होली में मकान मालकिन आंटी के साथ रोमांस

Dilshad Ahmad


दोस्तो, मैं अपनी स्टोरी में आज आपको सुनाने वाला हूँ कि कैसे मैंने अपनी गर्म मकान मालकिन को रातभर जन्नत की सैर कराई.

मेरा लंबाई 6 फीट की है और मेरे डंडे का साइज़ किसी भी फुद्दू को फाड़ने के लिए काफ़ी से भी ज्यादा है. मैं उन दिनों बहुत ज़्यादा शर्मीला था और किसी लड़की को आंख भी उठाकर नहीं देखता था.

लेकिन मैं अपनी गुजराती मकान मालकिन को देखकर एकदम से बौरा गया था. मेरा मन हमेशा ही उनको लेने को करता था.

उनकी लंबाई 5 फीट 3 इंच थी व उनके फिगर का साइज़ 32-28-34 का रहा होगा. जब वे चलती थीं, तो उनकी गांड जिस तरह से हिलती थी वह किसी कयामत से कम नहीं था.

मकान मालकिन की चूचियां भी एकदम कड़क थीं. देख कर ऐसा लगता था कि सारा दूध पी जाऊं. सच कह रहा हूँ दोस्तो मैं न जाने किस तरह से अपने लंड को संभाल पाता था.

मैं महीने में दस बार तो उन गुजराती आंटी को याद कर मुठ मार ही लेता था. मैं हर समय यही योजना बनाता रहता था कि किस तरह से उन्हें चोदने को तैयार किया जाए.

जैसा मैंने कहा कि मैं हद से ज्यादा शर्मीला था. उनके घर में मैं पिछले 5 साल से लगातार रह रहा था, तो हम सब एकदम परिवार की तरह रहते थे.

वे हमेशा मुझसे नॉटी गर्ल की तरह हरकत करती थीं. कभी वे एकदम से मेरे सामने आ जाती थीं और हौ कह कर मुझे डरा देती थीं. मैं भी उनकी इस बात का फ़ायदा उठाते हुए उन्हें स्पर्श कर लेता था.

वे भी मेरे स्पर्श कर लेने को बुरा नहीं मानती थीं. मैं उन्हें आंटी ही कहकर पुकारता था और मैं न जाने कितनी ही बार उन्हें नहाते देख चुका था.

ठंड के दिनों में तो जब मैं जानबूझ कर ऊपर छत पर धूप में पढ़ने चला जाता था. वे ऊपर छत पर बने बाथरूम में ही नहाया करती थीं तो उनके अर्धनग्न बदन को देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता था.

आख़िर वह दिन आ ही गया जिसका इंतज़ार मैं बरसों से कर रहा था. यह उन दिनों की बात है, जब मेरे 12 वीं के बोर्ड के एग्जाम चल रहे थे. होली का महीना भी चल रहा था.

मेरा एग्जाम होने के खातिर मैं अपने घर नहीं गया था. आंटी के मकान के बाकी किरायेदार भी चले गए थे. कहने का आशय यह कि उनके घर में अब सिर्फ़ मैं और आंटी ही अकेले रह गए थे.

इससे अच्छा मौका मुझे कभी नहीं मिल सकता था. मैं होली में रंग नहीं खेलता था. जब होली खेलने का समय आया तो मैं अपने रूम में सो रहा था. उस वक्त मैंने एक टी-शर्ट और पैंट पहनी हुई थी.

जब आंटी मुझे रंग लगाने आईं, तो मैंने अपने चेहरे को ढक लिया. वे मेरे पेट पर और लंड पर रंग लगा कर उसे लाल करके मुस्कुराती हुई चली गईं.

शायद उनको भी आज मुझसे चुदने का मन कर रहा था. मैंने भी इसी बात का लाभ उठाया और जोश में आकर मैं दुकान से रंग ले आया. मैं उन्हें रंग लगाने चल दिया.

वे नाइटी पहनी हुई थीं और मुझसे रंग लगवाने में नखरे दिखा रही थीं. मैं ज़बरदस्ती उनके पीछे से गया और उनके गालों पर रंग लगाने लगा.

इसी छीना झपटी में मेरा लंड बार बार उनकी गांड से रगड़ रहा था. उनकी गांड से रगड़ खा कर मेरा लंड कब खड़ा हो गया, मुझे खुद भी पता नहीं चला.

मैंने उत्तेजना में उनके मम्मों को भी दबा दिया. इस हरकत से वे मचल उठीं और मुझसे छूट कर अलग हो गईं. मैं भी हंसता हुआ वहां से नहाने को चल दिया. वे भी नहाने चली गईं.

मैं अभी भी शर्मा रहा था लेकिन मैंने सोचा कि बेटा अभी लोहा गर्म है, हथौड़ा मार दे अभी नहीं तो कभी नहीं. वे जब अपने कमरे में नहाने के लिए कपड़े उतारने की तैयारी में थीं, तभी मैं उन्हें कमरे के बाहर देख रहा था.

उन्होंने भी मुझे देख लिया था लेकिन वे शायद अनजान बनने का नाटक कर रही थीं. मैंने सोचा कि अब उन्हें चोदने का समय आ गया है.

मैं आंटी के कमरे में घुस गया और उन्हें देखने लगा. वे सहम गईं, लेकिन उनका भी चुदने का मन कर रहा था. ऐसा शायद इसलिए था कि अंकल बाहर रहते थे, तो वे कई साल से चुदी नहीं थीं. वे मेरी तरफ देख कर कुछ सवाल करने जैसी आंखें कर रही थीं.

मैंने हिम्मत जुटा कर कह दिया कि मेरा मन आपको कई सालों से चोदने को कर रहा था. मेरी बात से वे बुरा तो नहीं मानी, पर वे बार बार मुझसे दूर हट रही थीं.

मैंने उन्हें पकड़कर कस लिया और एक किस ले लिया. वे सिसकार कर रह गईं. मैंने उनको बेड पर पटक दिया और उनके बड़े बड़े चूचों को मसलने लगा. वे जल्द ही गर्म हो गयी थीं और अब उनके मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं ‘आह आह …’

मैंने उनकी स्थिति देखी और चुदास भरी आह सुनी तो झट से अपनी टी-शर्ट पैंट उतार कर एक तरफ फेंक दिया. मैं अब एक चड्डी में ही रह गया था. आंटी नाइटी पहनी हुई थीं.

मैं उनकी चूचियों को दबा रहा था और उन्हें और गर्म कर रहा था. वे अब चुदने के लिए तैयार थीं. खुद ही अपने मुँह से बार बार चोदने को कह रही थीं.

मैं उन्हें अभी और तरसाना चाहता था. लगभग दस मिनट के बाद मैंने उनसे नाइटी खोलने के लिए कहा. लेकिन वे नाइटी खोलना नहीं चाहती थीं. मैंने एक ही झटके में उनकी नाइटी पूरी तरह फाड़ कर खोल दी.

अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे. मैं क्या बताऊं दोस्तो, जितना मैंने सपने में सोचा था उनके बूब्स और चुत उससे भी कहीं ज़्यादा मस्त थे.

उनकी चूत एकदम लाल थी और उस पर भूरे रंग के हल्के हल्के बाल थे. उनके जिस्म पर तो ज़्यादा बाल ही नहीं थे. गुजराती आंटी एकदम चिकना माल थीं.

मैं उनको देखकर अपने सपनों में खो गया. इसके बाद मैंने उनकी चुत के अन्दर उंगली डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा. वे लगातार ‘आह आह आ ह’ कर रही थीं.

आंटी कह रही थीं- अब जल्दी ही अन्दर पेल दो. मैं इस कामुक पल को इतनी जल्दी नहीं जाने देना चाहता था. इसके बाद मैंने अपने लंड को मुँह में लेने का कहा, तो वे नखरे दिखा रही थीं. फिर मैंने अपना लंड उनके मुँह में घुसा दिया.

वे गुस्सा हो गईं पर मैं लगा रहा. मैं धीरे धीरे अपने लंड को अन्दर बाहर कर रहा था और कुछ मिनट बाद मैंने उनके मुँह में ही अपना वीर्य टपका दिया.

वे गटक भी गईं लेकिन वह नाराज हो गयी थीं. मैंने उन्हें फिर से किसी तरह मनाया. तब तक मेरा लंड ढीला पड़ गया था तो मैं बेड पर लेट गया.

वे मुझसे चुदने को अब भी मचल रही थीं. मैंने उदास होकर कहा कि लंड खड़ा हो तब तो चोदूं! यह सुनकर वे मुस्कुरा दीं और फिर से मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं.

क्या बताऊं दोस्तो, शायद वे भी इसी दिन का इंतज़ार कर रही थीं. वे किसी रंडी के जैसे लंड चूस रही थीं. कुछ मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैं अब उन्हें चोदने के लिए तैयार था.

मैंने उन्हें सीधा लेटा दिया और उनके दोनों बूब्स के बीच में लंड को लगा कर चोदने लगा. मैं पहले ही एक बार झड़ चुका था तो अब जल्दी झड़ने वाला नहीं था.

मेरा लंड उनके मम्मों की गर्मी से पूरा तन चुका था. वे कहने लगीं कि अब चोदो न! मैं भी बिना देर किए उनकी चूत में लंड डालने लगा. आंटी की चुत एकदम 20 साल की लड़की की तरह कसी हुई थी.

मेरा लंड ज़्यादा अन्दर नहीं जा रहा था. मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और पूरा ज़ोर लगाते हुए एक करारा धक्का दे मारा.

इस बार मेरा आधा लंड उनकी चूत में चला गया. वे एकदम से तड़प उठीं और लंड को बाहर निकालने के लिए कहने लगीं. आज मैं उन्हें छोड़ने वाला नहीं था. मैं धीरे धीरे अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा.

वे भी धीरे धीरे शांत होने लगीं. मैंने तभी देखा कि आंटी मस्त होने लगी हैं तो मैंने फिर से एक ज़ोर का झटका दे दिया. अब मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अन्दर घुस गया था.

वे मुझे फिर से अपने आप से दूर करने लगीं. मैं पूरा लंड घुसेड़े उनके ऊपर ही लेट गया. एक दो मिनट बाद वे शांत हो गईं और अपनी गांड उठाने लगीं. मैं समझ गया कि आंटी की चूत तैयार हो गई है.

अब मैं लगातार अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा था. वह कामुक सिसकारियां ले रही थीं और आह ह ह किए जा रही थीं. कुछ मिनट बाद आंटी झड़ गईं.

इसके बाद मेरा लंड और आसानी से एकदम उनके बच्चेदानी तक अन्दर आ जा रहा था. पूरा कमरा चुत लंड की फ़च्छ फ़च्छ से गूंज रहा था.

इसके कुछ देर बाद मैंने उन्हें डॉगी बनने को कहा. वे झट से कुतिया बन गईं. मैंने उनको पीछे से लंड पेल कर चोदने लगा. मैं उनके दूध पकड़ कर दस मिनट तक चोदता रहा.

उसके बाद मैंने उनकी चुत में अपना रस छोड़ दिया. झड़ कर मैं बेड पर निढाल पड़ गया. इसके करीब बीस मिनट बाद मैंने आंटी से फिर से लंड चूसने को कहा. वे चूसने लगीं.

इस बार मैं उनकी गांड मारने का मन बनाने लगा था. लेकिन वे गांड मरवाने के लिए नहीं मान रही थीं. मैंने सोचा कि अभी के लिए चुत से ही काम चलाना पड़ेगा.

कुछ देर बाद जब मेरा लंड खड़ा हो गया, तो मैं उनको अपनी गोद में उठाकर चोदने लगा. कुछ मिनट तक मैं आंटी को झूला झुलाते हुए चोदता रहा. उसके बाद मैं उनके मम्मों को चूसने लगा और दो मिनट तक चूसता ही रहा.

इसके बाद मैं अब उन्हें चोदने के आखरी पड़ाव पर था. मैंने उनको बेड पर सीधा लेटा दिया और उनकी टांगों को अपने कंधों पर रख कर लंड पेल दिया.

गुजराती आंटी आह करती हुई लंड लेने लगीं. मैं धकापेल लगातार चोदता रहा और वे कामुक सिसकारियां भरती रहीं ‘आह आह आह.’

पूरा कमरा उनकी चुदाई की फ़च्छ फ़च्छ की आवाजों से गूँज रहा था. कुछ मिनट की लगातार चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गए. मैं उनके ऊपर लेट गया और उनके होंठों को चूसने लगा.

फिर हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए और साथ में नहाने के लिए चल दिए. बाथरूम में मैंने आंटी का शरीर साफ किया और वह मेरा शरीर साफ करने लगीं.

मैं उनकी गांड मारने का सोचने लगा. नहाने के बाद में खाना खाकर मैं अपने रूम में जाकर सो गया.

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