बुआ की नादान सेक्सी बेटी लड़की की XXX

Dilshad Ahmad


बुआ की नादान सेक्सी बेटी लड़की की XXX :- गाँव की लड़की, मेरी बुआ की बेटी जवान हो चुकी थी पर थोड़ी बचकानी बातें करती थी. वो सेक्स में रूचि लेना चाह रही थी शायद उसे इसके बारे में ज्यादा पता नहीं था. 

दोस्तो, आज मैं आपके सामने एक गाँव की लड़की की अनोखी सेक्स कहानी पेश करने जा रहा हूँ, जो आपको बहुत पसंद आएगी. 

यह सेक्स कहानी मेरी बुआ की लड़की सोनी का और मेरे बीच हुई अनचाही, अनोखी, अनजाने में हुई चुदाई की मनोरंजक कहानी है. 

घटना तब की है, जब मैं कॉलेज में पढ़ रहा था और छुट्टियां चल रही थीं. मैंने सोचा कि क्यों न इस बार भी मैं बुआ के घर ही चला जाऊं. 

तो मैंने बुआ को फोन करके बताया. वे खुश होकर बोलीं- कब आ रहे हो हर्षद? तो मैंने कहा- कल ही आता हूँ. ये बोलकर और कुछ इधर उधर की बात करके मैंने फोन रख दिया. 

अब मैं आपको अपनी बुआ के बारे में बताता हूँ. बुआ हमारे गांव से करीब पचास किलोमीटर दूर एक गांव में रहती हैं. उनकी उम्र कोई 45 साल की रही होगी. 

बुआ दिखने में खूबसूरत और सेक्सी फिगर वाली हैं. उनके पति सरकारी नौकरी में हैं. गांव में बड़ा सा दो मंजिल का घर है और खेती भी है. 

समय मिलने पर फूफाजी और बुआ खेत में भी काम करते हैं. उनका बड़ा बेटा भी सरकारी अफसर है और वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ एक बड़े शहर में रहता है. 

उसकी बहन सोनीका, उसे सभी प्यार से सोनी कहते हैं. बुआ की बेटी गांव में उनके साथ ही रहती है. सोनी दसवीं कक्षा तक पढ़ी है क्योंकि गांव में सिर्फ दसवीं कक्षा तक ही स्कूल था. 

उसके पापा उसे बाहर भेजकर कोई रिस्क लेना नहीं चाहते थे क्योंकि उसकी बुद्धि का विकास गाँव के हिसाब से ही हुआ था, उसमें कोई चालाकी होशियारी नहीं थी. 

सोनी अभी बीस साल की हो गयी थी लेकिन कभी कभी बचकाने सवाल पूछने लगती थी, बचकानी हरकतें भी करती थी. मगर इसी के साथ साथ वो घर के कामों में अपनी माँ का हाथ भी बंटाती थी, 

कभी कभी खाना भी बनाती थी. दिखने में वो अपनी माँ की तरह ही खूबसूरत है. उसकी फिगर 32-28-34 की है. कद साढ़े पाँच फुट का है. बाहर की दुनिया से अलग, उसकी सोच बच्चों की तरह है. 

मेरी और उसकी बहुत पटती थी. वह मुझसे खुलकर कुछ भी बेहूदा सवाल या अनचाही बातें करती रहती थी और मैं भी उसका समर्थन करता था. 

उसकी हरेक बात का जबाब देता था. वह मेरे साथ बहुत खुश और घुलमिल कर रहती थी. मैं दूसरे दिन ही पूरी तैयारी के साथ मतलब कुछ गिफ्ट वगैरह लेकर अपनी बाईक से बुआ के घर पर सुबह ग्यारह बजे ही पहुँच गया. 

मुझे देख कर बुआ और सोनी बहुत खुश हो गयी थीं. दोनों ने भी बारी बारी से गले लगाकर मेरा स्वागत किया. सोनी मेरे हाथ का बैग अन्दर लेकर चली गयी. बुआ बोलीं- हर्षद पहले फ्रेश होकर आओ, 

बाहर कितनी तेज धूप में से आया है. मैं हां कह कर फ्रेश होकर आ गया. तब तक सोनी मेरे लिए पानी और साथ में ठंडा शरबत लेकर आयी. 

मैं सोफे पर बैठकर बुआ से बात करने लगा. हम तीनों ही साथ में शरबत पीते हुए बातें कर रहे थे. सोनी मेरे बाजू में ही बैठी थी. बातों बातों में सोनी बोली- भैया तुम अकेले ही क्यों आए, भाभी को साथ में नहीं लाए? 

इस बात पर बुआ और मैं हँसने लगे. मैंने कहा- सोनी मैं अभी कॉलेज कर रहा हूँ. उसके बाद अच्छी जॉब मिलेगी. फिर मैं शादी करूंगा … समझी! 

सोनी खुश होकर बोली- हां समझ गयी भैया. लेकिन मैं कॉलेज क्यों नहीं जाती हूँ? बुआ उसकी बात सुनते ही खड़ी होकर मुझसे बोलीं- हर्षद अब तू ही समझा सकता है इसे! 

और बुआ अन्दर चली गईं. फिर मैंने उससे कहा- देखो सोनी, इस गांव में दसवीं कक्षा तक ही स्कूल है और कॉलेज बहुत दूर शहर में है. 

तुम इतनी दूर अकेली नहीं जा सकती ना! मेरी बातों से खुश होकर बोली- हां ये सही बात है भैया! फिर मैंने बुआ और सोनी को उनका गिफ्ट दिया. 

बुआ बोलीं- इसकी क्या जरूरत थी हर्षद. हर बार कुछ ना कुछ लेकर आते हो! सोनी ने अपना गिफ्ट खोलकर देखा, तो वो खुश होकर बोली- भैया बहुत सुंदर ड्रेस है. 

मै इसे पहन लूँ? मैंने कहा- हां देखो. मैं उसके लिए पिंक कलर की मैक्सी लाया था. वह ऊपर अपने कमरे में जाकर पहन कर वापस आयी तो सोनी उस मैक्सी में बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी. 

मैक्सी उसके गोरे बदन पर बहुत जंच रही थी. वह अपनी माँ को दिखाने किचन में गयी. सोनी सच में बहुत खुश हो गयी थी. 

फिर वह ऊपर जाकर चेंज करके आयी और बुआ को किचन में मदद करने लगी. खाना तैयार होने के बाद बुआ ने खाना लगाया और हम तीनों ने साथ में खाना खा लिया. 

बुआ और सोनी बर्तन माँजने लगीं. मैं ऊपर जाकर बेडरूम में आराम करने लगा. लेकिन गर्मी के कारण पंखे की हवा भी गर्म लग रही थी. मैंने अपने पूरे कपड़े निकाल दिए और सिर्फ अंडरवियर में ही बेड पर लेट गया. 

दोपहर के डेढ़ बजे थे, गर्मी अपने चरम पर थी. मैं आंखें बंद करके नींद आने की प्रतीक्षा कर रहा था. थोड़ी ही देर बाद सोनी अन्दर आ गयी, उसने दरवाजा आधा बंद कर दिया. 

वह बेड के पास आकर बोली- सो गए क्या भैया? मैंने आंखें खोल कर कहा- नहीं सोनी, गर्मी की वजह से नींद नहीं आ रही है. 

उसने स्लीवलैस शॉर्ट गाउन पहना था. वो अपना एक पैर मेरे कमर के ऊपर से निकाल कर बेड की दूसरी ओर रखकर बोली- भैया मैं तुम्हारे पास सो जाऊं? 

सोनी का एक पैर मेरे ऊपर से होकर दूसरी तरफ था और एक जमीन पर था. इस कारण उसका गाउन पूरा कमर तक ऊपर उठ गया था और उसकी चूत पैंटी के ऊपर से मेरे सोये हुए लंड के उभार पर दबाव डाल रही थी. 

मैंने झट से उससे कहा- हां सो जाओ, ये बेड तुम्हारा ही है ना! अब उसने दूसरा पैर ऊपर लिया तो उसका पूरा दबाव मेरे लंड पर आ गया. 

मेरे मुँह से आह निकल गई. सोनी बोली- क्या हुआ भैया! मैंने कहा- मुझे वहां पर दर्द हो रहा है, जहां पर तुम बैठी हो आह आह! 

सोनी उठकर मेरे बाजू में बैठकर बोली- भैया, लेकिन मुझे तो कुछ नहीं हुआ! मेरी तो बोलती बंद हो गयी कि अब इसे कैसे कहूँ! 

इतने में सोनी मेरी पैंट के उभार पर हाथ रखकर कहा- भैया यहां दर्द हो रहा है क्या? 

तो मैंने कहा- हां सोनी, तुम्हें पता नहीं क्या कि वो कितनी संवेदनशील जगह है? उसने कहा- मुझे नहीं पता भैया. मैं अभी देखती हूँ. 

इतना कहकर उसने मेरी अंडरवियर को झट से नीचे खींच दिया और मेरे सोये हुए लंड को दोनों हाथों में लेकर सहलाने लगी. 

मैंने अपने हाथ से उसके हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा- इसे मत सहलाओ सोनी, नीचे दर्द हो रहा है. मैंने अपनी अंडगोटियां सहलाकर उससे कहा- तुम्हारे बैठने से यहां दबकर दर्द होने लगा है. 

वो अपने एक हाथ से मेरी अंडगोटियां सहलाने लगी. मुझे अच्छा लग रहा था और वो दूसरे हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी. 

अब मेरा लंड तनाव में आने लगा था. वो बोली- अब कैसा है दर्द भैया? मैंने कहा- अब ठीक लगता है सोनी लेकिन ऐसा मत करो. तुम मेरी बहन हो ना, बहन अपने भाई के साथ ऐसा कुछ नहीं कर सकती है. सोनी, 

ये गलत है. लेकिन सोनी को मेरा लंड बड़ा होते हुए देखकर मजा आ रहा था. सोनी मेरा तना हुआ मोटा और लंबा लंड सहलाते हुए बोली- ऐसा क्यों भैया? 

हम भाई बहन ऐसा क्यों नहीं कर सकते? बताओ ना भैया? सोनी के इस अनोखे और बेहूदा सवाल से मैं हैरान सा हो गया था. 

अब इसे कैसे समझाऊं. तो मैंने कहा- देखो सोनी ऐसी हरकतें पति पत्नी, ब्वॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड, एक पराया मर्द या परायी औरत इनके बीच ही होती है … समझी! 

एक पल रुकने के बाद मैंने आगे कहा- अगर तेरी माँ ने हम दोनों को इस हाल में देख लिया तो वो दोनों को ही पीटेगी. उसने कहा- वो तो सो रही होगी अभी … वो अब पाँच बजे ही उठेगी और वैसे उसे कौन बताएगा? 

उसकी बातों से मैं हक्का-बक्का हो गया था. फिर उसने कहा- भैया इसे क्या कहते हैं? ये इतना मोटा और लंबा क्यों है? 

और मेरे पास ऐसा क्यों नहीं है? सोनी अब भी मेरा लोहे जैसा लंड मसल कर बातें कर रही थी. उसके सवालों से मैंने खुद से सवाल किया कि अब इसे कैसे समझाया जाए? 

एक पल सोचने के बाद मैंने उससे कहा कि वो मैं तुम्हें रात को बताऊंगा सोनी. अब इसे सहलाना छोड़ दो और सो जाओ. उसने लौड़े को सहलाना बंद कर दिया और मेरे पास लेट गयी. 

वो ऐसी लेटी थी कि उसका शॉर्ट गाउन कमर के ऊपर आ गया था. उसकी गोरी मखमल जैसी गदराई जांघें और उसकी काले कलर की पैंटी देखकर मेरा मन मचलने लगा था. 

लेकिन मैंने खुद को काबू में रखते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं. सोनी का एक हाथ अभी भी मेरी जांघों पर था और दूसरा हाथ उसने अपनी चूत पर पैंटी के ऊपर रखा था. 

वो अपनी चूत पर पैंटी के ऊपर से ही एक उंगली से खुजलाती हुई बोली- भैया देखा ना … मुझे यहां पर कुछ काट रहा है. 

मुझे खुजली होने लगी है. मैंने उठकर उसका हाथ हटाकर अपने एक हाथ पैंटी के ऊपर से ही चूत पर रखकर कहा- यहां खुजली हो रही है क्या? 

तो वो हां बोली. मैंने उसकी पैंटी नीचे घुटनों तक उतार दी और देखा कि उसकी चूत पर घने बालों का जंगल है. मैंने सोचा कि ये कैसी लड़की है. 

फिर मैंने उसके बालों को हटाकर उभरी और फ़ूली हुई उसकी कुंवारी चूत के मुँह पर उंगली रखकर सोनी से पूछा- यहां पर खुजली हो रही है ना सोनी? 

मेरी उंगली रखने से उसके मुँह से आह निकल गयी और वो बोली- हां भैया. उसकी चूत गीली हो गयी थी. मैं आहिस्ता से अपनी उंगली चूत में डालने लगा तो सोनी मादक सिसकारियां भरने लगी थी. 

उसकी आंखें बंद हो गयी थीं. मैंने आहिस्ता आहिस्ता पूरी उंगली उसकी छोटी सी चूत में डाल दी, तो सोनी ने आह आ स् स्स स्ह स्सस की मादक सिसकारियां भरते हुए मेरा हाथ पकड़ लिया. 

वो बोली- ऐसे ही अन्दर रहने दो, बहुत सुकून मिल रहा है. अब खुजली भी बंद हो गयी है भैया. मैं वैसे ही उंगली चूत में रखकर उसके पास लेट गया. 

सोनी ने भी एक हाथ में लंड पकड़ लिया था और वो भी लेटी थी. कुछ मिनट बाद मैंने आहिस्ता से अपनी उंगली चूत से बाहर निकाली तो सोनी की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई. 

शायद वो सो गयी थी. फिर मैंने उसके हाथ से मेरा लंड छुड़वा कर अंडरवियर ऊपर चढ़ा ली और सोनी की पैंटी और उसका गाउन भी ठीक कर दिया. 

मैं फिर से लेट गया और सोनी के बारे में ही सोचता रहा. इसे खुद को अपने अच्छे बुरे का ख्याल नहीं है. इसे तो सेक्स और गुप्तांगों के बारे में भी पता नहीं है. 

फिर ये सब ही सोचते हुए कब मेरी आंख लग गयी, मुझे पता ही नहीं चला था. जब मेरी आंख खुली तो शाम के साढ़े पांच बजे थे. मैंने झट से उठकर सोनी को भी जगाया और हम दोनों फ्रेश होकर नीचे चले गए. 

मैंने देखा कि बुआ चाय बना रही थीं. बुआ हमें देखकर बोलीं- अच्छा हो गया कि तुम दोनों आ गए, नहीं तो मैं तुम्हें बुलाने आने वाली थी. अब बैठो मैं चाय देती हूँ. 

हम दोनों सोफे पर बैठ गए और बातें करने लगे. बुआ चाय लेकर आईं और हम तीनों चाय पीते हुए बातें करने लगे. मैंने बुआ से कहा- बुआ, तुम्हारे गांव का माहौल काफी अच्छा है. 

चारों तरफ हरियाली और हरे-भरे पेड़, हरी-भरी खेती है. ये देखकर लगता है कि यहीं रह जाऊं. बुआ हंस कर बोलीं- तो रहो ना … तुम्हारा मन करे, तब तक रहना. 

ये भी तुम्हारा ही घर है. अब जरा तुम दोनों घूम आओ. सोनी को भी अच्छा लगेगा. इसकी ना तो कोई सहेली है और ना ही कोई दोस्त है. अकेली रहते हुए इसे दुनिया के तौर तरीके, रहन सहन की कोई परवाह ही नहीं है. 

इसे जरा अच्छे से समझाओ और सब सिखाओ. तुम उसी के उम्र के हो और तुम ही इसे समझा सकते हो हर्षद. मैंने बुआ से कहा- तुम चिंता मत करो बुआ, जब तक मैं यहां हूँ … 

मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा कि ये सब कुछ सीख जाए. तब मैंने सोनी का हाथ पकड़ कर कहा-सीखोगी ना सोनी? सोनी हंस कर बोली- हां भैया, 

तुम ही मुझे सब कुछ अच्छी तरह से समझा सकते हो! मैंने कहा- तो अब चलो, बाहर चलते हैं. बुआ से कह कर हम दोनों बाईक पर निकल पड़े. गांव के बाहर आते ही मैंने बाईक रोक दी. 

सोनी मेरे पीछे अपने दोनों पैर एक बाजू लटका कर बैठी थी. शायद वो शरमाती होगी या उसे पता नहीं था. मैंने उससे कहा- जैसे मैं बैठा हूँ, मेरे पीछे वैसे ही बैठ जाओ. उसने पंजाबी ड्रेस पहना था तो वो आराम से बैठ गयी. 

मैंने उसका एक हाथ अपने कंधे पर रखवाया और दूसरा कमर पर रखवाते हुए उससे कहा- अच्छे से पकड़ कर बैठना सोनी! बाईक पर हमेशा ऐसे ही बैठा करो समझी! 

सोनी ने मुझे अपने हाथों से पकड़ कर कहा- हां भैया, समझ गई … अब चलो. हम दोनों निकल पड़े. रास्ता कच्चा था तो बार बार ब्रेक मारना पड़ रहा था. हर बार झटका लगता तो सोनी मेरे ऊपर आ जाती थी. 

उसके उभरे हुए और नोकदार चूचे मेरी पीठ पर रगड़ कर मुझे बाद सुख दे रहे थे. एक बार तो एक गड्डे में बाईक गयी तो सोनी जोर से मेरी ऊपर आ गई और उसका कमर वाला हाथ छूट कर सीधे मेरी जांघों के बीच में मेरे लंड के उभार पर आ गया. 

सोनी ने जोर से वहां पकड़ कर रखा. थोड़ी देर बाद अच्छा रास्ता मिल गया, तो मैं तेज गति से बाईक चलाने लगा. सोनी मुझसे जोर से चिपककर बोली- भैया, कितनी तेज चला रहे हो, मुझे डर लगता है. 

मैंने कहा- डरो मत, मुझे पकड़ कर बैठो. सोनी का हाथ मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही पकड़ कर जाँघ पर रखा था. वो आहिस्ता से लंड पर अपनी उंगलियां चला रही थी जिस वजह से ना चाहते हुए भी मेरा लंड तनाव में आने लगा था. 

मैं उसे रोक नहीं सकता था. सोनी ने अपना सर मेरे कंधे पर रखा था. उसको शायद मजा आ रहा था, वो मेरे कान में बोली- भैया ये तुम्हारा बड़ा हो रहा है … ऐसा क्यों हो रहा है? 

मैंने कहा- तुमने उसे पकड़ा है, इसलिए वो खड़ा हो गया है. ‘अच्छा अब मैं समझी, दोपहर को भी जब मैं इसके साथ खेल रही. तभी भी ये तनकर खड़ा हो गया था.’ 

मैंने कहा- हां सोनी, अब उसे छोड़ो. हम शहर में आ चुके हैं. उसने हाथ हटा दिया. मैंने एक मॉल के सामने बाईक लगायी और हम दोनों अन्दर चले गए. मैंने एक लेडीज रेजर, शेविंग क्रीम, आफ्टर शेव लोशन, लेडीज डिओ, परफ़्यूम खरीद लिया. 

मैंने सोनी से कहा- तुम्हें कुछ लेना है तो ले लो सोनी. उसने कहा- मुझे ब्रा-पैंटी और व्हिसपर का पैकेट लेना है. हमने वो सब ले लिया. 

फिर चॉकलेट यदि लेकर हम दोनों वहां से निकल पड़े. उसके बाद एक आईसक्रीम पार्लर में जाकर आईसक्रीम खाई और एक फैमिली पैक भी ले लिया. मैंने सोनी से पूछा- और कुछ लेना है क्या? 

सोनी बोली- कुछ नहीं भैया. मैंने कहा- क्यों न हम सबके लिए होटल से खाना पार्सल करवा कर जाएं? सोनी बोली- हां यह ठीक रहेगा भैया, लेकिन मम्मी को फोन करके बताना पड़ेगा. नहीं तो वो खाना बना लेंगी. 

मैंने कहा- पापा कितने बजे आते हैं? उसने कहा- आठ बजे आते हैं. मैंने कहा- अभी तो अपने पास काफी समय है. तुम मम्मी को फोन लगाओ. उसने फोन करके बुआ को बता दिया और हम एक अच्छे से होटल में गए. 

उधर मेन्यू कार्ड लेकर और सोनी से पूछ कर सब ऑर्डर किया. आधा घंटा में हमारा पार्सल तैयार हो गया. मैंने पैसे देकर पार्सल लिया और हम निकल पड़े. 

अब सोनी ठीक से मुझसे चिपक कर बैठ गयी थी. वो समझ गयी थी कि बाईक पर कैसे बैठना होता है. रास्ता अच्छा था इसलिए मैं बाईक तेज गति से चला रहा था. थोड़ी देर बाद फिर कच्चा रास्ता आया तो मैं आहिस्ता से बाईक चलाने लगा. 

अब अंधेरा भी होने लगा था. हम दोनों ठीक आठ बजे घर पहुंचे तो फूफा जी भी आ गए थे. सोनी हमारे लिए खरीदा हुआ सामान ऊपर के कमरे में लेकर चली गयी और मैंने बाकी खाने का पार्सल आदि बुआ के पास रख दिया. 

वे बहुत खुश हो गयी थीं. फूफा जी भी मेरे आने से बहुत खुश थे. वे बोले- फ्रेश होकर आओ हर्षद, फिर हम आराम से बातें करेंगे. मैं ऊपर जाकर फ्रेश होकर चेंज करके नीचे आ गया. 

सोनी मेरे से पहले ही चेंज करके नीचे आ गई थी. मैं फूफा जी के पास सोफे पर बैठकर बातें करने लगा. इधर उधर की बातें करते समय कैसे बीत गया, कुछ पता ही नहीं चला. 

इतने में बुआ ने आवाज दी. साढ़े आठ बज गए हैं. मैं खाना लगा देती हूँ! तो फूफा जी बोले- हां लगा दो, बहुत भूख लगी है. सोनी और बुआ हम सबके लिए खाना परोसकर बाहर ले आयी और हम सब डायनिंग टेबल पर आ गए. 

सोनी भी बुआ की मदद कर रही थी. हम सब मिलकर खाने का स्वाद लेने लगे. बुआ बोलीं- खाना बहुत ही स्वादिष्ट और टेस्टी है हर्षद! मैंने कहा- ये सब तो सोनी की पसंद का है. 

मुझे नहीं पता था कि आपको क्या पसंद है. इस बात पर फूफा जी खुश होकर बोले- अरे वाह, सोनी तो बहुत होशियार और समझदार हो गयी है. सोनी बोली- तो बेटी किसकी है? 

उसकी बात पर हम सब हंसने लगे. सोनी बोली- अब भैया आया है ना, वो मुझे बहुत कुछ बातें समझाता भी है और सिखाता भी है. फूफा जी बोले- तेरा भैया जब तक यहां है, तुम उससे सब कुछ सीख लेना. 

तुझे जो भी सवाल है, उसी से पूछना. वो तुम्हें बहुत खूब अच्छे तरीके से समझाएगा. वो बहुत होशियार है … इंजीनियर है वो! 

ऐसे ही बातें करते करते हमारा खाना खत्म हो गया. मैं और फूफा जी हाथ धोकर सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगे. थोड़ी देर बाद बुआ और सोनी काम खत्म करके आईं और हमारे साथ ही बैठकर टीवी देखने लगीं. 

टीवी देखते हुए ही सोनी बोली- भैया, क्या मैं सबके लिए आईसक्रीम ले आऊं? मैंने कहा- हां ले आओ. फूफा बोले- हर्षद, मुझे तो आईसक्रीम बहुत पसंद है. 

बहुत दिनों से खाई भी नहीं. सोनी सबके लिए आईसक्रीम ले आयी और हम सबने हंसी मजाक करते करते आईसक्रीम खत्म की. थोड़ी देर बाद बुआ बोलीं- हर्षद, अब बहुत देर हो चुकी है. 

तुम दोनों ऊपर जाकर आराम से सो जाना. इन्हें भी सुबह ड्यूटी पर जाना है. मैं ऊपर चला गया. सोनी आईसक्रीम के बर्तन धो रही थी. मैंने ऊपर आकर टी-शर्ट और पैंट उतार दी और सिर्फ अंडरवियर ही पहने बेड पर बैठ गया. 

इतने में सोनी भी आ गयी, उसने दरवाजा बंद कर दिया और चेंज करने लगी. उसने स्लीबलैस शॉर्ट गाउन पहनकर अपनी पैंटी और ब्रा निकाल दी. 

वो ये सब मेरे सामने ही कर रही थी. मैंने उससे कहा- सोनी ऐसे किसी लड़के या पराए मर्द के सामने चेंज नहीं करते! सोनी बोली- तुम तो मेरे भैया हो ना? पराये थोड़े ही हो! 

अब तुमसे कैसी शर्म? अब मैं कैसे उसे समझाता, मेरे ही समझ में नहीं आ रहा था कि किस तरह से कहूँ! मैंने उसकी बात काटते हुए कहा- इधर आओ मेरे पास! 

ये कह कर मैं बेड के किनारे बैठ गया. सोनी मेरे पास आयी तो मैंने कहा- अपने हाथ ऊपर करो उसने दोनों हाथ ऊपर किए, तो मैंने उसके कांख के बालों को सहलाया और उसका शॉर्ट गाउन ऊपर करके चूत के बालों को उंगलियों से सहला कर कहा- देखो, कितना गंदी रहती हो तुम. 

तेरी सहेलियों ने इसे साफ करना तुम्हें नहीं सिखाया क्या? इससे पसीना आ जाता है और बदबू भी आती है. 

सोनी मासूमियत से बोली- मेरी एक सहेली ने बताया तो था लेकिन साफ कैसे करते हैं, ये मुझे नहीं पता भैया. तुम ही बताओ ना! मैंने कहा- हमने जो सामान खरीदा है, वो लेकर आओ. 

मैं तुम्हें सिखाता हूँ. सोनी वो सारा सामान लेकर आयी तो मैंने कहा- अपना गाउन निकालो और मग में पानी लेकर आओ. वो पानी लाई और कहा- अब तुम भी अपना अंडरवियर निकाल दो. 

मुझे अकेली नंगी होना अच्छा नहीं लगता. इतना कहकर उसने मेरी अंडरवियर खींचकर निकाल दी. मैंने उसके हाथ ऊपर किये और दोनों कांखों में क्रीम लगा दी. 

फिर ब्रश पानी में भिगोकर उसकी एक कांख में ब्रश से झाग बनाने लगा. वह अपनी कमर हिलाकर बोली- भैया, गुदगुदी हो रही है. उसकी इस हरकत से उसकी गांड का कुछ हिस्सा मेरे लंड को रगड़ रहा था तो मैंने उससे कहा- हिलो मत, शांत खड़ी रहो. 

मैंने सोनी को रेजर दिखाकर कहा- इससे बाल साफ करते हैं. अब देखो मैं कैसे करता हूँ, फिर तुम्हें ही ये काम करना है. 

सोनी बोली- ठीक है, मैं देखती हूँ तुम करो भैया. मैं उसकी कांख में रेजर चलाने लगा तो सोनी की कमर मेरे आधे तने लंड को अपनी चमड़ी की रगड़ से सहला रही थी. 

कुछ ही देर में मैंने उसकी एक कांख साफ करके चिकनी बना दी. फिर हाथ से पानी लगाकर कपड़े से पौंछ दिया. इसी बीच मेरा लंड पूरे तनाव में आकर झूलने लगा था. 

अब मैं दूसरी कांख में ब्रश से झाग बनाने लगा तो फिर से सोनी अपनी कमर हिलाकर हंसने लगी. फिर से उसकी कमर मेरे लंड को सहलाने लगी थी, तो मुझसे ना रह गया. 

मैंने उससे कहा- सोनी ऐसा मत करो ना … देख मेरा कितना कड़क हो गया है! मेरे कहने पर उसने दूसरे हाथ से लंड पकड़ कर कहा- तुम्हारी नुन्नी जरा सा छूने से इतनी बड़ी कैसे हो गई? 

मैंने उसकी दूसरी कांख में रेजर चलाते हुए कहा- छोटे बच्चे की जो होती है, उसे नुन्नी कहते हैं और इसे लंड कहते हैं. सोनी- अच्छा मुझे अब मालूम हुआ, नहीं तो मेरी सहेली ने उसके दोस्त की नुन्नी की फोटो मोबाईल में दिखाई थी. 

वो बोली थी कि ये पांच इंच की है. मैंने कहा- हां तो अब इसे क्या कहोगी बताओ? सोनी हंस कर बोली- अब मैं इसे लंड ही कहूँगी भैया. मैंने उसकी कांख साफ करके चिकनी बनायी और उसे टेबल पर लिटा दिया. 

फिर उसकी गांड के नीचे बड़ा सा पेपर रख कर उससे जांघें फैलाकर रखने को कहा. उसने झट से अपनी दोनों जांघें विपरीत दिशा में फैला दीं. 

पहले मैंने कैंची से उसकी चूत पर उसे हुए लंबे बालों को काटकर छोटे कर दिए. फिर चूत पर हाथ से पानी लगाने लगा, तो सोनी आह भरती हुई मेरे हाथ को पकड़ने लगी. 

मैंने उसकी ओर देखा तो वो बोली- भैया ऐसे मत करो ना … मुझे कुछ कुछ हो रहा है! मैंने कहा- थोड़ा सह लो. थोड़ी ही देर में मुझे तुम्हारी चूत को चिकनी बनानी है ना! 

वो कुछ नहीं बोली. फिर मैं क्रीम लगाकर ब्रश चूत पर घुमाने लगा, तो उसने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी गांड हिलाते हुए बोली- मत करो ना … वहां पर बहुत खुजली होने लगी है भैया! 

मैंने उसके हाथ हटाकर कहा- बस हो गया. अभी दो मिनट रुको सोनी! यह कहकर मैं रेजर चलाने लगा और दो मिनट में ही उसकी चूत को चिकनी बना दिया. 

मैंने उसकी चूत को पानी से साफ किया और कपड़े से पौंछ दिया. चूत की झांट की सफाई से वो एकदम से गनगना आई थी और मेरा हाल भी बुरा हो गया था.


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