहा था. तभी उसने मेरे कमर के दोनों बाजू में अपने पांव रखे और अपनी चूत मेरे लंड के सुपारे पर रख कर धीरे धीरे अपनी कमर ऊपर नीचे करने लगी.

उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड उसकी चूत में ऐसे सरसराता घुस गया जैसे किसी मक्खन में छुरी जा रही हो. भट्टी की तरह गर्म चूत में, गर्म लोहे जैसा लंड घुस जाने की वजह से दोनों की गर्मी बहुत बढ़ गयी थी.

वो मेरे लंड पर उछलने लगी. इससे उसके छत्तीस डी नाप के मम्मे हवा में उछल रहे थे.

उसके मम्मों को यूं उछलता देख कर मेरी वासना और बढ़ गयी. मैंने अपने दोनों हाथों से उसके रसभरे आमों कसके पकड़ा और जोर जोर से मसलने लगा.

वो आह करते हुए लंड ले रही थी और दूध मसलवा रही थी. उसकी आंखों में एक अजीब सी चुदास नजर आ रही थी.

इस समय हम दोनों ही एक अलग दुनिया में थे. एकदम वासना में मदहोश थे. हमें किसी की कोई परवाह ही नहीं थी. बस हम एन्जॉय कर रहे थे.

“ह्म्म्म आआऊऊ ऊऊउम्म हहहआआ फक मी हार्ड हां और जोर से पेलो … आह.”
“ले साली तेरी चुत तो इतनी न्ज्यादा टाईट है कि मेरा लंड छिला जा रहा है … आह ले मां की लौड़ी लंड खा.”

हम दोनों ऐसे ही एकदम मदहोश होकर चिल्ला रहे थे.

फिर मैंने उसे अपनी बांहों में पकड़ कर उल्टा लिटा दिया और मैं ऊपर आ गया. अब मैं अपना लंड उसकी चूत में एकदम अन्दर तक घुसा रहा था.

“आआह जोर से चोद … आह साले मजा आ रहा है … आह अब रहा नहीं जाता … बना दे मेरी चूत का भोसड़ा … कुछ कसर मत छोड़ना भैन के लंड … पूरा अन्दर तक घुसा दे … आह फाड़ दे मेरी चूत को आआह ऊऊऊ अहह … और जोर से हां ऐसे ही … और जोर से.”

मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा ली थी. मेरा लंड सायली की बच्चेदानी तक जाकर टकरा रहा था. जिससे वो मचल उठती और कराह पड़ती.

उसकी कराहों से मैंने अपनी स्पीड कम नहीं की … और ऐसे ही मैं उसे दस मिनट तक पेलता रहा. अब मेरा रस निकलने वाला था.

“आह … मेरा निकलने वाला है, किधर निकालूं?”
“भोसड़ी के चूत में डाल दे पूरा का पूरा माल, मेरे पास गोली है.”

यह सुनकर अब मैं भी ओर जोश से चोदने लगा. बस आठ दस शॉट के बाद मेरा माल उसकी चूत में निकल गया. मैंने पूरा लंड अन्दर तक घुसेड़ा हुआ था और मेरी पिचकारियां उसके गर्भाशय को नहला रही थीं.

फिर जब तक हर एक बूंद चूत में नहीं उतर गई, तब तक मैंने अपना लंड उसकी चूत में अन्दर तक घुसाए रखा. वीर्य निकल जाने के बाद मैंने उसको अपनी बांहों में लिए हुए ही अपने ऊपर ले लिया.

मेरा लंड अभी भी उसके चूत में था. मैं बेड पर नीचे था और वो मेरे ऊपर हांफती हुई मेरे सीने में सर रखे पड़ी थी. हम दोनों पसीने से इतना लथपथ थे कि बेड की चादर गीली हो गयी थी.

“रजत … सच में आज बहुत मजा आया, ऐसे ही मुझे जिन्दगी भर चोदना, अब से ये चूत तेरी गुलाम और मैं तेरी रंडी. तेरा जब जी करेगा, तब मैं हाजिर हो जाऊंगी.”
“मैं तो रेडी हूँ, पर तेरी शादी के बाद तो नहीं चोद पाऊंगा.”
“तब तक तो मैं तेरी हूँ, बाकी का बाद में देखेंगे.”

वो मेरे सीने पर यूं सर रखकर सो गयी.
मैंने भी आंखें मूंद लीं.

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