पडोसी भाभी का रोमांस :- सेक्सी पंजाबी भाभी की कहानी में एक भाभी मुझ पर डोरे डालने लगी. मैं जवान हूँ तो मैंने क्यों उसे छोड़ना था, मैं भी लग गया उसके साथ और एक दिन मैंने उसे चोद दिया.
मेरा नाम मॉली है, मैं दिखने में ठीक-ठाक हूँ. मेरी उम्र 25 साल है. मुझे सेक्स करना बहुत अच्छा लगता है. इस चढ़ती जवानी में मैं चाहता हूँ कि मेरे आस पड़ोस की जो भी गर्ल्स, भाभी या आंटी हैं …
जिनको सेक्स की जरूरत है. उनकी फंतासी पूरी करने के लिए मैं आधी रात को भी उपलब्ध हूँ. सेक्सी पंजाबी भाभी चुदाई कहानी में हुआ यूं कि मेरे पड़ोस में एक पंजाबी कपल रहने आए थे.
पति पत्नी दोनों ही सामान्य शरीर के मालिक थे मतलब न ही मोटे थे न ही पतले थे. उनकी एक छोटी सी और प्यारी सी लड़की थी. उस छोटी सी लड़की का नाम सिमरन था.
मैं उसके साथ काफ़ी खेलता रहता था. उस लड़की की मां का नाम मुस्कान था, वे भी एक सभ्य पड़ोसन की तरह मुझसे व्यवहार करती थीं.
उनके इस रवैये से मुझे बड़ा अच्छा लगता था और मैं उनकी उस नन्हीं सी परी जैसी लड़की के साथ खेलता रहता था. फिर कुछ दिनों बाद से मैंने नोट किया कि जब भी मैं फ्री होकर अपने घर के बाहर खड़ा होता था,
तो वे अपने घर के दरवाजे पर बैठी रहती थीं और मुझे देखती रहती थीं. हमारी नजरें मिलने पर मुस्कान का आदान प्रदान होता था और मैं उनसे नमस्ते कर लेता था.
ऐसे ही कुछ दिनों तक चला. अब मुझे भी ये पता चल गया था कि ये भाभी भी मुझे देखती रहती हैं. इससे मेरे अन्दर भी थोड़ी सी अलग सी फीलिंग्स आ गई थी. पर मैं डरता था कि मैंने कुछ कहा या किया,
तो वो कहीं मेरी मां से कुछ ना कह दें. चूंकि वो लोग मेरे मुहल्ले में ही रहते थे … तो कहीं कुछ बवाल ना हो जाए, इस बात से भी मेरी फटती थी.
यही सब सोच कर मैंने कभी कुछ नहीं किया. पर वे सेक्सी पंजाबी भाभी अब मुझे और ज्यादा घूर घूर कर देखने लगी थीं.
एक दिन मैं अपने घर के बाहर खड़ा था. उसी वक्त मेरा दोस्त आया और मैं उसके साथ गाड़ी पर बैठ कर जा रहा था. तभी मुस्कान भाभी ने मुझे देखा और इशारा करके पूछा- कहां जा रहे हो? मैंने इशारा किया कि अपने काम से जा रहा हूँ, अभी आता हूँ.
वे इशारा करने लगीं कि मत जाओ … रुक जाओ. पर मैं चला गया. इस बार मेरे अन्दर भाभी के लिए कुछ ज्यादा ही विचार आने लगे. मुझे ऐसे लगने लगा कि उनका पति बहुत ही कमजोर व पतला है …
और शायद वो उनको खुश नहीं रख सकता होगा. दूसरे दिन सब कुछ साफ हो गया. उस दिन मैं शाम को अपने घर के बाहर आकर खड़ा ही हुआ था कि भाभी मुझे घूरने लगी थीं.
आज मुझसे न रहा गया और मैंने उन्हें इशारा किया कि क्या मैं वहां आ जाऊं? उन्होंने तुरंत स्माइल देकर कहा- हां आ जाओ. मैं उनके घर के बाहर गया और उनसे कहा- मुझे आपसे कुछ कहना है.
वे मुस्कुराती हुई बोलीं- हां बोलो, क्या बोलना है? मैंने कहा- मुझे आपसे पक्की वाली फ्रेंडशिप करना है. भाभी ने मुझे ऐसा जवाब दिया कि मैं हैरान हो गया.
पहले तो वो मेरी बात पर हंसने लगीं और कहने लगीं- सिर्फ़ फ्रेंडशिप करना है या कुछ और भी सोच रहे हो? मैंने कहा- अभी के लिए तो फ्रेंडशिप के लिए ही सोच रहा हूँ बाकी आगे का पता नहीं!
वे और ज्यादा खुल कर हंसने लगीं. भाभी बोलीं- अफेयर तो नहीं शुरू कर दोगे मेरे साथ? मैंने कहा- अब वो तो आपके ऊपर निर्भर करता है कि कितनी हवा देती हैं?
भाभी बोलीं- काहे में हवा दिलवानी है? मैंने कहा- अपनी दोस्ती में! वे बोलीं- दोस्ती मन की रखोगे तो हवा चलेगी ही … और ये हवा कहां तक ले जाएगी अपनी दोस्ती को … वो तो वक्त पर निर्भर करता है.
मैं समझ गया कि मामला मलाई रबड़ी तक का है. उतने में भाभी का फोन बजने लगा और मैं अपने घर चला गया. अगले दिन आख़िर वही हो गया,
जो भाभी को चाहिए था … और मुझे भी. दोपहर का समय था. गर्मी बहुत ज्यादा हो रही थी. वे ऐसी गर्मी में घर के बाहर आकर बैठ गई थीं और उनका उद्देश्य मुझे देखना ही था. मैंने खिड़की से भाभी को देखा तो उन्होंने ही मुझे इशारा किया- यहां आओ!
मैं भाभी के पास चला गया. तो वे अपने घर के अन्दर चली गईं और मुझे भी अन्दर बुलाने लगीं. मैं डरता हुआ अन्दर गया कि किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा?
अगले कुछ ही पलों में मैं भाभी के घर के अन्दर जाकर खड़ा हो गया. वे सामने से बने किचन में खड़ी थीं. मैं बार बार बाहर की तरफ देख रहा था कि कहीं कोई आ ना जाए.
भाभी ने हंस कर कहा- इतना क्यों डर रहे हो … फ्रेंडशिप ही है ना! अगर कोई चक्कर होता तो और कितना डरते? मैंने सिर्फ ये कहा कि भैया कब तक आते हैं?
यह सुन कर उन्होंने कहा- अरे उनकी चिंता नहीं करो. वो अभी नहीं आएंगे और वो क्या … और कोई भी नहीं आएगा.
मेरे पति तो रात को वापस आते हैं. भाभी की बात सुनकर मैं थोड़ा तनावमुक्त हुआ. फिर मैंने देखा कि भाभी ने आज जो कुर्ती पहनी हुई थी, उसका गला काफी डीप था और भाभी ने दुपट्टा भी नहीं लिया हुआ था.
उन्होंने मुझे अपने दूध देखते हुए देख लिया और कहने लगीं- इतना डरते हो फ्रेंडशिप में … अगर अफेयर होता तो क्या करते? मैंने ठंडी सांस लेते हुए कहा- अब बताऊं भाभी कि मैं क्या करता.
वो बोलीं- कुछ तो बताओ! मैं अचानक से उनके एकदम सामने चला गया और उनकी कमर पकड़ कर पास को खींच लिया. जैसे ही मैंने उन्हें पकड़ा, वे एकदम से सिहर उठीं.
पर वो खुश थीं. उन्होंने बोला- बस … और कुछ नहीं करते? मैंने उनको और नज़दीक किया और उनको किस करने को हुआ. पर मैं उन्हें भी उकसाना चाहता था इसलिए भाभी के होंठों के पास जाकर रुक गया.
अब मुस्कान भाभी की सांसें तेज हो गई थीं. उन्होंने एक पल की भी देरी नहीं की और अगले ही पल से वो मुझे किस करने लगीं. मैं भी रेस्पॉन्स करने लगा.
वे मुझे पागलों की तरह किस करने लगी थीं … शायद बहुत प्यासी थीं. मैंने उनको कमर से पकड़ कर अपनी गोद में उठा लिया और उनको किस करते करते बाथरूम में ले गया. वे मुस्कुराने लगीं और बोलीं- तुम मुझे यहां क्यों लाए हो … बेडरूम में चलते ना!
मैंने कहा- गर्मी बहुत ज्यादा है ना … यहां बहुत अच्छा लगेगा. यह सुनते ही भाभी ने मुझे मेरी गर्दन पर किस करना चालू कर दिया. मैंने शॉवर चला दिया. अब भी वे मेरी गोद में ही थीं.
मैंने उन्हें दीवार से चिपका दिया और उनको पागलों की तरह चूमता हुआ गर्म करने लगा. मेरा 7 इंच का लंड तन गया था. मेरा लौड़ा मेरी जींस से ही उनको चुभ रहा था.
उन्होंने मेरी टी-शर्ट उतार दी और पागलों की तरह मेरे सीने पर चूमने लगीं. उसी दौरान भाभी ने मेरी जींस भी उतार दी. वे मेरे लंड को अंडरवियर से निकाल रही थीं.
पर मैंने उन्हें रोकते हुए कहा- ऐसे नहीं, पहले कुछ करके दिखाना होगा, तभी ये लंड मिलेगा! भाभी कहने लगीं- नहीं, ये मुझे अभी चाहिए.
मैंने कहा- ऐसे नहीं मिलेगा. भाभी ने कहा- अच्छा बताओ क्या करना है? मैंने कहा- पहले आप मुझे कुछ इस तरह से गर्म करो कि मुझसे रहा ही ना जाए.
उन्होंने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और आहिस्ता आहिस्ता अपने कपड़े उतारना चालू कर दिए. पहले कुर्ती, फिर सलवार. अब वे ब्रा पैंटी में थीं.
फिर उन्होंने मेरे सामने अपने एक दूध को दबाते हुए होंठों पर जुबान फेर कर आंख दबा दी. मैं भाभी के छिनालपने वाली इन हरकतों को देख कर लगातार जोश में आता जा रहा था.
मैंने भी अपने हाथ से अपने लौड़े को सहला दिया. यह देख कर वे अपने घुटनों पर नीचे बैठ गईं और मेरे लंड को ऊपर से ही किस करने लगीं. उसी बीच उन्होंने अपनी ब्रा को भी उतार दिया.
मैंने भाभी के मम्मों को दबाना चालू कर दिया था. वे कामुक सिसकारियां भरने लगी थीं. मैंने भाभी को उसी समय उनको उठा कर खड़ी अवस्था में ही 69 की पोजीशन में ले लिया,
फिर उनकी पैंटी को उतार कर चूत को चाटने लगा. मैंने जैसे ही चूत को चाटना चालू किया तो वे पागल हुई जा रही थीं. भाभी ने भी मेरा लंड मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.
वे तो लौड़े को ऐसे चूसने लगीं जैसे बरसों से उनको ऐसे लंड को चूसने की तड़प थी. करीब 10 मिनट तक वो 69 की पोजीशन में ही रह कर मेरा लंड चूसती रहीं …
और मैं उनकी चूत चाटता रहा. फिर हम दोनों झड़ गए. उसके बाद मैंने उन्हें सीधा किया और वे कहने लगीं- प्लीज अब डाल दो मुझसे सहन नहीं हो रहा.
मैंने कहा- मैं नहीं डालूँगा, आप खुद कुछ ऐसे करो कि आपकी चूत मेरे लंड पर आ जाए. वे मुझे बेडरूम में ले गईं और मुझे लिटा दिया. मैं बेड पर लेट गया, मेरा लंड पूरा तना हुआ था.
वे आकर लंड चूसने लगीं और अपनी चूत को मेरे लंड पर रख कर मेरे ऊपर बैठ गईं. मेरा लंड बहुत मोटा है … तो जैसे ही भाभी की चूत के अन्दर थोड़ा सा गया, वे चिल्ला उठीं और कहने लगीं- आह ये मैं कैसे लूँ …
ये तो बहुत ही ज्यादा मोटा है. मेरे पति का लंड बहुत पतला है. मैंने कहा- आज आपको नसीब से मोटा लंड मिल गया है. इसके मजे ले लो जितने मज़े लेना है.
वे भी मेरी तरफ वासना से देख कर बोलीं- हां, आज मैं इस मोटू के मजे लेकर ही रहूँगी. भाभी अब आहिस्ता आहिस्ता लंड अन्दर लेकर उसी पर अपना आसन जमा कर बैठ गईं.
लंड ने उनकी चूत में अपनी जगह बनाना शुरू कर दी और कुछ ही समय बाद भाभी ने गांड हिला कर लंड लेना चालू कर दिया. जैसे ही लंड को चूत की चिकनाई का सहारा मिला,
मैंने एक हाथ से भाभी की कमर पकड़ी और एक हाथ से उनके बाल पकड़ कर पूरा का पूरा लंड एक ही झटके में अन्दर घुसा दिया. वे मेरी इस हरकत से समझो पागल ही गई थीं.
उनकी एकदम से तेज आवाज निकली तो मैंने उनके बाल छोड़ कर मुँह दबा दिया. कुछ ही देर में उन्हें मज़ा आने लगा.
हालांकि भाभी की आंखों से आंसू आने लगे थे, पर वे पूरे मज़े ले रही थीं. पूरे 15 मिनट तक मैं शॉट पर शॉट लगाता गया. वे किसी दिलदिल घोड़ी के जैसे मेरे लौड़े पर फुदक रही थीं
और उनके चूचे इतनी तेज आज तक कभी उछले ही नहीं होंगे. फिर मैंने उन्हें उठाया और रसोई में ले गया, वहां ले जाकर उनको पट्टी पर बिठा दिया. वे कुछ समझ पातीं कि उतनी देर में मैंने भाभी की दोनों टांगें फैला दीं.
एक टांग को मैंने अपने एक कंधे पर रखा और दूसरी वाली को पूरा खींच कर फैला दिया जिससे भाभी की चूत पूरी तरह से फैल गई थी.
अब मैंने अपने लंड को चूत की फांक में घिसा और अन्दर पेल कर उनको चोदने लगा. कुछ ही देर बाद मेरा पानी छूटने वाला ही था तो मैंने लौड़े को चूत से बाहर निकाल लिया.
तभी भाभी ने लपक कर नीचे कूद कर मेरा पूरा लंड मुँह में ले लिया. चूत की गर्मी का अहसास भाभी के मुँह की गर्मी से कम नहीं था. उसी पल मैंने अपना पूरा पानी भाभी के मुँह के अन्दर छोड़ दिया.
वो प्यासी औरत पूरा का पूरा पानी पी गई. मैं निढाल होकर लंबी लंबी सांसें भर रहा था. भाभी जी मुझे फिर से बाथरूम में ले गईं उधर हम दोनों नहाये और बाहर आ गए.
फिर मैं अपने गीले कपड़े ही पहन कर अपने घर चला गया. भाभी ने मुझे मैसेज किया- बहुत मज़ा आया. आज मुझे बहुत सुकून मिला.
साथ ही उन्होंने मुझसे पूछा भी था- क्या तुम मुझे फिर से चोदना चाहोगे? मैंने कहा- जी जरूर! वे खुश हो गईं और कहने लगीं कि जब अगली बार तुम मेरे घर आओगे,
तो तुम्हें एक सरप्राइज़ मिलेगा. मैंने पूछा- क्या? उन्होंने कहा- वो तो जब तुम आओगे, तभी पता चलेगा. सच में सरप्राइज़ बहुत ही मस्त था.
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