मरीज लड़की चूत चुदवाने के लिए घर आई :- हॉट गर्ल गोवा सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं एक अस्पताल में डॉक्टर हूँ. एक दिन गोवा की एक खूबसूरत सेक्सी लड़की मेरे से इलाज कराने आई. उसे मैंने चोदा
नमस्कार दोस्तो, आपके सामने अपनी नयी हॉट गर्ल गोवा सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूं. अब मेरी नयी चुदाई कहानी का मजा लीजिए. इसमें मैंने एक कमसिन लड़की की सील तोड़ी थी.
यह बात उन दिनों की है, जब मैं कोंकण में काम कर रहा था. मेरा काम उस नर्स से मस्त चल रहा था लेकिन उसकी शादी तय हो गई और वो शादी करके अपने पति के साथ चली गई.
उसके जाने के बाद मैं अकेला रह गया. मेरा काम तो चल रहा था लेकिन एक बार जिसको चोदने को मिल जाए तो उसकी फिर आदत लग जाती है. वैसे तो मैंने बहुत कंट्रोल किया लेकिन क्या करें … लंड है मानता नहीं.
फिर कुछ ऐसा हुआ कि खुद मुझे भी पता नहीं चला कि ऐसी लड़की मुझे मिल जाएगी. ऐसा हुआ कि एक दिन मैं अस्पताल में बैठा रोगी देख रहा था. एक लड़की अन्दर आई, वो एकदम मस्त माल थी.
क्या बताऊं दोस्तो … इतनी वो हसीन लड़की थी कि मेरी आंखें झपक ही नहीं रही थीं. वो इतनी गोरी और ऊंची थी कि कोई मॉडल भी उसके सामने फेल हो जाए. उसकी उम्र शायद बीस साल के आस-पास की रही होगी.
वो मेरे केबिन में अन्दर आई. उसके साथ मेरे अस्पताल में काम करने वाली नर्स भी आई. यह नर्स मेरे लिए फील्ड में काम कर रही थी; गांव गांव जाती थी और मरीज लाती थी.
मैंने नर्स से पूछा- ये कौन है? उसने कहा- सर ये गोवा के उस गांव की है, जहां मैं पिछले हफ्ते काम कर रही थी. इसकी ट्रीटमेंट अस्पताल में चलती थी. अब उसकी ट्रीटमेंट खत्म हो गई थी. जानकारी हुई कि मेरे पहले काम करने वाले डॉक्टर ने उसका इलाज किया था.
मैंने पूछा कि अब अगर ट्रीटमेंट पूरी हो गई है, तो अब मैं क्या करूं? नर्स ने कहा कि उसको अन्दर फिर से वही दिक्कत शुरू हो गई है. दिक्कत कुछ जिस्म पर सफ़ेद दाग से सम्बन्धित थी. शरीर के अंदरूनी भाग दाग देखने की बात से मेरे अन्दर तो मानो खुशी की लहर आ गई.
मैंने सोचा कि अगर ऐसी लौंडिया एक बार चोदने को मिल जाए तो मजा आ जाए. मैंने उसके पेपर देखे तो पता चला कि उसको लेप्रोसी की बीमारी थी और उसके शरीर पर कुछ दाग़ आ गए थे जो पहले डॉक्टर की दवाई से ठीक हो गए थे.
लेकिन कुछ समय बाद उसको फिर से दाग़ आने लगे थे. इस समय तक लेप्रोसी के ट्रीटमेंट की कुछ दवाई बदल गई थी. मैंने नर्स से कहा- अभी क्या कर सकते हैं?
वो बोली- कुछ भी करो सर … इसको ठीक करो. बहुत डॉक्टरों को दिखाया था लेकिन उसको ठीक नहीं कर पाए. अभी आपका नाम सब लोग ले रहे हैं इसलिए मैं खुद उसको लेकर आई हूं. इसकी मां ने ख़ुद मुझे उसके साथ भेजा है.
मैं बोला- ठीक है, मैं चैक करता हूं, फिर देखते हैं क्या ट्रीटमेंट देना है. तभी उस लड़की ने नर्स के कान में कुछ कहा और वो लड़की खुद बाहर निकल गईं. नर्स उधर मेरे पास ही खड़ी रही. मैंने नर्स से पूछा- क्या हुआ?
वो बाहर क्यों गई? नर्स बोली कि मेरे सामने दिखाने में उसको शर्म आ रही थी. वो अकेले में आपको दिखाना चाहती है. क्योंकि उसको जो दाग हैं, वो ऐसी जगह पर हैं कि वो मुझसे शर्मा रही थी.
अब मैंने एक अच्छे डॉक्टर की तरह उस नर्स से कहा- मैं अकेले में उसको नहीं देख सकता क्योंकि कल अगर उसने मुझ पर इल्जाम लगाया कि मैंने उसको टच किया, तो मैं फंस जाऊंगा. नर्स कुछ नहीं बोली.
फिर मैंने उसको बुला कर कहा- मैं तुमको दवाई दे देता हूं. उससे तुमको आराम पड़ जाएगा. तीन महीने दवाई खानी पड़ेगी. उस लड़की ने हामी भर दी. मैंने दवाई लिखकर दे दी.
वो बिना कुछ दिखाए चली गई. मैंने सोचा कि चलो कोई बात नहीं, शायद ये मेरे नसीब में नहीं थी. फिर मैं अपने काम में लग गया. ऐसे ही कुछ तीन चार महीने बीत गए. मैंने उसको तीन महीने की दवाई दे दी थी.
एक दिन वही नर्स फिर से अस्पताल में आई. उसने बताया- सर वो लड़की आपसे मिलने फिर से आई है. मैं उसे भूल चुका था. मैंने पूछा- कौन आई है? उस नर्स ने मुझे याद दिलाया कि मैंने उस लड़की को दवाई दी थी.
मैंने उस नर्स से पूछा कि क्या हुआ, अब वो ठीक हो गई? नर्स ने कहा- आपकी दवाई से उसकी सब बीमारी ठीक हो गई है लेकिन वो आपसे मिलना चाहती है क्योंकि उसको डर है कि पिछली बार जैसा फिर ना हो जाए.
मैंने कहा- अब उसको कुछ दिक्कत नहीं आएगी. लेकिन उसे लगता है तो वो और तीन महीने दवाई चालू रखे क्योंकि उसकी दवाई छह महीने तक लेनी ही पड़ेगी.
नर्स ने कहा- आप एक बार देख लीजिए, उसकी मां बहुत पीछे पड़ी है. वो मेरे सामने दिखाना नहीं चाहती. मैंने कहा- तुमको पता है कि ऐसी बात से मैं दिक्कत में आ सकता हूं. उस नर्स ने कहा- सर, आप चिंता मत करें, ऐसा कुछ नहीं होगा.
मैं उसकी जिम्मेदारी लेती हूँ. मैंने कुछ सोचा कि चलो ठीक है. अब वो इतनी जिद पर अड़ी है तो मेरा क्या है. वैसे भी मैं भी भूखा ही था, बहुत दिनों से कोई चूत नहीं मिली थी. उस नर्स से मैंने कहा- अस्पताल के टाइम में तो मैं नहीं देख सकूंगा क्योंकि भीड़ बहुत रहती है. उसने कहा- सन्डे को आपकी छुट्टी रहती है, तो वो सन्डे को आ सकती है.
मैं बोला- एक दिन तो आराम करने दो. वो बोली- सर, प्लीज कुछ भी करो. मैंने उसको अपने रूम पर भेजने को बोल दिया. क्योंकि आजकल मैं अकेला था और दिन भर कोई नहीं आता था.
मैंने बोला- उसको समझा कर भेजो क्योंकि चैक करते समय मुझे हाथ लगाना पड़ेगा. नर्स बोली- हां ठीक है सर. मैं- और चैकअप में समय भी लग सकता है. वो नर्स समझ गई और मुस्कुरा कर चली गई.
दो दिन निकल गए. मैं भी भूल गया कि वो आने वाली है. फिर सन्डे का दिन आया. मैं अपने कमरे में आराम से सो रहा था. सुबह दस बजे मेरे दरवाजे पर किसी ने बेल बजाई तो मैं जाग गया.
वैसे तो मैं सोते वक्त खाली हाफ पैंट में सोता था. और आपको तो पता ही है कि सुबह सुबह लंड खड़ा रहता है. घंटी बजने पर मैं उठा और दरवाजा खोलने चला गया. मेरे पैंट में लंड फूले होने के कारण तंबू बना हुआ था. रविवार को सुबह सुबह किसी के इस तरह से घंटी बजाने से मुझे बड़ी भुनभुनी आ रही थी.
मैंने नाखुश होते दरवाजा खोला तो सामने वही लड़की अकेली खड़ी थी. उसे देख कर मेरा गुस्सा काफूर हो गया. मुझे याद आया कि मैंने ही उसको आज आने के लिए बोला था.
मैंने उसको देखा तो उसकी नजर मेरे पैंट पर टिकी थी. उसने मुझसे पूछा- क्या मैं अन्दर आ सकती हूं? मैंने उसको अन्दर आने को बोला.
वो अन्दर आ गई तो उसने कहा- प्लीज दरवाजा बंद कर दीजिए. मैंने दरवाजा बंद कर दिया और वो सीधे मेरे रूम में आ गई, जहां मैं सो रहा था. वो उधर ही जाकर बैठ गई. मैंने कैसे न कैसे करके अपना सामान ठीक किया और अन्दर आ गया.
मैंने उससे कहा- तुम थोड़ी देर बैठो, मैं फ्रेश होकर आता हूं. मैं बाथरूम में चला गया और फ्रेश होकर बाहर आ गया. अब मैं उसके सामने बैठा और उससे पूछा- हां अब बोलो क्या हुआ?
वो बोली कि आपकी दवाई से काफी फर्क पड़ा है. दवाई के बाद अब सब ठीक भी है, लेकिन जो दाग थे कहीं वो फिर से दिखाई न दे जाएं, इसलिए मुझे उनको चैक करवाना था.
मैंने कहा- ठीक है, देखते हैं. पहले ये बताओ कि अब सब ठीक है या एकाध जगह हैं? वो बोली- मुझे तो समझ नहीं आता है. आप चैक कर लीजिए, आप कैसे चैक करेंगे?
मैं बोला- चैक करने के लिए तुम्हें अपने कपड़े तो निकालने ही पड़ेंगे. नहीं तो मैं चैक कैसे करूंगा? वो बोली- ठीक है. लेकिन आप बाहर जाओ और जब मैं कपड़े हटा कर अपना शरीर ढक लूंगी, तो आपको बुला लूंगी.
मैंने बोला- ठीक है मैं दूसरे कमरे में चला जाता हूं. मैं चला गया. पांच मिनट के बाद उसने आवाज देकर मुझे बुलाया. मैं अन्दर गया तो वो मेरा कंबल ओढ़कर बेड पर लेटी थी.
मैं अभी घर में पहनने वाले कपड़ों में ही था. हाफ पैंट और टी-शर्ट पहनी हुई थी. अब मैंने एक कॉटन लिया और उससे कहा कि कम्बल हटाओ. उसने कम्बल हटा दिया. मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं. मैं देखता ही रह गया. क्या हुस्न पाया था लड़की ने.
गोरी लंबी और बूब तो क्या कहूं. फिर नीचे एक लाइन जैसी नाजुक सी चूत, उस पर झांटें थीं. मगर झांटों के बीच चूत की मस्त झांकी मेरे लंड की हालत खराब कर रही थी.
मेरा तो उसे यूं देख कर बुरा हाल हो गया और मेरी पैंट में तंबू बन गया. मैंने अपने दिमाग से वासना को दूर धकेला और उसको चैक करने के लिए मानसिक रूप से खुद को तैयार किया.
मैंने उससे बैठने के लिए कहा. मैं अब उसके सिर से चैक करने लगा था क्योंकि लेप्रोसी में नर्व देखनी पड़ती है और सेंसेशन देखने पड़ते हैं.
मैं हाथ और कॉटन से चैक करने लगा. फिर छाती पर चैक किया, पांव भी चैक किए. सब कुछ चैक करने के बाद मैंने कहा- तुम बिल्कुल ठीक हो.
वो बोली- नहीं, आपने ठीक से नहीं देखा. पहले मुझे जो दाग आए थे, वो पुसी के पास थे. उधर चैक कीजिए ना. मैं बोला- उसको देखने के लिए मुझे वहां हाथ लगाना पड़ेगा.
वो बोली- हां मैं उसी के लिए आई हूं. दूसरे किसी को नहीं दिखा सकती. मैंने फिर से कहा- सोच लो, फिर मत बोलना कि डॉक्टर ने यहां हाथ लगाया.
वो बोली- मैं किसी को कुछ नहीं कहूंगी. अब मैंने उसको लेटने के लिए बोला और उसके पांव के पास बैठ गया. लेकिन वो एक बिस्तर था कोई टेबल तो नहीं थी कि मरीज अच्छी तरह पोजीशन आ जाए.
फिर उससे मैंने दोनों पैर खोलने के लिए कहा. तो उसने झट से अपनी टांगें खोल दीं. उसकी चूत खिल उठी थी. मैं उसकी पुसी के होंठों को देखने लगा.
लेकिन फिर भी मैं ज्यादा नहीं देख सका. क्योंकि उसकी चूत के आजू-बाजू में बहुत बाल उगे थे. मैं बोला- मैं नहीं देख सकता. वो बोली- प्लीज चैक कीजिए न!
मैंने कहा- हां मगर उसके लिए तुम्हारी पुसी के बाल शेव करने पड़ेंगे. फिर वो बोली- हां ठीक है. मैंने उससे कहा- अन्दर बाथरूम में मेरा रेजर आदि रखा है. जाओ उससे निकाल कर आ जाओ.
वो नंगी ही उठी और एक चादर लपेट कर बाथरूम तक गई. उसने चादर बाहर ही छोड़ा और अन्दर चली गई. उसे इस तरह से चलते देख कर अब तक मेरे अन्दर खलबली मच चुकी थी.
मैं बैठा रहा और उसके चूत साफ़ करके आने का इन्तजार करता रहा. कुछ देर बाद उसने अन्दर से आवाज दी और मुझे अन्दर आने के लिए बोला. मैं अन्दर गया, तो मेरे पसीने छूट गए.
अन्दर वो लड़की नंगी बैठी थी. मैं अन्दर पहुंचा और पूछा- क्या हुआ? वो बोली- मेरा हाथ उधर सही से नहीं जा रहा है. आप प्लीज़ मेरी कुछ मदद करो.
मैंने जरा गुस्सा दिखाते हुए कहा- यार, तुम तो मेरे पीछे ही पड़ी हो. वो बोली- प्लीज आप कर दो न! मैंने सोचा कि चलो इतना ड्रामा ठीक है, अब इसकी चूत का काम कर ही देता हूँ.
शायद आज ये भी चुदवाने के लिए ही आई है. फिर जब चोदना ही है तो क्यों ने इसे बेड पर बुला कर उसकी चूत का जायजा लिया जाए. मैंने उससे बाहर आकर बेड पर लेटने के लिए बोला.
वो बेड के नीचे फर्श पर बैठ गई. मैंने देखा कि उसकी आंखों में वासना की लालिमा छाई हुई थी. मैं भी अब मूड में आ गया था. मैंने शेविंग क्रीम उसकी चूत पर लगाई और उसकी शेविंग करने लगा.
साथ ही मैं अपनी एक उंगली से उसकी चूत के दाने को भी मसलने लगा. उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने धीरे से एक हाथ ऊपर बढ़ा दिया.
मैं अपना हाथ उसकी चूचियों की तरफ ले गया और उसकी एक चूची को दबाने लगा. फिर धीरे धीरे उसकी शेविंग पूरी हो गई तो देखा कि वो आंखें बंद करके बैठी हुई थी.
मैं शेविंग का सामान लेकर जाने के लिए जैसे ही मुड़ा तो उसने मेरे हाथ पकड़ लिया और नशीली आंखों से मुझे देखने लगी. फिर वो अचानक उठी और मुझे किस करने लगी.
मैं तो पहले से ही टाइट था, तो हमारा काम शुरू हो गया. वो तो पहले से ही नंगी थी तो उसने मुझे कुछ करने का मौका नहीं दिया, उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए.
फिर मैं भी नंगा हो गया. हमारे बीच सेक्स की लड़ाई शुरू हो गई. वो बोली- इस दिन का मैं कबसे इंतजार कर रही थी. मैंने पूछा- ऐसा क्यों?
वो बोली- आपकी जो नर्स शादी करके गई थी, उसने आपकी मर्दाना ताकत के बारे में बताया था. मैंने जाना तो मालूम हुआ कि वो नर्स उसकी फ्रेंड थी.
मैंने बोला कि इससे पहले तुमने कभी सेक्स किया है? वो बोली कि नहीं … मैंने तय किया था कि आपसे ही मैं अपनी सील तुड़वाऊंगी. मैं समझ गया कि आज मेरे लौड़े के नसीब में और एक सीलपैक चूत लिखी है.
मैंने उसको चूमना शुरू किया. उसके कमल के फूल जैसे होंठों को मैं बेदर्दी से चूस रहा था और एक हाथ से उसके मम्मों को भी दबा रहा था.
उसके निप्पल के छोटे छोटे दाने जैसे बाहर आ गए थे. फिर धीरे से मैंने उसके दोनों मम्मों को एक एक करके चूसना शुरू किया. वो भी मेरे सर पर हाथ फेर रही थी,
उसके मुँह से मदभरी आवाज निकल रही थी. फिर उसने धीरे से मेरा लंड हाथ में लिया और हिलाने लगी. वो बोली- मैं लंड चूसना चाहती हूँ. मैं बिस्तर पर बैठ गया.
उसने बिस्तर के नीचे अपने घुटनों के बल बैठ कर अपने एक हाथ से लंड को पकड़ा और उसे हिलाने के साथ चूसना शुरू कर दिया. कुछ देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर ऊपर ले लिया और उसकी टांगों के बीच में बैठ गया.
मैं उसकी चमचम करती हुई चूत को देखने लगा. क्या चूत थी यारो! पहले मेरा चूत चाटने का मन नहीं था लेकिन उसकी पिंक चूत देखने के बाद मेरा मन मान नहीं रहा था.
मैंने भी उसकी चूत को और दाने को चूसना शुरू कर दिया. अब हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए. मैं उसके मुँह में लंड पेल कर उसका मुँह चोद रहा था और उसकी चूत को भी चाट रहा था.
फिर एक वक्त आया कि हम दोनों झड़ गए. उसने मेरा पूरा माल़ पी लिया और मेरा मुँह उसके पानी से भर गया. मैंने चूत चाटते समय उसकी फांकों को फैला कर देखा तो उसकी चूत की झिल्ली अभी भी साबुत थी.
मैं समझ गया कि ये अभी तक कुंवारी है. इसने अपनी चूत में मोमबत्ती या कुछ और भी नहीं किया है. अब मैं सीधा हो गया और उसकी बाजू में आ गया. उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया.
मैं भी उसके मम्मों को दबाने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को मसलना शुरू कर दिया. वो अपनी गांड उठाकर मुझे साथ दे रही थी. कुछ देर बाद वो उठी और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.
थोड़ी देर में मेरा लंड कड़क हो गया. मैंने उसको घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत पर लंड घिसने लगा. वो आगे पीछे होने लगी.
अभी मैं उसको और मजा देना चाहता था तो मैं अपनी कमर को सिर्फ आगे पीछे कर रहा था. मैं उसको इतनी चुदासी कर देना चाहता था कि वो चिल्ला चिल्ला कर लंड पेलने की कहने लगे.
वही हुआ. वो वासना के दरिया में गोते लगाने लगी और बोली- अब अन्दर डालो … प्लीज कुछ करो. मैंने उससे कहा- तुम्हें दर्द होगा.
वो बोली- जो चाहे हो, हो जाने दो. मैं सब सहन कर लूंगी, नहीं तो मर जाऊंगी … अभी आप ज्यादा मत सोचो बस डाल दो.
मैंने उसकी चूत के होंठों को फैलाया और चुदाई की पोजीशन ले ली. लंड पेलने से पहले मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और एक धक्का दे दिया.
पहली बार में ही मेरा आधा लंड उसकी चिकनी और रसीली चूत में घुसता चला गया. उसके मुँह से एक चीख निकल गई मगर हाथ लगा होने से आवाज दब गई.
उसकी आंखों में आंसू आ गए. मैं थोड़ा रुक गया और उसकी चूचियों पर हाथ रखकर दबाने लगा. मैंने उसको थोड़ा शांत होने दिया और किस करने लगा.
जैसे ही मुझे लगा कि अब वो ठीक है, तो मैंने एक जोरदार धक्का और से दिया. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत फाड़ता हुआ अन्दर चला गया.
उसकी चूत में से खून आने लगा. उसका तो बुरा हाल हो गया था. उसने घुटी आवाज में कहा- बहुत दर्द हो रहा है. मैंने कहा- अब दर्द नहीं होगा. मैं धीरे धीरे उसको चोदने लगा.
कुछ पल बाद उसको थोड़ा अच्छा लगने लगा तो वो खुद आगे पीछे होने लगी. वो मेरा लंड जितना अन्दर ले सकती थी, लेने लगी. दस मिनट चोदने के बाद मैंने उसको सीधा लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया.
उसने अपने पैर मेरी कमर पर जकड़ लिए और एक हाथ से मेरा लंड अपनी चूत पर सैट कर दिया. फिर मैंने एक जोरदार धक्का मारा, मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया.
उसने मुझे ऐसे जकड़ लिया मानो वो जौंक हो. अब मैं उसको चोद रहा था, वो भी नीचे से कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी. हम दोनों पसीने से भीग गए थे.
बीस मिनट की मजेदार चुदाई के बाद हम दोनों का काम तमाम होने वाला था. मैंने उससे पूछा- कहां निकालूं? वो बोली- अन्दर ही निकालो. आप तो मेरे डॉक्टर हो. एक और गोली खा लूंगी.
मैंने ये सुनते ही स्पीड बढ़ाई और अपना पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया. झड़ कर मैं वैसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा. कुछ देर में धीरे धीरे मेरा लंड सिकुड़कर बाहर आ गया. उसकी चूत से खून और मेरा पानी मिक्स होकर बाहर आ रहा था.
मैंने उसको उठाया और हम दोनों बाथरूम मैं जाकर नहाए, फिर बेड पर आ गए. मैंने उससे पूछा- अब कब मिलोगी?
वो बोली- कभी भी बोलो, आज से जब तक मेरी शादी नहीं होती, तब तक मैं आपकी ही हूं. मैंने उसको चूमा और जाने दिया. उसने जाते वक्त कहा- गोवा में मेरी जॉब लग गई है.
जब आपका दिल करे, आ जाना. मैंने कहा- ओके डियर अब गोवा में ही तुम्हारी चूत लूंगा. वो हंस दी. मैंने उसको गोवा में जाकर कैसे चोदा,
वो मैं अगली बार की गोवा सेक्स कहानी में बताऊंगा. उधर उसकी वजह से कितनी ही लड़कियां मेरे पास चुदवाने आईं, वो भी बताऊंगा.
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