पड़ोस की लड़की को पटा कर रोमांस किया

Dilshad Ahmad


दोस्तो, मेरा नाम अवि है. मैं कानपुर का रहने वाला हूँ. मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती है, जिसका नाम सिमरन है. वह अभी 21 साल की है. सिमरन दिखने में एकदम गोरी है, उसका साइज 32-28-34 का है. उसके बूब्स देख कर किसी का भी लौड़ा खड़ा हो जाए.

मैं अपने बारे में भी बता देता हूँ. मैं 22 साल का हूँ. मेरे लौड़े का साइज सामान्य है. यह 5.9 इंच का है. मेरी इमेज मेरे पास पड़ोस में बहुत अच्छी है; सब मुझ पर बहुत विश्वास करते हैं.

एक दिन की बात है, मेरे पड़ोस की भाभी ने कहा कि सिमरन की तबियत ठीक नहीं है, इसकी दवा करा दो. मैंने उसे बाइक में बैठाया और ले गया. वापस आते समय उसके बूब्स मेरे पीठ पर टच हो रहे थे. मुझे अजीब सा लग रहा था.

मैं उसे उसके घर छोड़ कर चला गया. उसके बाद मैं उसे अजीब नज़रों से देखने लगा. देसी लड़की फर्स्ट कहानी की शुरुआत हो गयी. एक दिन वह छत पर खड़ी थी तो मैं बात करने लगा. मैंने कहा- क्या बात है, आज बहुत अच्छी लग रही हो! वह हंसने लगी.

हँसते समय वह क्या मस्त माल लग रही थी, मेरा तो लौड़ा खड़ा होने लगा था. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बोल दिया- तुम जिसकी बीवी बनोगी, वह बहुत खुश रहेगा! वह बोली- हट.

वह हंस कर चली गई. दो दिन बाद मेरी बहन का जन्म दिन था, तो वह भी आई थी. उसने डांस किया, मैं उसे देखता रहा और उसका वीडियो बनाता रहा.

उसके बाद जब वह जाने लगी तो बोली- अवि, मेरे वीडियो मुझे भेज दो. मैंने कहा- अपना नंबर दे दो. उस दिन मुझे उसका नंबर मिल गया. अब हम दोनों की बातें होने लगीं.

इन्हीं बातों के जरिए हम दोनों काफी अच्छे दोस्त हो चुके थे. वह भी शायद मुझे पसंद करने लगी थी. एक दिन मैंने हिम्मत जुटा कर बोल ही दिया- सिमरन, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. मुझे लग रहा कि मुझे तुमसे प्यार हो गया है. वह बोली- सच्ची! मैं बोला- हां.

वह तुरंत बोली- मैं भी तुम्हें बहुत पसंद करती हूँ. इस तरह से हम दोनों के बीच प्रेम बढ़ने लगा. उसके बाद काफी बातें हुईं. फिर मैंने उसे एक दिन अकेले में छत पर बुलाया. हम दोनों की छत एक साथ लगी हैं. उसकी छत पर एक कमरा भी बना है.

वह अपनी छत पर थी और मैं अपनी छत पर था. वह मेरे पास आ गई. हम दोनों एक दूसरे को देखते रहे. उसके बाद मैंने इधर उधर देखा और तुरंत किस कर दिया. मेरी तो पूरे शरीर में कंपन सा होने लगा था. मुझे डर भी लग रहा था.

वह बोली- अभी नहीं, रात को मिलते हैं. अब मुझसे रात का इंतज़ार हो ही नहीं रहा था. किसी तरह से शाम हुई. फिर रात को 10 बजे हम दोनों छत पर आ गए और आते ही किस करना शुरू कर दिया.

कुछ देर के बाद मैंने उसके पेट में हाथ लगाया, तो क्या मुलायम पेट था. अब मैं उसके पेट से हाथ को धीरे धीरे बूब्स की तरफ बढ़ाने लगा.

वह मुझे और तेजी से किस करने लगी. उसके मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए. काफी देर तक यह सब चलता रहा. उसके बाद मेरा मूड सेक्स करने का हो गया था.

पर हम अलग अलग छत पर थे तो मैं क्या कैसे करता. मैं उसी जगह रह कर उसके लोअर को हल्का सा नीचे कि हटा कर पैंटी में हाथ डालने लगा. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- ये सब नहीं प्लीज. मेरा तो खून खौल गया.

मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी बुर पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा. वह मुझे किस करने लगी. अब वह भी गर्म होने लगी थी. मैं तुरंत उसकी छत पर आ गया और उस गोद में उठा कर उसकी छत पर बने कमरे में ले गया.

उधर उसने एक तख्त पर बिस्तर बिछाया हुआ था. मैंने उसे उसी तख्त पर लेटा दिया. वह बोलने लगी- तुम चले जाओ, कोई आ जाएगा! मैं बोला- अब रहा नहीं जाता … आज तो अमृत पान करके ही जाऊंगा.

वह हंस दी और मैंने उसके टॉप को हटा दिया. उसने लाल रंग की एक रेशमी ब्रा पहनी हुई थी. मैंने उसको भी उतार दिया और उसके एक दूध के निप्पल पर अपने मुँह को लगा दिया.

मेरे होंठों का स्पर्श पाकर वह मादक आवाज से सीत्कार करने लगी. मैं उसके निप्पल को अपने होंठों से दबा कर पीने लगा. अब वह भी गर्म हो गई थी तो आह आह करती हुई मजा लेने लगी.

उसका एक हाथ मेरे सर पर आ गया और वह अपने निप्पल को चुसवाने का मजा लेने लगी. मैंने उसे दोनों दूध अपने होंठों से चूसे और दबाए. वह मेरे सर को अब नीचे को दबाने लगी थी. मैं समझ गया और मैंने उसकी पैंटी उतार दी.

उसने एक बार भी नहीं रोका. चड्डी हटने के बाद मैंने उसकी बुर को देखा तो एकदम गुलाबी पीस मेरे सामने था.
मैं उसकी चिकनी और नर्म गुलाबी बुर को देखता ही रह गया. वह अपनी टांगों से अपनी बुर को छुपाने लगी. मैंने तुरंत उसकी दोनों टांगों को हाथ से अलग अलग किया और बुर को हाथ से सहलाने लगा.

वह कसमसाने लगी और बोली- अब डाल भी दो न … मुझसे रहा नहीं जा रहा है. देसी लड़की मचल रही थी पर मैं इतनी जल्दी कैसे लंड डाल देता. मैं अभी उसकी बुर का रस पीना चाहता था. वह कमसिन कली थी और मैंने पढ़ा था कि कुंवारी बुर का रस पीने वाला कोई बिरला ही होता है.

यह बात मेरे दिमाग में जैसे ही आई, मैंने उसकी बुर के साथ खेलना शुरू कर दिया. मैं उसकी बुर की पुत्तियों को अपने हाथ से सहला रहा था.

उसकी बुर की फांक से रस की बूंद निकलने का इंतजार कर रहा था. मैंने जैसे ही उसकी फांक में दबा हुआ दाना छुआ, उसकी बुर से रस छलछला उठा. झट से जीभ लगा कर मैंने उसकी बुर का रस चाट लिया. आह … एकदम खट्टा सा नमकीन रस मेरे अन्दर झनझनी पैदा करता चला गया.

मैं उसकी बुर को अब बुरी तरह से चाटते हुए खाने लगा था और वह झड़ने के बाद तुरंत ही गर्मा गई थी. वह मुझसे बार बार चोदने के लिए कह रही थी मगर मैं उसकी बुर को चाटने का मजा लेने में लगा था. अब उसे गुस्सा आ गया था और वह मुझे धक्का देकर उठ गई.

उसने मेरा लोवर नीचे खींच कर उतार दिया और साथ ही अंडरवियर भी निकाल दिया. वह मेरे टनटनाते लौड़े को सहलाने लगी. मैंने कहा- मुँह में ले ले! पर वह मना करने लगी.

उसने मुझे अपने ऊपर चढ़वा लिया और आधी उठ कर अपनी बुर को मेरे लौड़े पर रखने लगी. उसे पकड़ कर मैंने वापस गिरा दिया और अपने लंड को सीधा बुर के मुख पर लगा दिया.

मैंने एक जोरदार धक्का मारा, तो लंड बुर फाड़ कर अन्दर घुस गया. अभी वह चिल्लाने ही वाली थी कि मैंने उसका मुँह दाब दिया. उसकी बुर से खून निकलने लगा.

मैंने लंड को धीरे से बाहर निकाला और फिर से डाला. वह ‘अह अह आह ऊई ई मार डाला …’ कह रही थी और दर्द भरी आवाजें निकालने लगी थी.

मैंने धीरे धीरे करके लंड अन्दर डाला और अन्दर बाहर करता रहा. कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा. उसके बाद मैंने स्पीड बढ़ाई और धकापेल चुदाई की रेल चला दी. वह भी मस्त होकर चुदवा रही थी.

कुछ देर बाद मैंने सारा माल उसके अन्दर ही गिरा दिया और लंड बाहर निकाल लिया. उसे पता नहीं क्या हुआ, वह मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी. अब तो वह मजे से लंड चूस रही थी और पाँच मिनट तक बिना रुके चूसती रही.

मेरा फिर से माल निकलने वाला हो गया था. मैंने कहा- रुक जा … रस निकलने वाला है. वह कुछ नहीं बोली बस लंड चूसती रही

मुझसे भी कब तक रुका जाता … मैंने उसके मुँह में ही वीर्य की पिचकारियां मारना शुरू कर दीं. लंड उसके गले तक घुसा हुआ था, तो उसने लंड रस अपने मुँह में लेकर खा लिया.

मेरा लंड किसी गन्ने के जैसे चुस गया था और एकदम ढीला हो गया था. पर वह रुकी ही नहीं, लगातार चूसती रही. अब मेरी हालत खराब हो रही थी लेकिन वह लंड छोड़ ही नहीं रही थी.

मैंने जबरन उसके मुँह से लंड निकाला और कड़क हो चुके लंड को वापस उसकी बुर में लगा दिया. वह भी बुर खोल कर पसर गई और मैंने उसकी चुदाई चालू कर दी. मैंने कुछ देर बाद लंड का माल बुर में ही निकाल दिया.

अब मैं उससे अलग हुआ और अपनी चार उंगलियों को एक साथ उसकी बुर में डालने लगा. वह दर्द से कराह कर बोली- अब नहीं. मैं नहीं रूका, उसको बताने लगा- साली, समझ में आया कि झड़ने के बाद कैसा लगता है, जब मैं मना कर रहा था, तो तुझे मस्ती सूझ रही थी.

वह हँसती हुई हाथ जोड़ने लगी- अब याद रहेगा जानू, प्लीज छोड़ दो. मैंने उसे प्यार से चूमा और कपड़े पहन कर अपने घर की छत पर आ गया. यह सब अब मौका मिलते ही छत वाले कमरे में होने लगा.

मैंने उसे उसके घर में भी जाकर खूब चोदा. लेकिन वह अभी अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार नहीं हुई है. एक दिन उसकी फैमिली कहीं बाहर गई थी; वह घर में अकेली थी और सो रही थी.

मैं छत के रास्ते से उसके घर में आ गया और उसकी बगल में लेट गया. मैंने कंबल उठाया तो देखा कि उसने कुछ पहना ही नहीं था. वह घर में अकेली थी इसलिए शायद लंड की खुराक पाने के चक्कर में बिना कपड़े पहने लेटी थी.

मैंने मौका का फायदा उठाना चाहा. उसकी गांड के छेद पर लंड रख कर करारा धक्का मार दिया. लंड गांड में घुसा तो वह आह मर गई … कौन है!’ कहती हुई उठ गई. मैंने कहा- सो जा मेरी जान … यह मैं हूँ.

मैं लंड को उसकी गांड में अन्दर बाहर करने लगा. वह रोती हुई बोली- बहुत दर्द हो रहा है … निकालो. पर मैं पेलता रहा.

उसे गांड मरवाने में कुछ खास मज़ा नहीं आया पर मुझे बहुत आ रहा था. जब उसकी नींद खत्म हुई, तब वह थोड़ा मूड में आई. अब वह मुझे लेटा कर मेरे लौड़े पर झटके से बैठ गई और ऊपर नीचे करने लगी.

काफी देर की पेलाई के बाद अब उसे वाशरूम जाना था. मैं भी साथ चला गया. उसने मेरे सामने अपनी गांड कर दी. मैंने पानी चालू कर दिया.

हम दोनों भीग गए. वह हंस दी. मैं उसे किस करने लगा. उसने कहा- चलो नंगे डांस करते हैं. मैंने हां कह दिया. उसने कमरे में साउन्ड सिस्टम चालू किया और हम दोनों नंगे होकर डांस करने लगे.

बाद में चुदाई का दौर चलने लगा. उसके बाद हम दोनों बाहर आ गए. उसने चाय बनाई और हम दोनों ने पी ली, पर कपड़े अभी भी नहीं पहने थे.

अब मैंने कहा- चलो मूवी देखते हैं. उसने हां कहा तो मैंने मोबाइल पर ब्लू फिल्म लगा दी और मोबाइल को टीवी से कनेक्ट कर दिया. वह मस्त होने लगी.

उस फिल्म में लड़का लड़की को घोड़ी बना कर चोद रहा था. मैंने भी उसे घोड़ी बना कर खूब चोदा. उसके मम्मों को मसल कर मैं तो समझो जन्नत में पहुंच चुका था.

मैंने उसकी गांड में तेल लगाया और घोड़े की तरह चढ़ गया. बिना देखे छेद सही से मिल ही नहीं रहा था. फिर उसने अपने हाथ से लंड को छेद पर लगाया और हम्म कहा. मैंने धक्का मार दिया और अन्दर बाहर करने लगा.

लंड चिकना होने के कारण बार बार फिसल रहा था. मैंने उसे घोड़ी ही बने रहने दिया, पर मैं सीधा होकर पेलने लगा. बस फिर क्या था धकाधक चुदाई शुरू हो गई.

वह चिल्ला भी रही थी पर मैं रुका ही नहीं. उसे चोद कर मैं अपने घर चला गया. वह अब मेरे लंड पर फिदा हो गई थी और आगे, पीछे, मुँह से कहीं से भी लंड लेने लगी थी.

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