ट्रेनिंग पर आई नर्स के साथ XXX का मजा

Dilshad Ahmad

ट्रेनिंग पर आई नर्स के साथ XXX का मजा :- मैं एक आदमी हूँ और पेशे से डॉक्टर हूँ। मेरी सब कहानियां सच्ची हैं और जो भी हुआ सब उन लड़कियों की मर्जी से और मेरी मर्जी से हुआ। ख़ैर आते हैं कहानी पर तो बात ऐसी थी कि मेरी कहानी की दोनों पिछली लड़कियां जिन्हें मैं हफ्ते मैं एक या दो बार चोदता था, वह तो सब ठीक चल रहा था. 

लेकिन ऐसा हुआ कि मेरी छह महीने की ट्रेनिंग आई तो मुझे जाना पड़ा। जाने से पहले मैंने दोनों को अलग अलग यह बात बताई और एक एक बार चोदा भी कि क्या पता फिर छह महीने ऐसे ही रहना पड़े। 

दूसरे दिन मैं ट्रेनिंग के लिए निकला और उस अस्पताल मैं पहुँचा। वहां जाकर देखा कि वहां तो नर्सिंग के लिए भी लड़कियों की ट्रेनिंग थी। क्या बताऊं यारो … एक से एक 19-20 साल की लड़कियां थी। 

वहां मेरे ट्रेनर ने मुझे सब बताया और मेरे हाथ में एक डिपार्टमेंट सौम्प दिया। वहां पर मेरी वाली तीसरी लड़की मुझे मिली। दूसरे दिन दो ट्रेनी नर्स लड़कियां मेरे पास आई और मुझे एक मरीज के बारे में बताने लगी. मैंने जाकर देखा तो उसका इमर्जेंसी ओपरेशन करना पड़ा। 

गलती उन लड़कियों की थी तो उनको बहुत प्रॉब्लम होने वाली थी लेकिन मैंने सब संभाल लिया। वे दोनों घबरा गयी थी। मैंने दोनों को देखा तो दोनों ऐसी थी कि मन किया कि उनको अभी लेकर जाऊं रूम पर और पटक के चोद डालूं। 

लेकिन मेरे मन में तो कुछ और प्लान चल रहा था, दोनों को चोदना था। फिर थोड़ी देर बाद मेरा ट्रेनर आया और मुझे भला बुरा कहा. लेकिन मेरा पहला दिन था तो ज्यादा कुछ किया नहीं. 

वे दोनों लड़कियां देख रही थी। गलती उनकी थी तो उनको लगा होगा कि मैं उनका नाम लूंगा लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। वे दोनों मुझ से इंप्रेस हो गयी। मैंने उन दोनों में से एक मनीषा को पहले पसंद करके चोदने की सोची. 

दूसरी का नाम रानी था. फिर रात को हम खाना खाने बैठे तो दूसरी वाली रानी मेरे पास आकर बैठ गयी और मनीषा मेरे सामने बैठी। हम खाना खाने लगे तो रानी कुछ ज्यादा ही मेरी तरफ देखकर और हंस हंस कर बातें करने लगी और मैं भी उसके साथ बातें करने लगा। 

मैंने मनीषा को देखा तो वह मुझे कुछ नाराज दिखी। मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। सब खाना खाकर थोड़ी देर बातें करने लगे। रात के बारह बजे तो मैंने सोचा कि रूम पर जाकर आराम करता हूँ। तो मैंने रानी को बोल दिया- मैं रूम पर जा रहा हूँ. 

अगर कुछ इमर्जेंसी आती है तो मेरे रूम पर आकर बता देना। और मैं वहां से रूम पर आया। रात को दो बजे मेरे रूम का दरवाजा बजा. तो मैंने सोचा कि अस्पताल से ही कोई होगा। 

मैंने दरवाजा खोला तो सामने रानी खड़ी थी. तब मैंने उसको पूछा- क्या हुआ, कोई इमर्जेंसी आई क्या? वह बोली- मैं ऐसे ही नहीं आ सकती क्या? मैं बोला- आ सकती हो लेकिन इतनी रात बेवजह क्यों आई? 

वह बोली- मनीषा सो गयी है इसलिए आपके पास आ गई। मैंने सोचा ‘यार ठीक है।’ उसको मैंने अंदर बुलाया और बैठने के लिए बोल दिया। वह मेरे बेड पर बैठी। 

मैंने पूछा- अब बोलो क्या काम था? वह बोली- दोपहर जो हुआ उसमें हम दोनों की गलती थी तो आपने अपने ऊपर क्यों लिया? मैं बोला- अभी तुम ट्रैनी हो, अगर मैं बता देता तो छह महीनों के लिए बाहर जाना पड़ता। तो उसकी आँखों में आँसू आ गये और बोली- आपको बुरा लगा होगा. 

मैं बोला- ठीक है, कुछ बड़ी बात नहीं, ऐसी बातें होती हैं। लेकिन वह बोली- मुझे आपको कुछ देना है और आपको थैंक्स भी कहना है। मैं बोला- ठीक है। लेकिन मैंने उसको पूछा- तुम्हारे पीछे मनीषा तो नहीं आयेगी? 

वह बोली- नहीं, वह जब सोती है तो उसको जल्दी उठाना आसान नहीं। वह अब जल्दी नहीं उठेगी। और बाकी मरीज सो गए हैं। डोरकीपर को बताकर आई हूँ कि रूम पर जा रही हूँ. कोई आया तो वह फोन करेगा. 

तो मैं थोड़ा रिलेक्स हुआ और उसको पूछा- अब क्या? वह बोली- थैंक्स! और मुझे कुछ समझ आता … तभी उसने मेरे गाल पर एक किस कर दी। 

मैं थोड़ा नींद में था पर इस किस से मेरी नींद उड़ गयी। मैंने उसको पूछा- यह क्या था? वह बोली- थैंक्स बोला। इतने से ही मेरे लंड महाराज जाग उठे थे. मैंने उसको बोला- थैंक्स ऐसे नहीं करते। 

तो रानी के ओंठ और गाल लाल हो गए। मैं बोला- थैंक्स करना है तो अच्छे से करो, नहीं तो चली जाओ! वह बोली- आप पहले इंसान हैं जिसे मैंने किस किया। मैं बोला- मुझे ऐसे थैंक्स नहीं चाहिए. 

तो वह बोली- अगली बार पक्का दूँगी। लेकिन मेरे लंड महाराज खड़े हुए थे. मैं बोला- अभी नहीं तो कभी नहीं … और मुझसे बात भी मत करना। उसने रोने जैसी शक्ल बनाई और बोली- मैंने कभी नहीं किया है। 

और मुझे आता भी नहीं! मैं बोला- ठीक है, मैं करूँगा लेकिन तुमको मेरा साथ देना पड़ेगा। तो थोड़ा वक़्त लेकर वह लिप किस देने के लिए तैयार हो गयी। लेकिन वह बोली- पहले लाइट बंद करो, मुझको शर्म आती है। 

तो मैंने लाइट बंद की. लेकिन उससे पूरा अंधेरा हो गया। तो मैं उसको ढूंढने लगा। फिर अचानक मेरा हाथ उसके बूब्स पर गया। मुझे तुरंत समझ में आ गया कि यह उसका बूब है. 

लेकिन मैंने उसको पकड़कर रखा तो उसकी मुख से आह निकली। फिर मैं उसके बूब को पकड़कर उसके पास गया। वह मेरे बिल्कुल सामने खड़ी थी तो मैंने अपना मुंह उसके मुंह के पास लेकर गया. तब मैंने उसका बूब छोड़कर उसका चेहरा दोनों हाथों में लिया और उसके कान के पास जाकर बोला- ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ? 

वह धीरे से बोली- नहीं। फिर मैंने पूछा- क्या मैं तुमको किस कर लूं? वह सिर्फ हम्म बोली। 

तो मैंने उसको और करीब खींचा और उसकी मखमली ओठों पर मेरे ओंठ रख दिये। थोड़ा वक़्त लगा, फिर वह मेरा साथ देने लगी. करीब दस मिनट मैंने उसके ओठों को चूसा; 

मेरी जीभ उसके मुंह में डाली, उसकी जीभ को चूस लिया। उसकी हालत खराब हो गयी। फिर मैंने धीरे से उसके बूब पर हाथ रखा. तो उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- ये नहीं। मैं कुछ नहीं बोला लेकिन उसका बूब भी नहीं छोड़ा। 

और मैं उसको किस करने लगा. तो धीरे धीरे वह गर्म होने लगी. मैंने दोनों हाथों से उसके दोनों बूब मसलना शुरू किया. वह अच्छे से गर्म हो गयी तो मैंने उसका एक हाथ पकड़कर मेरे लंड पर रख दिया। 

इस बार उसने सीधा मेरा लंड पकड़ा और पैंट के ऊपर से ही लंड को हिलाने लगी। वह बहुत ज्यादा गर्म हो गयी थी तो मुझे भी मजा आ रहा था। फिर मैंने धीरे से मेरी पैंट खोल दी और उसका हाथ मेरी पैंट में डाल दिया 

तो उसने झट से मेरा लंड पकड़ लिया और दबाने लगी। तो मेरा लंड कड़क हो गया। हम वैसे ही चुम्मा चाटी करने लगे. लेकिन वह मेरा लंड सिर्फ दबा रही थी. 

तो मैंने उसको पूछा- कभी लंड हिलाया या नहीं? वह बोली- जिंदगी मैं पहली बार किस किया है, लंड कहाँ से हिलाऊंगी. तो मैंने पूछा- सच में तुम वर्जिन हो? वह बोली- हाँ। फिर मैंने उसको बोला- आज चलो कुछ करते हैं! 

तो वह बोली- आज नहीं ऐसे जल्दबाजी में नहीं। मुझे भी वह ठीक लगा क्योंकि मछली तो जाल में फंस गयी थी और मेरे पास छह महीने भी थे. और दूसरे अगर कोई इमर्जेंसी आ जाती तो परेशानी होती। 

लेकिन मैंने उसको बोला- मेरा तो खड़ा हुआ है. जब तक इसका माल बाहर नहीं आयेगा, यह शांत नहीं होगा। तो वह बोली- अब क्या करें? मैं बोला- मेरे लंड को भी पप्पी दे … तो कुछ हो सकता है। 

वह भी गर्म थी तो तैयार हो गयी। मैं बोला- मुझे भी तेरी चूत को किस करना है. तो वह बोली- ठीक है। मैंने उसको कपड़े उतारने के लिए बोला। बिजली बंद थी तो उसने अपने कपड़े उतार दिये और पलंग पर बैठ गयी। 

मैंने भी जल्दी से अपने कपड़े उतारे और उसके साथ लेट गया, उसको बाहों में लिया और किस करने लगा. वह भी मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने उसका मुंह मेरे लंड की तरफ कर दिया और पैर पकड़ कर मेरे मुंह की तरफ कर लिए तो उसकी चूत मेरे मुंह के सामने आई और मेरा लंड उसके मुंह के सामने आ गया। 

तब मैंने उसको बोला- पहले मेरे लंड को ऊपर नीचे कर और फिर मुंह में ले। तो उसने भी वैसा ही किया. उसकी चूत मेरे मुंह के सामने थी तो मैंने हाथ से उसकी चूत को छुआ। 

क्या मखमली चूत थी. दिख तो नहीं रहा था लेकिन महसूस कर रहा था. फिर मैंने उसके चूत के दाने को छुआ तो वह उछल पड़ी और मेरा लंड गप्प से मुंह में ले लिया। 

उधर मैंने भी देर ना करते हुए अपनी जीभ से कुवारी लड़की की सेक्सी चूत को चाटना शुरू किया, उसके मुंह से आवाज आने लगी। वह बहुत गर्म हो गयी थी. तो मैंने जीभ से उसकी चूत को चोदना शुरू किया. 

वह भी मेरा लंड जोर से चूसने लगी. करीब दस मिनट बाद वह मेरे मुंह पर झड़ गयी। लेकिन मेरा अभी नहीं निकला था तो मैंने उसको बैठाया और मैं खड़ा होकर मेरा लंड उसके मुंह में डाल दिया और उसके मुंह को चोदने लगा। 

पांच मिनट बाद मैं उसके मुंह में झड़ गया। जैसे ही मेरा हो गया, उसके फोन पर काल आया गेटकीपर का। तो जल्दी जल्दी मैंने लाइट चालू की और उसने काल लिया. 

तो गेटकीपर बोला- मनीषा तुम को ढूंढ रही है। तो वह बोली- उसे बोलो कि आ रही हूँ। हमने अपने कपड़े पहने. फिर मैंने उसको अपनी तरफ खींचा और फिर एक बार किस किया और बोला- अगली बार हम बाहर कहीं अपनी सुहागरात मनाएंगे। 

इसके बाद वह वहां से चली गयी और मैं सो गया। दूसरे दिन मैं थोड़ी देर से उठा। फिर मैं तैयार होकर अस्पताल गया। वहां जाकर पता चला कि रानी की जान पहचान वाला कोई रिश्तेदार गुजर गया तो वह सुबह गाँव चली गयी।

रात में इतना सब हुआ लेकिन उसका नंबर लेना मैं भूल गया। मनीषा की भी ड्यूटी खत्म हो चुकी थी तो वह भी चली गयी थी। मैं थोड़ा नाखुश हुआ. पर मैंने सोचा कि साला अब कब आयेगी और कब मेरा काम होगा।

फिर मैंने देखा कि वहां तो और भी कई लड़कियां थी। और वे भी एक से बढ कर एक! फिर मैंने सोचा कि चलो काम तो होता रहेगा। बातों बातों में पता चला कि मनीषा और रानी एक ही रूम में रहती हैं। 

मैंने सोचा कि रात को मनीषा आयेगी तो उससे रानी का नंबर ले लूंगा। जैसे तैसे दिन गया. रात को फिर हम साथ थे। मैंने देखा कि मनीषा मेरी तरफ गुस्से से देख रही है. तो मैंने बात करना ठीक नहीं समझा। 

मुझे थोड़ा अंदाजा हो गया था कि शायद रानी ने उसको कुछ बताया नहीं। लेकिन मुझे तो मनीषा की चूत लेनी थी, मैंने सोचा कि बताया तो भी क्या होगा। रानी तो हाथ में है ही। फिर मैंने उसको ज्यादा भाव नहीं दिया और अपना काम करता रहा। 

जब हम खाना खाने लगे तो उसके साथ एक और लड़की आई थी रानी की जगह। तो मैं उसके साथ बातें करने लगा। मनीषा फिर मुझे गुस्से से देखने लगी लेकिन मैंने उसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया। फिर रात को मैं रूम पर सोने गया। 

ऐसे ही दो चार दिन निकल गए। फिर एक रात हम खाना खाने बैठे तो उसकी दूसरी सहेली बाहर गयी. तो मनीषा ने मुझे पूछा कि मैं उसके साथ बात क्यों नहीं करता। मैंने बताया- टू मुझे गुस्से से देखती है तो मैं तेरे साथ क्यों बात करूं? 

तो वह बोली- ऐसी कोई बात नहीं … लेकिन उस दिन रानी ने मुझे जाते वक़्त सब बताया था। उसकी वजह से मैं आपसे बात नहीं करती। फिर उसने बताया कि उसको भी मेरे साथ वह सब करना था … और रानी से पहले! 

मैं बोला- यह तो चांस चांस की बात है, अगर तुम पहले आती तो तुम्हारे साथ वह होता। वह सामने से आई तो मैं क्या करता! तभी दूसरी नर्स आ गयी तो हमारी बात अधूरी रह गयी। 

फिर सब कुछ ठीक हो गया और हम बातें करने लगे। लेकिन मेरा काम अभी बाकी था तो मैं उसको बीच मैं छेड़ देता. तो वह बोलती- रानी के आने तक कुछ नहीं होगा। मेरा मूड खराब हुआ तो फिर मैंने उसके साथ बात बंद कर दी. 

फिर एक दिन गया तो उसको समझ में आया कि मैं गुस्से में हूँ। उसने मुझसे माफी मांगी. मैंने उसको बोला- उसकी सजा मिलेगी. तो वह बोली- ठीक है। लेकिन फिर उसने पूछा कि उसकी क्या सजा है. 

तो मैं बोला- रविवार पूरा दिन तू मेरे साथ रहेगी. रविवार को हम दोनों को छुट्टी रहती थी. तो वह बोली- ठीक है लेकिन कहाँ? मैं बोला- मेरे रूम पर! 

वह थोड़ा सोच के बोली- ठीक है लेकिन कितने बजे? तो मैं बोला- सुबह सात बजे! वह बोली- मुझे उस समय फ्रेश होना होता है. तो मैं बोला- मेरे रूम पर फ्रेश हो सकती हो तुम! और सुबह जल्दी आयेगी तो कोई देखेगा भी नहीं. 

मनीषा मेरी बात मान गयी। वह दिन शनिवार का था तो मुझे तो रविवार का सोच के ही खड़ा हो गया था। हम दोनों उस रात एक दूसरे को देखकर मन ही मन में खुश हो रहे थे। फिर मैं रूम पर गया और अगले दिन जो होने वाला था … उसका सपना देखते हुए सो गया। 

पर रात को एक इमरजेंसी आई तो मुझे अस्पताल जाना पड़ा। मुझे देख कर मनीषा खुश हो गयी। फिर मैं रात को वहीं रुका रहा। सुबह होने मैं ज्यादा देर नहीं थी तो मैंने उसको बोला- मैं आगे जाता हूँ, तुम मेरे पीछे आ जाना. 

वह बोली- ठीक है। फिर मैं रूम पर गया, ब्रश किया, फ्रेश हुआ और उसकी राह देखने लगा। थोड़ी देर बाद मेरे रूम का दरवाजा किसी ने खटखटाया. मैंने खोला देखा तो मनीषा मेरे सामने खड़ी थी, वह भी उसकी नॉर्मल ड्रेस में। मैं उसको देखता ही रह गया। 

उसने पूछा- ऐसे क्यों देख रहे हैं? मैं बोला- तुम्हें ऐसे ड्रेस में कभी देखा नहीं … तुम बहुत खूबसूरत हो। तो वह शरमा गयी। मैंने उसको झट से अंदर खींचा और दरवाजा बंद किया। वह मेरे बेड पर बैठ गयी। 

उसने कहा कि उसको ब्रुश करना है. तो मैं बोला- ठीक है। लेकिन तभी उसने पूछा कि उसकी सजा क्या है? मैं बोला- रानी ने नहीं बताया क्या? तो वह बोली- नहीं, मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी. 

मैं बोला- अगर कुछ नहीं करना था तो क्यों आई हो यहाँ? फिर वह चुप हो गयी। मैंने फिर से उसको बोला- अगर तू तैयार है तो ठीक … नहीं तो तू जा सकती है. 

उसने बोला- अभी पनिशमेंट लेनी है. मैं बोला- तो अब क्या कर सकते हैं? उसने पूछा- क्या करना होगा? तो मैं बोला- पहले नहा लेते हैं. वह बोली- पहले आप नहा लो, मैं बाद मैं नहा लूंगी. 

मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया. लेकिन मैंने अपने कपड़े बाहर ही रख दिये। थोड़ी देर बाद मैंने उसको आवाज दी- मेरे कपड़े पकड़ा दे। तो वह कपड़े लेकर आ गयी और बाहर से कपड़े देने लगी. तो मैंने उसका हाथ पकड़कर उसको अंदर खींच लिया। 

मैं तो पूरा नंगा था और शॉवर भी चालू था तो वह भीग गयी। उसी वक़्त उसकी नजर मेरे लंड पर गयी. उसने अपने हाथ अपने मुंह पे रखकर आँखें बंद की और वह बाहर जाने लगी. 

लेकिन मैंने उसको जाने नहीं दिया और बोला- पनिशमेंट लेनी है या नहीं? तो वह चुप हो गयी। फिर मैंने उसका हाथ छोड़ दिया। वह आँखें बंद करके खड़ी रही. फिर मैंने धीरे से उसका चेहरा पकड़ा और उसको आँखें खोलने के लिए बोला।

तो उसने धीरे से आंखें खोली। वैसे हम दोनों भीग गए थे तो मैंने उसको बोला- कपड़े निकालो, नहीं तो ठंड लग जायेगी। तो वह बोली- आप मुंह उधर करो, मुझे शर्म आती है. मैंने मुंह दूसरी तरफ किया तो उसने अपने कपड़े उतारे। 

फिर मैंने पूछा- हो गया? तो वह बोली- हो गया. लेकिन आप आंखें नहीं खोलना। मैं बोला- ठीक है लेकिन तू मेरे हाथ हाथ में लेगी और मेरे साथ नहायेगी. तो बोली- ठीक है। हम एक दूसरे के हाथ पकड़ कर खड़े रहे। 

फिर मैं बोला- ऐसे ही खड़े रहना है या फिर नहाना भी है? वह बोली- मेरी आंखें खुली हैं, मैं तो नहा रही हूँ. मैं बोला- तो मैं भी नहा लेता हूँ और तुम मुझे नहलाओ। 

वह बोली- नहीं। फिर मैं बोला- मैं आंखें खोल दूंगा. वह बोली- नहीं प्लीज़ आंखें बंद ही रखना, मैं करती हूँ. उसने मेरे शरीर पर साबुन लगाना शुरू किया; छाती पर, पीठ पर, पैरों पर … लेकिन जैसे ही उसके हाथ मेरे शरीर को लगा, मेरा लंड सलामी देने लगा। 

लेकिन मेरी आंखें बंद थी तो मैं देख नहीं सकता था। मैंने उसको कहा- प्लीज़ मुझे आंखें खोलने दो। मेरे आँख मैं साबुन चला गया है. तो वह बोली- ठीक है लेकिन आप मुझको छुओगे नहीं। मैं बोला- ठीक है … लेकिन तुम मुझे अच्छे से नहालाओ। 

वह बोली- ठीक है। मैंने सोचा कि अब मछली पूरी तरह चंगुल में आ गयी। मैंने आंखें खोली और पानी से मुंह धो दिया. और जैसे ही मैंने उसको देखा, मेरी तो हालत खराब हो गयी। एक गोरी कच्ची कली संगमरमर जैसा बदन, तीस इंच के बूब्स, भरी हुई गांड … और चूत ऐसी कि एक लाइन किसी ने खींची हो. 

और उस पर छोटे मुलायम बाल जैसे चूत की रखवाली कर रहे हों। जैसे ही मैंने उसे देखा तो वह बोली- जब तक मैं ना कहूँ, आप मुझे हाथ नहीं लगाएंगे। मैं बोला- ठीक है। 

फिर मैंने उसको बोला- अब मुझे साबुन लगाओ। उसने मेरे शरीर पर सब जगह साबुन लगाया लेकिन लंड को हाथ नहीं लगा रही थी. मैंने बोला- उसको भी लगाओ। वह बोली- मुझे शर्म आ रही है। 

मैं बोला- पूरा नहलाना पड़ेगा। वह बोली- ओके लगाती हूँ पर आपको फिर से आंखें बंद करनी पड़ेंगी। मैं बोला- ठीक है! और मैंने आंखें बंद कर ली। उसने मेरा लंड पकड़ा और लंड को साबुन लगाने लगी। 

उसके मुलायम हाथों का स्पर्श होते ही मेरा लंड खड़ हो गया। फिर मैंने धीरे से अपनी एक आँख खोलकर देखा तो वह मेरे लंड को देख रही थी और उसकी सांसें बहुत जोर से चलने लगी थी। मैंने उसको पूछा- कभी देखा नहीं क्या? 

वह बोली- देखा है लेकिन कभी हाथ में नहीं लिया। मैंने वही सवाल किया जो रानी को किया था- कभी किस किया या किसी के साथ सेक्स किया? वह बोली- सिर्फ देखा है कभी सेक्स नहीं किया। 

मैंने पूछा- कभी सेक्स करते देखा? तो उसने कहा- हाँ देखा है। मैंने पूछा- किसको देखा? वह बोली- अपनी बहन का देखा था जब जीजू उसको चोद रहे थे। 

मैंने पूछा- क्या तुम्हारा मन नहीं होता? वह बोली- होता है लेकिन डर लगता है. किसी को पता चला तो मेरी इज़्ज़त जायेगी। फिर मैंने उसका चेहरा अपने हाथ में लिया और पूछा- अभी कैसा लग रहा है? 

तो वह कुछ बोली नहीं, सिर्फ नज़रें झुकाकर मेरे लंड को हाथ में लेकर खड़ी थी. तो मैंने इन्तजार न करते हुए अपना हाथ उसके हाथ पर रखा जिस हाथ में मेरा लंड था और धीरे धीरे उसको आगे पीछे करने लगा। 

वह गर्म होने लगी और मेरी तरफ वासना भरी नजरों से देखने लगी. मुझे लगा कि अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं … तो मैं अपने ओंठ उसके ओंठ के सामने लेकर गया और धीरे से उसकी ओंठों पर किस किया। 

जैसे ही मैंने किस किया उसने मुझे जोर से पकड़ा और गले में पड़ गयी। हम दोनों नंगे थे तो दोनों के जिस्म गर्मी का अहसास देने लगे। हमने जैसे तैसे शरीर पानी डाला और पौंछ कर मैं उसको वैसे ही बाहर लाया और बेड पर लिटा दिया। 

उसको भी सेक्स की जरूरत थी. मैंने उसके शरीर के हर अंग को चूमना शुरू किया, फिर उसके चूचों को चूसना शुरू किया. उसने मेरे सिर को पकड़ा और छाती पर दबाने लगी. मैंने भी उसके दोनों बूब्स बारी बारी चूस के लाल कर दिये। 

वह बहुत गर्म हो गई थी. मैंने धीरे से एक हाथ उसकी चूत पर रख दिया और उसके चूत को सहलाने लगा। जैसे जैसे मैं उसकी चूत को सहला रहा था, वह ऊपर नीचे होने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू किया। 

वह भी मेरा लंड हाथ में लेकर हिलाने लगी। थोड़ी देर बाद उसने पानी छोड़ दिया और मेरा भी निकल गया। हम दोनों थके हुए थे। उसने मेरी आँखों में देखा और बोली- आज जैसा आनन्द मुझे कभी नहीं आया। 

मैं बोला- यह तो शुरुआत है, अभी और मजा आयेगा। थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उसके बूब्स सहलाना शुरू किया और उसके ओंठ चूसने लगा. धीरे धीरे उसको सेक्स चढ़ने लगा। मैंने उसको पूछा- लंड चूसना चाहेगी? 

तो उसने मना कर दिया, बोली- बाद में … पहले मेरी चूत की खुजली मिटाओ। मैं भी ज्यादा देर ना लगाते हुए उसकी टांगों के बीच आ गया और उसकी चूत को देखने लगा। फिर मैं अपनी जीभ से उसकी चूत चाटने लगा. 

वह बड़बड़ाने लगी- मुझे कुछ हो रहा है। मेरी चूत में अपना लंड डालो। फिर मैं उठा और उसकी गांड के नीचे तकिया डाल दिया तो उसकी चूत उभर कर आई। मैंने देर ना करते हुए अपना लंड उसकी चूत पर फिट किया और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। 

वह चूत उठाकर मेरा साथ देने लगी और बोली- अब और मत तड़पाओ, लंड घुसाओ! मैं बोला- थोड़ा दर्द होगा। वह बोली- पता है लेकिन अब डाल दो, मैं सहन कर लूंगी। 

तो मैंने उसकी दोनों टांग उठाई और मेरा लंड सेट किया और धक्का देने लगा. पर उसकी चूत इतनी छोटी थी कि लंड फिसल गया। मैंने थोड़ा थूक अपने लंड पर लगाया और उसकी चूत पर भी लगाया और लंड उसकी चूत पर सेट किया. 

उसको कुछ समझ आता, उसके पहले मैंने एक जोरदार धक्का लगाया. मेरा लंड उसकी चूत को चीरते हुए आधा अंदर गया। उसके मुंह से एक चीख निकली और वह मुझसे दूर होने लगी. 

लेकिन मैंने उसको जोर से पकड़े रखा और उसको किस करता रहा। तो वह थोड़ी नॉर्मल हुई. तबी मैंने और एक जोरदार धक्का दिया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। मुझे थोड़ा गीला गीला लगने लगा। मैं थोड़ा ऊपर उठा और देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था और आँखों से आँसू! 

थोड़ी देर मैं रुका और धीरे धीरे उसकी चूत में लंड को आगे पूछे करने लगा। कुछ देर बाद वह भी मेरा साथ देने लगी और नीचे से कमर उठा कर मजा देने लगी। 

फिर दस मिनट तक हम दोनों चुदाई का मजा लेते रहे. उस वक़्त तक उसने पानी छोड़ दिया। फिर मेरा भी होने लगा तो मैंने उसको पूछा- कहाँ निकालूं? वह बोली- अंदर ही डाल दो। 

मैं तुम्हारा पानी अंदर तक लेना चाहती हूँ। तो मैंने मेरे धक्के और तेज किये और उसकी चूत मेरे पानी से भर दी और मैं उसके ऊपर लेट गया। धीरे धीरे मेरा लंड सुकड़ने लगा और उसकी चूत से बाहर आया. 

मैं भी उसके ऊपर से उठ के उसकी बाजू में लेट गया। थोड़ी देर बाद उसने आंखें खोली और मेरी तरफ मुंह करके बोली- आई लव यू। यह वक़्त मैं जिंदगी भर नहीं भूलूंगी. 

आज तुमने मुझे लड़की से औरत बना दिया। और वह मुझे किस करने लगी। फिर मैं उठा और बाथरूम मैं गया। वापस आकर उसको भी उठाया. उसकी सील टूटी थी तो उसकी चूत सूज गयी थी और उससे चला भी नहीं जा रहा था. 

तो मैं उसको उठाकर बाथरूम लेकर गया और उसकी चूत को गर्म पानी से धो दिया। फिर उसको बेड पर लाकर सुला दिया। अभी सुबह के दस ही बजे थे और मुझे भूख भी लगी थी. 

तो मैंने उसको बोला- मैं कुछ खाने के लिए लाता हूँ, तब तक तू आराम कर। मैं बाहर से लॉक करके नाश्ता लाने गया. थोड़ी देर बाद मैं नाश्ता लेकर आया तो वह सो रही थी। मैंने उसको जगाया और हमने नाश्ता किया। मैंने उसको एक पेनकिलर गोली दे दी। 

सब सही करके हम फिर बाहों में बाहें डाले सो गए। उस पूरे दिन मैं मैंने उसको चार बार चोदा। इस प्रकार से मैंने Xxx नर्स सेक्स का मजा लिया दिन भर! फिर शाम को जब अंधेरा हुआ तो मैं उसको उसके रूम पर छोड़कर आ गया। 

रात को उसने फोन किया कि वह अब ठीक है और कल फिर सुबह आयेगी। मैंने पूछा- ऐसा क्यों? वह बोली- मैं कल की छुट्टी डाल दी और अब मुझको और चुदना है। मैं बोला- ठीक है। 

लेकिन मैं पूरा दिन तेरे साथ नहीं रह सकता. कल दिन में तू मेरे रूम पर रहना, जैसे मुझे वक़्त मिलेगा मैं रूम पर आऊंगा। वह बोली- ठीक है। और शुभरात्रि और पप्पी देकर फोन काट दिया.

सुबह जब उठा तो कल की चुदाई याद आ गयी। फिर मनीषा का ख्याल आया. उसने मुझे कहा था कि वह छुट्टी लेकर मेरे कमरे पर आयेगी. पर मैं ड्यूटी नहीं छोड़ सकता था तो मैं नहा धोकर जल्दी से अस्पताल पहुँचा। 

जाकर देखा तो मनीषा को सामने देखा. उसने भी मुझे देखा और शर्म से आंखें झुकाई। मैं थोड़ा हैरान था कि ये तू छुट्टी की बात कर रही थी और अब यहाँ ड्यूटी पर आई हुई है. पर मैंने उससे कुछ नहीं पूछा. 

थोड़ी देर हमने सब डिलिवरी वाली औरतों को देखा और राउंड खत्म करके हम अपनी जगह आ गए। मनीषा मेरे सामने से आ रही थी तो देखा कि वह थोड़ी धीरे धीरे और पाँव खोलकर चल रही थी. फिर वह मेरे सामने आकर बैठ गयी। 

मैंने धीरे से पूछा- पैर को क्या हुआ? वह बोली- पैर का दर्द नहीं, यह कल का दर्द है, पूरा बाजा बज गया है। अभी पेनकिलर खाकर आई हूँ। तब मैंने पूछा- कल कैसा लगा? वह बोली- बहुत दर्द हुआ लेकिन मजा भी बहुत आया। 

मैंने पूछा- अब आगे का क्या प्रोग्राम है? वह समझ गयी कि मैं चुदाई की बात कर रहा हूँ। तो वह बोली- अब नहीं। मैं बोला- ऐसा क्यों? वह बोली- कल की चुदाई से चूत सूज गयी है। जब तक ठीक नहीं होती तब तक आगे नहीं। 

तो मैंने उसको समझाया कि उसकी पहली चुदाई थी और सबके साथ ऐसा होता है। अब दोबारा सेक्स में दर्द नहीं होगा. फिर भी उसको सेक्स नहीं करना तो ठीक है. और मैं वहाँ से उठा और अपने काम करने लगा। 

उस दिन से हमारी दिन की ड्यूटी थी तो मैं छह बजे अपना सब काम खत्म करने के बाद दूसरे सीनियर डॉक्टर को सब समझा कर वहाँ से निकल कर रूम पर आया। मनीषा भी मेरे पीछे अपने रूम की तरफ निकल गयी। 

मैं रूम पर जाकर फ्रेश होकर बेड पर लेटा था कि खाना आ गया। खाना लेकर मैं फिर बेड पर लेट गया। मुझे मनीषा के साथ की हुई चुदाई याद आने लगी. फिर भी मैं क्या कर सकता था … उसने तो साफ मना कर दिया था। 

मैंने खाना खाया. तब तक नौ बज गये थे तो मैं सोने की तयारी कर रहा था. और थोड़ी देर में लेटे लेटे नींद आ गयी। आधे घंटे बाद मेरा फोन बजा और मेरी नींद उड़ी। मैंने फोन उठाया तो मनीषा का फोन आ रहा था। 

तो मैंने हैलो बोला. उसने पूछा- क्या कर रहे थे? मैं बोला- सो रहा था। वह बोली- मेरी याद नहीं आ रही क्या? मैं बोला- याद तो बहुत आ रही है लेकिन तुमने तो साफ मना किया। तो अभी क्या करूं। 

वह बोली- दरवाजा खुला छोड़ो, मैं आ रही हूँ। मैं बोला- झूठ मत बोल! वह बोली- दरवाजा खोलो, मैं बाहर खड़ी हूँ। पहले तो मुझे लगा कि वह मेरे साथ मसखरी कर रही है. लेकिन तभी दरवाजे की बेल बजी। 

तो मैं तो खुशी से पागल हुआ। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था. मैं तो चड्डी बेनियन पर था, वैसे ही दरवाजा खोलने गया। दरवाजा खोला तो देखा कि मनीषा सचमुच सामने खड़ी थी। वह मुझे देखकर हंसने लगी. 

मैंने पूछा- क्यों हस रही हैं? उसने उंगली से इशारा मेरी चड्डी की तरफ किया. मैं भी हंसने लगा और उसको जल्दी से अंदर खींचा और दरवाजा बंद किया. फिर मैंने उसको उठाकर बेड पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर हो गया। 

उसने मुझे देखा. मैंने उसको पूछा कि वह कैसे आ गयी। तो उसने बताया- मेरे मना करने से आपको बुरा लगा था तो मैं आ गयी। मैंने उसके आँखों की पप्पी ली। उसने आंखें बंद की. फिर मैंने धीरे धीरे गालों की, ओंठों की पप्पी लेनी शुरू की। 

धीरे धीरे वह गर्म होने लगी. मैंने हाथों से उसके बूब्स दबाने शुरू किये तो उसके मुंह से ‘आ आ हम्म …’ ऐसी आवाज आने लगी। फिर मैंने उसे उठाया और उसके कपड़े निकालने लगा। 

तो वह भी मेरी मदद करने लगी। धीरे धीरे वह पूरी नंगी हो गयी उसने मुझे बोला- आप भी निकालो. तो मैंने भी अपने कपड़े निकाले। अब हम दोनों नंगे थे। उसने बोला- बिजली बंद कर दो। मैं बोला- अब कैसी शर्म? 

हमने तो सब किया, तुमने भी मेरा सब देख लिया। फिर वह थोड़ा नॉर्मल हुई तो मैंने फिर एक बार उसको पूछा- तू तो आने वाली नहीं थी, फिर कैसे आयी? तो वह बोली- मैं सच में आने वाली नहीं थी लेकिन जब रूम पर गयी तो मुझको कल की चुदाई याद आ गयी तो मुझसे रहा नहीं गया और मैं आ गयी। 

सच में दोस्तो, चुदाई एक ऐसी चीज है कि एक बार करो तो बार बार करने की लत लग जाती है. फिर यह मनीषा तो अभी अभी जवानी में आई है। मैंने उसको पूछा- चूत का दर्द कम हुआ? 

तो वह बोली- अब ठीक है। लेकिन उसने कहा- आज चुदाई नहीं करेंगे। मैं बोला- ठीक है. मुझे मालूम है कि किसी लड़की की चूत पर अगर मुंह से चूसोगे तो कोई लड़की चुदाई को ना नहीं कर सकती. 

लेकिन अगर लड़की पटी हो तो ही … जबरदस्ती करने से कुछ नहीं होता। खैर मैंने उसको बोला- चुदाई नहीं तो ना सही, मुझे तेरी चूत का रस पीना है। वह मान गयी. लेकिन मैंने यह भी बोला- तुझे भी मेरा लंड चूसना होगा. 

वह इसके लिए भी तैयार हो गई। फिर हम एक दूसरे को चूमने लगे. मैं उसके उरोज दबाने लगा और धीरे धीरे धीरे से मैं उसके बूब्स पर टूट पड़ा, उसकी चूची चूसकर लाल कर दी. 

फिर धीरे धीरे मैंने उसकी नाभि पर किस किया और नाभि में जीभ डालकर उसको चाटना शुरू किया। फिर नीचे नीचे जाकर मैं उसके दोनों पैर के बीच आया और उसकी जाँघों पर धीरे से काटना शुरू किया. वह मुंह से आवाज करने लगी और उसने मेरे सिर को पकड़ लिया। 

मैंने उसकी चूत के उपर से एक उंगली फिराई तो उसने एक जोर से सांस ली. फिर मैंने उसकी चूत को धीरे से खोला तो उसकी चूत अभी भी लाल थी और उसका हाईमन फट गया था। 

मैंने चूत पर एक किस किया और जीभ निकाल कर उसकी चूत को चाटने लगा। वह भी मेरा सिर पकड़कर चूत पे दबाने लगी और मुंह से मेरा नाम लेकर बुलाने लगी। मुझे लगा कि वह अब तैयार है. 

मेरा लंड भी खड़ा हुआ था. तो मैंने अपनी जगह बदली और मेरे पैर उसके सर की तरफ करके ऐसे सेट हुआ कि मेरा लंड सीधा उसके मुंह के सामने आ गया. उसने भी देर न लगाते हुए गप्प से मेरी कमर पकड़ी और मेरा लंड मुंह में ले लिया। 

इधर मैं उसकी चूत चाट रहा था और उधर वह मेरा लंड चूस रही थी। वह नीचे से कमर उठाकर मुझे चूसने देने लगी थी और मेरा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे वह कोई लॉलीपॉप चूस रही हो। वह इतनी गर्म गो गई कि बोलने लगी- और जोर से चूसो। मैंने भी एक उंगली उसकी चूत में डाली और उसको अंदर बाहर करने लगा. 

उसको इतनी चुदास चढ़ गयी, वह बोल पड़ी- अब कुछ भी करो। मैंने फिर उसको पूछा- तुमने ही बोला था कि आज Xxx चूत चुदाई नहीं? 

वह बोली- भाड़ में जाए मेरा कहा, अभी तुम अपना लंड जल्दी से मेरी हॉट चूत में डाल दो, नहीं तो मैं मर जाऊंगी। मैं भी देर ना करते हुए सीधा हुआ, उसकी गांड के नीचे तकिया डाला और उसके दोनों पैर हवा में उठाये. 

फिर एक पैर छोड़कर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया। मैं उसको और थोड़ा तड़पाना चाहता था तो ऊपर से ही लंड को आगे पीछे करने लगा। वह बोली- जानू अब डाल भी दो यार! 

फिर मैंने धीरे धीरे लंड को उसकी चूत में डालना शुरू किया. उसकी चूत सूजी हुई थी तो मैं उसको और ज्यादा दर्द देना नहीं चाहता था। धीरे धीरे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया और मैं उसको धीरे धीरे चोदने लगा. 

जैसे जैसे मैं उसको चोद रहा था, धीरे धीरे वह भी नीचे से कमर ऊपर नीचे करती हुई मेरा साथ देने लगी। थोड़ी देर बाद वह बोली- तुम मेरे निप्पल चूसो। 

फिर बोली- पहले मुझे किस करना है. तो मैंने उसके पैर छोड़ दिये और उसके ऊपर लेट गया. हम किस करने लगे. 

उसने मेरी जीभ चूसी, ओंठों को चूसा. मैं भी नीचे से धक्के लगाते हुए उसके स्तन दबाने लगा, फिर चूसने लगा। उसने मुझे जोर से पकड़ा हुआ था, मेरी पीठ पर उंगली से नाखून गड़ाकर वह मुझे और जोर से चोदने को कहने लगी- जान आह आह … और जोर से … और जोर से करो। 

बहुत अच्छा लग रहा है, फाड़ दो मेरी चूत को! वह ऐसे बड़बड़ाने लगी। करीब आधा घंटा चोदने के बाद हम एक साथ झड़ गए और मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा। उस रात हमने तीन बार चुदाई की। मैंने उसको खड़ी करके भी चोदा, डॉगी स्टाइल में भी चोदा। फिर वह भी मेरे ऊपर आकर चढ़ गयी, रात में हमने जमकर चुदाई की। 

चार बजे वह उठी और मुझे कहने लगी- अभी मैं रूम पर जाती हूँ। सुबह ड्यूटी पर भी जाना है. थोड़ा आराम आप भी करो। हमने कपडे पहने, मैं उसे उसके रूम तक छोड़ने गया. मैं रूम पर छोड़कर वापस आने लगा तो उसने मुझे लिप किस किया और बोली- पांच दिन बाद मेरी माहवारी आने वाली है. 

तब तक मैं रोज आपके रूम पर आऊंगी। मैंने उसको गले से लगाया और मैं अपनी रूम पर आकर सो गया।

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