ट्रेनी नर्स मेरे कमरे में आई पहली सील तुडवाने के लिए

Dilshad Ahmad


गरम लड़की की वासना जब उग्र होती है तो वह चूत चुदवाने के लिए बेचैन हो जाती है. ऐसे ही एक ट्रेनी नर्स रात को मेरे कमरे में आ गयी. 

उसे अपनी कुंवारी बुर की सील तुड़वाने की जल्दी थी. मेरी पिछली कहानी ट्रेनिंग पर आई नर्स के साथ चुदाई का मजा में मैंने बताया था कि मनीषा को चोदने की शुरुआत हो गयी थी और उसको भी चुदने का चस्का लग चुका था। 
गरम लड़की की वासना बढ चुकी थी, वह रोज रात को मेरे कमरे में आने लगी और हम रोज चुदाई करते! दिन भर काम और रात को चुदाई। लगातार चुदाई करते करते मेरी हालत खराब होने लगी 

मेरी चर्बी उतरने लगी, वजन घटने लगा। मैंने मनीषा को चोद चोद कर उसकी चूत का ऐसा बाजा बजाया की उसकी चूत पूरी खुल गयी। मजा तो आ रहा था पर बॉडी का भी ध्यान रखना था। 

वह बोलते हैं ना कि कुछ समझ में ना आये तो भरोसा रखना चाहिए। मेरे साथ भी ऐसा हुआ। पहले भी मैंने बताया था कि मनीषा की महावारी आने वाली थी, तो पांच दिन बाद वह आ गयी और वह दिन था रविवार का 

उसने मुझे बताया कि वह रात मैं नहीं आ सकती. मैंने पूछा- क्यों? तो उसने बताया कि उसका पीरियड आ गया है और अब पांच छह दिन वह नहीं आ सकती। मैंने भी सोचा कि चलो ठीक है, मैं भी थोड़ा आराम करूँगा … और बाद तो वह आने वाली है ही 

उस दिन मैंने सोने का प्रोग्राम बनाया और सो भी गया। फिर सोमवार को हम मिले तो वह बहुत खुश थी. मैंने पूछा- क्या हुआ? तो वह बोली कि इसके पहले हर पीरियड में उसको बहुत दर्द होता था लेकिन अब कुछ नहीं हो रहा। 

मैंने बताया- अब तेरी चूत खुल गयी है इसलिए अब तुझे प्रॉब्लम नहीं आयेगी। बस हम काम करते रहे … रात को फोन पर बातें करते रहे। ऐसे ही दो तीन दिन निकल गए. एक रात को अचानक मनीषा का कॉल आया. 

उसने बताया कि वह कल सुबह घर जा रही हैं। तो मैंने पूछा- अचानक क्यों जा रही हो? वह बोली कि उसके बाबा का फोन आया था तो उसको जाना पड़ेगा. 

मैंने उसको बोला- कल मत जा, परसों चली जाना! वह पूछने लगी- ऐसा क्यों? मैंने बोला- तेरा पीरियड चल रहा है, बता दे माँ को और ‘परसों आऊँगी’ बोल दे। 

तो वह बोली- ठीक है। फिर दूसरे दिन वह मिली तो उसने बताया कि उसकी शादी की बात चल रही है और उसकी ट्रेनिंग भी इस महीने खत्म होने वाली है। मैं तो उदास हो गया। 

लेकिन वह बोली कि अभी सिर्फ बात चल रही है और वह चार पांच दिन में वापस आयेगी. मैंने सोचा कि ठीक है। अब क्या कर सकते हैं. और वैसे भी और नई लड़की भी मुझे इशारा दे रही थी। 

लेकिन मैं भी थोड़ा वक़्त चाहता था। जैसे तैसे काम में दिन बीता. कमरे पर जाते वक़्त मैंने उसको बोला- तू कल सुबह जाने वाली है तो आज रात आ जा! 

वह बोली- नहीं, कल सुबह जल्दी निकालना है। तो मैंने भी जोर नहीं दिया और ड्यूटी खत्म करके रूम पर गया और मस्त खाना खाकर सो गया। 

फिर सुबह जल्दी उठा तो मनीषा का मेसेज मिला कि वह जा रही है और जल्दी वापस आयेगी। मैं मन ही मन में खुश हुआ और तैयार होकर अस्पताल गया। वहाँ जाकर काम शुरू किया ही था कि सामने रानी को आते देखा। 

वह गजब का आत्मविश्वास भर के आई हुई लग रही थी। रानी के साथ मैं काफी मस्ती कर चुका था पर उसकी सील तोड़नी बाक़ी थी. यह आप कुंवारी नर्स के साथ ओरल सेक्स का मजा में पढ़ चुके हैं. 

तो वह सीधी मेरे सामने आई और बोली- कैसे हो आप? मैं बोला- ठीक हूँ. तो वह बोली- तबियत खराब हुई क्या? मैं बोला- तू नहीं थी तो हो गयी खराब। 

वैसे भी उसकी चूत का उद्घाटन बाकी था और मुझे भी चार पांच दिन आराम हो गया था। अब मनीषा के जगह उसकी ड्यूटी लगी थी तो हमारी ड्यूटी भी वैसे ही हो गयी दिन भर काम और रात को आराम। 

तो मैंने शाम को उसको पूछा- क्या हुआ था? वह बोली- कोई रिश्तेदार पूरा हो गया था, इसलिए वह गयी थी. लेकिन मैंने मनीषा को बोला था आपको बताने के लिए! 

मैं बोला- हाँ, उसने बताया था। फिर मैं बोला- रात को क्या कर रही हो? वह झट से बोली- आपके रूम पर आ रही हूँ. और उसने बताया कि जब तक मनीषा नहीं आयेगी वह मेरे साथ रात को रहेगी। 

मैं समझ गया कि यह गरम लड़की की वासना बोल रही है. तो मैं बोला- ठीक है. इसका मतलब था कि वह भी चुदाई के चक्कर में आने वाली थी। रात को जब मैं खाना खाकर ऐसे ही बेड पर पड़ा था तो रानी ने बेल बजाई। 

मैंने दरवाजा खोल कर उसको अंदर आने दिया। वह भी आते ही मुझे चिपक गयी और मुझे किस करने लगी। वैसे तो मुझे भी अब चूत चाहिए थी और रानी भी एक पटाका माल थी। 

मैंने भी उसको चूमना शुरू किया. लेकिन मेरे से ज्यादा उसको जल्दी थी। तो हम एक दूसरे को चूमने लगे. वह खुद मेरा हाथ अपने बूब्स पर रखकर खुद दबाने लगी. फिर मैं भी जोश में आया और उसको कस के दबाने लगा. 

मैंने पीछे हाथ डाल कर उसका कमीज उतारा, फिर ब्रा भी निकाल दी और सलवार का नाड़ा खोल दिया. उसकी सलवार नीचे गिर गयी. अब वह सिर्फ ब्रा और निकर में थी. 

फिर मैंने उसकी ब्रा भी खोली और उसके बूब्स चूसने लगा. वह भी मुझे जोर से पकड़कर अपने निप्पल मेरे मुख में डालने लगी- चूसो … जोर से दबाओ … और चूसो। 

ऐसे कहने लगी. फिर मैं एक हाथ से उसकी पैंटी को ऊपर से सहलाने लगा तो उसकी पैंटी मुझे गीली लगी. मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला तो उसकी चूत गर्म हो गयी थी और चिपचिपा पानी आने लगा था. 

देर न लगाते हुए मैंने अपने भी कपड़े निकले और हम दोनों नंगे हो गए। मैंने उसको बेड पर धक्का देकर पटक दिया और मैं उसके उपर आया। हम एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे। 

कभी मैं ऊपर, कभी वह ऊपर. ऐसे दस मिनिट बाद वह बोली- मुझे आपका लंड चूसना है. तो मैं उसके सामने खड़ा हुआ, उसने मेरा लंड हाथ में लिया और बोली- कितना लंबा और बड़ा है। 

मैं बोला- तुमको पसंद आया तो इसको प्यार करो। क्योंकि यही तुम्हारी चूत का उद्घाटन करेगा। वह कुछ नहीं बोली और मेरा लंड आगे पीछे करने लगी। मैंने उसके सिर को पकड़ा और उसे मुंह को खोलने के लिए बोला. 

उसने जैसे ही मुंह खोला तो मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाला और उसके मुंह को चोदने लगा। पांच मिनट बाद मैंने उसके मुंह से लंड निकाला और उसको डॉगी स्टाइल में करके उसके पीछे आया। 

तो उसकी गांड मेरे सामने आ गयी. लेकिन मुझे कुछ दिख नहीं रहा था तो मैं उसकी चूत पर लंड घिसने लगा. वह भी आगे पीछे होने लगी। लेकिन उसकी चूत में लंड डालने में मुझे परेशानी होने लगी तो मैंने उसका सिर पकड़कर नीचे किया. 

और जैसे ही उसका सिर नीचे झुका तो उसकी गांड ऊपर आ गयी। उसकी चूत ऊपर उठी तो मैंने लंड उसकी चूत पर लगाया और आगे पीछे करने लगा. 

मेरा प्रीकम और उसकी चूत के पानी से चिकनाई खूब हो गयी थी. वह भी अब ज्यादा आगे पीछे होने लगी और बोली- अब डाल दो तुम्हारा लंड … कितने दिन से मैं इसकी राह देख रही थी। 

मैंने अपना लंड चूत पर सेट किया और उसकी कमर को पकड़ा. मुझे मालूम था कि उसको दर्द होगा। मैंने उसको बताया- अपना सिर तकिये के नीचे रखो। 

तब मैंने उसकी कमर को कस के पकडा और एक धक्का दे डाला। मेरा लंड का अगला हिस्सा अंदर गया तो मैंने और थोड़ा जोर लगाया और धक्का दिया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया और खून दिखने लगा। 

वह जोर से चिल्लाई। लेकिन उसका सिर तकिये के नीचे था तो उसकी आवाज उसमें दब गयी। फिर मैंने जैसे ही तीसरा शॉट मारा, मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। मैंने उसकी कमर पकड़े रखा। 

वह बेड पर वैसे ही लेटी रही। मैंने अपना लंड बाहर नहीं निकाला और धीरे से उसको चोदने लगा. थोड़ी देर बाद वह भी गांड उठाने लगी। 

तो मैंने फिर से उसकी कमर को पकड़ा और उठाया और फिर मैं उसे चोदने लगा. वह भी मेरा साथ देने लगी। दस मिनट बाद मेरा निकलने वाला था तो मैंने उसको पूछा भी नहीं और उसकी चूत में झड़ गया। 

फिर रात को एक बार हमने चुदाई की और सो गए। अब मेरा तो दो सेटिंग हो गयी थी। मनीषा और रानी। अब मनीषा और रानी से छह महीने का पूरा काम चलने वाला था. लेकिन नसीब में कुछ और था.

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