बस में मिली आंटी की चरमसुख की कहानी

Dilshad Ahmad


दोस्तो, ये मेरी पहली सेक्स कहानी है बात दो महीने पहले की है, मैं घर बैठा बैठा बोर हो रहा था. मैंने अपने दोस्त से बात की और हम दोनों ने घूमने का प्लान बनाया. 

हमने गूगल पर सर्च किया तो हमारे शहर से एक बस जयपुर जा रही थी. ये 3 दिन का टूर था, तो हम दोनों ने सीट बुक कराई और घूमने के लिए जयपुर निकलने का पक्का कर लिया. 

जब हम बस में जब चढ़े तो ज्यादातर सीटें खाली ही थीं. जानकारी की तो पता चला कि आगे किसी अन्य शहर से भी लोगों को चढ़ना था. हम लोग अपनी सीटों पर बैठ गए. 

आगे के शहर से एक आंटी बस में चढ़ीं, वो बहुत ही सुंदर थीं. उनका बदन पूरा भरा और गदराया हुआ था. उनके बूब्स का साइज 36 इंच का रहा होगा. नीचे नजर गई तो गोल गोल मस्त उभरी हुई गांड थी. 

बहुत ही मस्त फिगर थी. वो मेरी सीट के दो सीट आगे बैठ गई थीं. उस वक्त रात के करीब 10 बजे थे तो बस में थोड़ी सी रोशनी थी. मुझे नींद सी आने लगी तो मैंने नीचे सोना चाहा. 

मैंने नीचे बैग का तकिया बनाया और नीचे लेट गया. मेरे साथ ही में मेरा दोस्त भी लेट गया. तभी मेरा पैर उन आंटी से टच हुआ, तो मैंने देखा कि उन्हें कोई अड़चन तो नहीं है. 

उनकी तरफ से कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं हो तो मैंने धीरे से उनके पैर पर पैर रख दिया. अब भी कोई हलचल नहीं हुई, तो मैं यूं ही पड़ा रहा. कुछ देर बाद मुझे अहसास हुआ कि वो मेरे पैर को दबा रही हैं. 

मुझे लगा कि वो नींद में हैं और गलती से ऐसा हो रहा है. पर यह एक इशारा था. मैं उस वक्त कुछ नहीं बोला और बस पड़ा रहा. कुछ समय बाद फिर उन्होंने ऐसा ही किया तो मुझे लगा कि अब कुछ तो गड़बड़ है. 

इस बार मैंने भी उनका पैर दबा दिया तो वो मेरे पैर से खेलने लगीं. मुझे मजा आने लगा तो हम दोनों ऐसे पैरों से खेलने लगे. कभी वो मेरा पंजा दबा देतीं तो कभी मैं उनका. ये खेल 10 मिनट तक चला. 

उसके बाद मैंने अपना पैर ऊपर की तरफ किया और उनकी टांग सहलाने लगा. उन्होंने एक खुला सा प्लाजो पहना था इसी लिए मेरा पैर आराम से ऊपर चल रहा था. 

शायद उन्होंने भी अपने प्लाजो को कुछ ऊपर कर लिया था. मैं मजे से अपने पैर को उनकी चिकनी टांग को सहलाते सहलाते और ऊपर ले गया. प्लाजो काफी ढीला था तो मेरा पैर उनकी जांघों तक चला गया था. 

मैं बिंदास जांघें सहलाने लगा तो उनकी गर्म गर्म जांघें थिरकने लगीं, मैं अच्छे से महसूस कर पा रहा था. तभी मैंने पैर हटाया और खुद अपनी दिशा बदल कर लेट गया. अब मैं उनकी तरफ सर रख कर लेट गया था. 

मैंने अपने पैर की जगह उनके प्लाजो में हाथ डाल दिया. ऊपर करते करते मैं उनकी पैंटी तक हाथ ले गया और चूत को टच करने ही वाला था कि तभी बस रुक गई. मैंने झटके से अपना हाथ बाहर खींच लिया. 

बस रास्ते में खाने पीने के लिए रुकी थी. मैं उठ गया और अपने दोस्त के साथ नीचे आ गया. हमने खाना खाया और करीब 11:30 बस दुबारा चली. इस बार दोस्त सीट पर बैठ कर सो गया और मैं फिर से वहीं लेट गया. 

मैं दुबारा हाथ चलाने लगा. इस बार मुझे महसूस हुआ कि उन्होंने पैंटी ही नहीं पहनी है. मुझे बहुत खुशी हुई और मैंने उनकी जांघों को सहलाते सहलाते उनकी चूत पर हाथ रख दिया. मैं आंटी की चूत सहलाने लगा. 

उनके मुँह से एकदम से हल्की सी ‘आहह …’ की आवाज निकली पर उन्होंने अपने होंठों को दबा कर आवाज दबा ली. तभी मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा. 

आंटी ने अपनी टांगें फैला दीं और चूत खिल उठी. मैंने मजा लेते हुए अपनी दो उंगलियां उनकी चूत में डाल दीं और उंगली से चुदाई करने लगा. कुछ पल बाद उन्होंने मेरा हाथ पड़कर मुझे रोका. मैं रुक गया. 

करीब दो मिनट बाद वो भी नीचे सोने को आ गईं. वो मेरे पैरों की तरफ सर करके सोई थीं. एक तरह से उस समय हम दोनों 69 की पोजीशन में थे. मैंने फिर से पंगे लेने शुरू कर दिए. 

उन्होंने अपने ऊपर एक चादर ओढ़ रखी थी और अपना प्लाजो खोल कर थोड़ा नीचे कर दिया था. अब वो अपनी चूत से बिल्कुल नंगी थीं. मैंने भी मौका और लोगों की नजरों से बचते हुए चादर में मुँह डाल लिया. 

उनकी नंगी गुलाबी चूत मेरे सामने थी. मैंने देर ना करते हुए उनकी चूत पर मुँह लगाया और चूत को चाटने लगा. मेरा लंड भी खड़ा हो गया था, जो उन्हें चुभ रहा था. मैं उनकी चूत के दाने को चाटने लगा और साथ ही में उंगलियों से चुदाई करने लगा. 

तभी उन्होंने मेरा लंड मेरे लोअर के ऊपर से पकड़ा और सहलाने लगीं. उन्होंने अपनी चादर मेरे साथ साझा कर ली तो मैंने भी अपना लोअर नीचे को कर दिया. अब मेरा लंड उनके हाथ में था. 

उन्होंने लंड सहलाते हुए उसे अपने मुँह में ले लिया और चाटने लगीं. मुझे तरन्नुम मिल गई. अब हम दोनों मजा ले रहे थे. मैं उनकी चूत और वो मेरा लंड चाट रही थीं. कुछ समय चूत चटवाने के बाद वो झड़ गईं और उनका सारा रस में पी गया. 

मैं भी झड़ने वाला था तो मैं जोर जोर से उनके मुँह की चुदाई करने लगा और सारा माल मुँह में ही दे दिया. वो भी झट से पी गईं. उन्होंने मेरे लंड को चाट कर साफ कर दिया और हम दोनों में चुदाई की वासना जाग चुकी थी. 

पर ऊपर सीट्स पर बैठे लोग सो रहे थे इसलिए बस में चुदाई करना थोड़ा मुश्किल था. पर जब आग लग जाए तो कुछ नहीं दिखता. मैं उठा और उनके साथ ही लेट गया. जगह कम होने के कारण, उनके मोटे मोटे मम्मे मेरे साथ टच हो रहे थे. 

उन्होंने शर्ट पहनी थी. मैंने सारे बटन खोल दिए और वो ब्रा में आ गईं. मैं उनके बूब्स ब्रा के ऊपर से ही दबा रहा था, गोरे गोरे बूब्स पर काले रंग की ब्रा थी, क्या मस्त नजारा था. 

कुछ देर बाद मैंने उनकी ब्रा भी निकाल दी और उनके मम्मे चूसने शुरू कर दिए. बहुत ही मजा आ रहा था. वो भी चुदाई के लिए तड़पने लगी थीं. 

मैंने उन्हें और तड़फाना चाहा और अपनी उंगलियों से उनके पेट पर हाथ फेरने लगा, जिससे वो उछल रही थीं. उन्होंने लंड पकड़ कर चोदने का इशारा किया. 

तो ज्यादा देर ना करते हुए मैंने अपना 6 इंच का लंड उनकी चूत पर रख दिया. उन्होंने भी लंड को रास्ता दिखा दिया. मैंने धक्का लगा दिया, तो वो अन्दर नहीं गया. मैंने अपने हाथ से थोड़ा सा थूक लेकर चूत के छेद में लगाया और कुछ अपने लंड पर लगा लिया. 

इस बार सैट करके मैंने फिर से धक्का मारा, तो आधा लंड चूत में अन्दर चला गया. उनके मुँह से चीख निकली ‘अहहह … मर गयी साले …’ सब हमें देखने लगे तो हमने सोने का नाटक किया और शांत पड़े रहे. 

दो मिनट के बाद मैंने फिर से हलचल की. इस बार मैंने उनके होंठ अपने होंठों से दबा लिए और जोर का शॉट मारा. मेरा पूरा लंड चूत के अन्दर घुस गया. वो कलप उठीं मगर मैं धीरे धीरे से अन्दर बाहर करने लगा. 

कुछ ही देर में उनको भी पूरा मजा आने लगा. वो मेरा साथ देने लगीं और धीमी धीमी आवाज में उनके मुँह से सिसकारियां निकलने लगी थीं. मैंने अपनी रफ्तार थोड़ी तेज की और धकापेल मचा दी. 

एक बार फिर से उनके मुँह से ‘आहहह … उईई मां मर गयी …’ निकला. मगर मैंने मुँह पर मुँह लगाया हुआ था तो उनकी आवाज दब गई. अब आंटी धीमी आवाज में आंह उन्ह कर रही थीं और उनकी वो मादक आवाज मुझे मदहोश कर रही थी. 

मैंने एक हाथ से उनके एक दूध को पकड़ा और दूसरे हाथ को उनके चूत के दाने पर ले गया. 

चुदाई की रफ्तार थोड़ी और तेज की, तो वो फिर से धीमी आवाज में बोलने लगीं ‘आंह फाड़ डाल मेरी चूत को, चोद मेरी जान … चोद मुझे और तेज पेल उईईई आहह …’ कुछ ही देर में आंटी का शरीर अकड़ने लगा, वो झड़ने वाली थीं. 

तभी मैं और जोर से झटके देने लगा और वो झड़ गईं. उनकी चूत से अब थोड़ा थोड़ा पानी निकल रहा था. चुदाई से अब फच फच की आवाजें आने लगी थीं. 

दो मिनट के बाद मैं भी उनकी चूत में झड़ गया. झड़ने के बाद मैं एकदम से निढाल हो गया था. आंटी भी एकदम थक गई थीं. कुछ मिनट तक हम दोनों यूं ही पड़े रहे. 

फिर मुझे नींद आ गई और कुछ होश ही न रहा कि मैं किस हालत में हूँ. शायद हम दोनों ऐसे ही सो गए थे. सुबह मैं उठा तो मेरा लोअर ऊपर को हुआ था और वो अपनी सीट पर बैठी थीं. 

हम लोग जयपुर में एक ही होटल में थे और मैं अपने दोस्त को बता रहा था कि चूत का इंतजाम हो गया है. शाम को मैंने दोस्त को आंटी से मिलाया और हमारी रात थ्री-सम सेक्स विद आंटी के लिए तय हो गई. 

रात को होटल वापस आने पर हम तीनों ने दारू पार्टी का तय किया और खाना कमरे में ही खाने का कह दिया. हम दोनों ने रात को व्हिस्की की पूरी बोतल खाली करने का तय कर लिया था. 

आंटी भी भारी पियक्कड़ निकलीं. कमरे में हम तीनों ने दारू पीकर खूब मस्ती की. आंटी हम दोनों के साथ नंगी होकर नाचीं. उसके बाद हम दोनों दोस्तों ने बारी बारी से आंटी की चूत चोदी. 

आंटी मस्त माल थीं. मैंने कहा- गांड मारने का मन भी कर रहा है. आंटी ने हामी भर दी. उनकी गांड अभी ज्यादा नहीं चुदी थी. 

हम तीनों ने बाथरूम में शैम्पू लगा कर आंटी की गांड में लंड पेले … दारू के नशे में आंटी को गांड मराने में खूब मजा आया. उसके बाद हम तीनों कमरे में आ गए. खाना खाकर हंसी मजाक करने लगे. 

मेरा दोस्त बोला- आंटी, एक साथ दो लंड का मजा लेना चाहोगी? आंटी का मन तो था मगर वो डर रही थीं. मैंने कहा- करके देखते हैं यदि दर्द हुआ तो नहीं करेंगे. 

आंटी राजी हो गईं. मैंने पहले सोफे पर बैठ कर आंटी को अपने ऊपर लिया और उनकी चूत में लंड पेल दिया. कुछ देर चूत में लंड चलने के बाद आंटी ने कहा- अब पीछे से भी पेलो. 

मेरे दोस्त ने पीछे से आंटी की गांड में लंड लगा दिया. एक साथ दो लंड लेने में आंटी को काफी दर्द हो रहा था मगर मैंने उनके लिए दारू की बोतल बगल में रख ली थी. मैंने उनके मुँह से दारू की बोतल लगा दी. 

आंटी दारू नीट गटकने लगीं. उन पर दारू का खासा नशा चढ़ गया था. उसी वक्त मेरे दोस्त ने मुझे इशारा किया. मैंने आंटी के मुँह से मुँह लगाया और कमर को जकड़ लिया. 

दोस्त का सुपारा तो गांड में घुसा ही था, उसने एकदम से अन्दर पेल दिया. डबल सेक्स से आंटी की गांड फट गई और वो छटपटा उठीं. 

मगर हम दोनों ने तय कर रखा था कि आज आंटी की सैंडविच चुदाई का मजा लेकर ही रहेंगे. 

दस मिनट तक आंटी की गैंग बैंग चुदाई के बाद हम दोनों ने अपने अपने लंड के रस उनकी चूत गांड में ही छोड़ दिए और उसी अवस्था में सो गए. कुछ देर बाद उठ कर बिस्तर पर सो गए.

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