दोस्तो, मेरा नाम सायमा है और मैं एक परदे हिजाब करने वाले परिवार से हूँ. मैं एक हाउस वाइफ हूँ. मैं बाहर जाते वक़्त हमेशा बुरका पहनती हूँ.
मेरी उम्र 24 साल है और मेरा फिगर 34-30-36 का है. मैं दिखने में बेहद गोरी हूँ और मेरी गांड पीछे से उठी हुई है. जब भी मैं मार्केट जाती हूँ, तो सबकी नजरें मुझ पर ही टिक जाती हैं. जिसको देख कर मेरे दिल में गुदगुदी हो जाती है.
मेरी शादी को 2 साल होने को आ रहे थे पर मुझे बच्चा नहीं हो रहा था. मेरे ससुराल वाले मुझसे बार बार एक ही रट लगाए हुए पीछे पड़े थे कि हमको दादा दादी कब बनाओगी.
इस बात से मैं बहुत तंग आ चुकी थी. हम दोनों शौहर बीवी ने बहुत बार अलग अलग कई डॉक्टरों को भी दिखाया पर कोई असर नहीं हुआ.
फिर किसी ने मेरी सासु मां को बताया कि घर से दूर एक दरगाह है. वहां जाने पर सबकी मुराद पूरी होती है. वह स्थान हमारे घर से एक रात की यात्रा की दूरी पर था.
मेरी सासु मां, मैं और मेरे शौहर समेत हम सबने वहां जाने का मनसूबा बनाया. अगले ही दिन हम वहां चले गए. जब अगले दिन उधर पहुंचे तो देखा कि दरगाह बहुत बड़ी थी. वहां लोगों की भीड़ बहुत ज्यादा थी.
हम सब वहां पहुंच कर दर्शन के लिए गए पर भीड़ कुछ ज्यादा ही थी तो काफी दिक्कत हुई. किसी तरह हम दर्शन करने अन्दर पहुंच गए. वहां के एक बाबा से मेरी सास की बात हुई. उन्होंने मेरी समस्या उन्हें बताई.
मेरी सास की इस बात को हमारे पास ही खड़े एक आदमी ने सुन लिया. उसने हमको बताया कि आपका इलाज जरूर होगा, बस आपको यहां हर महीने दर्शन के लिए आना होगा.
मैंने उस वक़्त बुरका पहना हुआ था पर अपना चेहरा खुला रखा था. वह आदमी बार बार मुझे ही देख रहा था. मैंने उसको देख लिया था पर मैं उसको देख कर नजरअंदाज कर रही थी.
उस आदमी की बातें सुन मेरी सास उसकी हां में हां मिला रही थीं. उसने जब तक हम वहां थे, हमारी बहुत मदद की. हम वहां दो दिन तक रुकने वाले थे इसलिए उसने हमको दरगाह से नीचे उतर कर उधर बनी एक सराय में हमको रहने के लिए एक कमरे का इंतजाम कर दिया था.
वहां ज्यादा कमरे नहीं थे, बस गिने-चुने लोगों को और वह भी सिर्फ वीआईपी लोगों को दिए जाते थे. उस आदमी की वहां क़ाफ़ी पहचान थी इसलिए उसने हमको वहां कमरा दिलवा दिया. हम सब वहां 2 दिन रह कर वापस अपने घर आ गए.
फिर एक महीने बाद हम वापस वहां चले गए. इस बार सिर्फ मैं और मेरी सास ही गए थे क्योंकि मेरे शौहर को काम से छुट्टी नहीं मिली थी. हम दोनों वहां रात में पहुंचे और उस दरगाह के आदमी से मिले.
उसने हमको वहां कमरा दे दिया और हम दोनों सास बहू वहां खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगे. मैं सोने से पहले वहां बाहर बाथरूम चली गई. उस वक़्त मैंने अपने साथ लाया हुआ गाउन पहना हुआ था और ऊपर दुपट्टा पहना हुआ था.
रात के 12 बजने को थे, तभी वह आदमी मुझे बाथरूम के पास दिखा. वह मुझे देख कर मुस्कुराते हुए करीब आ गया और मुझसे बात करने लगा. वहां बाथरूम एक ही था. बाथरूम में पहले से कोई गया हुआ था इसलिए मुझे भी वहां रुकना पड़ा.
माफ कीजिये मैंने उस आदमी से आपका परिचय नहीं करवाया. उसका नाम इकबाल था और वह एक 45 साल की उम्र का मर्द था. दिखने में काला था, पर उसकी बॉडी काफी अच्छी थी.
इकबाल हमेशा पठानी ड्रेस पहनता था. वह उस वक़्त लुंगी में था और मुझसे बात करते वक़्त बार बार मेरे मम्मों को ऐसे देख रहा था जैसे वह मम्मों को कच्चा चबा जाएगा. जैसे ही उसकी नजर मुझसे मिलती, वह अपनी नजर कहीं और घुमा लेता था.
इकबाल को मैं अकेली मिली थी तो वह बार बार मेरी तारीफ कर रहा था. मैं बहुत खूबसूरत हूँ, मेरे शौहर किस्मत वाले हैं कि उन्हें मेरी जैसी खूबसूरत लड़की मिली … और भी ना जाने क्या क्या … जिसे सुन कर मैं बार बार उसको थैंक्स बोल रही थी.
जल्दी से मैं बाथरूम में जाकर वापस अपने कमरे में आ गई. मेरी सास ने मुझसे पूछा कि आने में देर क्यों हुई? मैंने उनको बताया कि बाथरूम में पहले से कोई गया हुआ था.
फिर हम दोनों सो गए. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि इकबाल मुझसे बात करते वक़्त कुछ उत्तेजित हो गया था और उसका खड़ा लंड लुंगी के ऊपर से ही दिख रहा था.
उसके लौड़े को मैंने चोरी से देख लिया था. उसी को सोच सोच कर मेरी चूत गीली होने लगी थी. सुबह हम उठे तो मैं नहाने बाथरूम में गई. मैं अपने साथ अपने कपड़े लेकर गई थी.
नहा कर दर्शन भी जल्दी करना था इसलिए मैं जल्दी जल्दी नहाकर अपनी सास के साथ दर्शन के लिए निकल गई. दर्शन के लिए उतनी सुबह भी बहुत भीड़ हो गई थी इसलिए हम दर्शन करने के लिए लाइन में लग गए.
थोड़ी देर बाद मुझे याद आया कि मैंने जल्दी जल्दी में अपनी ब्रा पैंटी वहीं बाथरूम में भूल आई हूँ. मैंने मेरी सास को लाइन में खड़े रह कर अपनी बारी आने का इंतजार करने को कहा और भाग कर बाथरूम की तरफ आ गई.
वहां मैंने देखा तो बाथरूम के अन्दर मेरी ब्रा पैंटी नहीं थी. मैंने बहुत ढूँढा, पर नहीं मिली. मैं इकबाल के पास उसके कमरे के बाहर गई. उसके कमरे का दरवाजा खुला था.
जैसे ही मैं कमरे के अन्दर गई, देखा कि इकबाल मेरी ब्रा पैंटी को चूम रहा था और सूंघ रहा था. मैंने उसको आवाज दी. वह हड़बड़ा गया और मेरी ब्रा पैंटी को पीछे छुपा दी.
मैंने उससे मेरी ब्रा पैंटी मांगी तो उसने मेरी ब्रा पैंटी मुझे वापस दे दी और देते हुए बोला- आपकी खुशबू मुझे बहुत पसंद आई. खास कर आपकी पैंटी की … काश मुझे आपकी सेवा करने का मौका मिल जाता. इस पर मैंने उससे कुछ नहीं कहा. मुझे शर्म आ रही थी इसलिए मैं वहां से चुपचाप निकल आई.
मैं जब तक इकबाल की नजर से ओझल नहीं हुई, तब तक वह मुझे देखे जा रहा था. मैंने अपने कपड़े रख दिए और दर्शन के लिए अपनी सास के पास आ गई.
अब तक हमारा नंबर आ गया था तो मैंने अपनी सास के साथ दरगाह के दर्शन किए और शाम को हम दोनों हमारे रूम में आ गए. रात को मैं जब फिर से बाथरूम गई.
तब इकबाल वहीं था और मेरा इंतजार कर रहा था. मैंने उसको देख कर नजर झुका ली और मुस्कुराते हुए बाथरूम में चली गई. मैं बाथरूम से जैसे ही बाहर आई, इकबाल ने मुझे अपनी ओर खींचा और अपने कमरे में उठा कर ले गया. वह मुझे किस करने लगा.
मैंने शुरू में तो झूठा गुस्सा दिखाया पर इकबाल मुझसे बिल्कुल नहीं डरा. वह बार बार मुझे किस कर रहा था जिससे मैं बहकने लगी और इकबाल का साथ देने लगी.
तभी इकबाल ने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरा गाउन ऊपर करके मेरी पैंटी को खींच कर एक ही झटके में टांगों से निकाल कर अलग दी.
अब मेरी नंगी चूत उसके सामने खुल गई थी. इकबाल ने मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी. अभी दो मिनट ही हुए होंगे, तभी मुझे मेरी सास की आवाज़ सुनाई दी.
मैंने इकबाल को साइड में धकेला और कमरे से बाहर आ गई. मैं अपने कमरे की तरफ जाने लगी. उसी वक्त मेरी सास को मैं दिख गई … तो वे मेरे साथ मेरे कमरे पर वापस आ गईं.
इकबाल की इस हरकत की वजह से मेरी चूत में आग लग गई थी और मैं उसी आग में तड़फ कर रह गई. मेरी सास ने मुझे देर से आने की वजह पूछी, तो मैंने वहां पहले कोई गया हुआ था. ये बहाना बता दिया.
मैं अपनी पैंटी इकबाल के पास जल्दी में भूल गई थी. ये मुझे पता था … पर मैं कुछ नहीं कर पाई. फिर जैसे तैसे सो गई.
सुबह हमको जल्दी वापस जाना था. यह बात इकबाल को पता थी इसलिए वह हमारे लिए सुबह जल्दी कमरे पर चाय नाश्ता लेकर आ गया.
उसने मुझे चुपके से मेरी पैंटी मुझे लौटा दी. फिर वह मुस्कुराते हुए बोला- आप बहुत मीठी हो और आपकी वह एकदम मलाई बर्फी की तरह है. काश मैं ये बर्फी जी भरके खा पाता.
यह सुन कर मैं गर्दन नीचे झुकाए रही और बस मुस्कुराती हुई सुनती रही. हमने नाश्ता किया और हम वहां से अपने घर के लिए निकल रहे थे.
तब मैंने इकबाल से कहा- अगली बार आपको मलाई बर्फी जरूर खाने मिलेगी. इतना सुन कर वह भी बहुत खुश हो गया. मैंने जाते वक़्त इकबाल को मेरा नंबर दे दिया ताकि हमारी फोन पर बात हो सके. हम वापस अपने घर आ गए और हमारी फोन पर नॉर्मल बात होने लगीं.
पहले पहल हमारी नॉर्मल बातें हुईं … फिर चुदाई की बातें होने लगीं. चुदाई की बातों से मैं और वह गर्म हो जाते थे.
ऐसे ही हमारे दिन कट रहे थे. फिर मैं और मेरी सास वापस दरगाह जाने के लिए निकल गए.
मैंने इकबाल को मेरे आने की बात बताई तो वह बहुत खुश हो गया. उसने मुझसे कहा कि अपनी चूत के बाल साफ करके आना ताकि वह मेरी चूत पर कुत्ते की तरह चाट सके.
मैं रात में अपनी सास के साथ दरगाह पर आने निकल गई और सुबह हम दरगाह पहुंच गए. मैंने बुरका पहना हुआ था. जब हम पहुंचे तब इकबाल मुझे और मेरी सास को लेने आ गया.
उसके साथ हम अपने कमरे पर आ गए. हम दोनों रात के सफर से थके हुए थे इसलिए हम फ्रेश होने के लिए गए. इकबाल ने सारा इंतजाम कर रखा था. हम दोनों बारी बारी से फ्रेश हुई और नाश्ता किया.
हम दोनों दोपहर में दरगाह पर जाने वाली थी इसलिए हमने कमरे में आराम किया. दोपहर होने पर में बाथरूम गई, तब मुझे वहां इकबाल से मुलाक़ात हुई.
उसने मुझे एक मिठाई दी और कहा- यह मिठाई अपनी सास को खिला देना. इसमें नींद की दवाई मिलाई हुई है. वह सुबह तक उठेगी नहीं और हम रात भर चुदाई करेंगे.
मैं उसकी बातें सुन गर्दन नीचे कर सुन कर शर्मा रही थी और वह कमीना बेशर्म होकर मेरे मजे ले रहा था. मैंने गर्दन को हां में हिलाकर हामी भरी और बाथरूम में चली गई.
इकबाल वहीं बाहर बाहर रुक कर मेरा इंतजार कर रहा था. मैं इक़बाल से मिल कर अपने रूम पर आ गई और अपनी सास के साथ दरगाह पर जाकर दर्शन किए.
शाम को हम अपने रूम पर आ गए और मैंने अपनी सास को दरगाह पर मिला प्रसाद बोल कर खिला दिया. थोड़ी देर बाद मेरी सास सो गईं. मैंने उनको हिलाकर देखा पर वे गहरी नींद में सो रही थीं.
इसलिए मैं उनको वहीं रूम में सोता छोड़ कर इकबाल के पास चली गई. उस रात मैंने पिंक कलर का पंजाबी सलवार सूट पहना हुआ था.
मैं इकबाल के रूम के पास पहुंची, तब वह बाहर ही खड़े रह कर मेरी राह देख रहा था. इकबाल ने अपने रूम का दरवाजा खुला रखा था.
मैंने यहां वहां देखा और झट से उसके रूम में घुस गई. मेरे पीछे इकबाल भी रूम में आ गया और उसने अन्दर से रूम लॉक कर दिया.
मैं अन्दर तो आ गई थी लेकिन मेरी धड़कनें बहुत तेज हो रही थीं. मेरे अन्दर चुदाई की तलब भी जोर मार रही थी और डर भी लग रहा था. तभी इकबाल ने मुझे पीछे से पकड़ा और मुझे अपनी और घुमा लिया. उसने मुझे दीवार के सहारे सीधा खड़ा कर दिया.
मैं डर रही थी. तभी उसने मेरी झुकी हुई गर्दन को ऊपर कर दिया. मैंने अपनी आंखें बंद कर दीं. तभी इकबाल ने मेरे नाजुक कोमल होंठों पर अपने सख्त होंठ रख दिए और मुझे किस करने लगा.
मुझे शुरुआत में कुछ अजीब लग रहा था, पर धीरे धीरे मैं उसका साथ देने लगी. हम दोनों का ये किस काफी लम्बा चला जिसमें ना वह हार मान रहा था और ना ही मैं!
इकबाल किस करते करते मेरे बूब्स को दबाने लगा था. उसने मुझे अपनी बांहों में दबोचा और फिर से किस करने लगा. फिर वह मुझे पकड़ कर बेड पर लेकर चढ़ गया. हम दोनों बेड पर लेट गए.
इकबाल मुझे सब तरफ चूमने लगा, गर्दन चूमने लगा और बूब्स पर हाथ रख कर उन्हें मसलने लगा. इससे मैं और गर्म होने लगी. तभी इकबाल ने मुझे बिठा कर मेरा कुर्ता उतार दिया और मेरे सीने पर चूमने और काटने लगा. धीरे धीरे उसका हाथ मेरी पीठ पर चला गया.
उसने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया, जिससे मेरे दूध ब्रा की कैद से आज़ाद हो गए. मुझे एक गैर मर्द के सामने नंगी होने में शर्म आ रही थी इसलिए मैं आंख बंद करके लेट गई. इकबाल ने मेरी लटकी हुई ब्रा को उतार कर दूर फेंक दी और मेरे एक दूध को मुँह में भरके चूमने चूसने व काटने लगा. उसने मेरे मम्मों को बहुत देर तक चूसा और चूस चूस कर उसने दोनों दूध लाल कर दिए.
उसके दांतों के निशान मुझे मेरे मम्मों पर दिखने लगे. मैंने भी उसको और उकसाने के लिए उसका शर्ट पैंट बनियान उतार दी और उसको किस करने लगी.
इकबाल अब धीरे धीरे नीचे सरक गया और मेरी सलवार व पैंटी दोनों उतार दी. अब मैं और शर्मा गई. मैंने अपना चेहरा छुपा लिया. तभी इकबाल ने मेरे दोनों पैरों को खोल दिया और मेरी चूत का दीदार किया.
उसने बस एक ही बात बोली- हाय क्या चूत है … ये चूत नहीं, मीठी रस मलाई है.
मैंने कहा- आपकी रस मलाई बाहर आ रही है.
तभी इकबाल झपट कर अपना मुँह मेरी चूत पर ले गया और मेरी चूत को सूंघ कर अपनी सांस उस पर छोड़ने लगा. उसने अपने हाथ की उंगली से मेरी चूत को छूकर ऐसे देखा, जैसे कोई डॉक्टर नब्ज देखता है. एक दो पल बाद उसने सीधा चूत पर अपना मुँह रख दिया.
वह मेरी चूत को कुत्ते की तरह चूमने और चूसने लगा. मैं अब और तड़पने लगी और अपने दोनों हाथों से उसका सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी.
इकबाल ने कम से कम 30 मिनट तक मेरी चूत को चाटा, जिसमें मैं बार बार डिस्चार्ज हुई. इकबाल ने मेरी चूत का रस अच्छे से चाट कर चूत को साफ कर दिया था. अब इकबाल खड़ा हुआ और उसने अपनी अंडरवियर उतार दी.
उसका विशाल नाग बाहर आ गया, जिसे देख कर मैं डर गई.
इकबाल का लंड मेरे पति के लंड से काफी बड़ा और मोटा था. मैं बस उसके लंड को देख रही थी. तभी इकबाल मेरे पास आया और उसने मेरे दोनों पैर फैला दिए. मेरे पैरों के बीच आकर उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ना चालू कर दिया. इससे मैं फिर से बहकने लगी और मेरी चूत गीली होने लगी.
तभी इकबाल ने मुझसे कहा- चलो अब असली खेल शुरू करते हैं … और इतने दिन तक जो सब्र किया, उसको ख़त्म करते हैं मेरी जान. मैंने उससे कहा कि बस धीरे से करना.
वह मेरी चूत पर लंड टिका कर मेरे ऊपर लेट गया और मुझे किस करने लगा. मैं भी उसका साथ देने लगी. इकबाल नीचे से मेरी चूत पर अपना लंड का दबाव डालने लगा. इससे उसके लंड का टोपा मेरी चूत में घुस गया.
मुझे शुरूआत में थोड़ा दर्द हुआ, पर वह लगा रहा. एक तरफ किस चल रहा था और दूसरी तरह उसका लंड मेरी चूत में घुसता जा रहा था. तभी पता नहीं उसको क्या हुआ … उसने लंड थोड़ा बाहर निकाला और एक जोरदार झटका दे मारा.
मुझे ऐसा अंदाजा ही नहीं था. मेरी चीख निकल गई. मगर इकबाल ने मेरे मुँह पर मुँह लगाया हुआ था तो मेरी चीख ने उसके मुँह में ही दम तोड़ दिया. मुझे इतना तेज दर्द हुआ कि मैंने इकबाल की पीठ पर नाखून गड़ा दिए.
मेरे सामने अंधेरा छा गया था. इकबाल मेरी चूत में लंड डाले हुए वैसे ही पड़ा रहा और वह मुझे किस करने लगा; मेरे मम्मों के दोनों निप्पल को चूसने लगा और हल्के हल्के से निप्पलों को काटने लगा.
इससे मैं और गर्म होने लगी; मेरी चूत गीली होने लगी और मेरा दर्द भी खत्म हो गया. मैंने नीचे से अपनी कमर उठा दी और उसके लंड को अन्दर बाहर करने लगी.
इकबाल ने मेरी चूत में लंड चलाना शुरू कर दिया. वह पहले धीरे धीरे चोदने लगा, फिर उसने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. अब वह जोर जोर से मुझे चोदने लगा जिससे मैं पूरी तरह हिलने लगी और मेरे दूध ऊपर नीचे होने लगे. इकबाल बहुत पहुंचा हुआ खिलाड़ी था, जब वह थक जाता … तब मेरे बूब्स पीने लगता, मुझे किस करता.
फिर थकान दूर होने तक लंड को जड़ तक मेरे चूत में पेले रखता. कुछ देर बाद वह फिर से उठ कर मेरी चूत चोदने लगता. इस तरह से इकबाल ने मेरी पहली चुदाई पूरे 45 मिनट तक की. जिसमें मैं उसके लंड पर 3 बार झड़ गई.
उसने मेरी चूत अपने लंड के पानी से भर दी और थक कर मेरे ऊपर ही लेट गया. हम दोनों ही काफी थक गए थे और अपनी सांसों को काबू कर रहे थे.
पहला राउंड पूरा होने पर मेरी चूत ने इकबाल के लंड को छोटा करके अपने अन्दर ही सुला लिया था. मैंने भी उसकी कमर को पैरों से पकड़ रखा था. जब हम दोनों झड़ कर सामान्य हुए, तब इकबाल मुझे फिर से किस करने लगा.
इकबाल का लंड अभी सोई हुई हालत में मेरी चूत में ही था. हम दोनों किस करते करते फिर से गर्म होने लगे और उसका लंड धीरे धीरे टाइट होने लगा. सच बोलूँ तो इकबाल का सोया हुआ लंड मेरी चूत में ही घुसे हुए जैसे जैसे कड़क हो रहा था, मुझे गजब मजा आ रहा था.
यह अनुभव मेरे लिए नया था कि सोया हुआ लंड चूत के अन्दर टाइट होने पर कैसा लगता है. मैं आज भी वह पल याद करती हूँ तो मेरी चूत इकबाल का लंड मांगने लगती है और गीली हो जाती है.
जिन लड़कियों और भाभियों ने ये चूत में सोया हुआ लंड खड़ा होने का अहसास किया है उन्हें पता होगा कि वह अहसास कितना अच्छा होता है. इकबाल का जब पूरा लंड खड़ा हुआ, तो उसने फिर से मेरी चूत में अपना लंड चलाना शुरू कर दिया.
इकबाल इस बार मुझे जोर जोर से चोदने लगा. हमारा दूसरा राउंड भी लम्बा चला. उसका भी अंत हो गया. जब इकबाल ने मेरी चूत से अपना लंड बाहर निकाला, तब मैंने उसे और उसने मेरी चूत को देखा.
मेरी चूत में से इकबाल का … और मेरी चूत का पानी मिल कर निकल रहा था.
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