दोस्तो, मैं एमपी के सागर जिले का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र अभी 26 साल है. मेरे डंडे की लंबाई साढ़े छह इंच की है और यह काफी मोटा भी है.
मेरा संयुक्त परिवार है. मेरे परिवार में माता पिता, ताऊ जी ताई जी, उनका लड़का, जिसकी शादी हो चुकी है और मेरी भाभी. इस तरह से हम सब 7 लोग हैं.
तो आप जान गए होंगे कि मैं अपने मम्मी पापा का इकलौता बेटा हूँ. भैया सरकारी नौकरी में है. मेरे बड़े पापा की बेटी की शादी पहले ही हो चुकी थी. वे मुझसे उम्र में काफी बड़ी हैं.
आज मैं अपनी पहली कहानी सुनाने जा रहा हूँ कि कैसे मैंने अपनी कुंवारी भानजी को उसके एग्जाम वाले दिन, रात भर चोदा.
यह कहानी उन दीदी की लड़की यानि मेरी भानजी और मेरे बीच की है. मेरी दीदी छतरपुर में रहती हैं. अब मैं आपको अपने बारे में बता देता हूँ. मैं पहले प्राइवेट जॉब करता था मगर तीन महीने पहले मेरा चयन सरकारी नौकरी के लिए हो गया है.
उसकी जॉइनिंग अभी नहीं आयी है तो मैं घर पर ही रह कर समय पास कर रहा था. अब मेरी भानजी के बारे में भी जान लीजिए. वह अभी 19 साल की हुई है और एक नर्सिंग कॉलेज में प्रथम वर्ष में है.
मेरी भानजी की शरीर काफी अच्छा और सेक्सी है. उसकी गांड काफी बड़ी है और चूचियां मीडियम आकार की हैं.
जो भी उसको देखता है, उसका लंड तन जाता है.
उसने कभी किसी लड़के से सैटिंग नहीं की है और ना ही वह यह सब पसंद करती है. वह पढ़ाई में काफी अच्छी है. मेरी नीयत मेरी भानजी पर पहले से ही खराब थी. मैं उसको चोदने की सोच रहा था मगर उसको चोद नहीं पा रहा था.
इसलिए मैं बाथरूम में जाकर उसकी पैंटी पर मुट्ठी मार देता और अपना सारा माल उसकी पैंटी पर निकाल देता.
ऐसा मैंने कई बार किया था.
मेरी हरकतों के बारे में मेरी भानजी भी जानती थी, वह मेरी मनसा को जानती थी. शायद वह भी मेरे साथ मजे करने की इच्छुक थी. यह 2 महीने पहले की बात है. उस वक्त मेरी भानजी का नर्सिंग का एग्जाम था. उसका सेंटर भोपाल आया था.
मेरी बहन का कॉल आया कि इसको एग्जाम दिलाने भोपाल ले जाना है. मैंने कहा- ठीक है दीदी. चूंकि संयुक्त परिवार के कारण दीदी मुझे बहुत प्यार करती थीं. मेरी भानजी एग्जाम से 3 दिन पहले सागर आ गई और यहीं रह कर पढ़ने लगी.
दो दिन बाद चलने की तैयारी करने लगा. अगले दिन मेरी भानजी का भोपाल में एग्जाम था तो हम दोनों 5 बजे की ट्रेन से भोपाल निकल गए. रात 11 बजे हम दोनों भोपाल पहुंच गए.
सुबह हम दोनों फ्री थे. दोपहर में 2.30 बजे से एग्जाम था जो 5.00 बजे तक चलना था. उसने एग्जाम दिया और हम दोनों शाम 6.30 बजे एग्जाम सेंटर से ऑटो देखने लगे. बहुत भीड़ के कारण ऑटो काफी देर से मिला जिस कारण से हमारी बस निकल गई.
सागर जाने के लिए एक ट्रेन थी. वह रात को 10 बजे थी. अब हम दोनों ने खाना खाया और ट्रेन का पता किया तो वह केवल बीना तक जा रही थी. फिर बीना से सागर तक ना तो बस थी, ना ही ट्रेन थी.
मेरे जीजा जी और बड़े पापा ने कॉल करके कहा कि बीना की बजाए तुम दोनों भोपाल में ही रुक जाओ. उधर कोई होटल में कमरा ले लो.
बस उसी वक्त मेरे मन में अपनी भानजी को चोदने का विचार आया और मैं भानजी के साथ एक होटल में आ गया. मैंने होटल के मैनेजर से बात की और वहां रूम ले लिया. जानबूझ कर मैंने एक ही रूम लिया जिसमें एक बेड हो.
मैंने भानजी से कहा- तुम यहीं रुको, मैं अभी जूस लेकर आता हूँ. वह कुछ नहीं बोली. मैं एक मेडिकल स्टोर पर गया और उधर से मैंने कंडोम का पैकेट, दर्द निवारक दवा और सेक्स की गोली ले लीं. सब सामान लेकर मैं वापस होटल आ गया.
मैंने भानजी के लिए चॉकलेट भी ले ली थी. चॉकलेट देख कर वह बहुत खुश हुई. उसने पैकेट में कंडोम भी देख लिए थे. वह भी शायद समझ गयी थी कि आज रात क्या होना है.
तब वह बोली कि मैं फ्रेश होकर आती हूँ. कुछ देर बाद वह फ्रेश होकर आ गई. उसने जूस पिया और मैंने भी पिया. इसके बाद थोड़ा सा जूस और बचा तो मैं उसको दे रहा था. वह जूस उसकी जींस की पैंट पर गिर गया.
असल में मैंने ही जानबूझ कर जूस गिराया था. मैंने कहा- इसको जल्दी से उतार कर पानी में डाल दो, नहीं तो दाग लग जाएगा. उसने जींस उतार कर पानी में डाल दी.
अब वह केवल पैंटी और टीशर्ट में थी. उसको बाथरूम से बाहर आने में शर्म आ रही थी. मैंने कहा- यहां आकर कंबल में बैठ जाना. वह बाथरूम से निकल कर कंबल में बैठ गयी.
तब लगभग 9 बज चुके थे. मैंने मोबाइल में एक वेब सीरीज लगा दी और हम दोनों देखने लगे. मैं तो पहले से ही चड्डी और टी-शर्ट में कंबल में बैठा था. हम दोनों एक ही कंबल में पैर डाल कर फिल्म देख रहे थे.
तभी मैंने अपने पैर से अपनी भानजी के पैर पर टच किया. उसने कुछ नहीं कहा. इसके बाद मैं उसके पैर को अपने पैर से सहलाने लगा. उसके चेहरे से लग रहा था कि उसे मजा आ रहा था.
तभी वह बोली- मामा आप शादी कब करोगे? क्या इसलिए नहीं करा रहे कि आपकी जीएफ है! मैंने उससे कहा- नहीं, मेरी कोई जीएफ नहीं है और ना ही मैं अब तक किसी लड़की के साथ लेटा हूँ.
वह बोली- मैं तो हूँ आप और मैं साथ में ही तो हैं. उसकी यह बात सुनकर मैं समझ गया कि आज इसको भी चुदास चढ़ रही है.
मैंने उसके साथ इस तरह की बातों को ज्यादा करना शुरू कर दिया. बातों बातों में हम दोनों कब सेक्सी बातों पर पहुंच गए, पता ही नहीं चला. मैंने उससे पूछ लिया- मेरे साथ सेक्स करोगी? पहले तो उसने मना कर दिया.
उसने कहा- आप मेरे मामा हो, मैं आपकी भानजी हूँ. किसी को पता चला, तो क्या होगा. मगर मैं अब तक उसके पैर को अपने पैर से सहलाता जा रहा था जिससे उसकी उत्तेजना भी बढ़ रही थी. मैंने उससे कहा- किसी को कुछ मालूम नहीं चलेगा. लेकिन उसने मना कर दिया.
अब हम दोनों वापिस से वेब सीरीज देखने लगे. मैंने मोबाइल भानजी के हाथ में दे दिया और अपने हाथ से उसकी जांघ को सहलाने लगा. पहले उसने थोड़ा विरोध किया पर ज्यादा नहीं किया.
तभी बेव सीरीज में एक चुदाई का सीन आने लगा. उसमें खुल कर दूध चूसते दिखाए जा रहे थे, उसी वक्त मैंने अपना एक हाथ उसके चूचों पर रख दिया और उसकी टी-शर्ट के ऊपर से ही सहलाने दबाने लगा.
यह सब भानजी को भी अच्छा लगने लगा और वह गर्म होने लगी. मेरी भानजी कच्ची कली थी. उसकी चूचियां एकदम कड़क सेवफल के जैसी गोल थीं. वह मेरे साथ मस्त होने लगी.
मैंने उसकी टी-शर्ट उतार कर अलग कर दी और उसकी ब्रा को भी खोल कर फ़ेंक दिया. उसने भी मोबाइल एक तरफ रख दिया और वह मेरे लंड को मेरी जींस के ऊपर से पकड़ने लगी. मुझे लगा कि अब इस पर वासना छा रही है. मैंने कंबल हटा दिया.
मेरी भानजी केवल पैंटी में थी. वह टांगें फैला कर अपनी बुर सहलाने लगी. उसकी चुदास भड़क गई थी. मैंने जल्दी से उसकी पैंटी भी उतार कर अलग कर दी. भानजी ने भी मेरी चड्डी को उतार दिया था.
अब हम दोनों मामा भानजी पूरे नंगे थे. जब मैंने अपनी भानजी की गुलाबी बुर और गदरायी हुई चूचियों को देखा तो मैं मदहोश हो गया. कुंवारी भानजी बड़ी गदर माल लग रही थी. मेरी भानजी मेरे लंड को पकड़ कर बोली- मामा, इतना बड़ा लंड मेरी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा?
मैं उसकी यह बात सुनकर एकदम से भेड़िया बन गया और अपनी भानजी के ऊपर एक भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ा. उसको मैं अपने सीने में चिपका कर चूमने लगा. अपने हाथ से उसकी चूचियों के निप्पलों को मींजने दबाने लगा.
इससे वह और भी ज्यादा जोश में आने लगी थी. फिर मैंने अपनी कुंवारी भानजी की चूचियों से खेलना शुरू किया.
उसके एक दूध को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरी के निप्पल को मींजता रहा.
वह आह आह करती हुई अपनी जवानी अपने मामा के नाम करने लगी. कुछ मिनट तक तो मैं उसकी चूचियां ही मसलता और चूसता रहा. इसके बाद मैंने अपनी भानजी की बुर पर मुँह लगा दिया और चूत को चूसने लगा.
बुर पर मुँह लगने से अब मेरी भानजी पूरी तरह से कामुक हो चुकी थी. मैं उसकी चूत में अपनी जीभ अन्दर तक डाल रहा था. उसकी कुंवारी बुर का नमकीन रस मुझे बेहद कामुक करने लगा था.
भानजी भी मेरे लंड को हाथ में लेकर हिला रही थी. इसी बीच मेरी भानजी ने एक बार अपना पानी निकाल दिया. मैं अब अपना लंड उसके मुँह के पास ले गया और उससे लंड चूसने का बोला. उसने लंड चूसने से मना कर दिया.
मैंने उसके बाल पकड़ कर लंड को मुँह में डाल दिया और आगे पीछे करने लगा. उसकी झिझक खत्म हो गई और अब वह खुद ही अपने आप मेरा लंड चूसने लगी.
दस मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने अपना पूरा माल उसके मुँह में भर दिया और मुँह बाहर से बंद कर दिया. उस वजह से मेरी भानजी मेरा पूरा माल पी गयी.
हालांकि बाद में उसको उल्टी होने लगी तो मैंने कहा कि चल अब मुँह में नहीं करूंगा. उसकी उल्टी ठीक होने पर वह फिर से रांड बन गई. उसने मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाया. लंड फिर से खड़ा हो गया.
वह कह रही थी- मामा अब जल्दी से मेरी चूत पेल डालो … अब नहीं रहा जा रहा. मैंने भानजी को बेड पर सीधा लिटाया और उसकी उभरी हुई गांड के नीचे तकिया लगा दिया. अपना लंड मैंने भानजी की कुंवारी चूत पर लगा कर फेरने लगा.
वह भी लंड की गर्मी से कामुक होने लगी, बार बार अपनी गांड उठा कर लंड लीलने की कोशिश करने लगी. कुछ देर के बाद मैंने उसकी चूत के छेद में लंड का टोपा रख दिया और उसके मुँह को अपने मुँह से बंद करके एक झटका दे दिया. मेरा आधा लंड भानजी की चूत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया.
उसकी चूत से खून आने लगा और मेरी भानजी दर्द के कारण चिल्लाने की कोशिश कर रही थी. वह मुझे हटा रही थी मगर मैंने उसको कसके पकड़ा हुआ था. उसकी आंखों से आँसू आ रहे थे.
इसके बाद मैं थोड़ा रुका रहा और उसको बातों में लगाए रखा. ताकि वह दर्द को भूल जाए. फिर मैंने उसकी पैंटी ली और उसके मुँह में ठूंस दी. उसका मुँह बंद हो गया और वह कसमसाने लगी.
अब मैंने उसकी चूचियों को जोर जोर से मसलना शुरू किया ताकि इसको मजा आने लगे. जब मैंने देखा कि वह मजा लेने लगी है और उसको दर्द नहीं है तो मैंने जोर से एक धक्का और लगा दिया. उसकी चूत में मेरा पूरा लंड समा गया.
मैंने देखा कि उसकी चूत से खून की धार अभी भी निकल रही है. उसके मुँह में पैंटी घुसी होने से वह आवाज ज्यादा नहीं कर पा रही थी.
फिर मैंने देखा कि वह बेहोश हो गई है, तो मैंने तुरंत लंड चूत से निकाल लिया. एक बार को तो मैं डर गया था कि यह क्या हुआ.
इसके पहले मैंने केवल रंडियों को ही चोदा था तो उन्हें किसी भी किस्म के लौड़े से चुदने की आदत होती थी. मैंने जल्दी से पास रखी पानी की बोतल से उसके मुँह पर पानी छिड़का. उससे वह चेतन हो गई.
मैंने उससे पूछा- दर्द हो रहा है क्या? वह बोली- हां … मगर आप मेरी चूत फाड़ ही दो. मैंने फिर से अपने लंड पर थोड़ा तेल लगाया और उसकी चूत में पेल दिया.
वह भी लंड लेने लगी. मैं आराम से अन्दर बाहर करने लगा. कुछ ही मिनट चुदाई करने के बाद मेरी भानजी को भी मजा आने लगा. वह अब चिल्ला रही थी- आह मामा और जोर से चोद दो … मेरी चूत फाड़ कर भोसड़ा बना दो.
मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और कुछ देर के बाद तो दोनों तरफ से ताबड़तोड़ चुदाई की जबावी कार्यवाही होने लगी. करीब 20 मिनट तक मैं अपनी भानजी को चोदता रहा. उस दौरान मेरी भानजी की चूत से दो बार पानी निकल गया.
वह अब मुझे हटाने लगी; उसकी चूत में लंड की रगड़ से जलन होने लगी थी. मगर मैं अभी झड़ा नहीं था तो मैंने अपने झटके और तेज कर दिए. फिर मैं अपना पूरा माल भानजी की चूत में ही डालने लगा था.
उसी वक्त भानजी रोते हुए मना करने लगी- मामा मैं माँ बन जाऊंगी. आप अन्दर मत डालो. मैंने कहा- चलो ठीक है, अपना मुँह खोलो, तुमको रस पूरा पीना पड़ेगा.
उसने मज़बूरी में हां बोला और पूरा वीर्य पी लिया. लगभग 12 बजे रात तक मैंने उसे एक बार और चोदा. अबकी बार मैंने कंडोम लगा कर चोदा था.
भानजी लंड का मजा लेती हुई बोली- जब यह रखा था, तो पहले क्यों नहीं पहना? मैंने कुछ नहीं कहा और भानजी को चोदता रहा.
झड़ने के बाद मैंने उसे बाथरूम में जाने को कहा. पर उससे तो चलते ही नहीं बन रहा था. मैंने उसे दर्द की गोली दी और उसे लेटी रहने दिया.
बाद में वह कुछ आराम महसूस करने लगी तो उठ कर बाथरूम गई. तब मैंने बेड ठीक किया और भानजी बाथरूम से वापस आकर तुरंत सो गई.
मेरी भानजी और मेरे कपड़े खून और वीर्य में गंदे हो गए थे. मैंने उनको धो दिया ताकि वे सुबह तक सूख जाएं. रात को करीब दो बजे मैं उसके साथ नंगा ही कंबल में सो गया.
सुबह 4 बजे मेरी नींद खुल गई. मैं उस वक्त अपनी भानजी से चिपका पड़ा था. उसे नंगी देख कर मेरा लंड फिर से तन गया. मैंने सोचा कि एक बार और चूत चोद लेता हूँ.
मेरी भानजी की नींद नहीं खुल रही थी. मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा तो देखा कि चूत बिल्कुल कचौड़ी सी फूल गई है.
मैंने लाइट जला कर देखा तो उसकी चूत पूरी लाल थी. फिर मैंने अपनी भानजी की चूत मारने का नहीं सोचा और मैं उसके मुँह में लंड देकर चुसवाने की सोचने लगा.
भानजी सीधी लेटी थी. मैंने उसके मुँह को अपनी ओर किया और उसकी गांड पर हाथ रखकर लंड चुसवाने की सोचने लगा. पर जब उसकी गांड पर हाथ गया तो भानजी की गांड बहुत मुलायम और बड़ी थी.
उस वक्त मेरा मन भानजी की गांड मारने का हो गया. मैंने उसे उल्टा लेटा दिया और पीछे से चढ़ गया. मैंने अपने लंड पर भानजी की क्रीम को लगाया और उसकी गांड पर भी क्रीम को लगा दिया.
उसके बाद मैंने उसके पेट के नीचे एक तकिया लगा दिया जिससे उसकी गांड ऊंची हो गई. इतनी हलचल तक भी भानजी सो ही रही थी.
मैंने लंड को गांड के छेद पर सैट किया और जोर का धक्का दे मारा. मेरा लंड भानजी की गांड को चीरता हुआ अन्दर चला गया.
लंड के अन्दर जाते ही भानजी इतनी जोर से चिल्लाने को हुई कि आस पास के सब लोग जग जाते. मगर मैंने पहले ही रूमाल से उसका मुँह बंद कर रखा था.
इसके बाद भानजी ने बहुत कोशिश की कि वह मुझे नीचे करके रोक दे. मगर मैंने उसे कसके पकड़ा हुआ था जिस वजह से उसकी सभी कोशिशें नाकाम रहीं.
वह केवल रोये जा रही थी, उसकी आखों से आँसू आ रहे थे. मैंने लंड गांड के छेद से नहीं निकाला और जोर जोर से गांड पेलने में लगा रहा.
दस मिनट तक झटके देने के बाद मैंने अपना वीर्य भानजी की गांड में ही भर दिया. फिर नीचे उतर कर उसके मुँह से रुमाल निकाला.
वह रोये जा रही थी और बोल रही थी- मामा आप बहुत गंदे हो. आपने मेरे साथ क्या कर दिया … अब मैं क्या करूँ!
मैंने उसे दर्द की टेबलेट दे दी और कहा- सो जाओ, सुबह बात करेंगे.
मैं भी सो गया. सुबह मेरी नींद लगभग 11 बजे के बाद खुली तो देखा मैं कमरे में अकेला हूँ. मैंने बाथरूम में देखा तो भानजी नहा रही थी. पास जाकर देखा मैंने तो दरवाजा खुला था.
उसको देखा तो उसकी चूत अभी भी फूली हुई थी और लाल थी. उसकी गांड के पास भी वीर्य लगा था. मैंने देखा कि चूचियां के पास भी खून लगा था क्योंकि मैंने रात में जोश में मुँह से दूध पर काट लिया था.
अब मैं भी नंगा ही अन्दर चला गया और उसको नहलाने लगा. वह अभी भी मुझसे नाराज थी, बोल भी नहीं रही थी. मेरे आते ही वह बाथरूम से बाहर जाने लगी थी.
मैंने उसे अन्दर खींच कर प्यार से समझाया और उससे वादा लिया कि वह यह सब किसी को नहीं बताएगी. इसके बाद भानजी और मैंने नहा कर कपड़े पहने मगर भानजी पर जींस पहनते नहीं बन रहा था.
मैं बाहर जाकर पास के बाजार से उसके नाप का एक लोवर ले लाया, उसको लोअर पहना दिया. अब भानजी पैर फैला कर चल रही थी.
हम दोनों होटल से निकले तो होटल का मैनेजर समझ गया कि देसी इंडियन गर्ल चुद गयी है. और उसने मुझे देख कर स्माइल दी.
मैंने भी सिर हिलाया और वहां से खाना खाने चले गए. हमारी ट्रेन 7 बजे शाम को थी तो हम दोनों होटल में जाकर सो गए.
भानजी को आराम मिल गया. मैंने भानजी को खुश करने के लिए उसकी पसंद के एक जोड़ी कपड़े और एक स्मार्ट वाच गिफ्ट दी. वह खुश हो गई.
मैंने उससे बात करते करते पूछ लिया- कल रात को कैसा लगा? वह शर्मा कर बोली- अच्छा लगा मगर अब यहां नहीं करना! मैंने कहा- अब कौन कर रहा है.
फिर हम दोनों घर आ गए और मजे में रहने लगे. लगभग दस दिन के लिए भानजी मेरे घर में ही रूक गई थी. मैंने उन दस दिनों में भानजी को 7 दिन तक लगातार चोदा.
अब मैं जब भी दीदी के यहां जाता हूँ, तो भानजी को चोद कर ही वापिस आता हूँ. अब तो वह दोनों छेद मजे से चुदवाती है.
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