मेरा नाम विशाल है. मैं मुंबई से हूँ. आज मैं अपनी एक नई मुम्बई भाभी कहानी के साथ आपके सामने हाजिर हुआ हूँ. मेरे पड़ोस में हमारे ही कुटुम्ब के एक भैया रहते हैं. उनका नाम विजय है. विजय भैया अपने माता पिता की इकलौती संतान हैं.
वे औरंगाबाद स्टील प्लांट में जॉब करते हैं. वे शनिवार को मुंबई आते हैं और रविवार की रात को रात की ट्रेन से वापस चले जाते हैं. जॉब मिलते ही उनके पिता जी ने उनके लिए लड़की ढूंढना शुरू कर दी थी.
जल्दी ही भैया की शादी एक बहुत सुंदर लड़की के साथ हो गई थी. हमारे परिवार से उनके परिवार के रिश्ते बहुत घनिष्ठ हैं.
जब विजय भैया की शादी हुई, तब मैं विजय भैया से बहुत डरता था. क्योंकि स्कूल में पढ़ाई के दौरान वे पढ़ाई में कमजोर होने के कारण मुझे बहुत मारते थे. खैर अब बात बदल चुकी थी.
उनकी बीवी का नाम रूना है और वे बहुत सुंदर हैं; गुड लुकिंग, एकदम गोरी सी. भाभी के मम्मों की बात तो पूछो ही मत. मैंने कॉलेज में बहुत लड़कियों की चूचियां देखी हैं लेकिन सच में भाभी की जैसी चूचियां मैंने आज तक नहीं देखी थीं.
एकदम पके हुए लाल सेवफल जैसी ठोस चूचियां और सामने को तनी हुई. उनके ब्लाउज में एकदम कड़क चूचियों को देख कर लंड एकदम कड़क हो जाता था.
मैंने देखा था कि जब कभी वे अपने घर में ब्रा नहीं पहनती थीं, तब उनकी चूचियों के निप्पलों के आकार देख कर मेरे लंड की मां चुद जाती थी.
उनके घर में अधिकतर समय कोई के नहीं रहने के कारण से भाभी मुझे हर वक़्त बुला लेती थीं. हमारे बीच बहुत मस्ती होती रहती थी और मेरे उनके साथ अच्छा रिश्ता बन गया था.
मैं तो सिर्फ़ भाभी की चूचियों को देखने के लिए जाता था. शुरू शुरू में वे मेकअप में रहती थीं. भैया चार महीने रहने के बाद पुणे वापस चले गए और मुझसे कह गए कि अगर बाजार से कोई सामान की ज़रूरत पड़े तो अपनी भाभी को लाकर दे देना.
एक दिन मैं और नेहा भाभी और चाची तीनों सोफे पर बैठ कर टीवी देख रहे थे. कुछ देर बाद चाची उठ कर हमारे घर चली गईं. वे मेरी मां के पास गई थीं.
मैंने भाभी से कहा- प्लीज भाभी, चाय बना लो. वे बना कर लाईं और हम दोनों टीवी देखने लगे. उस वक़्त टीवी में रोमांटिक फिल्म आ रही थी. मेरा ध्यान भाभी के बूब्स के ऊपर ही लगा था.
अचानक भाभी बोलीं- विशाल एक बात पूछना है, सही सही जबाव दोगे? उनके अचानक से पूछने से मैं चौंक गया और घबराने लगा कि क्या भाभी को चूचियां देखने वाली बात मालूम हो गयी. यदि हां तो वे भैया को न बता दें.
मैंने डर के मारे दबी हुई जुबान से कहा- जी आप पूछिए, मैं सही जवाब दूँगा. इतना कहने में ही मेरा पसीना छूटने लगा था.
भाभी मेरे माथे से चुहचुहाते पसीने को देख कर बोलीं- क्या हुआ, तुम्हारा पसीना क्यों निकल रहा है? मैंने झूठ बोल दिया- गर्म चाय पी ली है न इसी लिए. आप पूछिए न भाभी … क्या पूछना चाहती हैं?
भाभी ने पूछा- तुम्हारी कोई जीएफ है या नहीं? मैंने शर्माते हुए कहा- क्या भाभी, मुझे कौन सी जीएफ मिलेगी. मैं तो वैसे ही बहुत शर्मीला टाइप का हूँ. भाभी ने कहा- क्यों शर्मीला लड़का अपनी जीएफ नहीं बनाता है क्या?
‘छोड़ो न भाभी, यह लव आदि सब मेरे बस की बात नहीं है. मैं किसी लड़की के आगे पीछे घूम नहीं सकता क्योंकि लव करने के लिए पहले लड़की के पीछे पीछे घूमना पड़ता है न!’
इस तरह की बातों से भाभी हंसने लगीं और बोलीं- हां इसी लिए तो कहते हैं न लड़की पटाई जाती है. कभी सुना है कि लड़का पटाया जाता है? मुझे भी भाभी की बात से हंसी आ गई.
इस तरह से हम दोनों के बीच बहुत देर तक हंसी मज़ाक चला. जैसे कि मैं अधिकतर समय भाभी के पास ही रहता था. इसी लिए मैं उनको कपड़े चेंज करते हुए, झाड़ू मारते वक़्त जब वे झुकी हुई होती थीं, तो उनके बूब्स आदि देखना; मेरे लिए यह सब मेरे लिए सामान्य हो गया था.
मैंने बहुत बार प्रयास किया कि भाभी को आई लव यू बोल दूँ … लेकिन हर बार विजय भैया के डर के कारण मैं उनसे ऐसा बोल ही नहीं पाता था.
भाभी भी कभी कभी मेरे लंड को देख लेती थीं क्योंकि मैं जानबूझ कर उन्हें अपने खड़े लौड़े को देखने का मौका देता था. एक दिन मेरे बहन सीमा के लड़के का जन्मदिन था.
मेरे घर से मां और विजय भैया के घर से चाचा और चाची जा रहे थे. विजय भैया घर में नहीं थे. सभी के रात को घर लौट कर आने का प्रोग्राम था. बहन का घर मेरे घर से करीब 5 किलोमीटर दूर है. मुम्बई में इतना तो सामान्य है.
अचानक उसी समय बहन के घर के पास बारिश शुरू हो गयी. बारिश भी इतनी ज़ोर से हुई कि उनका कोई मेहमान आ ही नहीं सके. चाचा ने पापा को फोन करके कहा- भैया, यहां बहुत तेज़ी से बारिश हो रही है. हम लोग शायद निकल नहीं सकेंगे. विशाल को बोल देना कि वह मेरे रूम में सो जाए और रूना को बोल देना कि हम लोग कल सुबह आएंगे.
मैं शाम को घर लौटा तो पिता जी ने बताया- तेरी दीदी के वहां बहुत बारिश हो रही है और सब लोग कल आएंगे. तुम आज चाचाजी के घर में सो जाना क्योंकि रूना अकेली घर में है.
यह सुनकर तो मैं खुशी से पागल हो गया. लेकिन मुझे ये दुख हुआ कि क्या मैं उनको रात में आई लव यू बोल पाऊंगा!
मैं चाचाजी के घर आया और मैंने हिम्मत करके भाभी को अपने मन की बात बोल दी. भाभी बोलीं- मैं तुम्हारे मन की बात पहले से ही जानती हूँ.
उनकी यह बात सुनकर मुझे समझ आया कि वे बहुत खुशी लग रही थीं. मैं ज़्यादा ध्यान ना देते हुए चाय बनाने के लिए किचन में चला गया. भाभी ने एक झीने से कपड़े का ब्लाउज और पिंक कलर की साड़ी पहनी हुई थी.
क्या बताऊं दोस्तो, मैं तो उनकी चूचियों के उठान को देखता रह गया. शायद उन को पता चल गया था.
वे बोलीं- क्या देख रहे हो विशाल? मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी, बस सोच रहा था कि क्या हाल होगा जब ऐसा होगा! उन्होंने कहा- क्या मतलब? मैंने कहा- जब इतना इंतजाम करने बाद अगर सब कुछ बिगड़ जाए तो कैसा लगेगा?
वे बोलीं- तुम दीदी के यहां की बात कर रहे हो ना! मैंने कहा- हां.
फिर चाय खत्म करने के बाद मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं ज़रा विवेक की दुकान से होकर आता हूँ. वे बोलीं- मैं जानती हूँ कि तुम उधर क्यों जाते हो, भांग खाने को ना?
मैंने कहा- नहीं भाभी, बस थोड़ा टाइम पास करके आता हूँ. पर भाभी सही थीं. मैं असल में भांग खाने ही जा रहा था. भाभी बोलीं- अच्छा जल्दी आना, अगर पॉवर कट हो जाएगा, तो मुझे अंधेरे में बहुत डर लगेगा.
मैं ‘ठीक है’ बोल कर चला गया.
रात को करीब 11 बजे पापा, भाभी और मैंने एक साथ खाना खाया. पापा बोले- विशाल दरवाजा ठीक से लॉक करके सो जाना.
खाना खाने के बाद मुझे भांग का नशा धीरे धीरे चढ़ने लगा. मैं भाभी के रूम में आ गया और टीवी देख रहा था. नशा पूरी तरह से चढ़ चुका था.
नशे में भाभी की चूचियां मेरी आंखों के सामने और भी ज्यादा रसीली दिखाई दे रही थीं. फिर कब मुझे नींद आ गई, कुछ मालूम ही नहीं चला.
रात को मुझे लगा कि कोई मेरे शॉर्ट्स को खींच रहा है. मैंने नीचे देखा तो लगा कि शायद भाभी की चूचियों को याद करते हुए मेरा लंड खड़ा हो गया है.
मेरी टांगों में शॉर्ट्स और अंडरवियर थी ही नहीं, मैं नंगा था. लंड भी बाहर आ गया था. मैं समझ गया था कि मैं नंगा हो गया हूँ पर यह समझ में नहीं आ रहा था कि यह कैसे हुआ.
भाभी ने मेरे लंड के ऊपर तौलिया डाल दिया था और लौड़े को ढक दिया था. मैंने जानबूझ कर सोने का नाटक किया. जब भाभी को पूरा यकीन हो गया कि मैं भांग खाकर सोया हुआ हूँ.
अब वे भी टीवी ऑफ करके मेरे पास सो गईं. मुझे अब और नींद नहीं आ रही थी. मैंने जानबूझ कर भाभी की कमर के ऊपर ऐसे हाथ रख दिया जैसे उनको यकीन हो जाए कि मैंने यह नींद में किया है. भाभी वैसे ही सोती रहीं. उनकी चुप्पी से मेरा साहस और थोड़ा बढ़ गया.
मैंने एकदम से उनको कसके पकड़ लिया और वे भी मेरी तरफ मुड़ कर सोने लगीं. इस वक्त मेरा चेहरा और उनका चेहरा एक दूसरे की तरफ़ थे.
मैंने अपना एक हाथ उनके दूध को टच करके रख दिया. वे थोड़ा हिल गईं और सोने लगीं. मैं क्या करूँ, मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था. उनके मम्मों को प्रेस करने में डर लग रहा था.
मैंने सोचा कि अगर उनको मेरी हरकत अच्छी नहीं लगी तो शायद वे भैया को बोल देंगी. परंतु उनकी तरफ से कोई विरोध नहीं हुआ.
अब मेरा मन नहीं माना तो मैंने धीरे धीरे फिर से उनके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. वे अब कुछ नहीं बोल रही थीं, बस ज़ोर ज़ोर से सांसें ले रही थीं.
उनकी दशा देख कर मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोलना शुरू कर दिए और पूरे बटन खोल दिए. नाइट लैंप की लाल रोशनी में उनके दूध देखता रहा.
कुछ मिनट के बाद भाभी बोलीं- विशाल क्या देख रहे हो? मेरा तो पूरा नशा जैसे उतर ही गया.
मैं शर्माते हुए बोला- भाभी, आपके बहुत सुंदर हैं. वे बोलीं- क्या? मैंने बोला- आपके दूध.
यह बोलते ही मैंने उनके एक दूध को अपने मुँह में ले लिया और निप्पल को चूसना शुरू कर दिया. भाभी ज़ोर ज़ोर से सांसें ले रही थीं और आहह … उऊहह …’ कर रही थीं.
मैं उनके एक दूध को चूस रहा था तो दूसरे को मसल रहा था. अब मैं बिंदास अपनी रूना भाभी के मम्मों के साथ खेल रहा था. काफी देर तक मैं ऐसा करता रहा क्योंकि मुझे बूब्स चूसने और मसलने में बहुत अच्छा लगता है.
मतलब चुदाई से भी ज्यादा दूध चूसने में मजा आता है. भाभी अब तक बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थीं. उन्होंने कहा- विशाल, मैं अब कंट्रोल नहीं कर सकती. तुम कुछ करो ना प्लीज! मैंने कहा- मुझे आपकी चूचियां चाहिए थीं भाभी … जो मुझको मिल गई हैं. अगर आपको कुछ और ज़्यादा चाहिए है तो आप खुद ले लो.
यह सुनते ही भाभी ने मेरे लौड़े के ऊपर पड़ी तौलिया को हटा दिया और वे मेरे लंड के ऊपर चढ़ गईं.
अब वे अपनी चूत पर लंड को रगड़ने लगीं.
मैं उनकी चुदास पर ध्यान ना देते हुए उनकी चूचियों को ही चूसता रहा. भाभी ‘आहह … उहह … इस्स …’ कर रही थीं.
कुछ देर बाद जब बूब्स चूसने से मेरा मन शांत हुआ तो मैंने उनकी चूत को हाथ से रगड़ना शुरू कर दिया. भाभी ने मुझे कसके पकड़ लिया और मेरे होंठों को किस करना शुरू कर दिया.
वे बीच बीच में अति उत्तेजना के कारण मेरे होंठों को काट ले रही थीं. भाभी बोलीं- विशाल, मेरे छोटे से देवर को तो बोलो कि वह मेरी चूत के अन्दर जाए.
मैं बोला- इतनी जल्दी क्या है नेहा भाभी. वह तो अभी नशे की वजह से पूरा खड़ा भी नहीं हो पाया है. हां वह बहुत हॉट जरूर हो गया है.
वे यह सुनकर खुद अपने हाथ से चूत के अन्दर लंड को लेने की कोशिश करने लगी थीं. मैंने कहा- भाभी उसे थोड़ा हिलाओ ताकि उसकी नींद टूट जाए. भाभी लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगीं.
कुछ देर बाद मेरा लंड पूरा कड़ा होकर बांस जैसा तन गया. नेहा भाभी लंड को देखकर बोलीं- विशाल, तुम्हारा लंड तो भैया से काफ़ी बड़ा है. मैंने कहा- क्या भाभी सच में भैया का मुझसे छोटा है … या आप मज़ाक कर रही हो?
भाभी बोलीं- रियली तुम्हारा काफी बड़ा है यार … तुम्हारे भाई का इससे कम लंबा है और तुमसे मोटा भी कम है. अब तुम मुझे और मत तड़पाओ प्लीज. जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ कर शुरू हो जाओ.
मैं भाभी के ऊपर पोजीशन में आ गया और एक हाथ से लंड को चूत में पेलने की कोशिश करने लगा था. भाभी बोलीं- थोड़ा प्रेशर तो दो.
मैंने थोड़ा तेज प्रेशर दे दिया तो वे चिल्लाने लगीं- उउ अहह प्लीज … धीरे करो ना … बहुत दर्द हो रहा है. मैं धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा.
कुछ देर बाद भाभी को जब आराम लगा, तब वे बोलीं- हां अब और तेज़ करो ना! तभी मैंने एक ज़ोर का धक्का दे दिया.
वे ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगीं- अहह उहह … मैं मर जाऊंगी प्लीज … इसको बाहर निकालो … मैं तुम्हारा नहीं ले पाऊंगी. तुम्हारी बीवी आएगी तो उसके लिए रखो. मैं उनकी बात को अनसुना करते हुए आगे पीछे करने लगा.
फिर जब मुम्बई भाभी सेक्स में काफी दर्द होने लगा तो मैंने उनकी चुदाई को रोक दिया और मम्मों को चूसने लगा. कुछ देर बाद जब भाभी की चूत में दर्द होना बंद हो गया तो वे मेरे लंड को अपनी कमर से रगड़ कर संकेत देने लगीं. मैंने धकापेल मचा दी.
कुछ ही देर में भाभी भी जबावी हमले करने लगीं. अब मैंने उनके ऊपर से उठ कर उनको बेड के किनारे खींच लिया और मैं खुद नीचे खड़ा हो गया.
भाभी की दोनों टांगों को उठा कर अपने कंधों पर रख लिया और उनकी बच्चेदानी तक लंड की धमक देने का मूड बना लिया. यह आसन मैंने एक ट्रिपल एक्स सीडी मंन देखा था.
भाभी की चूत मेरे लंड के सामने मुँह बाए फैली हुई थी. मैं उनकी चूत में लंड पेलने लगा. पहले आधा लंड तो बड़े आराम से घुस गया; भाभी को जरा सा भी दर्द नहीं हुआ. मैं आधा लंड ही उनकी चूत में आगे पीछे करता रहा.
हालांकि इस आसन में लंड सीधी लाइन में चोट कर रहा था तो भाभी हल्के दर्द के कारण ‘उऊहह … आहह … कर रही थीं.
मैंने अपने दोनों हाथों से उनके मम्मों को पकड़ लिया और उनके दोनों दूध के निपल्स को अपनी दो दो उंगलियों में दबा कर ज़ोर ज़ोर से मींजने लगा.
भाभी को चूत के दर्द से ज्यादा मीठा दर्द अपने निप्पलों की रगड़ाई से होने लगा था तो वे मस्त होने लगी थीं. फिर मैंने अचानक से एक ज़ोरदार धक्का दिया तो वे दर्द से तड़फ उठीं और उन्होंने अपनी पीड़ा से बिलबिलाते हुए मेरे हाथ को काट लिया.
उनकी आंखों से आंसू बाहर निकलने लगे. वे रोती हुई कह रही थीं- आह विशाल, मैं तुम्हारे पैर पकड़ती हूँ प्लीज … मुझे अब छोड़ दो … मुझसे ग़लती हो गई. तुम मुझे किस बात की सज़ा दे रहे हो!
मैंने अपने लंड का दबाव थोड़ा कम कर दिया. पर अभी भी मेरा पूरा लंड उनकी चूत की जड़ में धंसा हुआ था.
कुछ देर बाद मैंने पूछा- भाभी, दर्द कम हुआ? वे बोलीं- हां थोड़ा कम तो हुआ. मैंने पूछा- क्या मैं आगे पीछे करूँ?
वे बोलीं- हां … लेकिन धीरे धीरे से करना.
मैं अपने पूरे लौड़े को धीरे धीरे भाभी की चूत में पेलने और निकालने लगा. इससे कुछ ही देर में उनका दर्द कम हो गया और वे अपनी कमर हिलाती हुई बोलीं- अब थोड़ा जोर जोर से करो ना! मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और भाभी के मुँह से ‘अहह … उऊहह … धीरे … प्लीज धीरे …’ की आवाज़ें निकालने लगीं.
मेरे ऊपर नशा चढ़ा हुआ था इसी वजह से मेरा लंड से भाभी की चूत में रस टपका ही नहीं रहा था.
करीब 20 मिनट मैं अपने लंड को उनकी चूत में अन्दर बाहर करता रहा. वे ऐसे ही ‘आहह … उऊहह …’ बोलती रहीं. अब मैं थक गया था, मेरा मुँह सूख रहा था लेकिन मेरा लंड पहले के जैसा ही कड़क था. मैंने अपनी प्यास बुझाने के लिए उनकी चूचियों को चूसना और दबाना शुरू कर दिया.
तब भाभी मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोलीं कि विशाल तुम मेरे बूब्स को बहुत पसंद करते हो ना!
मैं बोला- भाभी अगर चूत की जगह आप सिर्फ दूध चूसने का भी कहेंगी तो मैं बस दूध चूस कर ही तृप्त हो सकता हूँ.
वे हंसने लगीं और बोलीं- मगर मेरी चूत की आग तो सिर्फ लंड ही बुझा सकता है न! इसी तरह हम दोनों प्यार की बातें करते रहे और लंड चूत का घमासान मुम्बई भाभी सेक्स चलता रहा.
आखिरकार भाभी की चूत चिनमिनाने लगी और उन्होंने कहा- विशाल, तुम्हारा रस क्यों नहीं निकल रहा है? तुम्हारे भैया का कुछ ही मिनट के अन्दर निकल जाता है. तुम तो पिछले एक घंटा से मेरी रगड़ रहे हो, अब तो मेरी चूत में जलन सी होने लगी है.
मैंने कहा- भाभी अगर मेरा इतना जल्दी निकल जाएगा, तो मैं मज़ा ही नहीं ले पाऊंगा. भाभी बोलीं- अपना मजा तुम जब ले लेना, जब तुम्हारी बीवी आ जाएगी. उसे ही इतनी देर देर तक चोदते रहना.
मुझ पर दया करो देवर महाराज … मेरी चूत में बहुत चिनमिनी होने लगी है. मैं बोला- अरे लड़कियां तो देर तक चुदने के लिए मरती हैं भाभी … आपको क्या हुआ, क्या आपको मजा नहीं आ रहा है?
उन्होंने हाथ जोड़ कर कहा- बस करो यार … थोड़ी देर बाद दुबारा कर लेना … या अपना लंड मेरे मुँह में दे दो. मैं चूस कर रस निकाल दूँगी.
यह सुनते ही मैंने अपना लंड चूत से निकाला और उनके मुँह में दे दिया भाभी लंड को चूस कर उसका रस निकालने की कोशिश में लग गईं.
मैंने महसूस किया कि मेरा लंड अब झड़ने वाला है तो मैंने भाभी को बताया कि मेरा लंड से रस निकलने वाला है. भाभी ने कहा- मैं अपने अन्दर लेना चाहती हूँ.
मैंने झट से उनकी एक टांग उठाई और लंड चूत में पेल कर अन्दर बाहर करने लगा और भाभी की चूत के अन्दर वीर्य निकालने लगा. रस निकलने के समय मेरा लंड काफी देर तक पिचकारियां मारता रहा.
यह देख कर भाभी बोलीं- विशाल क्या तुम मेरी चूत में पेशाब कर रहे हो? इतनी देर तक स्पर्म कैसे निकल सकता है? मैं हंसने लगा.
वे कहने लगीं कि यह तुम्हारा कितने दिन का स्टॉक किया हुआ था? मुझे तो लग रहा है कि मैं अभी ही प्रेगनेंट हो जाऊंगी. मुझे बहुत डर लगने लगा. मैंने कहा कि कोई दवा का नाम बोलो भाभी, मैं मार्केट से ले आऊंगा.
भाभी हंस कर बोलीं- नहीं, मुझे तुमसे ही बच्चा चाहिए. यह सुनते ही मुझे चैन मिल गया कि चलो भाभी मेरे बच्चे की मां बनेंगी. रात को करीब डेढ़ बज गया था.
उस दिन हम दोनों सो गए और उसके बाद से जब भी भाभी को लंड की जरूरत होती थी, तो वे मुझसे चूत चुदवा लिया करती थीं. आज भाभी को गर्भवती हुए आठ महीने हो गए हैं. मैं उनके साथ सेक्स नहीं कर पाता हूँ तो बस उनकी चूची चूस लेता हूँ.
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