बुआ की लड़की की देसी देहसुख

Dilshad Ahmad


मेरा नाम अंकुश है. मेरी उम्र 22 साल है. यह उस समय की बात है, जब मैं 20 साल का था, आंशिक लॉकडाउन लगा हुआ था. उस समय मैंने मेरी बुआ की लड़की की ताबड़तोड़ चुदाई की थी, उसी की यह सेक्स कहानी है. 

तब हुआ यह था कि बुआ की लड़की हमारे घर पर आई थी, उससे मेरी निगाहें टकरा गई थीं. फिर हालात बनते चले गए और हम दोनों ने रात को देसी अंदाज़ में 4 बार सेक्स किया. 

आइए पूरी हॉट कज़िन Xxx कहानी बताता हूँ. मेरी बुआ की लड़की गर्मियों की छुट्टियों में हमारे गांव आई थी. पहले एक दो दिन मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया. फिर शाम को अचानक मेरी नज़र उसके फिगर पर गयी. 

मैं उसके फिगर को देखता ही रह गया. सच में उसका क्या फिगर था; एकदम कयामत लग रही थी. मेरा लंड उसकी बुर का दर्शन करना चाहता था. मैंने बाथरूम में जाकर उसके नाम की मुठ मार ली. 

उसके बाद मैं सोने चला गया. सारी रात मेरा मन उसको चोदने के बारे में सोचता रहा. मैंने काफी देर तक सोचा कि कैसे इस कयामत की चुदाई की जाए. यही सोचते हुए उस रात मैंने रात में 2 बार मुठ मारी और सो गया. 

अगले दिन मुझे 2 दिन के लिए बाहर जाना पड़ा; मन तो नहीं था पर ज़रूरी था. बाहर से मैं जैसे ही घर लौटा, तो शाम को मैंने देखा कि वह मेरी तरफ कुछ शर्मीले अंदाज़ में देख रही है. 

मुझे ये अपने लिए हरी झंडी जैसी लगी. फिर उसके दो दिन बाद मैं मकान की छत पर घूम रहा था. मकान के ऊपर एक कमरा था, उसमें केवल मैं रहता था. 

बुआ की लड़की लगभग 11 बजे थे छत पर आई. हम दोनों पहले छत पर घूमते रहे. उसके बाद हम छत पर पड़ी एक बेंच पर बैठ गए और बातें करने लगे. 

बातों ही बातों में मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. उसने कुछ नहीं कहा. मैंने फिर उसको अपनी गोद में बिठा लिया. उसने तब भी कुछ नहीं कहा. मैं समझ गया कि इसकी चूत भी लंड की प्यासी है. 

तो मैं उसको कमरे में ले गया और उसे बेड पर बिठा दिया. उसके बाद मैंने धीरे धीरे उसके मम्मों को दबाना शुरू किया तो वह जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी. उसकी मुखाकृति देख कर मैं भी उत्तेजित होने लगा और जरा ज्यादा जोर से उसके दूध दबाने लगा. 

वह कामुक आवाजें निकाल रही थी ‘आह … आह धीरे करो आह … उफ़.’ मैंने उसके होंठों को किस करना आरंभ किया. उसके होंठ बड़े ही रसीले थे. 

वह भी पूरी तन्मयता से मेरे होंठों से अपने होंठ लगाए हुई थी. मैंने भी जोश में आकर उसके होंठों को इतनी जोर से किस किया कि बस पूछो ही मत. 

वह चिल्ला पड़ी- आह … मैंने जोश में उसका एक होंठ जरा सा काट लिया था. उसके होंठ से खून झलकने लगा था. मैंने उसके उसी होंठ को अपने होंठों से दबा लिया और उसका खून चूस कर उसे मादक अहसास करवाने लगा. 

वह भी मदहोश हो गई और मेरे होंठों में अपने होंठ देकर मुझ पर मानो समर्पित हो गई थी. कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ उसके ऊँह में सरका दी तो वह गनगना गई और मेरी जीभ को किसी लेमनचूस की गोली की तरह चूसने लगी. 

मेरे मुँह की लार उसके मुँह में जाने लगी और वह उसे मीठा रस समझ कर पीने लगी. सच में यह पल ऐसा था कि मैं ताजिंदगी नहीं भूल पाऊंगा. कुछ देर बाद उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी और वही सब मैंने भी उसकी जीभ के साथ किया. 

जीभ चूसते हुए ही मैंने उसके एक दूध को अपनी हथेली में भर लिया और किसी रबर की गेंद की तरह उसे मसलने लगा. कुछ देर बाद हम दोनों के होंठ अलग हुए तो हमारी आंखों में भारी नशा भरा हुआ था; 

हम एक दूसरे को बस कामुकता से देख रहे थे. मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए. कुछ ही पल बाद वह मेरे सामने ऊपर से नंगी हो गई थी. मैंने अपनी टी-शर्ट भी उतार दी और उसे अपनी गोद में अपनी तरफ मुँह करके बिठा लिया. 

उसने अपनी टांगें मेरी कमर से लपेट कर मुझे जकड़ सा लिया था. उसकी चूत मेरे पेट से लगी थी. अब मैंने उसके एक दूध को अपने मुँह में भर लिया. वह भी आह आह करती हुई अपने दूध को मेरे मुँह में देने लगी. 

उसने एक खेल सा शुरू कर दिया जो मुझे और उसको दोनों को ही बड़ा सुख दे रहा था. मैं उसके निप्पल को अपने मुँह में दबाए हुए था और वह पीछे को हो गई. 

इससे उसका दूध खिंचने लगा. वह अपने दूध को रबर की तरह खिंचता देख कर कामुक होने लगी और मेरे सर के बालों को अपने एक हाथ से पकड़ कर पीछे को खींचने लगी. 

मुझे बालों में दर्द हो रहा था मगर निप्पल छोड़ना नहीं चाहता था, जिस वजह से उसकी चूची काफी ज्यादा खिंचने लगी थी. ये खेल बड़ा मजेदार लग रहा था. उसने अपने दोनों मम्मों को इसी तरह से खिंचवाया. 

अब वह और गर्म होने लगी. मैं उसको अभी और गर्म करना चाहता था. दूध के बाद उसकी चूत पर हमला करना बाकी था. 

इसलिए मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और वह वासना से सिसकारियां भरने लगी ‘ऊओ … आआह … उफ … आआह.’ उसके बाद पहले मैंने उसकी चूत को नंगी करना शुरू किया, लोअर और पैंटी को खोलकर एक तरफ फेंक दिया. 

सामने सफाचट चूत देख कर मुझसे रहा न गया और मैंने उसे चित लिटा दिया. उसने भी मेरी भावना को समझ लिया और अपनी दोनों टांगें फैला दीं. मैंने उसकी गर्म चूत में धीरे से एक उंगली को डाल दिया. 

वह एकदम से उछल पड़ी. शायद यह उसका पहली बार का मामला था. मेरी आंखें चमक उठीं कि मेरे लौड़े को सीलपैक चूत को फाड़ने का अवसर मिल गया है. मैंने पूछा- कभी पहले सेक्स नहीं किया? 

उसने धीरे से ना में गर्दन हिला दी- नहीं ये मेरा फर्स्ट टाइम है. मैं समझ गया कि घोड़ा छाप चुदाई नहीं चलेगी. पहले इसके साथ आराम आराम से सेक्स करना पड़ेगा. 

तब मैं उसके बाजू में था और उसके होंठों को चूसते हुए धीरे से अपनी उंगली उसकी चूत में डाल कर अन्दर बाहर करने लगा. वह हल्के स्वर में चीख रही थी- एयेए … एयेए … उई … उफ्फ़. 

अब मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया. वह सिहर उठी और पहले तो मेरे सर को हटाने लगी. मगर मैंने अपनी जीभ से चूत को चाटना शुरू किया तो वह मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी. 

कुछ ही देर में उसकी चूत बह निकली और मैंने उसका सारा रस चाट लिया. बड़ा ही कसक देने वाला रस था. रस चाट लेने के बाद भी मैं लगा रहा और वह दुबारा से अपनी गांड उठा कर मेरे मुँह में चूत देने लगी. 

इससे समझ आ गया कि लड़की लंड के लिए मचल उठी है. फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और धीरे से उसकी बुर पर अपना लंड रख दिया. उसकी चूत ने लंड का स्पर्श किया तो वह ऊपर उठ कर लंड को खाने की चेष्टा करने लगी. 

मैंने ठोकर मारी मगर पहली बार में लंड अन्दर नहीं गया. चूंकि उसका फर्स्ट टाइम था तो चूत खुली नहीं थी. फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड को उसके हाथ में दे दिया. 

उसने समझ लिया कि रास्ता दिखाने का काम सौंपा गया है. उसने मेरे लौड़े को अपनी चूत की फांकों में रगड़ कर मुझे इशारा दे दिया. मैंने जैसे ही एक जोरदार धक्का मारा, वह चीख उठी. 

तुरन्त मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और लौड़े को दाब लगा दी. लंड अन्दर सरक गया. वह काफी तड़फ रही थी और छटपटा रही थी. मगर मैं किसी कसाई की तरह उसकी चूत को भोसड़ा बनाने की जिद में लगा रहा. 

कुछ देर बाद लंड ने चूत में अपना स्थान बना लिया था और चूत ने भी कुछ रस सा छोड़ कर लौड़े की राह आसान कर दी थी. अब उसका चीखना कम हो गया था. मैं अपने लंड को उसकी बुर में धीरे धीरे डालने निकालने लगा. 

उसे दर्द होने लगा और कुछ ही झटकों के बाद उसने मेरा लंड पकड़ लिया. वह रोने लगी- नहीं करो. फिर मैंने उसकी हिम्मत बंधाई और लंड को बुर में धीरे धीरे अन्दर बाहर किया. 

वह कुछ शांत हुई ही थी कि मैंने एकदम से उसकी बुर में अपना पूरा लंड चांप दिया. इस बार वह बहुत जोर से चीखी लेकिन मैंने झट से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और तेजी से लंड को अन्दर बाहर करने लगा. 

कुछ देर बाद मैंने होंठ हटा दिए तो उसकी कामुक आवाजें निकल रही थीं- आह मर गई … उई मम्मी रे उफ्फ़. फिर धीरे धीरे वह भी मेरा साथ देने लगी. 

मस्त चुदाई चलने लगी. वह भी कमर चलाने लगी थी और खुश होकर चूत चुदवा रही थी. थोड़ी देर बाद मैं झड़ने ही वाला था कि मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और उसके मुँह को अपने हाथ से पकड़ कर आगे को करके सारा माल उसके मुँह में डाल दिया. 

वह कुछ समझ ही न पाई, उसके गले से सारा माल अन्दर चला गया. वह शिथिल हो गई थी और मुँह बना रही थी. मैंने पास रखी पानी की बोतल उसके मुँह में लगा दी और उसको पानी पिला दिया जिससे उसके पेट में मेरा वीर्य चला गया. 

कुछ देर बाद हम दोनों फिर से गर्म हो गए और मैंने दोबारा से उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद वह झड़ने वाली थी. 

उसने कहा- जल्दी जल्दी चोदो … मैं झड़ने वाली हूँ. जैसे ही वह झड़ी मैंने उसकी चूत से लंड निकाल कर अपना मुँह लगा दिया. उसका नमकीन पानी मैंने अपने मुँह में ले लिया. फिर मैंने उसे चोदा और कुछ ही देर में हम दोनों झड़ गए. 

इस बार मेरे लौड़े का स्खलन उसके मम्मों पर हुआ था. हम दोनों साफ होकर एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे. उस रात को हम दोनों ने कई बार सेक्स किया. 

बाद में दोनों ने एक दूसरे को साफ किया और किस करने लगे. उसने मुझसे कहा- लाइफ में पहली बार मुझे इतना मज़ा आया है. तुम इतने दिनों तक कहां थे. मैं जब भी यहां आती हूँ, तो बस तुम्हारी तरफ ही देखती रहती थी. 

तुम तो मुझे कभी भाव ही नहीं देते थे. मैंने हंस कर कहा- हां, सच में मुझे मालूम ही नहीं था कि तुम्हारे मन में मेरे लिए क्या था. हम लोग काफी देर तक बातें करते रहे. 

वह मुझसे पूछने लगी कि तुम लगते तो नहीं कि तुम्हारा ये पहली बार था. वह मेरे चोदने के अनुभव को जान कर यह पूछ रही थी. 

बाद में मैंने उसको अपनी पिछली लाइफ के बारे में बताया और उसे अपनी एक्स-गर्लफ्रेंड की चुदाई के बारे में बताया. मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में सुनकर भी उसकी प्रतिक्रिया सामान्य ही थी. 

मैं समझ गया था कि अब इसको रोज ही मेरा लंड चाहिए. उसने मुझे गले से लगाकर चूमा और नीचे जाने की बात कही. उसका जाना जरूरी था क्योंकि सुबह के चार बज चुके थे. 

गांव में जल्दी ही लोग जाग जाते हैं. इससे पहले कि कोई जागता, मैंने उसको नीचे भेज दिया. वह नीचे मेरी बहन के कमरे में जाकर सो गयी. 

अब जब भी हम दोनों को मौका मिलता है, हम दोनों छत वाले कमरे में चुदाई करने लगते. मैं किसी ना किसी बहाने से बुआजी के घर भी जाने लगा था और वहां जब भी मौका मिलता, अकेले में उसकी चुदाई करने लगता. 

अब तो बुआ ने उसको पढ़ने के लिए मेरे पास ही भेज दिया है ओर आज वह मेरे साथ ही रहती है. हम दोनों रोज रात को जी भरकर चुदाई करते हैं.

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