दोस्तो, मेरा नाम अनिकेत भारद्वाज है. मैं देहसुख का नियमित पाठक हूँ. मेरी लम्बाई छह फुट की है और मैं कसरती शरीर का मालिक हूँ.
मेरी उम्र 24 साल है और मेरे डंडे की लम्बाई सात इंच है. इसकी मोटाई भी अच्छी खासी है. मेरा लंड गेहुंआ है और टोपे का रंग बिल्कुल गुलाबी है. मेरी चौड़ी छाती मेरे शरीर की शोभा बढ़ाती है
क्योंकि मेरी छाती स्पष्ट रूप से दो भागों में मजबूती से बंटी हुई दिखती है और इस पर हाथ फेरते ही महिलाओं की चूत भभक उठती है.
ये मोहब्बत भरी रासलीला सेक्सी गुजरती लड़की हिना नाम की एक कामुक लड़की की है. हिना दिखने में दुबली पतली है. उसके चूचों की नाप 32 इंच की है. कमर 30 की और 34 इंच की गांड है.
उसके पतले होंठ और सुर्ख गुलाबी चेहरा, किसी भी मर्द की बीच की टांग में जान डाल दें. जब वह हिजाब पहन कर चलती थी तो ऐसा लगता था मानो किसी कमरे से चाँद झांक रहा हो.
ये बात आज से छह महीने पहले की है. उस समय मुझे एक मेल आया. हिना- हाय, क्या अभी बात हो सकती है? मैं- फूलों की महक के लिए भौंरे कभी मना कर सकते हैं क्या?
हिना- बड़े शायराने मिजाज में लग रहे हो जनाब! मैं- ऐसा मिजाज पसन्द नहीं क्या? हिना- क्या हम टेलीग्राम पर बात कर सकते हैं?
मैं- हां जरूर. मैंने लिंक भेज दी है, आ जाओ. अगले ही पल मेरे टेलीग्राम पर एक मैसेज था. मैं- तो बताएं मोहतरमा … बंदा क्या सेवा कर सकता है?
हिना- मैंने अभी तक पर्दे और बन्दगी में जिंदगी जी है. मैं अब कुछ समय वह सब महसूस करना चाहती हूं जो एक कपल में होता है. क्या तुम एक पार्टनर बनना चाहोगे?
मैं- मुझे कोई एतराज नहीं, पर तुम तो किसी को भी अपना बना सकती हो. फिर मेरे ही लिए ये फैसला क्यों? हिना- जनाब तुम गलत समझे, तुम्हें पहले प्रपोजल करना पड़ेगा.
अगर मैंने हां कहा, तो ही हमारी गाड़ी पटरी पर साथ में जुड़ेगी. मैं- पर मैं ऐसा क्यों करूंगा? हिना ने तीन पिक देकर कहा- शायद ये तुम्हारे इरादे बदल दे.
मैं उसे देख कर कुछ पल के लिए तो हतप्रभ ही रह गया. सच में क्या कयामत ढा रही थी वह … मानो कच्ची कली एक नशे की बोतल की तरह मदहोश कर रही हो.
मैं- कहां रहती हो? हिना- दिल्ली में. उस समय मेरी नयी नयी नौकरी भी वहीं लगी थी और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उसे में कैसे पटा पाऊंगा क्योंकि जो महिला कभी बाहर ही नहीं आएगी तो उससे मिलन कैसे होगा.
मैं- पर तुम आओगी कैसे मिलने? हिना- मैं इधर रूम लेकर सिंगल ही रहती हूँ. मैं गुजरात की हूं, पर उधर शादी की बातों में उलझ रही थी. तो मैं इधर नौकरी करने के बहाने से आ गई.
मैं इधर एक यूनिवर्सिटी में इंग्लिश पढ़ाती हूं. मैं- तो तुमने कभी बॉयफ्रेंड नहीं बनाया? हिना- ये बहुत ही जज्बाती बात है, जो मुझे झकझोर देती है. इसका जवाब मेरे पास नहीं.
मेरी शादी होने वाली है. घर वाले रिश्ता खोज रहे हैं और मैं नहीं चाहती कि शादी के बाद फिर वही घिसी-पिटी जिंदगी जीने को मिले. इसलिए मैं उस सफर में जाने से पहले अपनी कुछ दबी हुई इच्छाओं को खुल कर जीना चाहती हूं.
मेरी कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि इस बंदी को मैं कैसे पटा पाऊंगा. जिसने कभी इतनी सुंदर लड़की को पटाया ही नहीं, वह इसको कैसे पटा पाएगा.
मैं- क्या हम सेक्स की बात करें? हिना- सोचना भी मत … और तुम्हें अगर मेरी बात सही से समझ में नहीं आ रही हो, तो आज के बाद हम कभी बात नहीं करेंगे.
इसी के साथ उसने गुस्से में लाल मुँह वाले कुछ इमोजी भेज दिए. मैं- तो क्या हम एक दोस्त बन सकते हैं, जिससे हमें एक दूसरे को समझने का ज्यादा मौका मिले?
हिना- हम्म … अब की ना समझदारी की बात! इस सब वार्तालाप से मुझे एक चीज तो समझ आ गयी थी कि लड़की घूमे हुए दिमाग की है.
अब हमारे बीच नॉर्मल बात होनी शुरू हो गयी थी. उसके उठने से लेकर खाने और पढ़ने जाने तक मैं उसकी हर बात का ख्याल रखने लगा.
मुझे ये सब बहुत अजीब लग रहा था, पर अच्छा भी … क्योंकि अब वह मेरी केयर और मैं उसकी केयर करते करते वाकयी में एक दूसरे में खोने लगे थे.
पर ना ही मैं … ना ही वह, एक दूसरे को प्रपोज कर रहे थे. तब भी हमारी बातों में धीरे धीरे फीलिंग आने लगी थी. एक दूसरे को वीडियो कॉल पर देखते देखते सोना, फिर उठकर एक दूसरे को जगाना.
पर जगाने की खास बात ये थी कि वह हमेशा गाना गाकर ही जगाती थी और मैं जंगली जानवर की तरह जाग कर उसे खाने जैसा करने लगता.
दोनों के तरीके अलग थे, पर सफर एक ही चल रहा था. आशिकी का ये दौर इतना टूट कर बिखरने लगा था कि अब उसके कहने पर मैं जिम भी जाने लगा.
जो कभी सुबह रजाई में से मुँह नहीं निकालता था, वह अब शरीर में से पसीना बहाने लगा था. अभी तक हम केवल माथे पर किस करते थे. इस बीच हमारी हजारों झगड़े भी हुए थे, जो शायद बेवजह थे … पर प्यार के लिए जरूरी भी.
हम एक दूसरे की आदत में एक दूसरे को खोजने लगे थे. अब आलम ये हो गया कि हमने तय किया था कि हम दोनों एक ही सोसाइटी में दो रूम लेंगे. वह भी अलग अलग.
जिससे कि हम एक दूसरे को और बेहतर समझ सकें. हमें पास पास रूम लिए तीन महीने गुजर चुके थे और सोसाइटी में एक दूसरे के लिए हम दोनों अनजान की तरह रह रहे थे.
पर अब हम दोनों एक दूसरे से आंख मिलाने लगे थे. क्योंकि हमारी एक दूसरे को पाने की चाहत और भी जोर पकड़ चुकी थी. अब शायद मुझे ऐसा लगने लगा था कि हमें एक दूसरे के साथ बाहर कहीं घूमने जाना चाहिए.
एक रात हम ऐसे ही वीडियो ऑन करके खाना बना रहे थे तो बातों ही बातों में मैंने पूछ लिया- यार, क्यों ना हम कहीं बाहर घूमने चलें?
हिना- सोच तो अच्छी है, पर इरादे नेक हैं या वह भी कुछ और ही हैं? मैं- किस्मत हमारी है … इच्छा तो हमेशा से तुम्हारी ही है.
हिना- वैसे तुम क्या सोचते हो अगर मैं तुम्हारे साथ चलूं तो? मैं- यार, दोस्ती में भी तो एक लड़का एक लड़की घूमने जा सकते हैं ना!
हिना- माचिस जली हुई और पैट्रोल खुला हुआ साथ रहेगा, तो आग जलेगी ही. मैं- और यहां पूरा संसार जला हुआ पड़ा है … उसका क्या मोहतरमा जी! हिना- अच्छा मैं इस बारे में सोचती हूँ.
मुझे उस पर गुस्सा आया क्योंकि मैं जब भी उससे कुछ कहता था, वह हमेशा ऐसा ही करके टाल देती थी. मैंने उस पर गुस्सा जताया और फोन काटकर खाना खाने लगा.
तभी दरवाजे पर खटखटाने की आवाज आई … मैंने गेट खोला, तो हिना मेरे रूम के दरवाजे पर नाइट ड्रेस में बेलन लेकर खड़ी थीं.
यह पहली बार था कि हम एक दूसरे के इतने करीब थे. वरना मुझे तो लगा था कि सारा जीवन इसी मोबाइल की स्क्रीन पर निकल जाएगा.
मोहतरमा ने अपनी ठोड़ी के नीचे बेलन लगा कर पूछा- फोन किससे पूछ कर काटा? मैंने बेलन को हाथ से हटाया और उसकी कमर में हाथ डालकर उसे घुमा दिया.
उसे रूम के अन्दर करके गेट बन्द कर दिया. ऐसा करते ही वह और चटक गयी और मेरी छाती में बेलन से गोदने लगी और भिनभिनाती हुई बोली- हिम्मत कैसी हुई मुझे छूने की?
अब मैंने मासूम सी शक्ल बना कर कहा- चांद आज जमीन पर आया है, नजर भरके देख नहीं पाया तो छूकर करीब ले आया.
उस वक्त हम दोनों इतने करीब थे कि एक दूसरे की सांसें मिल रही थीं, पर जैसे ही मैं होंठ मिलाने के लिए आगे बढ़ा … मैडम जी तुरंत नीचे झुक गईं और गेट खोलकर भाग गईं.
मैं बस बिना रिमोट की टीवी की तरह लाल सा पड़ गया. मैंने दरवाजा बन्द किया और खाने पर फ़ोकस किया. अगले दिन हम दोनों की छुट्टी थी. हमें रूम का सामान भी लाना था और कपड़े भी खरीदने थे.
तय किया गया कि वह सामान खरीदेगी और हम कुली का काम करेंगे. बस निकल गए मॉल में … वहां से रूम का सामान लिया और कपड़े खरीदने चांदनी चौक गए.
मेरी हालत खस्ता हो चुकी थी और लंड फूल कर चार मीनार. ये सब उसे अच्छे से पता था, पर उसे तड़पाने में अलग ही सुकून आता था.
हम दोनों एक होटल में खाने के लिए साथ बैठे तो मैं इधर उधर देख रहा था. पर वह सिर्फ मुझे देख रही थी. वह भी घूर कर. मुझे समझ नहीं आया कि अब मैंने क्या गलत किया.
देखा तो मैंने जोश जोश में उसके पैर पर पैर चढ़ा दिया था. मैं नजर नीची करके बैठ गया और हमने खाना मंगाया. अब इन मोहतरमा को क्या चुलबुली हुई कि सीधे चम्मच लेकर मेरी नाक के सामने सीधी करके बोली- आंख में आंख मिला कर बात करो.
मैंने देखा कि वह इतनी नशीली दिख रही थी कि बस ऐसा लग रहा था कि इस पर टूट पड़ूँ और बस इसी में खो जाऊं. पर मैं अभी रोमांटिक हो पाता, इससे पहले ही उसने पहला सवाल दाग दिया- तुमको सबसे ज्यदा क्या पसंद है?
मुझे कुछ सूझा नहीं, मैंने भी उसी रौ में कह दिया- मेरा दिल. उसने चम्मच तुरंत हटा कर कहा- वो क्यों? अब उसके हाथ को हाथ में लेकर कहा- क्योंकि इसे तुम जो पसंद हो.
उसने फिर से मुँह बना कर मुँह फेर लिया और हमारी नॉर्मल बात होने लगीं. मैंने एक बार फिर से पूछा- कहीं बाहर चलें? हिना- कहां जाना चाहते हो?
मैं- उत्तराखंड या लोनावाला! हिना- मुझे अब किसी ऐसी शान्त जगह ले चलो, जहां सुकून हो. मैं- ठीक है, फिर समुद्र के किनारे चलते हैं.
हमने पुरी जाने का सोचा. उसके बाद शांति से खाना खाया और वहां से निकल लिए. कमरे में पहुँच कर सामान लगाया और रूम सैट करके मैं सो गया. सुबह देखा तो पंद्रह मिस्ड कॉल के साथ पूरा चैट्स में लाल मुँह तमतमाया हुआ भरा पड़ा था.
अब मूडी लड़की से तुम कितना ही सॉरी बोल लो, उसे झांट फर्क नहीं पड़ना था. जो गाड़ी हमारे लिए घूमने को पटरी पर आयी हुई थी, वह भी रद्द होती दिखायी देने लगी.
उसे मनाने में ही मेरे चार दिन निकल चुके थे. दुबारा बात जैसे ही शुरू हुई, मैंने फिर से जाने की बात की, पर उसका सिरफिरा मूड अब बदल चुका था.
इस बार मैं भी उस पर बरस गया और हमारे बीच अच्छी खासी बहस हो गयी. इसी बीच वह घर चली गयी. अब हमारा फिर पुरानी जिन्दगी पर सफर शुरू हो गया. जिस दिन वह गयी, मानो सब खत्म हो गया था.
मैंने उस दिन सब भूल कर अपनी एक पाठिका और फैन को मैसेज किया. वह दिल्ली में ही रहती थी. मैंने उससे मिलने के लिए कहा. वह झट से मान गयी और आ गई. वह मुझसे चुदने मचल रही थी.
मैंने भी उसे हचक कर चोदा और हिना समझ कर अपने जिस्म की सारी भड़ास उसकी चुत पर निकाल दी. हम यूं तो कई बार मिल चुके थे, पर इतनी महान चुदाई देख कर वह अपने जिस्म पर बने हुए निशान की शिकायत करने लगी.
पर बात आयी गयी हो गयी और सब नॉर्मल हो गया. हिना अपने रूम पर वापिस आ गयी थी पर सामने रहते हुए भी हम में कोई बात नहीं हो रही थी. इसी बीच बीस दिन बाद मेरा जन्मदिन था.
उससे बात करे हुए एक दिन भी अब अर्से के जैसा गुजर रहा था, पर बात सेल्फ रेस्पेक्ट की थी … तो हम दोनों में से कोई भी किसी को मैसेज नहीं कर रहा था.
जन्मदिन से तीन दिन पहले दरवाजे के नीचे एक लिफाफा मिला. जब मैं ऑफिस से आया तो मैंने उसे उठाया और फ्रेश होकर लिफाफा खोल कर देखा,
तो उसमें दो टिकट लोनावाला की थीं और एक लेटर था. उसमें लिखा था- रेडी फॉर सरप्राइज … ऑफ़िस से सात दिन की छुट्टी ले लेना.
नीचे काजल से आंखें बनी हुई थीं और उस पर उसके लिपस्टिक वाले होंठों के निशान. उस लेटर में मानो जन्नत सी थी. उसे दिल में लगा कर मैंने उसे वीडियो कॉल किया और इन सबके लिए थैंक्स बोलकर लिफ़ाफ़े को तकिए के संग लिपटा कर सो गया.
अगली सुबह में ऑफ़िस गया और छुट्टी की बात करके छुट्टी ले ली. अब हम दोनों साथ में निकले और हवाई यात्रा के द्वारा 7 बजे पुणे, फिर वहां से बस पकड़ कर लोनावाला.
वहां मोहतरमा ने एक ही रूम बुक कर रखा था जिसे देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं. इस होटल के कमरे में हम दोनों फ्रेश हुए. मैं शाम को उसे लेक के किनारे ले गया.
वहां मैंने एक चटाई बिछाई और एक कप लेकर आया, जिसमें मोम था. उसे जलाया और उसके आगे झुक कर पत्ते की अंगूठी बनाकर उसके सामने रख कर कहा- आई लव यू.
वह थोड़ी देर शान्त रही और रोने लगी. फिर मुझे थप्पड़ मारती हुई मुझसे लिपट गयी. पागलों की तरह मेरी गर्दन पर एक किस करती और 'आई लव यू टू' कहती गई.
उसने पांच मिनट में मेरी पूरी गर्दन छील डाली. फिर उसने वह अंगूठी अपने हाथ में पहन ली. मैंने उसे गोदी में भर लिया और जैसे ही मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबाया, उसने वह कप वाला मोम अपनी दोनों उंगलियों से मसल कर बुझा दिया.
साथ ही उसने थरथराती हुई आवाज में कहा- मुझे आज अपने में समा लो. हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे की जीभ को पीते रहे. करीब बीस मिनट बाद हमें होश आया और हम फिर हाथ में हाथ डाल कर ग्यारह बजे तक वहां घूमे.
फिर हम रूम में आए तो उसने कहा कि तुम रूम के बाहर जाओ. कमरे का गेट अब बन्द हो चुका था तो मैंने सोचा क्यों ना बाहर की ही हवा ली जाए. क्योंकि सनकी लड़की से बहस नहीं कर सकता था.
ना जाने वह कब क्या करेगी; इसका केवल अन्दाजा लगाया जा सकता है. मैं इतनी दूर आकर अपना मौसम नहीं बिगाड़ना चाहता था.
शान्ति से मैंने अपने अरमानों को दबाया और बाहर निकल आया. पर हिना को चोदने की चुल्ल अब इतनी ज्यादा हो चुकी थी कि लंड की नसें फूल गई थीं और काफी कड़क महसूस हो रही थीं.
अब इधर मैं पाठकों को हिना के जिस्म से रुबरू करा देता हूँ. वह एकदम हल्दी मिले दूध की तरह गोरी थी और इतनी हल्की थी कि उसे जोर से दबा दिया जाए … तो वह उस जगह से लाल पड़ जाती थी.
उसके होंठ किसी पतली चूत के होंठों के जैसे थे. चूत के होंठ भी सील पैक नयी लड़की की तरह के थे. बिल्कुल एक दूसरे से चिपके हुए.
उसकी कमर पर अगर एक बूंद पानी भी डालो, तो बिना रुकावट के नीचे बह जाए. उसके चूचे 30 के थे, पर एकदम खड़े हुए गोल मटोल, ऊपर की तरफ उठे हुए …
और उनके ऊपर पिंक स्ट्रॉबेरी की तरह नुकीले निप्पल. चूचों के बीच में जगह थी जिसमें लंड फंसा कर उसे शान्त किया जा सकता था. उसकी गांड बिल्कुल उठी हुई थी और ब्राउन कलर का छेद,
जो चूत की दरार तक अपने रंग को बिखेर रहा था. कमरे से बाहर आकर मैंने फोन देखा तो कई मेल आए हुए थे, जिसमें से मैं कुछ के रिप्लाई देकर टाईम पास करने लगा.
पर मेरा दिमाग बार बार चुदाई की तरफ जा रहा था. मैंने उधर से गुजरते हुए एक वेटर से एक कोल्डड्रिंक मंगाई और पीते हुए ठंडी हवा का आनन्द लेने लगा था.
कुछ देर बाद मेरे फोन पर हिना का कॉल आया. उसने कहा- रूम के बाहर आ जाओ. मैं घोड़े की रफ्तार से भाग कर रूम के सामने गया तो देखा जैसे स्वर्ग से अप्सरा उतर कर आयी हो.
उसने लाल रंग के सांता क्लाज वाले कपड़े पहन रखे थे और सर पर लाल टोपी थी. वह अपने हाथ में मेरी आंखों में बांधने के लिए एक काली पट्टी लेकर आयी.
मैंने भी कुछ नहीं कहा और उसने मेरी आंख पर बांध दी. फिर मेरे हाथ को पकड़ कर आगे आगे चल दी. पीछे पीछे मैं घिसटने लगा.
जब मैं अन्दर गया तो गेट बन्द होने की आवाज आयी और बिल्कुल धीमी आवाज में गाना बजने लगा था. आज फिर तुम पर प्यार आया है
बेहद और बेशुमार आया है. उसने मेरी बांहों में लिपट कर अपने प्यार का इजहार किया और कान के पास होंठ लगाकर कहा. 'आई लव यू सो मच … काश मैं सिर्फ तुम्हें ही चुन पाती.'
फिर मुझे और ज्यादा अंधेरा सा महसूस हुआ. उसने अब मेरे दोनों हाथ ऊपर करके पीछे लगे पर्दे की रॉड से बांध दिए और मेरी जांघों पर चूमने लगी.
यहां अब मेरी गलतफहमी दूर होने लगी कि लगता नहीं है मैं इसे चोद पाऊंगा. शायद अब ये ही मुझे चोदेगी. मेरी गांड अब वाकयी में फटने लगी थी कि जिस आग से मैं अपनी प्यास बुझाना चाह रहा था, कहीं वही आग मुझे ना लपेट दे.
तभी मेरे लंड के पास गर्म गर्म आग सी महसूस हुई और मुझे गुदगुदी होने लगी. उसकी गर्म सांसों के साथ मुझे महसूस हुआ कि वह अपने दांत से मेरे कच्छे को खींच रही है.
मेरा लंड अपना आकार पकड़ने लगा था. जैसे ही टोपे के नीचे उसका सिर गया, लंड फुदक कर बाहर आ गया. पर मेरी हालत ऐसी हो रही थी, जैसे प्यासे को पानी के लिए तरसाया जा रहा हो.
मैं उससे कहने लगा- प्लीज खोल दे. साथ ही मैं अपने पैर चौड़े करके गांड टाइट करके लंड को खुला तानने लगा. उसने मेरा लंड पकड़ा और एक मखमल की मलाई सी जगह में घुसेड़ने जैसा लगा.
उसके बाद थोड़ा टाइट सा महसूस हुआ. उसने जोर लगा कर लौड़े को नीचे खींचा, फिर टोपे पर जीभ रख दी. मैं पागल सा हो गया और ऐसा लगा मानो मेरी जान ही निकल जाएगी.
मेरी सांसें बहुत तेज हो गईं और मुझे पसीना आने लगा. इस लड़की ने मेरी चीख निकलवा दी … साली ने अपने दांत मेरे टोपे पर गड़ा दिए. फिर उसने मेरी पट्टी खोल दी.
मुझे हैप्पी बर्थडे विश किया और बर्थडे वाला गाना लगा दिया. मैंने देखा तो वह केक था, जो उसने मेरे लंड से गोद दिया था. वो नर्म मुलायम सी चीज केक थी, जिसमें मेरे लौड़े को घुसेड़ा गया था.
उसने मेरे लंड से एक पीस और काटा और अपने मुँह में भर कर मेरे मुँह में डाल दिया. अब मैं केक के साथ उसकी जीभ को भी चूसने लगा और मछली की तरह फड़फड़ाने लगा.
मैं उससे मिन्नतें करने लगा कि प्लीज खोल दे. पर वह केवल तड़पा रही थी. मैं पसीना में भीग रहा था, पर उसे यही पसंद आ रहा था. अब वह केक के पीस को कभी छाती पर लगाती, कभी नाक पर, कभी कान पर, कभी होंठों पर … कभी नाभि के नीचे कभी लंड पर …
जगह जगह लगाकर चूस लेती और जहां मन होता, वहां दांत गड़ा देती. मुझे अब गुस्सा आने लगा था. मैंने चीख कर कहा- रंडी, एक बार खोल … फिर देख कैसे तेरी चूत का चित्तौड़गढ़ बनाता हूँ.
वह मेरे लंड पर चांटा मार कर बोली- आह मेरा जॉनी बड़ा तड़प रहा है. तड़प भड़ुए … आज तेरी यही सजा है. आज सारी रात तुझे ना तड़पाया तो मेरा नाम हिना नहीं.
मैं दांत भींच कर उस पर लपकने को हुआ, तो पर्दे की रॉड खुल कर नीचे आ गयी, पर मेरे हाथ अभी भी बंधे हुए थे. मैंने उससे कहा- देख चुद्दो, हाथ खोल दे … वरना होटल के सामान की मां चुद जाएगी.
पर उसे अलग ही नशा था. उसने मेरी बात दरकिनार कर दिया. अब वह अपनी फ्रॉक को घुमाती हुई उड़ाने लगी और अपनी चूत को मटका मटका कर मुझे तड़पा रही थी.
मैं हर सम्भव कोशिश कर रहा था कि एक बार इसका कोई भी सामान मेरे हाथ लग जाए तो मैं इसे निचोड़ कर रख दूँ. पर चुद्दो बहुत तेज थी.
फिर मैं जानबूझ कर लेट गया और रॉड को दीवार के सहारे से निकालने लगा और कुछ पल की मशक्कत के बाद मैं कामयाब हो गया.
अब माहौल कुछ ऐसा हो गया कि पीछे मोहब्बत के गाने बज रहे थे और इधर मोहतरमा मेरे हाथों में फंस चुकी थीं. मैंने जंगलीपना दिखाते हुए सबसे पहले उसकी टोपी उतार कर फेंक दी और जो बेबी नाइटी थी,
वह चूचों से पकड़ कर चीर दी. उसे अपने होंठों से चिपकाते हुए उसकी चूचियां अपनी छाती से भींच लीं. उसकी कमर पर हाथ फिराते हुए ही उसकी गांड को पीछे से मसलने लगा.
अब वह 'उमं उम्म्म अहह.' की आवाज के साथ ऊपर नीचे होकर मेरा साथ देने लगी. तभी मैंने उसे अपने पंजों पर उसको उठाया और गोदी में भर कर उसे केक पर भचाक से फेंक दिया.
उसकी गांड पूरी केकमय हो गयी थी. आगे चूत पर पूरा केक लग गया था. उसके पेट तक छींटे आ गए थे. वह दर्द से कराह रही थी, पर मैं उसके होंठ छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था. मैं उसके होंठ अभी भी दबा कर बैठा हुआ था.
वह अब कसमसाने लगी थी. तभी मैंने उसे उठा कर अपने कंधे पर ले लिया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत से केक को खाने लगा. वह ऊपर बैठ कर मेरे बाल नोचने लगी.
वह जितनी जोर से नोचती, मैं उतनी ही जोर से उसकी चूत में दांत गड़ा देता. मुझे अब चूत चाटनी थी तो मैंने उससे इशारे से कहा कि अपनी पैंटी अपने हाथ से फाड़ दे. वह मना करने लगी.
पर मैं जिद करने लगा तो उसने अपनी चूत मेरे मुँह के पास उचका दी. मैंने जैसे ही उसकी पैंटी में दांतों को फंसाया, उसकी पैंटी की नेट का कपड़ा चिर्र की आवाज के साथ फट गया.
वह अपनी गांड उठा कर उसे तानने लगी तो आगे से चूत के मुँह पर एक छेद बन गया. मैं उस छेद में अपनी खुरदरी जीभ से हरकत करने लगा. उसकी नाभि से लेकर उसकी क्लिट तक अपनी जीभ चलाने लगा.
जैसे ही वह आंख बन्द करके उसका मजा लेने लगी, तभी मैंने उसकी गुलाबी चूत के होंठ अपने मुँह में भर लिए और भींच कर उसमें हवा सी भर दी.
ऐसे हुए हमले से वह बेकाबू हो गयी और उस कुतिया ने इतनी जोर से अपनी जांघों से मेरी गर्दन भींच दी कि मेरी सांस भारी हो गयी.
साथ ही उसकी चीख भी इतनी तेज निकली मानो पता नहीं क्या अनहोनी हो गयी हो. वह तो उसने खुद मुँह पर हाथ रख कर अपनी चीख को रोका, वर्ना बवाल होने में वक्त नहीं लगना था.
फिर मैंने उसे नीचे उतारा तो मेरी छाती पर सारे में, उसकी गांड में लगा हुआ केक लग गया था. अब वह मेरी छाती से केक को चाट रही थी और मैं उसके माथे पर किस करके प्यार के शब्द बड़बड़ा रहा था.
जब उसने पूरी छाती साफ कर दी, तो मैंने उसे पास चिपकाया और उसकी ब्रा का हुक खींच कर तोड़ दिया. उसकी ब्रा उसके फड़कते हुए चुचों से निकाल कर अलग कर दी.
अपनी फटी हुई पैंटी उसने खुद उतार दी. मैंने उसकी ब्रा से उसकी गांड से चूत तक लगा हुआ सारा केक साफ कर दिया और उसे बेड पर पटक दिया.
मैं उसके पैरों से उसको चूसने लगा. मैंने उसके सफेद पैरों के अंगूठे से लेकर उसकी जांघों तक उसे पूरा पी सा लिया और वह केवल मचलती हुई पूरे बिस्तर पर लुढ़कती रही.
जब मैं चूसते चूसते उसकी चूत के मुँह पर पहुंचा, तब देखा कि वह पूरी चुकी थी और उसने पूरी चादर गीली कर दी थी.
मैंने उसकी आंख में आंख मिला कर पूछा- क्या बात है … ये प्रेम रस की धार बिस्तर में क्यों बहा रही हो? इसके लिए तो कब से हमारी मशक्कत जारी है!
हिना- यार, मैं पूरी फारिग हो गयी हूँ और अन्दर से सूख सी गयी हूँ. अब जल्दी से अपना लंड अन्दर डाल दो वरना मैं मर जाऊंगी. मेरे अन्दर आग लगी पड़ी है और उस आग के चलते चूत में चीटियां रेंग रही हैं.
पर जैसे मैं शुरू में तड़पा था, अब उसी का बदला ले रहा था. मैं उसकी चूत में जीभ चलाते हुए कितने ही निशान उसकी पूरी जांघों से लेकर चूत तक बना चुका था.
वह अब लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी थी. मैं समझ गया कि अब सही समय आ गया है. मैंने उसे बेड से उतारा और उसे रनिंग पोज जैसे लिटा दिया. उसकी एक टांग आगे और एक टांग पीछे करके उसे चुदाई के लिए सैट कर दिया.
अब मैंने नीचे होकर उसकी कमर को थामा और एक चुचे को हाथ में भर कर उसकी चूत पर लंड सहलाने लगा. वह मेरे लौड़े के मुंड को हल्का सा अन्दर लेती और उसकी मोटाई से उचक कर आगे को हो जाती.
मुझे पता था कि यह पहले झटके में भागेगी. इसलिए मैंने उसे इस पोज में खड़ा करके पहले थामा, फिर उसकी गांड को हल्का सा नीचे की तरफ दबाते हुए लंड चूत में लैंड करा दिया.
लंड का टोपा समेत आधा लंड चूत में उतर चुका था और मेरा हाथ उसके मुँह पर जमा हुआ था. लौड़े के घुसते ही मुझे तो मानो जन्नत मिल गयी थी, पर उसकी हालत खराब थी.
जब वह कसमसाई तो मैंने लौड़े को हल्का सा पीछे लिया और जोर का वार करके उसकी कमसिन चूत को पूरा चीर दिया.
लौड़े के अन्दर जाते ही मैं उसकी कमर पर गिर गया और करीब एक मिनट तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा. जब मैं खड़ा हुआ तो वह भी उसी के साथ उठ गयी.
जब मैंने उसकी आंखों में देखा तो मुझे दया आ गयी. उसकी आंख में आंसू थे और वह लाल पड़ चुकी थी. उसका चेहरा बिल्कुल तमतमाया हुआ था और वह मेरी छाती पर लिपट सी गयी थी.
उसकी इस हरकत की वजह से मेरा लंड चूत से बाहर निकल गया और उसी के साथ उसकी खून की एक लकीर निकल कर उसकी जांघों पर बहने लगी.
वह मेरी तरफ मुड़ कर मुझसे कहने लगी- क्या तुम हमेशा मेरे साथ दोगे? मैं इतना भावुक हो गया था कि मैं उसके लिए कुछ भी कर सकता था.
मैंने उसे अपने सीने से लिपटाया और उसके बालों में हाथ फिरा कर गर्दन हिला कर उसे स्वीकृति दे दी. मुझे पहली बार अहसास हुआ कि सिरफिरी लड़की भी इतना प्यार दे सकती है.
मेरी हामी मिलते ही वह मुझसे चिपक गयी. मैंने उसे फिर से चूसना शुरू कर दिया और वापस उसे बेड पर लिटा दिया; चादर के छोर से उसकी चूत को साफ करके फिर से थूक लगा दिया.
वह कुछ समझ पाती कि मैंने वापस से लौड़ा पेला और 4-5 झटकों में लंड को जड़ तक उतार दिया. वह चीखी तो सही पर मैं हर स्थिति के लिए तैयार था, इसलिए सब कुछ ठीक हो गया.
कुछ देर बाद मैंने उसके पैर अपने कंधों पर रख लिए और मस्ती से लंड को चूत में आगे पीछे करने लगा. अगले कुछ ही मिनट बाद वह भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरे हर झटके का जवाब अपनी 'आआहह …' की कसमसाहट भरी आवाज के साथ देने लगी थी.
करीब 30-40 झटकों के बाद मैं कुछ धीमा पड़ गया तो वह लपक कर उठ गयी और मुझे नीचे पटक कर खुद मेरे लंड पर कूदने लगी.
अब उसने भी इतने ही झटके लिए होंगे कि वह भी ढीली पड़ने लगी. मैंने उसे उठाया और दीवार से सटा कर उसे अपनी कमर पर बांध लिया और दे दनादन झटके देने लगा.
कुछ दस मिनट की धकापेल के बाद हम दोनों ने एक साथ समुद्र मंथन का रस छोड़ दिया. मैंने उसे बेड पर पटक दिया और उसके ऊपर गिर गया.
वह मुझे बहुत प्यार कर रही थी. मेरे बालों में हाथ फिरा कर मुझे थैंक्स कर रही थी. हम दोनों आधा घंटा तक ऐसे ही पसीना से लथपथ लिपटे पड़े रहे.
फिर हम दोनों साथ में नहाए और खाना खाया. उस रात के बाद मानो हमारी जिन्दगी बदल गयी थी. हम दोनों 6 दिन वहां घूमे और एक दूसरे के भीतर इतना समा गए थे कि
अब हमें फर्क ही नहीं पड़ता था कि कोई हमें कुछ कहेगा. हम दोनों रोजाना दिन में 8-10 बार चुदाई करते थे और हमेशा अलग अलग पोज में मजा लेते थे.
इसी बीच मैंने उसकी गांड का छल्ला भी भी खोल दिया था. वह अब मस्ती से अपने दोनों छेद ड्रिल करवाने लगी थी. हम दोनों ने खूब शॉपिंग की और दिल्ली वापिस आ गए.
आने के बाद एक दिन तो पूरे 24 घंटा उठे ही नहीं. बाजू में नमकीन और पेस्ट्री आदि रख ली थी तो हम लोग सारे दिन सोये और जब नींद खुलती तो नाश्ता करके वापस सो जाते.
उस दिन के बाद हम दोनों पति पत्नी की तरह रहने लगे थे. साथ में खाना बनाना. छोटी छोटी बात पर लड़ना और हर बात में चुदाई करना.
साथ में सोना और एक दूसरे की हर जरूरत का ख्याल रखना हमारी जिन्दगी का हिस्सा हो गया था. फिर वह दिन भी आ गया था जब हमें एक दूसरे से अलग होना था.
हालांकि ये हम दोनों के लिए आसान नहीं था, पर दर्द राहों में मिलते ही हैं … चाहने वाले कभी एक दूसरे की जिन्दगी नहीं बन पाते.
अब हम केवल एक अच्छे दोस्त की तरह मिलते हैं. वह शादी करके भी मुझे उतनी ही इज्जत देती है, जितना तब देती थी और मैं भी.
इस सेक्सी गुजरती लड़की की चुदाई के बाद मैं आप सभी से एक सवाल पूछना चाहूँगा कि जिसे हम सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, वही लाइफ का हिस्सा क्यों नहीं होता, बस आता और चला जाता है.
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