दोस्तो, यह कहानी मेरी पत्नी संस्कारी औरत की है. यह हमारी एक सच्ची घटना है जो हम पति पत्नी के साथ बीती है. इस घटना के बाद हम दोनों बहुत खुश हैं और खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं.
हमारी नई-नई शादी हुई है. हमारी शादी को अभी तक 6 महीना ही हुआ है. शुरुआत में उसको रोमांस के बारे में ज्यादा कुछ मालूम नहीं था.
पर मैं रोमांस के मामले में जरा ज्यादा ही कामुक किस्म का व्यक्ति हूँ. मैं उसे चुदाई के अलग अलग तरीके सिखाता रहता और यह सब सिखाने के लिए उसे पॉर्न वीडियो दिखाता था.
उस समय मेरी बीवी बहुत गीली हो जाती है और मुझसे पूछती है कि क्या सच में से इतने मोटे मोटे लंड होते हैं! मेरा लंड साढ़े चार इंच का है. शायद इसी वजह से मेरी पत्नी ऐसे सवाल करती थी. हालांकि उसने आज तक मेरे अलावा किसी के साथ सेक्स नहीं किया था.
आप सोचिए कि अगर ऐसी संस्कारी पत्नी, जिसने कभी अपने पति के अलावा किसी के साथ सेक्स नहीं किया हो, कभी अपनी गांड के छेद में उंगली तक नहीं डलवाई हो. उसके जैसी टाइट गांड में मोटा लंबा और तगड़ा लंड चला जाए, तो क्या हो!
अगर उसको कोई लंबे तगड़े और मोटे दो खूंटे मिल जाएं, तो समझ लो उसकी हालत क्या हुई होगी. पहले तो उसकी चूत में लंड जाएगा ही नहीं … और वह खूंटा रगड़ रगड़ कर उसकी चूत में डालेगा तो पत्नी कितना तड़पेगी.
उसकी चुदाई कितनी बेरहमी होगी.
ऐसा ही मेरी पत्नी के साथ हुआ. मेरी पत्नी के साथ दो मजदूरों ने शारीरिक संबंध बना लिए. मेरी पत्नी ने उन दोनों के लंड, जो मेरे लंड से दोगुने लंबे तगड़े और मोटे थे, उन दोनों के लौड़ों को मेरी पत्नी ने अपनी चूत और गांड के छेद में एक साथ फिट करवा लिए थे.
हुआ यूं कि हम पति-पत्नी एक दिन ट्रेन से लंबे सफर के लिए जा रहे थे. हम दोनों ट्रेन में चढ़ गए. हम शाम को करीब 6:00 बजे ट्रेन में चढ़े थे, हमको ट्रेन में पूरी रात निकालनी थी. ट्रेन में बहुत भीड़ थी. अन्दर कहीं भी जगह नहीं मिली थी. हम दोनों थोड़ी देर खड़े रहे. फिर हम स्लीपर में पहुँच गए.
उस दिन मेरी पत्नी ने पीले रंग की साड़ी पहनी थी जिसमें उसका फिगर एकदम साफ दिख रहा था. एकदम उभरी हुई गोरी गांड मस्त लग रही थी. सब लोग उसे आँखों से चोद रहे थे. मेरी पत्नी हमेशा साड़ी को अपनी गहरी में नाभि के नीचे ही बांधती है.
उस दिन भी उसने ऐसी ही साड़ी पहनी थी. वह बहुत सेक्सी लग रही थी. तब ठंड का मौसम चल रहा था.
ट्रेन चल दी. फिर एक जरा सी जगह मिली, उसमें एक ही जन आ सकता था.
मैंने अपनी पत्नी से कहा- तुम उस सीट पर चली जाओ. लेकिन मेरी पत्नी बोली- नहीं नहीं, तुम बहुत थके हो … तुम उस पर बैठ जाओ. उसके सामने दो काले से रंग के मजदूर बैठे थे. उनकी उम्र लगभग 26-28 साल की होगी.
मैंने उनसे कहा- आप मेरी पत्नी को आपकी बर्थ में थोड़ी जगह दे दो. मजदूर बोला- कोई बात नहीं, आप भाभी जी को यहीं बर्थ में बैठने दो. मैं और मेरा दोस्त भी एडजस्ट करके इसी बर्थ में सो जाएंगे.
मुझे मजदूर बहुत अच्छे स्वभाव का लगा इसलिए मैं खुश हो गया. मेरी पत्नी भी खुश होकर उसकी बर्थ में उसके साथ बैठ गई. दोस्तो, ठंड का मौसम था और ठंड भी बहुत लग रही थी. रात भी गहरी हो गई थी.
धीरे धीरे कब आंख लग गई, मुझे पता ही नहीं चला. रात के करीब एक बजे मेरी नींद खुली, तब पूरी ट्रेन में सन्नाटा सा था. कुछ भी आवाज नहीं आ रही थी लेकिन कोई औरत की गर्म गर्म सिसकारियों की आवाज आ रही थी.
पहले तो मैं कुछ समझा नहीं … लेकिन जब मेरी नजर सामने वाली बर्थ पर गई, तब मैं एकदम से डर गया. मेरी पत्नी की पूरी साड़ी उठी हुई थी और मेरी पत्नी का एक पैर उस मजदूर के कमर के ऊपर था.
मेरी पत्नी की पैंटी नीचे सरकी हुई थी और उसकी चूत में उस काले मजदूर का मेरे से दुगना मोटा लंबा और तगड़ा लंड घुसा हुआ था.
उसका लंड मेरी पत्नी की चूत में खंजर की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. मेरी पत्नी भी अपनी मोटी गांड हिला हिला कर उस काले मजदूर का मोटा लंड अपनी छोटी सी चूत में डलवा रही थी.
यह देखकर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था. मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह मेरी पत्नी है या कोई रंडी. इसकी चूत में मेरा साढ़े चार इंच का लंड लेने में दर्द होता है पर आज इतना मोटा लंड अपनी छोटी सी चूत में कैसे मजे ले रही है!
दोस्तो, यह नजारा देखकर मैं बहुत ही ज्यादा हैरान हो गया था कि यह मेरे सामने ही क्या हो रहा है. मेरी पत्नी और मजदूर ने ऊपरी हिस्से पर पूरी चादर ढक रखी थी. बस मेरी पत्नी का पिछवाड़ा ही हिल रहा था. यह पता नहीं चल रहा था कि वह मजदूर मेरी पत्नी के गोरे और मखमल जैसे मुलायम चूचों मुँह में लेकर निप्पल को काट रहा होगा या नहीं!
मेरी जवान पत्नी को आज यह क्या हो गया? जो मुझसे बहुत प्यार करती थी; आज एक पराए और गैर मर्द से वह अपनी जवानी की प्यास बुझवा रही थी.
मुझे यह बात बार बार समझ से बाहर हो रही थी कि मेरी पत्नी जैसी एक संस्कारी औरत … जो मुझसे भी चुदवाने में शर्माती है, आज कैसे एक रंडी की तरह इस काले मजदूर की बांहों में अपनी जवानी लुटवा रही है.
मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं कि मेरी बीवी आज क्या करवा रही थी. पर मैं दुबका हुआ यह सब देखता रहा. इतने में ही दूसरे मजदूर ने भी मेरी बीवी की गांड की तरफ से अपना मोटा लंड सैट किया और वह मेरी बीवी की गांड के छेद में लंड का टोपा रखकर पेलने लगा.
कुछ ही देर में उसने भी अपना पूरा खंभा गांड में अन्दर तक ठोक दिया. मेरी पत्नी की दबी हुई कामुक सिसकारियों की आवाज लगातार आ रही थी. ऐसा साफ समझ आ रहा था मानो उसके मुँह को दबाया गया हो.
अब तक मुझे अंधेरे में थोड़ा थोड़ा दिखने लगा था. वे दोनों काले मजदूर अपने मोटे लंबे तगड़े लौड़ों से मेरी पत्नी की गांड और चूत की अच्छी तरह से सेवा कर रहे थे.
मेरी पत्नी वह मजदूरों के बीच में ऐसी फंसी थी, जैसे वह उन दोनों की रखैल या रंडी हो. वे दोनों मजदूर पूरी शिद्दत से मेरी पत्नी की चूत और गांड एक साथ मार रहे थे.
यह देखकर अब धीरे-धीरे मेरे लंड में भी तनाव आने लगा. आज पहली बार ऐसा हुआ कि मेरी पत्नी को कोई और चोद रहा था और इसे देखकर मेरे लंड में में तनाव आ रहा था.
मैं बस अंधेरे में चुपचाप चुदाई देखता रहा. शायद अब उन दोनों ने मेरी पत्नी की गांड और चूत में अपना अपना रस छोड़ दिया था और दोनों उससे अलग हो गए थे.
एक मजदूर सो गया. ऊपर वाला मजदूर करवट बदल कर सो गया. मेरी पत्नी ने भी धीरे से अपने कपड़े ठीक किए और टॉयलेट में जाने के लिए खड़ी हुई. जैसे ही वह टॉयलेट की तरफ गई, मैं भी उसके पीछे चल दिया.
मैं पीछे से देख रहा था कि मेरी पत्नी को चलने में भी दिक्कत हो रही थी. वह लंगड़ाती हुई चल रही थी. मैं उसके पीछे चुपचाप चल रहा था. उसको यह पता नहीं था कि मैं उसके पीछे आ रहा हूँ.
जैसे ही उसने टॉयलेट का दरवाजा खोला, मैं भी टॉयलेट में घुस गया और मैंने अपनी पत्नी के मुँह को दबा कर अन्दर खींच लिया. मैंने झट से अन्दर से टॉयलेट के दरवाजे को बंद कर दिया.
मुझे देखकर मेरी पत्नी डर गई. मैंने अपनी बीवी को पकड़ लिया. वह बहुत घबरा गई और उसकी आंखों में आंसू आने लगे थे. उसके ब्लाउज के बटन भी थोड़े खुले हुए थे और उसका पूरा बदन लाल हो चुका था.
मुझे देखकर मेरी पत्नी को अंदाजा तो हो गया था कि मुझको सब पता चल गया है. मेरी पत्नी मुझसे चिपक गई और रोने लगी- प्लीज मुझे माफ कर दो, मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गई. मैं जाने अनजाने में क्या करवा बैठी, मुझे कुछ पता नहीं चला. वह मुझे पकड़ कर रोने लगी.
अब मुझे उस पर दया आने लगी. मैंने उससे गाल पर एक किस किया और कहा- प्लीज चुप हो जाओ और जो भी हुआ वह मुझे सच सच बता दो. मैं तुमसे कुछ नहीं कहूंगा.
वह सुबक रही थी. मैंने फिर से कहा कि पहले मुझे देखने तो दो कि तेरे नीचे क्या क्या हुआ है? वह मुझसे ना बोलने लगी- नहीं यार, आप ना ही देखो तो अच्छा है. मैं जिद करने लगा.
कुछ देर बाद वह मान गई. मैं नीचे बैठ गया और मेरी पत्नी की साड़ी ऊंची उठा कर देखने लगा.
उसकी पूरी जांघ पर लाल लाल निशान थे. यह देखकर मुझे मालूम चल गया कि आज मेरी पत्नी ने तगड़े मर्दों से प्यास बुझवाई है. मैंने धीरे से उसकी पैंटी नीचे कर दी. नीचे करते ही उसकी चूत को देखकर मैं हैरान रह गया.
चूत एकदम फट चुकी थी और खून के लाल लाल निशान थे. चूत पूरी चौड़ी हो कर भोसड़ा बन गई थी. मैं सोचने लगा कि यह वही चूत थी, जिसमें मेरा लंड जाते ही इसे दर्द होने लगता था. पता नहीं आज साली ने इतने मोटे मोटे लंड कैसे झेले होंगे.
मैंने फिर अपनी एक उंगली धीरे से उसकी चूत के छेद पर घुमाई, तो मेरी पत्नी तड़प उठी. वह मुझसे बोली- आह बहुत दर्द हो रहा है प्लीज … उंगली बाहर निकाल लो.
मैंने देखा कि उसकी चूत में से उस मजदूर का बहुत सारा सफेद रस बह रहा था. मैंने उससे कहा- एक बार अपनी गांड भी दिखाओ!
वह फिर से नानुकुर करने लगी. लेकिन फिर मान गई. अब जैसे ही उसने अपनी मोटी गांड मेरे मुँह की तरफ करके घुमाई, दोस्तों मैं सकपका गया. मेरी पत्नी की गांड का छेद इतना छोटा सा था कि उसमें उंगली तक नहीं जाती थी. आज वही छेद इतना चौड़ा हो गया था कि मेरी पूरी कलाई घुस जाए.
यह नजारा देखकर मैं हैरान रह गया. मैंने उसकी गांड के खुले हुए खड्डे में अपनी 3 उंगलियां एक साथ अन्दर डाल दीं. तीनों उंगलियां बड़े आराम से अन्दर चली गईं.
मेरी पत्नी दर्द से आह भरती हुई बोली- अब जो हो गया सो हो गया. प्लीज अब भूल भी जाओ, मुझे माफ कर दो.
मैंने कहा- एक शर्त पर … मुझे पहले सब चाट कर साफ करने दे.
वह हंसकर मान गई और मुझसे बोली कि गैरों का पानी है, जो आपकी बीवी के दोनों छेदों में से बह रहा है. इसमें मुँह मार कर क्या करोगे? मैंने कहा- मुझे इसमें ही मुँह मारना है, अब तो यह मेरी बीवी का माल हो गया है.
यह कह कर मैं धीरे-धीरे अपनी पत्नी की चूत और गांड को चाटने लगा. कुछ ही देर में मैंने अच्छी तरह से चाट कर साफ़ कर दिया.
फिर मैंने उसकी चूत और गांड पानी से अच्छी तरह से धो दी और कपड़ों को ठीक करके हम दोनों बाहर निकल आए. बाहर जाकर देखा तो दोनों मजदूर गायब थे, शायद वे दोनों डर के मारे ट्रेन में से कहीं उतर गए होंगे क्योंकि एक स्टेशन पर ट्रेन रुकी थी.
रात को हम दोनों ही उनकी बर्थ में सो गए. मैंने अपनी पत्नी का एक पैर अपने ऊपर रख दिया और उसके माथे पर एक किस करके पूछा- साली मेरी रंडी, सच-सच बता … यह सब कैसे हुआ?
मेरी पत्नी मेरे सामने मुस्कुरा कर बोली- आपकी नूनी वह काम नहीं कर पाई जो उन दोनों मर्दों ने चुटकी बजाते ही कर दिया. मेरे दोनों छेदों को अच्छी तरह से खोल कर रख दिया. मैं नूनी शब्द सुनकर अवाक था.
वह मेरे गाल को सहला कर बोली- क्यों क्या हुआ … आज आप खुश नहीं हो क्या? आप ही तो चाहते थे कि कोई ऐसा मर्द मिले, जो आपकी बीवी की गांड और चूत एक साथ चोद कर खोल दे!
मैं उसकी बात सुनकर हंस दिया और खुश होकर अपनी पत्नी के होंठों पर किस करने लगा. वह भी खुश होकर मुझसे चिपक गई. मैंने पूछा- वह राज कब बताओगी कि यह सब कैसे हुआ था?
वह मुझे पकड़ कर बोली- जब हम दोनों घर पर जाएंगे और तुम मेरी चूत में लंड डालना. तब मैं आपको पूरा राज बताऊंगी कि कैसे इन दोनों ने मेरे साथ यह सब किया.
ट्रेन के सफर के बाद हम दोनों घर आ गए. एक हफ्ते तक मेरी बीवी की चूत और गांड में सूजन बनी रही. वह अपनी गांड और चूत में मलहम लगा कर बिना पैंटी के लेटी रहती और चलते वक्त अपनी दोनों टांगों को फैला कर चलती.
मैं उसे देखता और हँसता हुआ उसकी तरफ देखता तो वह झेंप जाती. वह कहने लगती- यह सब तुम्हारे कारण ही हुआ है. न तुम मुझसे एक साथ दोनों तरफ से लेने की मंशा जाहिर करते और न ही मैं इस बारे में सोचती.
इस तरह से एक हफ्ते बाद जब मैं अपनी बीवी के साथ बिस्तर में उसे चोदने के लिए मना रहा था. तब उसने मुझसे अपनी चुदाई की कहानी सुनाई.
आइए मेरी पत्नी की जुबानी स्टोरी सुनिए कि दो हट्टे-कट्टे मजदूरों से मेरी पत्नी ने किस तरह से अपनी सैंडविच चुदाई करवाई.
मैं जैसे ही बर्थ में चढ़ गई, तो उसने मुझे हाथ पकड़ कर चढ़ने में मदद की. यह आपने अंधेरे के कारण नहीं देखा था कि उसने मुझे हाथ से सहारा दिया था.
उसका बलिष्ठ हाथ का अहसास करते ही मेरे अन्दर एक झनझनी सी दौड़ गई. पहली बार किसी गैर मर्द के हाथों ने मुझे छुआ था. मैं ऊपर चढ़ कर बैठ गई और मैं उन दोनों के बीच में बैठ गई. जब कुछ देर बाद आप जैसे ही सो गए, उस मजदूर ने मुझसे बातें करना शुरू कर दीं.
वह मुझसे कहने लगा- भाभी आप बहुत मस्त और सेक्सी लग रही हो! मैंने उससे कहा- अरे ऐसा मत कहो, कहीं मेरा पति सुन ना लें.
यह सुनकर शायद उस मजदूर ने मेरी कामना को समझ लिया था. वह मुझसे बोला- सच बता रहा हूं भाभी जी, आज तक मैंने आपकी जैसी सेक्सी औरत नहीं देखी है. मैंने भी मुस्कुरा कर कह दिया कि बस करो, अब कितना मक्खन लगाओगे!
दोनों मुझसे चिपक कर बातें करने लगे. मुझे भी ठंड में गर्मी का अहसास होने लगा. मैं भी उन दोनों से चिपक कर बातें करने लगी. इतने में पहले वाले मजदूर ने अपनी पैंट नीचे सरका दी और वह अपना मोटा लंबा लौड़ा मेरी कमर पर टच करवाने लगा.
जैसे ही उसका मूसल सा लंड मेरी कमर पर टच हुआ, मैं तुरंत ही गर्म होने लगी. मेरे प्यारे पति देव, उसका मूसल लंड आपसे भी बहुत लंबा और मोटा लगा.
मैंने उस मजदूर से पूछा- यह क्या कर रहे हो? वह हंसकर बोला- मैडम क्या करें … आपकी कयामत जैसी फिगर देखकर हमारा ईमान डोल गया.
मैं भी हंसकर बोली- ईमान डोल गया या फिर कुछ और ही डोल गया! इतना सुनते उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने मोटे लंड पर रखवा दिया. मैं भी उसका लौड़ा पकड़ कर हिलाने लगी.
उतने में उसके दोस्त मेरे बूब्स दबाने लगा और मैं गर्म होने लगी. फिर उसके दोस्त ने मेरे साड़ी के अन्दर हाथ डाल दिया और मेरी चूत के दाने को रगड़ने लगा. मैं बहुत गर्म होने लगी.
उतने में उसका दोस्त बोला- ऐसे करोगे, तो सबको मालूम चल जाएगा. एक काम करो तुम मेरे ऊपर आ जाओ और मेरा दोस्त को तुमको पीछे से चादर उढ़ा देगा. मैं बोली- नहीं नहीं, मेरे पति को पता चल जाएगा.
वह बोला- प्लीज एक बार लेकर तो देखो भाभी जी, आप अपने पति को भी भूल जाओगी. उसकी बात तो सही थी कि मुझे उसका लंड भा गया था और मुझे उसी वक्त आपकी वह कामना भी याद आ गई जो आप मुझे चोदते वक्त हमेशा करते थे कि एक साथ दो लंड से मेरे दोनों छेद खुलवाना है. यह याद करते ही मैं भी मान गई.
उन दोनों ने एक साथ बोला- हम दोनों को आप पहले अपनी गांड और चूत चाटने दो. मैं बोली- वह कैसे होगा? वे दोनों बोले- आप यहां बीच में लेट जाओ.
मैं उन दोनों के बीच में करवट लेकर लेट गई. उन दोनों का मुँह मेरी गांड और चूत की तरफ था. उन दोनों के बड़े बड़े लौड़े मेरे मुँह की तरफ थे. एक ने मेरी साड़ी पर उठाकर मेरी मोटी गांड को मसला और धीरे-धीरे चांटा मारने लगा.
फिर उसने मेरी चड्डी उतारकर मेरी गांड को और मेरी चूत को नंगी कर दिया. दोनों ने मेरी गांड और चूत छेद में अपनी नाक घुसेड़ दीं.
अब वे मेरी चूत और गांड के छेद की खुशबू लेने लगे. मैं भी गर्म होकर उनके बड़े बड़े लंड को मुँह से चाटने लगी.
मेरे होंठों पर उनके लौड़ों के लाल लाल टोपे रगड़ मारने लगे.
मैं भी उनके दोनों मोटे लंड पकड़ कर मुँह में लेने लगी और चूसने लगी. आह क्या मोटे और तगड़े लंड थे. उनके लौड़ों के टोपे में से कितनी हॉट खुशबू आ रही थी. बहुत मजा आने लगा था.
वे दोनों में एक साथ लग गए. एक मेरी गांड के छेद में और दूसरा मेरी चूत के छेद में उंगलियां घुसेड़ने लगा.
मैं तड़पने लगी. ऐसा लगने लगा कि मानो यह दोनों आज मेरी हालत खराब कर देंगे. एक साथ चूत और गांड में दो उंगली जाते ही मैं दर्द के साथ साथ गर्म भी होने लगी.
मेरे दोनों यार एक साथ मेरी चूत और गांड में जीभ डाल कर चाटने लगे. सच कहूं मेरे प्यारे पति, क्या मस्त अहसास मिल रहा था.
आज मैं दो गैर मर्दों से एक साथ चूत गांड चटवाने का सुख भोग रही थी. वे भी काले मजदूरों के साथ … जैसे ब्लू फिल्म में काले हबशी गोरी लड़कियों को चोदते हैं.
उसी तरह से मेरा गोरा जिस्म मैंने उन दोनों के हवाले कर दिया था और अपने प्यारे पति की कामना को पूरा करने के लिए उन पराए मर्दों की रानी बन चुकी थी. वे दोनों मेरी चूत गांड चाट कर सीधे हो गए.
उसमें से एक मजदूर, जिसका मोटा और बहुत लंबा लंड था, उसने मेरी चूत पर सैट कर दिया और मुझे अपने ऊपर खींच लिया. वह अपना टोपा मेरी छोटी चूत पर रगड़ने लगा.
मैंने गर्म होकर उसको अपनी बांहों में भर लिया. उसने अपना पूरा मोटा लौड़ा एक ही झटके में मेरी छोटी सी चूत में घुसेड़ दिया. मैं चिल्लाने को हुई कि तभी उसने मेरे मुँह को बंद कर दिया.
मेरे मुँह से दबी हुई आवाज निकली- आह आह हरामी कुत्ते … कमीने ऐसा झटका किसने देने को बोला था. मेरी अभी बहुत छोटी सी है. मैंने तो अपने पति के अलावा किसी और का लंड खाया भी नहीं है … आह तेरा मोटा और लंबा लंड मेरी चूत फाड़ रहा है … आह निकाल ले … अब रहा नहीं जा रहा … बहुत दर्द हो रहा है. थोड़ा रहम कर और धीरे धीरे से अन्दर बाहर कर!
अभी मैं उससे कह ही रही थी कि तभी उसका दूसरा दोस्त भी मेरे ऊपर चढ़ गया. उसने पीछे से मेरी गांड के छेद में अपना भी मोटा लवड़ा टिका दिया और अन्दर धक्का देने लगा.
मैंने आज तक कभी भी अपनी गांड मरवाई ही नहीं थी … तो उसका सुपारा अन्दर ही नहीं जा रहा था. उसने थोड़ा सा थूक लंड पर लगाया और दबाकर मेरे छेद में डाल दिया. मैं और तेज आवाज में चिल्लाने को हुई मगर मेरा मुँह दबा हुआ था.
मेरी दबी सी आवाज में कराह निकली- आह … क्या कर रहे हो हरामियों … मैं कोई रंडी नहीं हूं … आह एक सीधी-सादी घरेलू औरत को छोड़ दो. आह मैं तुम्हारे इस बर्ताव को कभी नहीं भूल पाऊंगी आह प्लीज रहम कर दो … एक साथ मत करो.
मगर इतने में उन दोनों ने पूरे के पूरे दो मोटे खूंटे जैसे लंबे तगड़े चौड़े पत्थर जैसे कड़क लंड मेरी चूत और गांड में ठांस दिए और मुझे दोनों तरफ से चोदने का मजा लेने लगे.
धीरे-धीरे मेरे दर्द कम होने लगा. अब मैं भी उनका साथ देने लगी. मैं उनके दोनों मोटे लंबे लंड को अपने दोनों छेदों में अच्छी तरीके से फिट करके बैठ गई और हम तीनों ने चादर ओढ़ ली.
उतनी देर में आगे वाले ने मेरे ब्लाउज को खोल दिया. वह मेरे बूब्स और निप्पलों को काटने चूसने लगा. दूसरे वाले ने भी एक हाथ आगे कर दिया और वह मेरा एक दूध दबाने लगा.
दोनों भूखे भेड़िए मुझे बीच में लेकर खाने लगे, नोचने लगे, मुझे दबाने लगे. ऐसा सुख मैंने आज नहीं भोगा था. मेरे पति से भी मोटे मोटे लंड मेरे दोनों तरफ चल रहे थे. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी कभी होगा.
मेरे पति का लंड तो इनके आगे कुछ भी नहीं था. उनका तो बस एक छोटी सी नुन्नी सा लग रहा था. वे दोनों बेरहमी से मुझे ठोकने लगे. मैंने चिल्लाने की कोशिश की मगर मेरे मुँह को दबा कर मेरी चुदाई चल रही थी.
मैं दबी आवाज में कह रही थी- हाय हाय … धीरे धीरे डालो … तुम दोनों के खूंटे तो मेरी फाड़ कर ही मानेंगे कुत्तों कमीनों … साले पराई बीवी को कोई ऐसा चोदता है क्या!
वे दोनों हंस-हंसकर मुझे चोदते हुए बोलने लगे- हां कमीनी, हम चोदते हैं पराई औरतों को … अब तुझे भी अपनी रखैल बनाकर तेरी प्यास बुझाएंगे … भोसड़ी की तू बहुत कड़क माल है. तेरे दोनों छेद बहुत टाइट हैं, तेरे पति ने तुझे सुख दिया ही नहीं है. असली सुख अब हम दोनों देंगे.
वे ऐसा गंदा बोल बोल कर मुझे दबा दबा चोदने में लगे रहे. उनकी चुदाई इतनी जोरदार थी कि मैं कई बार झड़ चुकी थी. उनके लौड़े इतने गर्म थे मेरी चूत की अच्छी तरह से चुदाई करके उसे ठंडा कर दिया था.
मेरी गांड के छेद को भी बहुत बड़ा गड्डा सा कर दिया था. वे दोनों मुझसे बोले- भाभी हम अपने लंड का माल कहां निकालें?
मैंने उनको अपनी बांहों में जकड़ कर बोल दिया- अब तो मैं आपकी रखैल हो गई हूँ, आप दोनों चाहो तो मेरे अन्दर ही रस निकाल दो और अपनी इस रखैल को ठंडा कर दो.
यह सुनते ही दोनों ने एक साथ मेरी गांड और चूत में अपने अपने लंड झाड़ दिए और लंड निकाल कर मुझे अलग कर दिया. बस यही मेरी चुदाई की कहानी थी, आगे जाकर मेरे पति आपने मुझे पकड़ लिया.
दोस्तो, मेरे पति भी मेरी सेक्स कहानी सुनकर एकदम से गर्मा गए और वे मेरी चूत में तेज तेज लंड पेलने लगे.
मुझे तो उनके लंड से कोई खास अहसास हो ही नहीं रहा था.
मेरे पति मेरी चूत में ही झड़ गए. वे कहने लगे- कैसा लगा? मैं हंस दी और मेरे पति समझ गए कि मैं क्यों हंसी हूँ. सच में अब तो ऐसा लगता है कि उन दोनों के मोटे लंड के आगे मेरे पति से चुदने में कुछ अहसास ही नहीं होता है.
मेरे पति अब मेरी गांड भी मारते हैं, लेकिन मेरी गांड का छेद खोलने वाले कोई और थे. उन्होंने मेरी गांड को न केवल खोल दिया बल्कि गड्डा बना दिया.
हम दोनों पति-पत्नी अपनी सेक्स लाइफ में बहुत खुश हैं. उसके बाद मैंने अब तक किसी और के साथ सेक्स नहीं किया है. हालांकि मेरे पति की तरफ से मुझे पूरी छूट है.
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